Jai Vaishnavi Mata || जय वैष्णवी माता || Mata Aarti || Vaishnavi Mata Aarti || Mata Bhakti Song

Поділитися
Вставка
  • Опубліковано 30 лис 2024
  • Jai Vaishnavi Mata || जय वैष्णवी माता || Mata Aarti || Vaishnavi Mata Aarti || Mata Bhakti Song
    मान्यता है कि माता वैष्णो देवी ने त्रेता युग में माता पार्वती, सरस्वती और लक्ष्मी के रूप में मानव जाति के कल्याण के लिए एक सुंदर राजकुमारी का अवतार लिया था। उन्होंने त्रिकुटा पर्वत पर तपस्या की थी। बाद में उनका शरीर तीन दिव्य ऊर्जाओं महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के सूक्ष्म रूप में विलीन हो गया।
    वैष्णो देवी (जिसे माता रानी, ​​त्रिकुटा, अम्बे और वैष्णवी के नाम से भी जाना जाता है) हिंदू माँ देवी दुर्गा या आदि शक्ति की एक अभिव्यक्ति है।
    माता वैष्णो देवी दक्षिण भारत के रहने वाले रत्नाकर सागर की पुत्री थीं। रत्नाकर सागर लंबे समय से निःसंतान थे और देवी वैष्णो के जन्म से ठीक एक दिन पूर्व रत्नाकर ने खुद से यह वचन लिया था कि वे देवी के इच्छा के कभी आड़े नहीं आएंगे। देवी को उनकी बाल्यावस्था में त्रिकुटा के नाम से जाना जाता था।
    मां वैष्णो देवी को बचपन में त्रिकुटा नाम से बुलाया जाता था। बाद में भगवान विष्णु के वंश से जन्म लेने के कारण वे वैष्णवी कहलाईं।
    जय वैष्णवी माता, मैया जय वैष्णवी माता।
    हाथ जोड़ तेरे आगे, आरती मैं गाता॥
    शीश पे छत्र विराजे, मूरतिया प्यारी।
    गंगा बहती चरनन, ज्योति जगे न्यारी॥
    ब्रह्मा वेद पढ़े नित द्वारे, शंकर ध्यान धरे।
    सेवक चंवर डुलावत, नारद नृत्य करे॥
    सुन्दर गुफा तुम्हारी, मन को अति भावे।
    बार-बार देखन को, ऐ माँ मन चावे॥
    भवन पे झण्डे झूलें, घंटा ध्वनि बाजे।
    ऊँचा पर्वत तेरा, माता प्रिय लागे॥
    पान सुपारी ध्वजा नारियल, भेंट पुष्प मेवा।
    दास खड़े चरणों में, दर्शन दो देवा॥
    जो जन निश्चय करके, द्वार तेरे आवे।
    उसकी इच्छा पूरण, माता हो जावे॥
    इतनी स्तुति निश-दिन, जो नर भी गावे।
    कहते सेवक ध्यानू, सुख सम्पत्ति पावे॥

КОМЕНТАРІ •