'राष्ट्रहित में ए मनुज, अपना तुम मतदान करो...'

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  • Опубліковано 22 тра 2024
  • वाराणसी। लोकतंत्र के महापर्व में सबकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए बुधवार को काशी के कवियों की जुटान हुई। गोलघर, मैदागिन स्थित पराड़कर स्मृति भवन में आयोजित लोकमत परिष्कार कवि गोष्ठी में कवियों ने काव्य पाठ कर जन जन को मतदान के लिए प्रेरित किया। सबसे पहले कार्यक्रम संयोजक पण्डित देवब्रत मिश्र ने 'देश के तुम भाग्य विधाता, अब अपना मतदान करो, राष्ट्रहित में ए मनुज अपना तुम मतदान करो' सुनाकर गोष्ठी का शुभारंभ किया। उसके उपरांत डॉ. नसीमा निशा ने 'किसको दूँ में वोट यहाँ पर सबके दिलों में खोट यहाँ पर, वोट आपका हक है वोट दीजिए साहब मत कहें किसी से ये नोट दीजिए साहब' सुनाया। नवगीतकार सुरेंद्र वाजपेयी ने 'पानी जब गुनगुना हुआ बुल्ले कुछ गुनगुना उठे, रिश्ता जब झुनझुना हुआ रस्ते सब झनझना उठे' सुनाया, ब्रजेश चंद्र पाण्डेय ने 'बाबा विश्वनाथ क नगरी बन गइल राजा क्योटो, एक सवारी बाइस टोटो' सुनाया, धर्मेंद्र गुप्ता साहिल ने 'रूप रंग रसगन्ध है काशी, जीवन का अनुबंध है काशी' सुनाया, नरोत्तम शिल्पी ने 'चक्कर लगा के आया सूरज भी कह रहा है, सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्ता हमारा' सुनाया।

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