जीवन में आदर्शों को स्वतः फलित होने दो ,इनका आरोपण मत करो ।

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КОМЕНТАРІ • 13

  • @HemletAKASH
    @HemletAKASH 4 дні тому

  • @YogeshYadav-cw9hq
    @YogeshYadav-cw9hq 6 днів тому +1

    Bahot badhiya samjhya.
    OSHO GREAT hai 🙏

  • @mayankraj7655
    @mayankraj7655 5 днів тому

    You really have done the deepest study on this topic ma'am 🙏

  • @sanjaychauhan7517
    @sanjaychauhan7517 6 днів тому

    मान्यताओं से सतर्कता,
    और बेहोशी मे किए जा रहे प्रयास,
    अनर्गल इच्छाओं को पोषित करते मन पर प्रश्न करना,
    और जीवन की सहजता को स्वीकार करने के बारे में आपका संदेश अछा लगा ,
    हम इंद्रियों में ही जीते है, उनके गुण होंगे ही थोड़े हो या बहुत हो जरूरत है सतर्कता के साथ देखने को
    🎉

  • @Agyanibheem
    @Agyanibheem 5 днів тому +1

    Good jaub maim

  • @pot1121
    @pot1121 6 днів тому +2

    Each of us lives dependent and bound by our own individual knowledge and our awareness. All that is what we call reality, however both knowledge and awareness are equivocal. Someone's reality might be an illusion for others, we all live inside our own fantasies.

  • @AdityaChaturvedi-qh8iq
    @AdityaChaturvedi-qh8iq 2 дні тому

    Iska mtalb hame kisi ko adarsh nhi manana chahiye kya mam

  • @sewaksinghrohtak
    @sewaksinghrohtak 6 днів тому

    🙏

  • @ramkumardhatterwal6618
    @ramkumardhatterwal6618 6 днів тому

    आदरणीय बहनजी, एक प्रश्न का उत्तर न तो मैं स्वयं खोज पाया हूँ और न कहीं से मिला है ---
    काम वासना क्या मनुष्य के नियंत्रण में नहीं है?
    कभी कभी न चाहते हुए भी कामुकता का आ जाना और यह पता होते हुए भी कि इसकी तुष्टि के पश्चात भी कुछ क्रांति घटित होने वाली नहीं है फिर भी शरीर की सारी ऊर्जाएँ काम वासना की तरफ बहने लगती है जैसे की इसकी तृप्ति ही सबकुछ है। तृप्ति के पश्चात वो सब ओझल हो जाता है अर्थात विलुप्त हो जाता है जो काम वासना के जाग्रति के समय से विलुप्त होने तक घटता है।

    • @उर्वशी-0
      @उर्वशी-0  6 днів тому +2

      नियंता क्यों होना चाहते है आप ,स्वभाव के विपरीत क्यों जाना ?एक उम्र के बाद ख़ुद सब समाप्त हो जाएगा।
      उम्र से पहले तो केवल साक्षी होने से होगा ।
      अभी केवल बौधिक रूप में पता चला है आपको के सब क्षणिक है ,भीतर गई नहीं बात ।
      जब बात भीतर जाएगी तब काम वासना नहीं सभी कुछ क्षणिक लगेगा ।
      लेकिन मेरा सुझाव यही होगा जो भोगने के लिए है उससे पीछा छुड़ाने से वो और हावी होती है इससे अच्छा है हर चीज़ की अति करने कए बजाए हम उसे केवल उपयोग का साधन समझे और आगे बढ़ें।

    • @ramkumardhatterwal6618
      @ramkumardhatterwal6618 5 днів тому

      @उर्वशी-0 आदरणीय बहनजी, मशीन और इंसान में केवल इतना ही अंतर है कि इंसान में संवेदनाएं होती है। जैसे ममता और वात्सल्य केवल माँ बेटे में ही संभव है इसी तरह पीता पुत्र, बहन भाई, भाई भाई, दादा दादी पौत्र पौत्री, नाना नानी दोहिता दोहिती आदि रिश्ते नातों में भावनात्मक संवेदनाएं होती है, इनके बगैर मनुष्य जीवन के अनेक पहलुओं से वंचित रह जाता है परिणामस्वरूप वह जीवन की खुशीयों और अनुभवों से वंचित रह जाता है।
      हम देख रहे हैं कि मनुष्य मशीन बनता जा रहा है और भौतिक सुख को ही सुख समझने लगा है।

    • @RajeshSrivastava-fr7qz
      @RajeshSrivastava-fr7qz 5 днів тому

      HAMARI SABHYATA SANSKRITI BHAKTI SATSANG KALA SANGIT SAHITYA LOK PARAMPARA VIVAH PARAMPARA PARIVAR SAMAJ CINEMA NATAK RAJNITI PRINT MEDIA SOCIAL MEDIA ..SAB KUCH AINDRIK SUKHO KE AAS PAAS GHUMATI HAI BUS SABKA LEVEL OF EXPERIENCE ALAG ALAG HOTA HAI...GHAT GHAT KA PANI PIKAR ..GALI GALI KHAAK CHHANKAR..DAR DAR KI THOKRE KHAAKAR..HAMARI CHETNA ACTIVATE HOTI HAI..