अगर ऐसा ही था तो अंग्रेजों से आजादी ही क्यूं ली थी? खाना तो तब भी मिलता था। जब तक हम अपने स्वाभिमान की जगाएंगे नहीं तब तक विकास भी नहीं कर सकते। विचारों का मजबूत होना जरूरी है, देश के प्रति समर्पण तभी आएगा जब भावनाएं पवित्र होंगी और इसके लिए हमारा गौरवशाली इतिहास मदद करता है। जब तक मानसिक गुलामी रहेगी तब तक विकास संभव नहीं है
अगर ऐसा ही था तो अंग्रेजों से आजादी ही क्यूं ली थी? खाना तो तब भी मिलता था। जब तक हम अपने स्वाभिमान की जगाएंगे नहीं तब तक विकास भी नहीं कर सकते। विचारों का मजबूत होना जरूरी है, देश के प्रति समर्पण तभी आएगा जब भावनाएं पवित्र होंगी और इसके लिए हमारा गौरवशाली इतिहास मदद करता है। जब तक मानसिक गुलामी रहेगी तब तक विकास संभव नहीं है
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Jitana mandir toda he vo sab vapas lo