स्कंदगुप्त विक्रमादित्य का इतिहास । History of Skanda Gupta Vikramaditya in Hindi
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- Опубліковано 16 жов 2019
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स्कंदगुप्त विक्रमादित्य का इतिहास । History of Skanda Gupta Vikramaditya in Hindi
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भारत पर हूणों ने ईस्वी सन 453 में धावा बोलना शुरु कर दिया। सबसे पहले तक्षशिला विश्वविद्यालय को निशाने पर लिया। विश्वविद्यालय को ध्वस्तकर सब कुछ आग के हवाले कर दिया। शैव-वैष्णव-शाक्त-बौद्ध-जैन आदि सभी के सभी हूणों के ध्वंस का शिकार बन गए। पश्चिमी सरहद धूं धूंकर जल उठी। भारत के केंद्रीय राज्य मगध की राजधानी पाटलीपुत्र में जब हूणों की बर्बरता की कहानियां गुप्तचरों ने राज्यसभा में बतानी शुरु की तो वहां सन्नाटा छा गया। बुजुर्ग हो चुके सम्राट कुमार गुप्त चिन्ता में पड़ गए, उन्हें राज्य-लक्ष्मी खंडित होती दिखाई पड़ने लगी। उनका कोई उत्तराधिकारी भी तय नहीं था, सेना के मनोबल पर भी विपरीत असर था। लोग पूछने लगे कि अब कौन हूणों से मुकाबला करेगा, भारत की रक्षा कौन करेगा? सम्राट की दूसरी पत्नी के बेटे स्कंदगुप्त तब आगे आए और उन्होंने सेना के नेतृत्व का बीड़ा उठाया। कहते हैं कि उस समय स्कंदगुप्त की आयु मात्र 25 वर्ष ही थी।