राजपूत क्षत्रिय के 4 शाखा में से एक परमार भी है जिन्हें अग्नि कुंड से उत्पति हुई इसका इतहास हमारे पास है हमारे पूर्वजो द्वारा की पीढ़ियों से इतहास पड़ा जा रहा है
अग्नि वंश है, चार हुतासन सो भये, कुल छत्तिस वंश प्रमाण। भौ वंश के धाकरे टांक नाक उनमान, चौहानी चौबीस बटी कुल बासट वंश प्रमाण।। भारद्वाज जी आपने सही इतिहास बताया ,जय चौहान 🙏
मैं चौहान वंश से हु और हमारी उत्पत्ति अनल कुंड आबू जी से है गुरु वशिष्ट जी ने यज्ञ में आहुति दी थी उसमें से चौहानो की उत्पत्ति इसीलिए हमारा गोत्र Iवत्स है माता आसावरी है
गुरुदेव इस विस्तृत जानकारी के लिए हृदय की गहराईयों से आभार। धर्म, धरा, गऊ, तिरिया, दीन और ब्राह्मण की रक्षा क्षत्रिय का परम धर्म था और है, हमारे पूर्वजों ने इसे सिद्ध किया था और हमें भी इसी पथ पर अग्रसर होना चाहिए। जय हिन्द..... जय जय राजपूताना
सभी राजपूत भाई इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें. बहुत मुश्किल से बनाई है. केसे भैस चोरों की बजा दी. 🤣🤣 ua-cam.com/video/VGog-vn1uyo/v-deo.html .........
बहुत ही अच्छा इतिहास है भारद्वाज जी तहे दिल से सम्मान करते हैं आपको इस संदेश के लिए जाति और गोत्र चाहे कोई भी हो लेकिन हमारे भारत देश के सबसे महान योद्धा थे जब भगवान देवनारायण के
No colonel todd was a brilliant historian read his book on Rajputana history..he single handedly revived Rajputana history..he may have made few mistakes but his work is commendable.
भाइयों क्यों व्यर्थ की बहस में पड़े हो कि पृथ्वीराज चौहान राजपूत थे या गुज्जर,,, मैं ऐलान करता हूँ कि गुज्जर अगर इस राष्ट्र में पृथ्वीराज को सरकारी दस्तावेजों में गुज्जर संसोधित करा दें,,, और आर्मी में गुज्जर रेजिमेंट कायम करा लें,,तो मैं और मेरे संपर्क में सभी राजपूत सरदार इन गुज्जरों को असली क्षत्रिय मान जायेंगे और गुज्जरों को बधाई देने मिलने आयेंगे,,, जय हिंद जय राजपुताना,,,तब तक रमन जी को कोई उल्टा सीधा कमेन्ट ना करे,,, धन्यवाद
में राजपुरोहित राजगुरु हूं और हम भी गुरुदेव वशिष्ठ गोत्रिय है और माना जाता है की हम यज्ञ से परमार राजपूतों से पहले उत्पन हुए इसलिए राजगुरु ...राजपुत परमार राजाओं के गुरु रहे है
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अजय सिंह चौहान (वत्स गोत्रीय)बहुत सुंदर आप ने वर्णन किया लेकिन एक सवाल अब भी आता कि चौहान की उतपत्ति कैसे हुई अब भी रहस्य है जहां किसी नतीजे पर कोई एक मत किसी भी लेखक का नही है।और मैं एक बात कहना चाहूंगा कि कोई तो चौहानो को चंद्रवंसी मानते हैंऔर अग्निवंसी को चंद्रवंसी की शाखा मानते हैं(चंद्रवंसी कि 24 वी पीढ़ी)वत्स(1400वर्ष लगभग विक्रमी पूर्व)वत्सभूमि(कोसांबी)आयुष्मान पुत्र नहुष, छत्रविधि, रम्भस, रजि, अनेनस छत्रविधि के57वी पीढ़ी में राजा वत्स हुआ जिससे वत्स वन्स चला वत्स की34वी पीढ़ी में राजा अग्निपाल हुआ जिससे अग्निवंश चला अग्निपाल के चार पुत्र हुए परमार प्रतिहार चालुक्य और चौहान वंश चला इस तरह चौहान की उतपति के बारे में सही मत नही मिलता (ये सब जानकरी विस्व छत्रिय महासभा के संगठन मंत्री जो लेखक है)से मिला अगर एक और देखा जाय तो भविष्यपुराण में अग्निवंसी राजपूतो के बारे में वर्णन मिलता है अगर पुराण की माने तो चौहान अग्निवंसी है क्योंकि जितने भी लेखक है उन सभी से पुराना पुराण है।
BHARDWAJ CLASSES Sir Parthvi Raj raso book me Chohano ko Gurjar likha hai Parthvi Raj chauhan Ko Gurjar Raja likha hai Fir Dr Bhandarkar K Anusar rajput Gurjar ki hi santan hai
अग्नि वंश ,तब उत्पन्न हुआ जब यहां के लोग बौद्ध हो गए थे ,,बाद में ऋषियों ने यहां की ,भर गौड़ आरख गुज्जर जातियों में से ही चार लोगों को यज्ञ द्वारा पवित्र करके हिंदू बनाया था ,धर्म की रक्षा के लिए ,,,
वीर चौहानों की उत्तपत्ती किसी से भी हो ये उतना महत्वपूर्ण नही है, ये मतभेद का विषय हो सकता है.. परन्तु वीर चौहानो का पृभाव महत्वपूर्ण है..पूरा भारत वर्ष राजपूतो के त्याग बलिदान का ऋणी रहेगा... राष्टीय गौरव सत्य सनातनीय गौरव है वीर समृट वीर पृथ्वीराज चौहान....🙏
अग्निवंशी से क्यों नहीं किसी व्यक्ति का उत्पन्न हो सकता है क्या हमारे शास्त्र में ऐसा उल्लेख नहीं मिलता है क्या माता द्रोपती की अग्नि से उत्पन्न नहीं हुए थे प्ल्ज़ रिप्लाई सर्
*अग्निवंश एक मिथ्य हैं जो राजपूतों को विदेशी साबित करने के लिए बनाया गया है, सभी क्षत्रिय सूर्यवंशी ओर चन्द्रवंशी हैं अग्नि वंश के* - *चौहान, परमार ओर प्रतिहार सुर्यवंशी है* , *भगवान श्री राम के वंशज* । *ओर चालुक्य चंद्रवशी, यह अर्जुन के वंशज है* । *पृथ्वीराज रासो के अलावा कहीं चौहानो को अग्निवंशी नही कहा, चौहानो को रघुकुलनन्दन ही कहा गया है* । *यही प्रतिहारो के साथ है, वह लक्षमण के वंशज है, तो अपने आप सुर्यवंशी रघुकुल के हो गए* । *परमार राष्ट्रकूटों की ही एक शाखा है, उन्ही राष्ट्रकूटो की एक शाखा राठौड़ कहलाने लगी । राठौड़ ओर परमार लव के वंशज है* । *यदि आप अग्निवंश को मानते हैं तो आपको मानना पड़ेगा कि राजपूत विदेशी हैं और इसके साथ यह भी मानना पड़ेगा कि चौहान, परमार, चालुक्य ओर प्रतिहार ये सब शक, हुन ओर कुषाण थे* जिन्हें यज्ञ करके शुद्ध किया गया और साथ मे यह भी मानना पड़ेगा कि राजपूत 5-6 शताब्दी में आग से निकले हैं क्या आप मानेंगे ?? अग्नि वंशी कोई और नही, सूर्यवंश ओर चन्द्रवंश के राजा ही थे । सबसे पहले बात सोलंकी उर्फ चालुक्य की कर लेते है,इतिहास में इन्हें अग्निवंशी कहा गया है । जबकि सोलंकियों ( चालुक्यों ) की वंशावली कुछ इस प्रकार है - यह वंशावली पूर्व चालुक्य राजा राजराज प्रथम के ताम्र लेख से प्राप्त होती है, जो ईस्वी 1022 का है । इस तामपत्र के अनुसार भगवान पुरषोतम की नाभि से कमल हुए कमल से ब्रह्मा जिनसे क्रमशः सोम, बुद्ध, व अन्य वसँजो में विचित्रवीर्य, पांडु, अर्जुन, अभिमन्यु, परीक्षित जन्मजेय आदि हुए । इसी वंश के राजाओ ने अयोध्या पर भी राज किया था । विजयादित्य ने पश्चिम में जाकर अपना शासन स्थापित किया था, उसी वंश में राजराज हुआ था । कश्मीर के शिलालेखों तथा कश्मीरी पंडित विल्हण द्वारा रचित विक्रमांक चरित्र में चुल्लु या चोल नाम के राजा के बाद इस वंश का नाम चालुक्य पड़ने की बात कही गयी है । इससे यह स्पष्ठ होता है, की चालुक्य चंद्रवशी राजपूत ही है। दूसरा अग्निवंशी कुल चौहानो का कहा गया है । चौहानो को पृथ्वीराज रासो के अलावा और कहीं भी अग्निवंशी नही कहा गया । ओर पृथ्वीराज रासो को ऐतिहासिक प्रमाण के रूप में इतिहासकार भी नही मानते । चौहानो के शिलालेखों में चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है। विश्वसनीय पुस्तक पृथ्वीराज विजय, जो कि पृथ्वीराज के समय ही लिखी गयी थी, उसमे भी चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है । अग्निवंश में तीसरा नाम प्रतिहारो का है, इनके शिलालेखों में इन्हें लक्ष्मण का वंशज कहा गया है, तो सीधे सीधे यह तो रघुकुल के सुर्यवंशी ही हुए । *आखिर अग्निकुल नाम क्यो पड़ा* ? - *बोद्ध धर्म के भारत मे प्रभावी हो जाने के बाद विदेशी बर्बर मल्लेछो का आतंक पुष्कर तक पहुंच गया था, इसी कारण क्षत्रियो का एक संघ बनाया गया, ओर अग्नि को साक्षी मानकर उनसे सपथ दिलवाई गयी कि वे मल्लेछो से कठोरता से निपटेंगे* । तब 2 चन्द्रवंश ओर दो सुर्यवंश के राजा धरती को पापमुक्त करने के लिए आगे आये । उसके बाद इनका नाम ही अग्निवंशी पड़ गया*
चौहानो की उत्पत्ति वशिष्ठ ॠषि के यज्ञ कुण्ड से हुई । असुरो से यज्ञ की रक्षा हेतु पहले तीन वीरो को फिर एक वीर को यज्ञ की रक्षा हेतु यज्ञ कुण्ड से उत्पन्न किया था।चारों में चौहान सबसे शक्ति शाली था ।सबसे पहले अलहण देव नामक चौहान का जन्म हुआ ।जो चौहानो के आदि पूर्वज है ।इन चारों वीरों को नियंत्रित करने हेतु राजगुरु नामक ॠषि की उत्पत्ति की।किन्तु वह शान्त थे व भक्त थे।फिर यज्ञ कुण्ड से उग्र ॠषि जागरवाल की उत्पत्ति की थी।जिसने उन्हें नियंत्रित किया व शास्त्रीय विचारों से सहमत किया ।जय श्री हरि ।
Brother the biggest problem of us Hindus is that we interpret our scriptures word to word. Some times the message behind what's written in the scriptures is just symbolic. I agree, that no human being ( or any living creature ) can appear directly out of fire (Agni) but that does not dismiss the claim that Maharishi Vashist ji performed a Yagna on Mt Abu out which 4 New Rajput clans were born. The Yagna that he performed could have been an innitiation ceremony in which pre existing Kshatriyas pledged to dedicate themselves for the protection of vedic yagnas from being disturbed by Rakshashas . So genetically Chauhaans might have been Surya vanshi or Indra Vanshi or even Brahmin Vanshi but after being blessed at the Yagna performed by Maharishi Vashist ji, they must have taken up an identity of Being Agni Vanshi as they were sort of beptised by the Yagna. Calling themselves agnivansi could have been and indication the extreme commitment to protect Yagnas from Rakshashas. So please never doubt your scriptures. 🙏 May Lord Parshuram bless you. Har Har Mahadev Jai Shree Ram. 🙏🙏🙏🙏🙏
Yes brother you have written write thing Main problem of historian about rajput history is that they take every thing word to word for eq word rajput is just a hindi word of sanskrit word rajputra and these historians have made this rajput word a seprate identity but in reality rajputra or rajput word was used by kshatriyas belonging to suryavansh chandravansh yaduvansh etc but it was not used by non vedic kshatriyas
यज्ञ से चार तात्कालिक क्षत्रिय वंशो को दीक्षित किया गया था गुरु वशिष्ठ के द्वारा, उस वक़्त भारत में चार विशिष्ट वंश यथा चौहान, परमार, सोलंकी एवं परिहार व इस यज्ञ के पश्चात इनको राजपूत संघ में शामिल किया गया! कारण था धर्म की रक्षा!
जो गोत्र राजपूत राजा की होती थी वहीं गोत्र प्रजा भी अपना रिफरेंस देने के लिए लगाती थी , जैसे कि आप को पता है कि हर जाति में राजपूत की गोत्र मिल जाएगी , आप को दूसरी जाति में न केवल चौहान बल्कि राठौड़, सिसोदिया, परमार, प्रतिहार , परिहार, चालुक्य आदि गोत्र मिलेगी । यही सत्य है । आप को हर जाति में राजपूत गोत्र जरूर मिलेगी । उसका यही कारण है ।
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आप ने जो भी चौहान की उत्पत्ति के बारे में बताया है वह बहुत ही अच्छा बताया गया है बड़ी मेहनत और लगन के साथ मे हि हर कार्य होता है इस के लिए आप को हमारी तरफ से बहुत बहुत बधाई और धन्यवाद के पात्र हैं आप यह सब आप ने शीला लेख और किसी के द्वारा लिखी गई बात बताई जाती हैं अब देव वाणी सुनौ जो आप ने पहले बताया आबु पर्वत और वसिष्ठ के द्वारा यज्ञ कर्म से ही हुई हैं यही बात सही है। यज्ञ से उत्पन्न होने से ही अग्नि वंशज कहलाते हैं यह बात करीब छः लाख साल पुरानी है इतना पुराना इतिहास कहीं नहीं मिलेगा
@Internet User kya bakwas kar Raha hai Rajput Muslims se 756 CE se laad rahe hai Khuch rajput baas Mughal se haath milaye vo bhi khuch generation ke Rajputon ne usme bhi mainly Rajasthani rajput Himachali Garhwali Bundelkhand ke rajput Purvanchal or awadh ke rajput to iss vakat bhi ladte rahe Maratha to saalon taak Muslim ki seva karte rahe bas 150/200 saal ladai ki Muslims se Jaat ne to Gopal jat ke Baad ladai Suru ki Muslims se Sikh me bhi 200 sal se jyada nahi ladai ki Aurangzeb ke under rajput se jyada marathe the
@Internet User bhai Mughal 1525 me aaye Or Musalman 700 me aaye the Unhone 700 se lekar 1550 (Akbar) taak koi Shaadi biyah Ya ache relation nahi rakhe baas ladte rahe Or 1550 ke Baad bhi Khali Rajasthan ke rajput mile mughalo se bundeli, phadi, purbaiya ke rajput zamindars aksar ladte the Or aapne khuch galat nahi kaha
*अग्निवंश एक मिथ्य हैं जो राजपूतों को विदेशी साबित करने के लिए बनाया गया है, सभी क्षत्रिय सूर्यवंशी ओर चन्द्रवंशी हैं अग्नि वंश के* - *चौहान, परमार ओर प्रतिहार सुर्यवंशी है* , *भगवान श्री राम के वंशज* । *ओर चालुक्य चंद्रवशी, यह अर्जुन के वंशज है* । *पृथ्वीराज रासो के अलावा कहीं चौहानो को अग्निवंशी नही कहा, चौहानो को रघुकुलनन्दन ही कहा गया है* । *यही प्रतिहारो के साथ है, वह लक्षमण के वंशज है, तो अपने आप सुर्यवंशी रघुकुल के हो गए* । *परमार राष्ट्रकूटों की ही एक शाखा है, उन्ही राष्ट्रकूटो की एक शाखा राठौड़ कहलाने लगी । राठौड़ ओर परमार लव के वंशज है* । *यदि आप अग्निवंश को मानते हैं तो आपको मानना पड़ेगा कि राजपूत विदेशी हैं और इसके साथ यह भी मानना पड़ेगा कि चौहान, परमार, चालुक्य ओर प्रतिहार ये सब शक, हुन ओर कुषाण थे* जिन्हें यज्ञ करके शुद्ध किया गया और साथ मे यह भी मानना पड़ेगा कि राजपूत 5-6 शताब्दी में आग से निकले हैं क्या आप मानेंगे ?? अग्नि वंशी कोई और नही, सूर्यवंश ओर चन्द्रवंश के राजा ही थे । सबसे पहले बात सोलंकी उर्फ चालुक्य की कर लेते है,इतिहास में इन्हें अग्निवंशी कहा गया है । जबकि सोलंकियों ( चालुक्यों ) की वंशावली कुछ इस प्रकार है - यह वंशावली पूर्व चालुक्य राजा राजराज प्रथम के ताम्र लेख से प्राप्त होती है, जो ईस्वी 1022 का है । इस तामपत्र के अनुसार भगवान पुरषोतम की नाभि से कमल हुए कमल से ब्रह्मा जिनसे क्रमशः सोम, बुद्ध, व अन्य वसँजो में विचित्रवीर्य, पांडु, अर्जुन, अभिमन्यु, परीक्षित जन्मजेय आदि हुए । इसी वंश के राजाओ ने अयोध्या पर भी राज किया था । विजयादित्य ने पश्चिम में जाकर अपना शासन स्थापित किया था, उसी वंश में राजराज हुआ था । कश्मीर के शिलालेखों तथा कश्मीरी पंडित विल्हण द्वारा रचित विक्रमांक चरित्र में चुल्लु या चोल नाम के राजा के बाद इस वंश का नाम चालुक्य पड़ने की बात कही गयी है । इससे यह स्पष्ठ होता है, की चालुक्य चंद्रवशी राजपूत ही है। दूसरा अग्निवंशी कुल चौहानो का कहा गया है । चौहानो को पृथ्वीराज रासो के अलावा और कहीं भी अग्निवंशी नही कहा गया । ओर पृथ्वीराज रासो को ऐतिहासिक प्रमाण के रूप में इतिहासकार भी नही मानते । चौहानो के शिलालेखों में चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है। विश्वसनीय पुस्तक पृथ्वीराज विजय, जो कि पृथ्वीराज के समय ही लिखी गयी थी, उसमे भी चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है । अग्निवंश में तीसरा नाम प्रतिहारो का है, इनके शिलालेखों में इन्हें लक्ष्मण का वंशज कहा गया है, तो सीधे सीधे यह तो रघुकुल के सुर्यवंशी ही हुए । *आखिर अग्निकुल नाम क्यो पड़ा* ? - *बोद्ध धर्म के भारत मे प्रभावी हो जाने के बाद विदेशी बर्बर मल्लेछो का आतंक पुष्कर तक पहुंच गया था, इसी कारण क्षत्रियो का एक संघ बनाया गया, ओर अग्नि को साक्षी मानकर उनसे सपथ दिलवाई गयी कि वे मल्लेछो से कठोरता से निपटेंगे* । तब 2 चन्द्रवंश ओर दो सुर्यवंश के राजा धरती को पापमुक्त करने के लिए आगे आये । उसके बाद इनका नाम ही अग्निवंशी पड़ गया*
kisi ke kahne kya hota h hum to wahi manege jo mere purvaj ne bataya h mere purvaj ne bataya h hum agni vanshi h aur shiv singh chauhan khud ko angi vanshi hi manta h aur manta rahega jay ma bhavani jay rajputana
जिस प्रकार संत महात्माओं द्वारा यज्ञ करके राजा द्रुपद ने अपने यहां धृष्टद्युम्न और द्रोपती को उत्पन्न किया था ठीक उसी प्रकार गुरु वशिष्ट ने क्षत्रिय राजपूत उत्पन्न किए इसमें कोई संशय का विषय नहीं जय राजपूताना जय मां भवानी क्षत्रिय एकता जिंदाबाद
सनातन संस्कृति मे पंच तत्वों का महत्व है जेसे की अग्नि, जल वायु, आकाश, प्रथ्वी. मनुष्य की म्रत्यु के पश्चात भी यही कहा जाता है कि पांच तत्वों मे विलीन हो गए शास्त्रों के आधार पर ये कहा जा सकता है कि क्षत्रिय राजपुतो की उत्पति अग्नि से हुई है क्युकी भारत देश के सनातन धर्म मे शास्त्रों का ही महत्व है ओर भारत देश का सनातन धर्म सर्वोपरी हे पर में भारद्वाज जी का बोहोत सम्मान करता हूं कि आप जो इतिहास बताने का कार्य सेवा दे रहे हैं उसके लिए आपका बोहोत बोहोत धन्यवाद्
*अग्निवंश एक मिथ्य हैं जो राजपूतों को विदेशी साबित करने के लिए बनाया गया है, सभी क्षत्रिय सूर्यवंशी ओर चन्द्रवंशी हैं अग्नि वंश के* - *चौहान, परमार ओर प्रतिहार सुर्यवंशी है* , *भगवान श्री राम के वंशज* । *ओर चालुक्य चंद्रवशी, यह अर्जुन के वंशज है* । *पृथ्वीराज रासो के अलावा कहीं चौहानो को अग्निवंशी नही कहा, चौहानो को रघुकुलनन्दन ही कहा गया है* । *यही प्रतिहारो के साथ है, वह लक्षमण के वंशज है, तो अपने आप सुर्यवंशी रघुकुल के हो गए* । *परमार राष्ट्रकूटों की ही एक शाखा है, उन्ही राष्ट्रकूटो की एक शाखा राठौड़ कहलाने लगी । राठौड़ ओर परमार लव के वंशज है* । *यदि आप अग्निवंश को मानते हैं तो आपको मानना पड़ेगा कि राजपूत विदेशी हैं और इसके साथ यह भी मानना पड़ेगा कि चौहान, परमार, चालुक्य ओर प्रतिहार ये सब शक, हुन ओर कुषाण थे* जिन्हें यज्ञ करके शुद्ध किया गया और साथ मे यह भी मानना पड़ेगा कि राजपूत 5-6 शताब्दी में आग से निकले हैं क्या आप मानेंगे ?? अग्नि वंशी कोई और नही, सूर्यवंश ओर चन्द्रवंश के राजा ही थे । सबसे पहले बात सोलंकी उर्फ चालुक्य की कर लेते है,इतिहास में इन्हें अग्निवंशी कहा गया है । जबकि सोलंकियों ( चालुक्यों ) की वंशावली कुछ इस प्रकार है - यह वंशावली पूर्व चालुक्य राजा राजराज प्रथम के ताम्र लेख से प्राप्त होती है, जो ईस्वी 1022 का है । इस तामपत्र के अनुसार भगवान पुरषोतम की नाभि से कमल हुए कमल से ब्रह्मा जिनसे क्रमशः सोम, बुद्ध, व अन्य वसँजो में विचित्रवीर्य, पांडु, अर्जुन, अभिमन्यु, परीक्षित जन्मजेय आदि हुए । इसी वंश के राजाओ ने अयोध्या पर भी राज किया था । विजयादित्य ने पश्चिम में जाकर अपना शासन स्थापित किया था, उसी वंश में राजराज हुआ था । कश्मीर के शिलालेखों तथा कश्मीरी पंडित विल्हण द्वारा रचित विक्रमांक चरित्र में चुल्लु या चोल नाम के राजा के बाद इस वंश का नाम चालुक्य पड़ने की बात कही गयी है । इससे यह स्पष्ठ होता है, की चालुक्य चंद्रवशी राजपूत ही है। दूसरा अग्निवंशी कुल चौहानो का कहा गया है । चौहानो को पृथ्वीराज रासो के अलावा और कहीं भी अग्निवंशी नही कहा गया । ओर पृथ्वीराज रासो को ऐतिहासिक प्रमाण के रूप में इतिहासकार भी नही मानते । चौहानो के शिलालेखों में चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है। विश्वसनीय पुस्तक पृथ्वीराज विजय, जो कि पृथ्वीराज के समय ही लिखी गयी थी, उसमे भी चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है । अग्निवंश में तीसरा नाम प्रतिहारो का है, इनके शिलालेखों में इन्हें लक्ष्मण का वंशज कहा गया है, तो सीधे सीधे यह तो रघुकुल के सुर्यवंशी ही हुए । *आखिर अग्निकुल नाम क्यो पड़ा* ? - *बोद्ध धर्म के भारत मे प्रभावी हो जाने के बाद विदेशी बर्बर मल्लेछो का आतंक पुष्कर तक पहुंच गया था, इसी कारण क्षत्रियो का एक संघ बनाया गया, ओर अग्नि को साक्षी मानकर उनसे सपथ दिलवाई गयी कि वे मल्लेछो से कठोरता से निपटेंगे* । तब 2 चन्द्रवंश ओर दो सुर्यवंश के राजा धरती को पापमुक्त करने के लिए आगे आये । उसके बाद इनका नाम ही अग्निवंशी पड़ गया*
Chauhano ka charitr esa hai ki har koi ene apna banana chahte hai. Aaj gujjar bhi Chauhan ban rahai hai isse bhadiya aur kya ho sakta hai. Chauhano mai Sher ka jiggara hai. ANDER DAAM CHAHIYE...... HAR koi esa nahi ban sakta JAI RAJPUTANA.. 🤴🤴🤴⚔⚔
Gaurav chauhan okaat m bat krr gurjaro k bare m jaan le phle ache se or jo tu bolra hna ye hum logo ko bolna chahiye par samajhte h hum log ki tm b humare parivar se ho ye angrezo or mugalo ki batai hui kahani ko aj b mante ho tm log or apne hi pariwar se alag ho chuke ho jhuti shaan se bahar niklo sach ko jano
@Gopi Singh Cheema mostly rajputo me paaye jate h ...yahi SE kisi karanwas dusri jatio me chale Gaye jaise Mali jaat goojar Sikh sc lekin sankya ke hisab se sabse jyada Chauhan rajputo me hi h.baki kuch log dusri jatio me chale Gaye..
@@amit9507 agar tu rajasthan se hain toh maa panna dhay ka naam toh suna hoga jinhone uday singh ko bachaya tha. Unke husband or rana sanga ke senapati chauhan gurjar hi the.
वीर गुर्जर हुंकार प्रहार हूं प्रतिहारों का आघात हूं मे़ प्रहारों का । मैं गांडीव की प्रत्यंचा हूं सर तीरे की बौछारों का ।। में परम भट्ठारक गुर्जर देश में उत्तर अत्याचारों का । मैं महिपाल में मिहिर भोज में नागभट्ट सरदारों का ।। मैं कनिष्क में मिहिर कुल में कारण चीन की दीवारों का ।। मैंने ही वक्ष अडाया था सिंधु के कठिन कछारों में । मैंने स्नान किया है अरब लहू की ऊष्ण बौछारों में ।। जय देवनारायण जय भौणा जय महाकाल था गूंज उठा । उस रणचंडी के खप्पर को भरता में झूम उठा ।। मैंने ही फारस तट पर अपने घोड़े दौडाए थे । मैंने ही सिंधु तट पर यवनों के सीस उड़ाए थे ।। मैं ही पुष्कर में शत्रु रक्त से नहाया था । मैंने ही खारी नदी के तट पर ठाकुरों का मान घटाया था ।। गुर्जर था मेरी रक्षा मैं तो गुर्जर राष्ट्र कहलाया था । सूर्यवंशी क्षत्रिय में दान धर्म में सवाया था ।। मैं ही सवाई भोज वचनबद्ध वीर महादानी हूं । मैं ही इच्छाधारी कारस देव वरदानी हूं ।। में हिंदूशाही काबुल कि मैं ही भीम देव की गाथा हूं । सिंन्ध कथा कहता जिसकी उसी गुर्जरेन्द्र का माथा हूं ।। मैं अजर अमर सेनानी हूं नहीं परिचय मुझसे हारो का । शत्रु रक्त से लिखा गया इतिहास गुर्जर प्रतिहारों का ।। मैं हूण मैं कुषाण मैं चौहान वंश वृक्ष हूं वीर गुर्जरों का ।। अस्त्र-शस्त्र रण क्षेत्र बली और मोह अरुण परिधानों का । हर जन्म में गुर्जर बनूं हो सार सभी वरदानों का ।।
क्या आप की knowledge के अनुसार चौहान वंश का गोत्र स्वर्छ्हा भी है ? यद्यपि गोत्र ऋषियों से हैं लेकिन कुछ चौहान वंश दधीचि ऋषि की पत्नी के नाम का गोत्र अपनाते हैं क्योंकि ऋषि दधीचि ने इंद्र को बचाने के लिये अपने शरीर को समाप्त कर अपनी bones की भस्म से वज्र का निर्माण किया था......
क्षञिय आज के जाट, यादव, गुर्जर , बिश्नोई व अन्य कई जातियाँ थी। क्षञिय मतलब शस्त्र रखकर समाज ,राज्य की रक्षा करने वाले । राजपूत मतलब राज्य के पूत्र यानी राजा ,उसके परिवार ,व सैनिकों के बीना शादी के जो हुए वो राजपूत यानी राज्य (सरकार या राज ) के पूत । गांवो मे भी यही बात चलन मे है गांव के गीतों मे भी गाई जाती है जो पीढ़ियों से गाई जा रही है। सच्चाई यही है। अगर हम गांवो मे राव या भाट द्वारा पीढ़ियों से लिखी जा रही किताबों को पढते है तो उससे हमे पता चलता है। (राव वो है जो हर जाति,उपजाति के हर परिवार की दो तीन हजार साल से पीढ़ियों का लेखन कर रहे है। राव या भाटों की उनकी किताबों व पेड़ों के पतों पर अपनी अलग भाषा मे लिखते है जो वे अपने बच्चों को पीढ़ी दर पीढ़ी सिखाते है।) गांवो मे आज भी किसी परिवार मे बच्चे का जन्म होता है तो उसे परिवार के लोग एक सभा (खाने पाने का आयोजन) का आयोजन कर अपने परिवार के भाट या राव को बुलाते है व अपने सभी परिवार , रिश्तेदारों व गांव वालो के सामने उस बच्चे का भाट या राव की किताब मे जन्मे बच्चे का नाम, समय, गांव सब लिखाते है। उस सभा मे भाट उस परिवार की पूरी पीढ़ियों के नाम गाकर सुनाते है यानी उस परिवार की पहले की पीढ़ियां किस जाति की थी बाद मे किस जाति मे वो कन्वर्ट हुई। कहाँ कहां रही, उसके बाद यहां इस गांव मे कब आई। मतलब हर चीज बताई जाति है। नया व्यक्ति तो सुनकर ही अचंभित हो जाता है कि इतनी हजारों पीढ़ियों का नाम पता जाति लिखकर कैसे संभालकर रखा गया होगा । भाट या राव की लिखने की भाषा अलग है लेकिन उनके बोलने से हम ज्यादातर समझ जाते है। यह परंपरा हजार सालों से चली आ रही है। जैसे मै ऐसी एक सभा के आयोजन मे गया जब एक बिश्नोई जाति के परिवार ने अपने बच्चे का भाट या राव की किताब मे नाम लिखने के लिए आयोजन कराया था। वहां उस राव से मैने उस परिवार की पीछली पीढ़ियों के बारे मे पुछा तो राव ने बताया कि ये अभी बिश्नोई जाति व साहु उपजाति से है ,इस परिवार की पीढ़ी लगभग पांच सौ साल पहले जाट (साहू) जाति थी, उससे पहले ये राजपूत (चौहान ) जाति के थे। मुझे भी इन राव जातियों द्वारा लिखे जाने की परंपरा व इस बारे मे तभी पता चला था । सच यह है कि पहले सब एक ही थे जनसंख्या बढती गई व जातियाँ उस समय के राजनितिक व सामाजिक कारणों से बनती गई।
जय अग्निवंश जय पृथ्वीराजचौहान 🙏🚩 में भारद्वाज क्लासेस का धन्यवाद करता जो अपनी वीडियो के माध्यम से हिंदुस्तान के सही इतिहास की जानकारी देते है
Sab chodo chuhan vansh sanatni tha...jai sanatan rashtr🚩🚩🚩
राजपूत क्षत्रिय के 4 शाखा में से एक परमार भी है जिन्हें अग्नि कुंड से उत्पति हुई इसका इतहास हमारे पास है हमारे पूर्वजो द्वारा की पीढ़ियों से इतहास पड़ा जा रहा है
Bhai hum bhi is hi vans se hai kya aap muje copy de sakte hai jai mataji dost ty
Agnikund.jan.bujhkar.aap.ke.purbaj.brahmano.se.milkar.likha.hoga.chauhan.ko.sayad.chhor.kar.savi.tino.saksithiyan.ka.vansaj.h.jo.madhya.asia.se.aaya
Ra khengar also gujrat
Tum logo ki dimagi halat thik nhi lg rhi h koi aag s paida ho skta h 😅😅
अग्नि वंश है,
चार हुतासन सो भये, कुल छत्तिस वंश प्रमाण।
भौ वंश के धाकरे टांक नाक उनमान,
चौहानी चौबीस बटी कुल बासट वंश प्रमाण।।
भारद्वाज जी आपने सही इतिहास बताया ,जय चौहान 🙏
Agnivanshi chauhan Rajputo k jay... Rajput samrat prithviraj Chauhan ji ki jay ❤️🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🙏
जितना समृद्ध हमारा हिन्दू धर्म है और जितने ज्ञानी हमारे संत महात्मा रहे है । तो सनातन धर्म के अनुसार बिलकुल अग्नि से मानव की उत्पत्ति संभव है
मैं चौहान वंश से हु और हमारी उत्पत्ति अनल कुंड आबू जी से है गुरु वशिष्ट जी ने यज्ञ में आहुति दी थी उसमें से चौहानो की उत्पत्ति इसीलिए हमारा गोत्र Iवत्स है माता आसावरी है
jhabar singh chauhan असावरी मां को तो बघडावत भी पुजते थे। बघडावत भारत में पढा है
चौहान अग्नि वंशी क्षत्रिय है ।इनकी कुलदेवी आशापुरा जी है ।
कोण सी दुनिया में खोये हो ?
यज्ञ से मानव उतपति संभव नहीं
आज विज्ञानं का युग है
तर्क से सोचो
द्रोपदी की उत्पति यज्ञ से हुई थी।
गुरुदेव इस विस्तृत जानकारी के लिए हृदय की गहराईयों से आभार।
धर्म, धरा, गऊ, तिरिया, दीन और ब्राह्मण की रक्षा क्षत्रिय का परम धर्म था और है, हमारे पूर्वजों ने इसे सिद्ध किया था और हमें भी इसी पथ पर अग्रसर होना चाहिए।
जय हिन्द..... जय जय राजपूताना
🙏🏻🙏🏻.... जय एकलिंग जी ....🙏🏻🙏🏻
🙏🏻.... जय जय पृथ्वीराज चौहान ....🙏🏻
⚔🚩⚔.... जय राजस्थान [ राजपुताना ] ....⚔🚩⚔
सभी राजपूत भाई इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें. बहुत मुश्किल से बनाई है. केसे भैस चोरों की बजा दी. 🤣🤣
ua-cam.com/video/VGog-vn1uyo/v-deo.html
.........
ॐ शंभू महायती शिवगोरक्षनाथायः नमों नमः
हर हर महादेव जय शिवगोरक्ष
🌹🙏🔱❤️🌹🙏🔱❤️
चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण ता उपर सुलतान है मत चुके चौहान ! 💪💪
👆Jo samjh gya vo reply kro aur jo nai samjha vo Puch sakta h
✅✅
khetubha Chauhan jai Rajputana💪
Jai hind🇮🇳
Jai jai pruthviraaj chauhan
Bahut sahi
Bahut shi.ha.samaj.gya bhai mere
बहुत ही अच्छा इतिहास है भारद्वाज जी तहे दिल से सम्मान करते हैं आपको इस संदेश के लिए जाति और गोत्र चाहे कोई भी हो लेकिन हमारे भारत देश के सबसे महान योद्धा थे जब भगवान देवनारायण के
आपके द्वारा इतिहास की बहुत अच्छी जानकारी दी जाती है बहुत बहुत धन्यवाद आपका 🙏
पृथ्वीराज चौहान दिल्ली के अंतिम हिंदू शासक🙏🙏🙏
Hume vikramaditya gupta antim hindu raja the
Delhi Samrat hemu jindabad 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
I'm proud to be a Rajput CHAUHAN 🚩
मध्य एशिया विदेश नही ये भी कभीअखंड भारत का ही हिस्सा था । अब अंग्रेज ओर नेहरू बतायेगे हम कहा के है । 😢😢😢
😂😂😂👍
No colonel todd was a brilliant historian read his book on Rajputana history..he single handedly revived Rajputana history..he may have made few mistakes but his work is commendable.
Satya
Lgta to aese hi he
Sahi kaha
भाइयों क्यों व्यर्थ की बहस में पड़े हो कि पृथ्वीराज चौहान राजपूत थे या गुज्जर,,, मैं ऐलान करता हूँ कि गुज्जर अगर इस राष्ट्र में पृथ्वीराज को सरकारी दस्तावेजों में गुज्जर संसोधित करा दें,,, और आर्मी में गुज्जर रेजिमेंट कायम करा लें,,तो मैं और मेरे संपर्क में सभी राजपूत सरदार इन गुज्जरों को असली क्षत्रिय मान जायेंगे और गुज्जरों को बधाई देने मिलने आयेंगे,,, जय हिंद जय राजपुताना,,,तब तक रमन जी को कोई उल्टा सीधा कमेन्ट ना करे,,, धन्यवाद
Sahi kaha rana g
Okk sahab
bde bhai ye bheschor h aaj do do begha jamin bikne se inhe ithihas chahiye
bhai Rajput Regiment m 50 percent gurjar h pta kr lena 😅
@@MsDhoni-g8z fer k kare tune jo name likh rakha vo bhi ek rajput hi hai 😂😂😂
Thank you Raman sir ji ,for giving us the history of The Chouhan vansh We are Chouhan, and proud to be so l
में राजपुरोहित राजगुरु हूं और हम भी गुरुदेव वशिष्ठ गोत्रिय है और माना जाता है की हम यज्ञ से परमार राजपूतों से पहले उत्पन हुए इसलिए राजगुरु ...राजपुत परमार राजाओं के गुरु रहे है
जब इंसान की उत्पत्ति पानी अर्थात नीली हरी शेवाल से मान सकते है ओर सूर्य बंश को सूर्य से मान सकते है तो हम आग से क्यों नहीं हो सकते है
Baat sahi h apki
@@harharmahadeo6105 h
Bilkul shi
पृथ्वीराज चौहान अग्नि वंश से है और राठौड़ सूर्यवंश से इसमें कोई दो राय नहीं है 🙏🙏
Chauhan raja ram ke bete kush ke bnsaj btate h sab log .... Chauhan sab khud KO suriya banshi btate h ...or raja Ram KO mante h...
I was searching for these information for a long time....then suddenly a video regarding the panipat battle came to my recommendation, I went through the channel's playlist and I found these series. Collecting all these infos. and most importantly mentioning each and every source, really its a great job sir, thank you!🙏
जय राजपुताना
जय पृथ्वीराज चौहान🙏🏻🚩🚩⚔️⚔️⚔️
जय अग्निवंश जय पृथ्वीराजचौहान 🙏🚩 में रमन भारद्वाज जी का भी धन्यवाद करता हु जिनकी वीडियो के माध्यम से हमे सही इतिहास की जानकारी मिलती है🙏🚩
पृथ्वीराज चौहान सिर्फ राजपूतों के हैं अन्य कोई नहीं
अजय सिंह चौहान (वत्स गोत्रीय)बहुत सुंदर आप ने वर्णन किया लेकिन एक सवाल अब भी आता कि चौहान की उतपत्ति कैसे हुई अब भी रहस्य है जहां किसी नतीजे पर कोई एक मत किसी भी लेखक का नही है।और मैं एक बात कहना चाहूंगा कि कोई तो चौहानो को चंद्रवंसी मानते हैंऔर अग्निवंसी को चंद्रवंसी की शाखा मानते हैं(चंद्रवंसी कि 24 वी पीढ़ी)वत्स(1400वर्ष लगभग विक्रमी पूर्व)वत्सभूमि(कोसांबी)आयुष्मान पुत्र नहुष, छत्रविधि, रम्भस, रजि, अनेनस छत्रविधि के57वी पीढ़ी में राजा वत्स हुआ जिससे वत्स वन्स चला वत्स की34वी पीढ़ी में राजा अग्निपाल हुआ जिससे अग्निवंश चला अग्निपाल के चार पुत्र हुए परमार प्रतिहार चालुक्य और चौहान वंश चला इस तरह चौहान की उतपति के बारे में सही मत नही मिलता (ये सब जानकरी विस्व छत्रिय महासभा के संगठन मंत्री जो लेखक है)से मिला अगर एक और देखा जाय तो भविष्यपुराण में अग्निवंसी राजपूतो के बारे में वर्णन मिलता है अगर पुराण की माने तो चौहान अग्निवंसी है क्योंकि जितने भी लेखक है उन सभी से पुराना पुराण है।
जानकारी साझा करने के लिए धन्यवाद
Brahmano se hi h Chouhan Rajput. jinhe 700 sadi me muslmano ke dwara brahmano ki fooj kha gya h
Purano k anusar Chauhan ki utpatti Yagy se hui hai
@DS C mere bhi
Gurjat jaat dost hai
Unhone khud ye baat batayi hai
Ab tu unse zyada to janta nhi
@DS C chauhan agnivansh k hai
Bhavishya puran me likha hai
अर्जुन सिंह राजपूत चौहान जय पृथ्वीराज चौहान जय महाराणा प्रताप
Kese surya vansh ho gya bhai
CHAUHAN LOG SUPPORT KARO MERE KO MAI CHAUHAN HU
@@cricketwithyou5692 तुम चौहानों का इतिहास चुराए जा रहा है और तुम सोए हुए हो जय राजपूताना जय मां भवानी
@@cricketwithyou5692 tum jaichand rajput gaddar ho thu
@@Siddharth-uo6zw tere baap ne btaya kya ki jaichand gaddar tha
Bewakoof
જય રાજપુતાના , જય માં ભવાની,જય પૃથ્વીરાજ ચૌહાણ
Sir me MP se hu or mujhe itihas bahut pasand hai or apke video mujhe bahut ache laga thanks sir
धन्यवाद, दिनेश जी।
Sir mein bhi mp se hu apki videos achi lagti h
Chouhan chitawa nagor
@@BHARDWAJCLASSESRAMAN book chaye sir ji
BHARDWAJ CLASSES Sir Parthvi Raj raso book me Chohano ko Gurjar likha hai Parthvi Raj chauhan Ko Gurjar Raja likha hai Fir Dr Bhandarkar K Anusar rajput Gurjar ki hi santan hai
अग्नि वंश ,तब उत्पन्न हुआ जब यहां के लोग बौद्ध हो गए थे ,,बाद में ऋषियों ने यहां की ,भर गौड़ आरख गुज्जर जातियों में से ही चार लोगों को यज्ञ द्वारा पवित्र करके हिंदू बनाया था ,धर्म की रक्षा के लिए ,,,
Awesome no one can beat that way of teaching. Thank you very much sir for engraining this information in our mind for good.
मराठाओंमे हम चव्हाण-पाटील को सुर्यवंशी क्षत्रिय माना जाता है.(हम राजपुतवंशी मराठा है)
Yes
Nahi ho
महाराष्ट्र के हम चव्हाण पाटील है महाराष्ट्र जत से
I am proud that I am a Chauhan Rajput
Jay mataji.... Jay Rajputana...
🚩🚩🚩🚩🚩⚔⚔⚔⚔⚔🙏🙏🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
वत्स्य गोत्र में तीन राजपूत है, हम राजपूत क्षत्रिय हैं, ब्राह्मण हमारे गुरु थे🚩🚩🚩
Rajput/ chatriya / maratha... Naam aur shakha alag alag hi.
Jati sab छत्रपति ही है
Yes
आपको शिक्षा देने वाले एवं मार्गदर्शक राजपुरोहित राजगुरु ही थे साधारण ब्राह्मण नहीं थे राजपुरोहित राजा के लिए शब्द चुना गया है
बिजौलिया शिलालेख में ब्राह्मण लिखा है
Really thanks for this video sir🙏your way of teaching is so good👌😇
POONAM CHAUHAN ..👍
Poonam ji jo up.me.chauhan hai unka itihas kya hai kuch pta hai to batao
(1) वंश-सूर्यवंश (बाद में अग्निवंश कहलाया) (2) गौत्र-वत्स (3) वेद-सामवेदः (4) उपवेद-गन्धर्व वेद (5) शाखा-कोमुधनी या कौतुमीय (6) प्रवर-पंच-प्रवर ब (भार्गव) , च्यवन, आप्नवान, जमदग्नि, आदि) प्रवर यज्ञ वाले मूल ऋषियों के पद हैं। (7) सूत्र-गोभिल (8) शिखा वाम (9) पाद-वाम (10) कुलगुरु राजवंश कोठ (11) ध्वज-धवल सफेद (12) वृक्ष-आशापाला (अशोक) (13) निशान-पीट हराम (पीला) ( 14) नदी-वैतवा (15) शस्त्र पूजन-खंड (तलवार) (16) पक्षी-मयूर (मोर) (17) नौबत-कालिका (18) नगर-बैरीसाल (19) अविवाहित-गादी विदित कान या विदेशा (20) कुलदेव-काल-भैरव या आंचलेश्वर महादेव (21) रामर कुलदेवी-आशापूर्णा या आशापुरा।
वीर चौहानों की उत्तपत्ती किसी से भी हो ये उतना महत्वपूर्ण नही है, ये मतभेद का विषय हो सकता है..
परन्तु वीर चौहानो का पृभाव महत्वपूर्ण है..पूरा भारत वर्ष राजपूतो के त्याग बलिदान का ऋणी रहेगा... राष्टीय गौरव सत्य सनातनीय गौरव है वीर समृट वीर पृथ्वीराज चौहान....🙏
Sir आपके जैसा इतिहास विस्तार से कोई नही बताता।
अग्निकुण्डसे चार क्षत्रियोका जन्म हुआ था
किसी जाति का नही
वशिष्ठ ऋषि के समय वर्ण थे जाती नही
जैसे ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शुद्र
अबे चुतिये
थे तो chaktriya ही लेकिन वशिष्ठ ने चौहान नाम दिया
था
Absolutely right
@Right 😂😂😂
Mai chauhan vans se hu Jay prathviraj Chauhan 🙏 🙏🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
गहलोत वंश के बारे में बताइए वीडियो हमें वीडियो का इंतजार रहेगा
अग्निवंशी से क्यों नहीं किसी व्यक्ति का उत्पन्न हो सकता है क्या हमारे शास्त्र में ऐसा उल्लेख नहीं मिलता है क्या माता द्रोपती की अग्नि से उत्पन्न नहीं हुए थे
प्ल्ज़ रिप्लाई सर्
*अग्निवंश एक मिथ्य हैं जो राजपूतों को विदेशी साबित करने के लिए बनाया गया है, सभी क्षत्रिय सूर्यवंशी ओर चन्द्रवंशी हैं अग्नि वंश के* - *चौहान, परमार ओर प्रतिहार सुर्यवंशी है* , *भगवान श्री राम के वंशज* ।
*ओर चालुक्य चंद्रवशी, यह अर्जुन के वंशज है* ।
*पृथ्वीराज रासो के अलावा कहीं चौहानो को अग्निवंशी नही कहा, चौहानो को रघुकुलनन्दन ही कहा गया है* ।
*यही प्रतिहारो के साथ है, वह लक्षमण के वंशज है, तो अपने आप सुर्यवंशी रघुकुल के हो गए* ।
*परमार राष्ट्रकूटों की ही एक शाखा है, उन्ही राष्ट्रकूटो की एक शाखा राठौड़ कहलाने लगी । राठौड़ ओर परमार लव के वंशज है* ।
*यदि आप अग्निवंश को मानते हैं तो आपको मानना पड़ेगा कि राजपूत विदेशी हैं और इसके साथ यह भी मानना पड़ेगा कि चौहान, परमार, चालुक्य ओर प्रतिहार ये सब शक, हुन ओर कुषाण थे* जिन्हें यज्ञ करके शुद्ध किया गया और साथ मे यह भी मानना पड़ेगा कि राजपूत 5-6 शताब्दी में आग से निकले हैं क्या आप मानेंगे ??
अग्नि वंशी कोई और नही, सूर्यवंश ओर चन्द्रवंश के राजा ही थे ।
सबसे पहले बात सोलंकी उर्फ चालुक्य की कर लेते है,इतिहास में इन्हें अग्निवंशी कहा गया है । जबकि सोलंकियों ( चालुक्यों ) की वंशावली कुछ इस प्रकार है - यह वंशावली पूर्व चालुक्य राजा राजराज प्रथम के ताम्र लेख से प्राप्त होती है, जो ईस्वी 1022 का है ।
इस तामपत्र के अनुसार
भगवान पुरषोतम की नाभि से कमल हुए
कमल से ब्रह्मा
जिनसे क्रमशः सोम, बुद्ध, व अन्य वसँजो में विचित्रवीर्य, पांडु, अर्जुन, अभिमन्यु, परीक्षित जन्मजेय आदि हुए । इसी वंश के राजाओ ने अयोध्या पर भी राज किया था । विजयादित्य ने पश्चिम में जाकर अपना शासन स्थापित किया था, उसी वंश में राजराज हुआ था ।
कश्मीर के शिलालेखों तथा कश्मीरी पंडित विल्हण द्वारा रचित विक्रमांक चरित्र में चुल्लु या चोल नाम के राजा के बाद इस वंश का नाम चालुक्य पड़ने की बात कही गयी है ।
इससे यह स्पष्ठ होता है, की चालुक्य चंद्रवशी राजपूत ही है। दूसरा अग्निवंशी कुल चौहानो का कहा गया है । चौहानो को पृथ्वीराज रासो के अलावा और कहीं भी अग्निवंशी नही कहा गया । ओर पृथ्वीराज रासो को ऐतिहासिक प्रमाण के रूप में इतिहासकार भी नही मानते । चौहानो के शिलालेखों में चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है। विश्वसनीय पुस्तक पृथ्वीराज विजय, जो कि पृथ्वीराज के समय ही लिखी गयी थी, उसमे भी चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है ।
अग्निवंश में तीसरा नाम प्रतिहारो का है, इनके शिलालेखों में इन्हें लक्ष्मण का वंशज कहा गया है, तो सीधे सीधे यह तो रघुकुल के सुर्यवंशी ही हुए ।
*आखिर अग्निकुल नाम क्यो पड़ा* ? - *बोद्ध धर्म के भारत मे प्रभावी हो जाने के बाद विदेशी बर्बर मल्लेछो का आतंक पुष्कर तक पहुंच गया था, इसी कारण क्षत्रियो का एक संघ बनाया गया, ओर अग्नि को साक्षी मानकर उनसे सपथ दिलवाई गयी कि वे मल्लेछो से कठोरता से निपटेंगे* । तब 2 चन्द्रवंश ओर दो सुर्यवंश के राजा धरती को पापमुक्त करने के लिए आगे आये । उसके बाद इनका नाम ही अग्निवंशी पड़ गया*
चौहानो की उत्पत्ति वशिष्ठ ॠषि के यज्ञ कुण्ड से हुई । असुरो से यज्ञ की रक्षा हेतु पहले तीन वीरो को फिर एक वीर को यज्ञ की रक्षा हेतु यज्ञ कुण्ड से उत्पन्न किया था।चारों में चौहान सबसे शक्ति शाली था ।सबसे पहले अलहण देव नामक चौहान का जन्म हुआ ।जो चौहानो के आदि पूर्वज है ।इन चारों वीरों को नियंत्रित करने हेतु राजगुरु नामक ॠषि की उत्पत्ति की।किन्तु वह शान्त थे व भक्त थे।फिर यज्ञ कुण्ड से उग्र ॠषि जागरवाल की उत्पत्ति की थी।जिसने उन्हें नियंत्रित किया व शास्त्रीय विचारों से सहमत किया ।जय श्री हरि ।
सही है
Noutanki
Agni se ??? Ha ha ha
Ek dam Right Rajguru Or jagarwal ke uutapi aabu se he huye jagarwal ke kuladevi be jawala devi he unka surname Rajpurohit he
Or songara chauhano ke purohit raigur Rajpurohit he
Brother the biggest problem of us Hindus is that we interpret our scriptures word to word. Some times the message behind what's written in the scriptures is just symbolic.
I agree, that no human being ( or any living creature ) can appear directly out of fire (Agni) but that does not dismiss the claim that Maharishi Vashist ji performed a Yagna on Mt Abu out which 4 New Rajput clans were born.
The Yagna that he performed could have been an innitiation ceremony in which pre existing Kshatriyas pledged to dedicate themselves for the protection of vedic yagnas from being disturbed by Rakshashas .
So genetically Chauhaans might have been Surya vanshi or Indra Vanshi or even Brahmin Vanshi but after being blessed at the Yagna performed by Maharishi Vashist ji, they must have taken up an identity of Being Agni Vanshi as they were sort of beptised by the Yagna.
Calling themselves agnivansi could have been and indication the extreme commitment to protect Yagnas from Rakshashas.
So please never doubt your scriptures. 🙏
May Lord Parshuram bless you.
Har Har Mahadev
Jai Shree Ram. 🙏🙏🙏🙏🙏
That sounds true and legit
Yes brother you have written write thing
Main problem of historian about rajput history is that they take every thing word to word for eq word rajput is just a hindi word of sanskrit word rajputra and these historians have made this rajput word a seprate identity but in reality rajputra or rajput word was used by kshatriyas belonging to suryavansh chandravansh yaduvansh etc but it was not used by non vedic kshatriyas
ये राजपूत चौहान सबसे ऊंची इनकी शान 🚩🚩🚩
सबसे ऊंचे राजपूत सूर्यवंशी हैं चौहान सूर्यवंशी नहीं होते इसलिए बेकार की बात न करो
हम सूर्यवंशी ही सबसे बड़े राजपूत है
@@AshutoshRaghuvanshi3740 Bhai Rajputo me kab se chota bda hone lga , Rajput matlab Rajput Sabhi Rajput Mahan aur unche hh .
@@AshutoshRaghuvanshi3740 Ha aur Apko kisne kaha ki Chauhan Suryavanshi nhi hote , Chauhan Agnikulin Suryavanshi hh
ओड राजपूतों के बारे में भी विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराएं। धन्यवाद
सर भाटी जैसलमेर के बारे में वीडियो बनाओ
यज्ञ से चार तात्कालिक क्षत्रिय वंशो को दीक्षित किया गया था गुरु वशिष्ठ के द्वारा, उस वक़्त भारत में चार विशिष्ट वंश यथा चौहान, परमार, सोलंकी एवं परिहार व इस यज्ञ के पश्चात इनको राजपूत संघ में शामिल किया गया! कारण था धर्म की रक्षा!
जो गोत्र राजपूत राजा की होती थी वहीं गोत्र प्रजा भी अपना रिफरेंस देने के लिए लगाती थी , जैसे कि आप को पता है कि हर जाति में राजपूत की गोत्र मिल जाएगी , आप को दूसरी जाति में न केवल चौहान बल्कि राठौड़, सिसोदिया, परमार, प्रतिहार , परिहार, चालुक्य आदि गोत्र मिलेगी । यही सत्य है । आप को हर जाति में राजपूत गोत्र जरूर मिलेगी । उसका यही कारण है ।
r
@@rajendrasingh-wp7yv Bह
बज
जय राजपूताना
Acha😂😂
I cannot describe how strongly I am influenced by your work and commitment towards providing quality and to the point information.
I have seen videos from many sources (I mean more than 6 complete playlist) but nowhere i h have found any1, close to the quality information you are providing.
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
आप ने जो भी चौहान की उत्पत्ति के बारे में बताया है वह बहुत ही अच्छा बताया गया है बड़ी मेहनत और लगन के साथ मे हि हर कार्य होता है इस के लिए आप को हमारी तरफ से बहुत बहुत बधाई और धन्यवाद के पात्र हैं आप
यह सब आप ने शीला लेख और किसी के द्वारा लिखी गई बात बताई जाती हैं
अब देव वाणी सुनौ जो आप ने पहले बताया
आबु पर्वत और वसिष्ठ के द्वारा यज्ञ कर्म से ही हुई हैं यही बात सही है। यज्ञ से उत्पन्न होने से ही अग्नि वंशज कहलाते हैं
यह बात करीब छः लाख साल पुरानी है
इतना पुराना इतिहास कहीं नहीं मिलेगा
Very Nice Information👌👌🔥👍🙏🙏
सर आपसे एक Request है की महाराष्ट्र में "चव्हाण" है। क्या "चौहान" और "चव्हाण" एक ही है? कृपया मार्गदर्शन करे।🙏🙏🙏
Ha bhai
Rajasthan me bhi chouhan ko chiwan bola jata h kahi kahi
Yes bro
Chavhan =chauhan
Rane =rana
Raut =rawat
Thank you so much sir..Wait kar rahe the aapke new video ka
Very very nice sir..
Yes Chahuaan is agnivashi Rajput...Jai Rajputana jai maa bhawani
Nhi mai bhi Chauhan hu...Prithviraj Vijay me saaf likha hai Suryavanshi.
Bewakoof mat bano is bat pe
Bhai Mene like or comment isliye Kiya h qki aap raja chohan k bare me BAAT KR rahe h ...jo kbhi musalmano k aage kbhi nhi juke
Very true
Jay mataji,,,,, bahut hi badiya tarike se prastut kiya apne,,,, bahut jankari prapt huyi apke madhyam se,,,,
Eshvaku ki utpatti Kahan s hui kis rishi ki Santan thi Suru s btao
jay prithviraj chouhan🚩🚩
कुछ राजपूतों को छोड़ दिया जाए तो राजपूत बहुत ही वीर जाति थी
@Internet User kya bakwas kar Raha hai
Rajput Muslims se 756 CE se laad rahe hai
Khuch rajput baas Mughal se haath milaye vo bhi khuch generation ke Rajputon ne usme bhi mainly Rajasthani rajput
Himachali Garhwali Bundelkhand ke rajput Purvanchal or awadh ke rajput to iss vakat bhi ladte rahe
Maratha to saalon taak Muslim ki seva karte rahe bas 150/200 saal ladai ki Muslims se
Jaat ne to Gopal jat ke Baad ladai Suru ki Muslims se
Sikh me bhi 200 sal se jyada nahi ladai ki
Aurangzeb ke under rajput se jyada marathe the
@Internet User bhai Mughal 1525 me aaye
Or Musalman 700 me aaye the
Unhone 700 se lekar 1550 (Akbar) taak koi
Shaadi biyah
Ya ache relation nahi rakhe baas ladte rahe
Or 1550 ke Baad bhi Khali Rajasthan ke rajput mile mughalo se bundeli, phadi, purbaiya ke rajput zamindars aksar ladte the
Or aapne khuch galat nahi kaha
Bhai ji aapne ulta bola h
Kuch rajputo ko chod diya jaye to baki ke sab gulam h ye sach h
@@fact46 Tumhara To Tha Hi tabhi to mirchi Lagi tujhe 😡😅
@@chapriyoutuber7846 bhai itihas churane se itihas nahi banta hai sar katne padte hai bhaichara badhao itihas mat churao
नाम- आदित्य राज सिंह चौहान
गोत्र - वत्स
वंश - सूर्यवंश
9024045396 cl me
वतदमस गोत्र तो ब्राह्मणों का होता है अगर चौहानों का भी यही गोत्र है तो आप सही है
*अग्निवंश एक मिथ्य हैं जो राजपूतों को विदेशी साबित करने के लिए बनाया गया है, सभी क्षत्रिय सूर्यवंशी ओर चन्द्रवंशी हैं अग्नि वंश के* - *चौहान, परमार ओर प्रतिहार सुर्यवंशी है* , *भगवान श्री राम के वंशज* ।
*ओर चालुक्य चंद्रवशी, यह अर्जुन के वंशज है* ।
*पृथ्वीराज रासो के अलावा कहीं चौहानो को अग्निवंशी नही कहा, चौहानो को रघुकुलनन्दन ही कहा गया है* ।
*यही प्रतिहारो के साथ है, वह लक्षमण के वंशज है, तो अपने आप सुर्यवंशी रघुकुल के हो गए* ।
*परमार राष्ट्रकूटों की ही एक शाखा है, उन्ही राष्ट्रकूटो की एक शाखा राठौड़ कहलाने लगी । राठौड़ ओर परमार लव के वंशज है* ।
*यदि आप अग्निवंश को मानते हैं तो आपको मानना पड़ेगा कि राजपूत विदेशी हैं और इसके साथ यह भी मानना पड़ेगा कि चौहान, परमार, चालुक्य ओर प्रतिहार ये सब शक, हुन ओर कुषाण थे* जिन्हें यज्ञ करके शुद्ध किया गया और साथ मे यह भी मानना पड़ेगा कि राजपूत 5-6 शताब्दी में आग से निकले हैं क्या आप मानेंगे ??
अग्नि वंशी कोई और नही, सूर्यवंश ओर चन्द्रवंश के राजा ही थे ।
सबसे पहले बात सोलंकी उर्फ चालुक्य की कर लेते है,इतिहास में इन्हें अग्निवंशी कहा गया है । जबकि सोलंकियों ( चालुक्यों ) की वंशावली कुछ इस प्रकार है - यह वंशावली पूर्व चालुक्य राजा राजराज प्रथम के ताम्र लेख से प्राप्त होती है, जो ईस्वी 1022 का है ।
इस तामपत्र के अनुसार
भगवान पुरषोतम की नाभि से कमल हुए
कमल से ब्रह्मा
जिनसे क्रमशः सोम, बुद्ध, व अन्य वसँजो में विचित्रवीर्य, पांडु, अर्जुन, अभिमन्यु, परीक्षित जन्मजेय आदि हुए । इसी वंश के राजाओ ने अयोध्या पर भी राज किया था । विजयादित्य ने पश्चिम में जाकर अपना शासन स्थापित किया था, उसी वंश में राजराज हुआ था ।
कश्मीर के शिलालेखों तथा कश्मीरी पंडित विल्हण द्वारा रचित विक्रमांक चरित्र में चुल्लु या चोल नाम के राजा के बाद इस वंश का नाम चालुक्य पड़ने की बात कही गयी है ।
इससे यह स्पष्ठ होता है, की चालुक्य चंद्रवशी राजपूत ही है। दूसरा अग्निवंशी कुल चौहानो का कहा गया है । चौहानो को पृथ्वीराज रासो के अलावा और कहीं भी अग्निवंशी नही कहा गया । ओर पृथ्वीराज रासो को ऐतिहासिक प्रमाण के रूप में इतिहासकार भी नही मानते । चौहानो के शिलालेखों में चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है। विश्वसनीय पुस्तक पृथ्वीराज विजय, जो कि पृथ्वीराज के समय ही लिखी गयी थी, उसमे भी चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है ।
अग्निवंश में तीसरा नाम प्रतिहारो का है, इनके शिलालेखों में इन्हें लक्ष्मण का वंशज कहा गया है, तो सीधे सीधे यह तो रघुकुल के सुर्यवंशी ही हुए ।
*आखिर अग्निकुल नाम क्यो पड़ा* ? - *बोद्ध धर्म के भारत मे प्रभावी हो जाने के बाद विदेशी बर्बर मल्लेछो का आतंक पुष्कर तक पहुंच गया था, इसी कारण क्षत्रियो का एक संघ बनाया गया, ओर अग्नि को साक्षी मानकर उनसे सपथ दिलवाई गयी कि वे मल्लेछो से कठोरता से निपटेंगे* । तब 2 चन्द्रवंश ओर दो सुर्यवंश के राजा धरती को पापमुक्त करने के लिए आगे आये । उसके बाद इनका नाम ही अग्निवंशी पड़ गया*
@@aabhishekschauhaan5596आपका बहुत-बहुत धन्यवाद भाई जी आपने मेरेको इस जानकारी से अवगत कराया। जय श्री राम जय राजपूताना
Jai rajputana ♥️😍
आपके बताने ओर समझाने का तरीका बहुत खूब लगा महोदय जय हिन्द
Thank you so much. Many people will be watching your lecture .
महाराष्ट्र मे मराठो मे भी चौहान है। उनके बारे मे बताव।
महाराष्ट्र चव्हाण
Chauhan is great rajput of hindustan
CHAUHAN LOG SUPPORT KARO MERE KO MAI CHAUHAN HU
@@cricketwithyou5692
😁😁😁😁
Yes
kisi ke kahne kya hota h hum to wahi manege jo mere purvaj ne bataya h
mere purvaj ne bataya h hum agni vanshi h
aur shiv singh chauhan khud ko angi vanshi hi manta h aur manta rahega
jay ma bhavani
jay rajputana
Ya
जिस प्रकार संत महात्माओं द्वारा यज्ञ करके राजा द्रुपद ने अपने यहां धृष्टद्युम्न और द्रोपती को उत्पन्न किया था ठीक उसी प्रकार गुरु वशिष्ट ने क्षत्रिय राजपूत उत्पन्न किए इसमें कोई संशय का विषय नहीं जय राजपूताना जय मां भवानी क्षत्रिय एकता जिंदाबाद
Kya aag se koi paida ho sakata hain
Ha, अग्नि माध्यम हो सकता है!
सनातन संस्कृति मे पंच तत्वों का महत्व है जेसे की अग्नि, जल वायु, आकाश, प्रथ्वी.
मनुष्य की म्रत्यु के पश्चात भी यही कहा जाता है कि पांच तत्वों मे विलीन हो गए
शास्त्रों के आधार पर ये कहा जा सकता है कि क्षत्रिय राजपुतो की उत्पति अग्नि से हुई है क्युकी भारत देश के सनातन धर्म मे शास्त्रों का ही महत्व है
ओर भारत देश का सनातन धर्म सर्वोपरी हे
पर में भारद्वाज जी का बोहोत सम्मान करता हूं कि आप जो इतिहास बताने का कार्य सेवा दे रहे हैं उसके लिए आपका बोहोत बोहोत धन्यवाद्
Rana jati h ya koi uppadi h ye kha se aaye. Isske bare m video bano bhai koi
Uttarakhand me 1,00,000+ se jydaa chauhan rehte hai 👑🇮🇳
DURGA CHAUHAN
Gujarat
Rajasthan
Up
Mp
Bihar
Hariyana
Kashmir sabhi jagh Chauhan he Sister
Sabhi state me rahete he
हम अग्नि वंश है और अग्नि वंश रहेगे
Chauhan hone part Garvey Hai yaar
@@lalitchauhan6229 haan bhai ...
Agni bhi to Surya ka hi ek Roop h..Jai Chauhan vansh
@@amit9507 Jay Rajputana bhai 😊
Right bro
Sir Chauhan and Chawahan Dono same hain kya??
सुरुवात में चाहमान बाद में चौहान और कही जैसे महाराष्ट्र में चौहाड।
Vijendra gurjjar nahi he chouhan Rajput hote he
@@YogeshRajput-ix3iy 😂 kisne bola... Tum kuch bhi likhte jao...
Chauhan, chohan, chouhan ,chavan ek hai alag-alag rajya me
Maharashtra mein 'chavan' hote hai, aur wo 'maratha' hote hain.
Are you from pushkar
Jaipur
बहुत ही सुन्दर विवेचन साधुवाद आपको 🙏
सर महाभारत में दृष्टधूमन और द्रोपदी की उत्पत्ति भी एक यज्ञ के द्वारा ही हुई थी।
Har har Mahadhev Jay hind, I love Chauhan vansh
Sir pura part upload karo na please
Aap kaa nambar muje mil sakta he. Garu aap ke ak jankari sahi ye thi punmal . Kon thi or kaya huaa tha. Thodi si jankari mil sakthi he. Ji
Can you give any lecturer related to PARMAR RAJPUT
चार क्षत्रिय वश से उत्पन्न हुए गुरू विशिष्ट जी वो पहला प्रति हार पवार चौहान सोलंकी और चरू से हुई डोडिया की उत्पत्ति हुई है
Sir aaj to pura daut ak sat hi samja diya...maja aa gya sir Ji....,Nice video....
Hello
चौहान की उत्पत्ति अग्नि कुंड से आबू पर्वत पर वशिष्ठ जी के आश्रम मे हुई हैं । अग्नि वंश हैं ।
*अग्निवंश एक मिथ्य हैं जो राजपूतों को विदेशी साबित करने के लिए बनाया गया है, सभी क्षत्रिय सूर्यवंशी ओर चन्द्रवंशी हैं अग्नि वंश के* - *चौहान, परमार ओर प्रतिहार सुर्यवंशी है* , *भगवान श्री राम के वंशज* ।
*ओर चालुक्य चंद्रवशी, यह अर्जुन के वंशज है* ।
*पृथ्वीराज रासो के अलावा कहीं चौहानो को अग्निवंशी नही कहा, चौहानो को रघुकुलनन्दन ही कहा गया है* ।
*यही प्रतिहारो के साथ है, वह लक्षमण के वंशज है, तो अपने आप सुर्यवंशी रघुकुल के हो गए* ।
*परमार राष्ट्रकूटों की ही एक शाखा है, उन्ही राष्ट्रकूटो की एक शाखा राठौड़ कहलाने लगी । राठौड़ ओर परमार लव के वंशज है* ।
*यदि आप अग्निवंश को मानते हैं तो आपको मानना पड़ेगा कि राजपूत विदेशी हैं और इसके साथ यह भी मानना पड़ेगा कि चौहान, परमार, चालुक्य ओर प्रतिहार ये सब शक, हुन ओर कुषाण थे* जिन्हें यज्ञ करके शुद्ध किया गया और साथ मे यह भी मानना पड़ेगा कि राजपूत 5-6 शताब्दी में आग से निकले हैं क्या आप मानेंगे ??
अग्नि वंशी कोई और नही, सूर्यवंश ओर चन्द्रवंश के राजा ही थे ।
सबसे पहले बात सोलंकी उर्फ चालुक्य की कर लेते है,इतिहास में इन्हें अग्निवंशी कहा गया है । जबकि सोलंकियों ( चालुक्यों ) की वंशावली कुछ इस प्रकार है - यह वंशावली पूर्व चालुक्य राजा राजराज प्रथम के ताम्र लेख से प्राप्त होती है, जो ईस्वी 1022 का है ।
इस तामपत्र के अनुसार
भगवान पुरषोतम की नाभि से कमल हुए
कमल से ब्रह्मा
जिनसे क्रमशः सोम, बुद्ध, व अन्य वसँजो में विचित्रवीर्य, पांडु, अर्जुन, अभिमन्यु, परीक्षित जन्मजेय आदि हुए । इसी वंश के राजाओ ने अयोध्या पर भी राज किया था । विजयादित्य ने पश्चिम में जाकर अपना शासन स्थापित किया था, उसी वंश में राजराज हुआ था ।
कश्मीर के शिलालेखों तथा कश्मीरी पंडित विल्हण द्वारा रचित विक्रमांक चरित्र में चुल्लु या चोल नाम के राजा के बाद इस वंश का नाम चालुक्य पड़ने की बात कही गयी है ।
इससे यह स्पष्ठ होता है, की चालुक्य चंद्रवशी राजपूत ही है। दूसरा अग्निवंशी कुल चौहानो का कहा गया है । चौहानो को पृथ्वीराज रासो के अलावा और कहीं भी अग्निवंशी नही कहा गया । ओर पृथ्वीराज रासो को ऐतिहासिक प्रमाण के रूप में इतिहासकार भी नही मानते । चौहानो के शिलालेखों में चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है। विश्वसनीय पुस्तक पृथ्वीराज विजय, जो कि पृथ्वीराज के समय ही लिखी गयी थी, उसमे भी चौहानो को सुर्यवंशी कहा गया है ।
अग्निवंश में तीसरा नाम प्रतिहारो का है, इनके शिलालेखों में इन्हें लक्ष्मण का वंशज कहा गया है, तो सीधे सीधे यह तो रघुकुल के सुर्यवंशी ही हुए ।
*आखिर अग्निकुल नाम क्यो पड़ा* ? - *बोद्ध धर्म के भारत मे प्रभावी हो जाने के बाद विदेशी बर्बर मल्लेछो का आतंक पुष्कर तक पहुंच गया था, इसी कारण क्षत्रियो का एक संघ बनाया गया, ओर अग्नि को साक्षी मानकर उनसे सपथ दिलवाई गयी कि वे मल्लेछो से कठोरता से निपटेंगे* । तब 2 चन्द्रवंश ओर दो सुर्यवंश के राजा धरती को पापमुक्त करने के लिए आगे आये । उसके बाद इनका नाम ही अग्निवंशी पड़ गया*
@@aabhishekschauhaan5596 hum bhi chandravanshi k rajput hai⚔️💪jai bhawani
CHAUHAN LOG SUPPORT KARO MERE KO MAI CHAUHAN HU
चौहान राजपूत की उत्पत्ति अग्निकुंड से आबू पर्वत पर वशिष्ठ जी के आश्रम में हुई है । हम अग्नि वंश हैं ।।
राजपूत चौहान की उत्पत्ति अग्निकुंड से आबू पर्वत पर वशिष्ठ जी के आश्रम में हुई है। हम अग्नि वंश हैं
Aap.ek.sawal.ye.puce.rajut.or.jujar.se.bajuri.kanjri.kon.he.to.a
Chauhan vance ke upjati kya hai please hame batayiye
Chauhano ka charitr esa hai ki har koi ene apna banana chahte hai. Aaj gujjar bhi Chauhan ban rahai hai isse bhadiya aur kya ho sakta hai. Chauhano mai Sher ka jiggara hai. ANDER DAAM CHAHIYE......
HAR koi esa nahi ban sakta
JAI RAJPUTANA.. 🤴🤴🤴⚔⚔
Gaurav chauhan okaat m bat krr gurjaro k bare m jaan le phle ache se or jo tu bolra hna ye hum logo ko bolna chahiye par samajhte h hum log ki tm b humare parivar se ho ye angrezo or mugalo ki batai hui kahani ko aj b mante ho tm log or apne hi pariwar se alag ho chuke ho jhuti shaan se bahar niklo sach ko jano
@Gopi Singh Cheema mostly rajputo me paaye jate h ...yahi SE kisi karanwas dusri jatio me chale Gaye jaise Mali jaat goojar Sikh sc lekin sankya ke hisab se sabse jyada Chauhan rajputo me hi h.baki kuch log dusri jatio me chale Gaye..
@@amit9507 agar tu rajasthan se hain toh maa panna dhay ka naam toh suna hoga jinhone uday singh ko bachaya tha. Unke husband or rana sanga ke senapati chauhan gurjar hi the.
@@gauravchauhan1690 gajab bhai😘😘😘😘😘😘😘😘
Bro gujjar isliye kahte hai kyu ki bagdawat gujjar nhi the vo Rawat the or rawat chouhan vans se hai
Thanks Sir gi for rajasthan gk
Sir question series bhi laaye
Chandragupta ka ithis ka video banavo sir
I m chauhan Rajput.Thanks for detailed information.
वीर गुर्जर हुंकार
प्रहार हूं प्रतिहारों का आघात हूं मे़ प्रहारों का । मैं गांडीव की प्रत्यंचा हूं सर तीरे की बौछारों का ।।
में परम भट्ठारक गुर्जर देश में उत्तर अत्याचारों का । मैं महिपाल में मिहिर भोज में नागभट्ट सरदारों का ।।
मैं कनिष्क में मिहिर कुल में कारण चीन की दीवारों का ।।
मैंने ही वक्ष अडाया था सिंधु के कठिन कछारों में । मैंने स्नान किया है अरब लहू की ऊष्ण बौछारों में ।।
जय देवनारायण जय भौणा जय महाकाल था गूंज उठा । उस रणचंडी के खप्पर को भरता में झूम उठा ।।
मैंने ही फारस तट पर अपने घोड़े दौडाए थे । मैंने ही सिंधु तट पर यवनों के सीस उड़ाए थे ।।
मैं ही पुष्कर में शत्रु रक्त से नहाया था । मैंने ही खारी नदी के तट पर ठाकुरों का मान घटाया था ।।
गुर्जर था मेरी रक्षा मैं तो गुर्जर राष्ट्र कहलाया था । सूर्यवंशी क्षत्रिय में दान धर्म में सवाया था ।।
मैं ही सवाई भोज वचनबद्ध वीर महादानी हूं । मैं ही इच्छाधारी कारस देव वरदानी हूं ।।
में हिंदूशाही काबुल कि मैं ही भीम देव की गाथा हूं । सिंन्ध कथा कहता जिसकी उसी गुर्जरेन्द्र का माथा हूं ।।
मैं अजर अमर सेनानी हूं नहीं परिचय मुझसे हारो का । शत्रु रक्त से लिखा गया इतिहास गुर्जर प्रतिहारों का ।।
मैं हूण मैं कुषाण मैं चौहान वंश वृक्ष हूं वीर गुर्जरों का ।।
अस्त्र-शस्त्र रण क्षेत्र बली और मोह अरुण परिधानों का । हर जन्म में गुर्जर बनूं हो सार सभी वरदानों का ।।
अबे अपना ज्ञान अपने पास रख और निकल ले यहां से
तेरा ज्ञान तेरे पास रख और निकल यहां से
@@jayshriramjayshriram6002 अबे यहां राजपूतों मैं गुज्जर कहा से आ गया बे
@@jayshriramjayshriram6002 अब तुम भी इतिहास चुराने मूड में हो का
राजपूतों में गुजर नहीं चौहान गोत्र ही गुर्जरों का है चौहानों की बात हो रही है वह तो आप उसे राजपूत बोल रहे हो
सर गुर्जर प्रतिहार वंश के बारे में बताओ कहां से उत्पत्ति हुई थी
Bheschor
क्या आप की knowledge के अनुसार चौहान वंश का गोत्र स्वर्छ्हा भी है ? यद्यपि गोत्र ऋषियों से हैं लेकिन कुछ चौहान वंश दधीचि ऋषि की पत्नी के नाम का गोत्र अपनाते हैं क्योंकि ऋषि दधीचि ने इंद्र को बचाने के लिये अपने शरीर को समाप्त कर अपनी bones की भस्म से वज्र का निर्माण किया था......
Sir Tanwar ya Tomar vans ka bhe ulekh kr ye
Visthapit rajput ke upar video banaye please
mera nam dharmesh palwal he or me GUJRAT BHAVNAGAR SE HU ME AAPKE SABHI VIDEO DEKHTA HU
चौहान भाईयो की वीरता कों नमस्कार
Thank you so much sir
Aapke video bahut ache se samjh aa rhe h....
Please sir marwar riyasat ka part bhi baniye...
Kya aap mado ke raja jambe tatha kariya ke mool sthan bata sakate hai.jin logo ne dassraj aur bachchhraj ke sir katawa diye the ( alhakhand)
JAI SHREE RAM JAI RAJPUTANA HAMARA CHATRIYA OR RAJPUT HUM SAB EK HAI 🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩
Chauhaan agani se utpan hua hai... Agar pandav mantra se paidha Ho sakta to chauhaan agani se kyu nahi...
Best video for chouhan
Sir playlist me Mewad riyashat nahi mil rahi
Playlist me hi hai
ua-cam.com/play/PL6p4nfwzWwB9UX9YdVqyMY1MNw9yJ4hog.html
क्षञिय आज के जाट, यादव, गुर्जर , बिश्नोई व अन्य कई जातियाँ थी। क्षञिय मतलब शस्त्र रखकर समाज ,राज्य की रक्षा करने वाले । राजपूत मतलब राज्य के पूत्र यानी राजा ,उसके परिवार ,व सैनिकों के बीना शादी के जो हुए वो राजपूत यानी राज्य (सरकार या राज ) के पूत । गांवो मे भी यही बात चलन मे है गांव के गीतों मे भी गाई जाती है जो पीढ़ियों से गाई जा रही है। सच्चाई यही है। अगर हम गांवो मे राव या भाट द्वारा पीढ़ियों से लिखी जा रही किताबों को पढते है तो उससे हमे पता चलता है। (राव वो है जो हर जाति,उपजाति के हर परिवार की दो तीन हजार साल से पीढ़ियों का लेखन कर रहे है। राव या भाटों की उनकी किताबों व पेड़ों के पतों पर अपनी अलग भाषा मे लिखते है जो वे अपने बच्चों को पीढ़ी दर पीढ़ी सिखाते है।)
गांवो मे आज भी किसी परिवार मे बच्चे का जन्म होता है तो उसे परिवार के लोग एक सभा (खाने पाने का आयोजन) का आयोजन कर अपने परिवार के भाट या राव को बुलाते है व अपने सभी परिवार , रिश्तेदारों व गांव वालो के सामने उस बच्चे का भाट या राव की किताब मे जन्मे बच्चे का नाम, समय, गांव सब लिखाते है। उस सभा मे भाट उस परिवार की पूरी पीढ़ियों के नाम गाकर सुनाते है यानी उस परिवार की पहले की पीढ़ियां किस जाति की थी बाद मे किस जाति मे वो कन्वर्ट हुई। कहाँ कहां रही, उसके बाद यहां इस गांव मे कब आई। मतलब हर चीज बताई जाति है। नया व्यक्ति तो सुनकर ही अचंभित हो जाता है कि इतनी हजारों पीढ़ियों का नाम पता जाति लिखकर कैसे संभालकर रखा गया होगा । भाट या राव की लिखने की भाषा अलग है लेकिन उनके बोलने से हम ज्यादातर समझ जाते है। यह परंपरा हजार सालों से चली आ रही है। जैसे मै ऐसी एक सभा के आयोजन मे गया जब एक बिश्नोई जाति के परिवार ने अपने बच्चे का भाट या राव की किताब मे नाम लिखने के लिए आयोजन कराया था। वहां उस राव से मैने उस परिवार की पीछली पीढ़ियों के बारे मे पुछा तो राव ने बताया कि ये अभी बिश्नोई जाति व साहु उपजाति से है ,इस परिवार की पीढ़ी लगभग पांच सौ साल पहले जाट (साहू) जाति थी, उससे पहले ये राजपूत (चौहान ) जाति के थे। मुझे भी इन राव जातियों द्वारा लिखे जाने की परंपरा व इस बारे मे तभी पता चला था ।
सच यह है कि पहले सब एक ही थे जनसंख्या बढती गई व जातियाँ उस समय के राजनितिक व सामाजिक कारणों से बनती गई।
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बहुत ही अच्छी जाधकारी प्राप्ति हुई इस लाँकडाउन मे