Pabuji ka itihas | पाबूजी का इतिहास व जीवनी

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  • Опубліковано 7 лют 2025
  • पाबूजी महाराज का इतिहास व लोककथा || चौहान वंश के सबसे ताकतवर यौद्धा @UA-cam.comRajasthanhistory
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    पाबूजी राठौड़ राजस्थान के लोक देवता हैं, जिनकी वीरता, न्यायप्रियता और पशुधन की रक्षा के लिए किए गए संघर्षों की कहानियाँ आज भी राजस्थान के गांव-गांव में गाई जाती हैं। पाबूजी का जन्म 14वीं शताब्दी में राठौड़ वंश के एक शाही परिवार में हुआ था। उनका जन्मस्थान कोलू नामक गाँव (जोधपुर के पास) है। पाबूजी को एक योद्धा और राजा के रूप में जाना जाता है, लेकिन उनके सबसे प्रसिद्ध होने का कारण उनका लोक देवता का दर्जा है, जिन्हें आज भी लोग पूजा करते हैं।
    पाबूजी का जीवन और व्यक्तित्व
    पाबूजी न सिर्फ एक वीर योद्धा थे, बल्कि वे अन्याय के खिलाफ खड़े होने वाले व्यक्ति के रूप में भी जाने जाते थे। उन्होंने अपने जीवन को दूसरों की भलाई के लिए समर्पित कर दिया। पाबूजी विशेष रूप से पशुओं की रक्षा के लिए समर्पित थे, खासकर गायों के लिए, जो राजस्थानी समाज में पवित्र मानी जाती हैं। उनके जीवन की सबसे प्रसिद्ध कथा उनके द्वारा गायों के बचाव से जुड़ी हुई है, जो उनकी वीरता और निस्वार्थ सेवा का प्रतीक बन गई है।
    पाबूजी की बहन का विवाह अमरकोट के सोढ़ा राजपूतों से हुआ था, और उनके विवाह उत्सव के दौरान, पाबूजी को सूचना मिली कि मरीबाण का राव, जो एक दुश्मन राजा था, ने उनके क्षेत्र की गायों को चुरा लिया है। पाबूजी ने अपनी शादी के दिन ही गायों को बचाने का निर्णय लिया और अपनी बारात को वहीं छोड़कर गायों की रक्षा के लिए निकल पड़े। यह घटना उनकी निस्वार्थता और कर्तव्यपरायणता को दर्शाती है।
    पाबूजी और देवल चारणी
    पाबूजी की कहानियों में एक महत्वपूर्ण पात्र देवल चारणी हैं, जो एक चारण महिला थीं और पाबूजी की प्रिय मित्र थीं। देवल की बहुमूल्य गायें मरीबाण के राव द्वारा चुरा ली गई थीं। जब देवल ने पाबूजी से अपनी गायों को वापस लाने की विनती की, तो पाबूजी ने वचन दिया कि वे उनकी गायों को वापस लाएंगे। इस वचन को निभाने के लिए पाबूजी ने अपने जीवन का बलिदान तक दे दिया।
    वीरता और बलिदान
    पाबूजी ने अपने वचन को निभाने के लिए मरीबाण के राव से संघर्ष किया और गायों को बचाया, लेकिन इस संघर्ष में उन्हें अपना जीवन बलिदान करना पड़ा। पाबूजी का बलिदान राजस्थानी समाज में एक आदर्श बन गया और उन्हें लोक देवता के रूप में पूजने की परंपरा शुरू हो गई। उन्हें पशुओं, खासकर गायों के रक्षक के रूप में माना जाता है, और आज भी ग्रामीण क्षेत्र के लोग संकट के समय उनकी पूजा करते हैं।
    पाबूजी की लोकगाथा और श्रद्धा
    पाबूजी की वीरता और बलिदान की गाथाएँ राजस्थान के लोक साहित्य और गीतों में समाहित हैं। उनकी कहानी को "पाबूजी की फड़" के नाम से गाया जाता है, जो एक प्रकार की लोकगाथा है। इसे भोपाओं द्वारा चित्रित फड़ (पारंपरिक कपड़े पर चित्रित कहानी) के माध्यम से गाया और प्रस्तुत किया जाता है। पाबूजी की गाथाएँ राजस्थान के लोकगीतों और लोकनाटकों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई जाती हैं।
    निष्कर्ष
    पाबूजी राठौड़ राजस्थान के महान लोक नायक और देवता हैं, जिनकी कहानियाँ आज भी लोगों के दिलों में जीवित हैं। उनकी वीरता, कर्तव्यनिष्ठा और पशुधन की रक्षा के लिए किए गए बलिदान ने उन्हें अमर बना दिया है। पाबूजी की पूजा राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में आज भी की जाती है, और उन्हें न केवल एक योद्धा बल्कि एक संरक्षक देवता के रूप में सम्मानित किया जाता है।
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