रक्षाबंधन पर्व , श्रावणी पर्व पर सुने पूज्य गुरुदेव का अमृत संदेश....
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- Опубліковано 16 вер 2024
- श्रावणी पर्व मनुष्य को वेदों के चिंतन, मनन और श्रवण की देता है प्रेरणा, भारत पर्वों और व्रतों का है देश
भारतवर्ष उत्सवों पर्वों और व्रतों का देश है। श्रावणी पर्व का भी भारतीय समाज में विशेष महत्व है। श्रावण मास की पूर्णिमा के साथ श्रवण नक्षत्र का संयोग होने के कारण इसे श्रावणी कहा जाता है। श्रावणी पूर्णिमा को ज्ञान की साधना का पर्व माना गया है।
ऊर्जा: श्रावणी पर्व मनुष्य को वेदों के चिंतन, मनन और श्रवण की देता है प्रेरणा, भारत पर्वों और व्रतों का है देश
प्राचीन काल में ऋषि-मुनि श्रावण मास की पूर्णिमा से वेद पारायण आरंभ करते थे
भारतवर्ष उत्सवों, पर्वों और व्रतों का देश है। श्रावणी पर्व का भी भारतीय समाज में विशेष महत्व है। श्रावण मास की पूर्णिमा के साथ श्रवण नक्षत्र का संयोग होने के कारण इसे श्रावणी कहा जाता है। श्रावणी पूर्णिमा को ज्ञान की साधना का पर्व माना गया है। यह वैदिक पर्व है। हमारे वैदिक ग्रंथों में इसे उपा कर्म भी कहा जाता है। यह पर्व हमारे ज्ञान रूपी यज्ञ का प्रतीक है। श्रावणी आध्यात्मिक ग्रंथों के स्वाध्याय के प्रचार का पर्व है। सद् ज्ञान, बुद्धि, विवेक की वृद्धि के लिए हमारे ऋषियों ने इसे निर्मित किया था। प्राचीन काल में ऋषि-मुनि इसी दिन से वेद पारायण आरंभ करते थे। गुरुकुलों में ज्ञान की साधना के लिए छात्रों का यज्ञोपवीत संस्कार के साथ इसी श्रावणी के पावन अवसर पर प्रवेश एवं वेद अध्ययन प्रारंभ होता था। गुरुकुलों में इसी दिन से शिक्षण सत्र का आरंभ भी होता था। बड़े-बड़े यज्ञों का आयोजन भी किया जाता था।
इस पर्व को ऋषि तर्पण भी कहा जाता है। ऋषि तर्पण का अर्थ है ऋषियों को संतुष्ट करना। ऋषियों के तपोबल के माध्यम से जो वेद ज्ञान की निधि हमें प्राप्त हुई है उसके प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करना। वैदिक ग्रंथों के ज्ञान को अपने जीवन में आत्मसात करके यह ऋषियों के ऋण से उऋण होने का अवसर है। मनुष्य को यह श्रावणी पर्व अपने जीवन में विद्या एवं ज्ञान की निरंतर वृद्धि करने की प्रेरणा देता है। आध्यात्मिक ज्ञान का मनुष्य के जीवन में सर्वोपरि महत्व है। ज्ञान को हमारे ऋषियों ने प्रकाश के समान माना है। जो हमारे जीवन रूपी पथ को निरंतर आलोकित करता रहता है। अज्ञान अभिशाप एवं दुखों का मूल है। अज्ञान से ही मनुष्य के जीवन में अशांति, दुख, कलेश, चिंता और संताप का वातावरण पनपता है।
श्रावणी पर्व आध्यात्मिक शक्ति को संचित करने की वेला है। यह पर्व मनुष्य को वेदों के चिंतन, मनन और श्रवण की प्रेरणा देता है।
विचार क्रांति अभियान यह जन-चिंतन के परिष्कार और जन-मनोविज्ञान के सकारात्मक अभिविन्यास के लिए एक अनूठा आंदोलन है।
विचार क्रांति का अनूठा प्रयोग - विचारों का क्रमिक परिष्कार, दृष्टिकोण का धर्मी परिवर्तन और मानवीय मनोविज्ञान का आध्यात्मिकता के दिव्य क्षेत्रों तक उत्कृष्ट रूपांतरण इस मिशन का आधार है। मिशन के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने विविध विषयों पर लगभग 3000 ज्ञानवर्धक पुस्तकें लिखीं। विचार परिवर्तन आंदोलन में शामिल हैं:
धार्मिक ज्ञान का प्रसार
जन जागरण अभियान
नये युग का आगमन
विचारों में अपार शक्ति होती है। लेकिन हममें से ज़्यादातर लोगों के लिए विचार सिर्फ़ कल्पना की उपज होते हैं। आमतौर पर लोग विचारों को खाली समय का मनोरंजन समझते हैं, लेकिन इसका एकमात्र कारण यह है कि उन्होंने कभी विचारों की शक्ति पर ध्यान ही नहीं दिया।
वस्तुतः यह सम्पूर्ण जगत विचारों की ही रचना है। भौतिक जगत की स्थूल भौतिक वस्तुएँ सूक्ष्म विचार शक्ति की ही रचना हैं। शास्त्रों में इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को सृष्टिकर्ता की अनेकों रचनाएँ करने की इच्छा के रूप में वर्णित किया गया है। "एकोहम् बहुस्यामि"। यदि हम इतने दूर न भी जाएँ तो भी हम अपने चारों ओर इस विकसित भौतिक जगत के रूप में विचारों की शक्ति को ही प्रकट होते हुए देख सकते हैं। समस्त भौतिक विकास, कलाएँ, उपकरण, तकनीकी आविष्कार, जीवन-परिवर्तनकारी साहित्य, ये सब उनके रचयिताओं के मन में उत्पन्न विचारों का ही परिणाम हैं। पहले उनके विचारों में ऐसी रचना की संभावना उत्पन्न होती है, फिर उसी विचार पर चिंतन और अन्वेषण अंततः रचना के रूप में प्रकट होता है।
ॐ सदगुरू चरण कमलेभ्यो नमः
गुरदेव माता जी के चरणों में शत् शत् नमन🙏🙏🙏
Param pujya guru Dev ke charno me pranam 🙏🙏🙏
Jai gurudev
जय गुरु देव
Jai jai guru dev
जयगुरुदेव 🙏🙏💐💐
Jay mahakal 🙏🙏🙏🙏🙏🙏💥💥💥🚩🚩🌞🌞🌞
जय गुरुदेव जय मां गायत्री आपके चरणों में कोटि-कोटि नमन करते हैं। 🙏🙏💐🌷🌹
Jay guru deo magatri ki cherno mein ko dikoti prana
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