आचार्य जी नमस्कार. आप प्रश्न-उत्तर का भाग अलग से लेंगे तो सूत्रों का भाग अधिक समझ मे आ सकेगा. अभी सूत्रों की व्याख्या कम और प्रश्न-उत्तर भाग ज्यादा है , इसलिये link टूट जाता है और प्रवचन अधिक लंबा होता है. कृपा करके प्रश्न-उत्तर कम से कम या बाद में लेने की कृपा करें. आपके प्रवचन बहुत ही सरल होते हैं, आप का बहुत बहुत धन्यवाद.
aapne kaha ki sankhya aur yog samaanya vishaya hai aur dono mein antar hai toh sirf yahi ki ek theoretical hai ur doosra practical. ek siddhant pe zor deta hai aur doosra laksh ke siddhi ke liye jo nischit kriya hai usei spasht roop se darshaata hai. inmein se uttam konsa hai, saiddhantik darshan yaa praayogik darshan? aur kyon?
agar hum siddhant ko jaanenge toh hum kriya ka khoj svayam kar sakenge. par siddhant ke agayan se hum andhshraddhit yog kriya karenge. aapka kya vichaar hai?
आचार्य जी प्रणाम, निम्न सूत्र सांख्य के किस अध्याय का है, कृपया मेरी शंका समाधान करें। पुरुषप्रकृत्योर्वियोगेपि योगइत्यमिधीयते। अर्थात् पुरुष एवं प्रकृति के पार्थक्य को स्थापित कर पुरुष का स्व स्वरूप में अवस्थित होना ही योग है।
Isse badkar koi gyan nahi jo humko apka madhyam se darsan shastr ka milta h, 9 darshan padna h mujhe aaj se start sankya darshan se, ashirwad dijiye mai acha se samajh saku,dhanyavad
I have a question. This swadhya it says is based on sutras from Kapila. However, I have commonly heard that original Sankhya Sutra of Kapila was lost long ago. So, can you please shed some light on this? Your reply is much appreciated
@@modernkshatriye4629 कपिल मुनि ने सृष्टि के उपादान कारण (material cause) प्रकृति को माना है जो सत्य भी है और ईश्वर को निम्मित कारण ( कार्य को करने वाला चेतन) तो उस सूत्र में ईश्वर के उपादान कारण को ठुकराया है। इसलिए कहते है उनको नास्तिक। आप। सांख्य सिद्धांत और सांख्य दर्शन पढ़िए आचार्य उदयवीर जी का सब स्पष्ट हो जाएगा।
ओम शा द र नमन् पूज्य गुरु ज्यू।
ओम सादर नमस्ते पूज्य आचार्य जी 🙏🙏🙏🙏
आचार्य जी नमस्ते
Namaste swamiji
🚩🙏 ओ३म् जी...,
बहुत बहुत शुक्रिया आचार्य जी 🙏🙏🙏
बहुत बहुत धन्यवाद आपको 🙏
।।ॐ॥ प्रणाम आचार्यजी!
Bahu sundar vyakhyan hai, pandit ji.
सवामी जी को नमन
सांख्य दर्शन गीता में बहुत
सरल भाषा में अनुवाद किया गया है।ईश्वर से अष्टधा प्रकृति और
अक्षर/क्षर पुरुष ब्रह्मांडकी
उत्पति आदि।
नमस्ते स्वामी जी
14:25 1st sutra
Aacharya ji aap hi hamare mukhya shastron ke Guru, hae
YUh
Hk
M
@@pushpakurian2608 tþtþ
@@pushpakurian2608o
@@fadiman6742 AAP to muslim o ,still watching
@@babushabeena5859 AAP muslim oke b dekhri o
सम्+ख्या=विशेष ज्ञान ।"त्रिविध दुःख अत्यंत निवृत्ति अत्यंत पुरुषार्थः" से प्रारंभ सुंदर सरल पाठन।💠रामजी💠
@K. S Sharma 44
Om
🕉️🙏 Namaste Swamiji 🌹💐🌹🚩🚩🚩🚩🚩
🙏🏻🙏🏻anukarniy
प्रणाम गुरुदेव
🙏🙏
अद्भुत
अन्धापन, बहरापन जो जन्म से ही होता है वह कौन सी श्रेणी में आता है ।।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
🙏
आचार्य जी नमस्ते निवेदन है आप केवल सूत्रों की व्याख्या करें
🙏ओ३म्
अत्यंत सुन्दर व्याख्या.🙏
Look like ki hail❤️😂
ओ३म्
आज से मैने शास्त्र पढ़ना शुरू किया है
Pahle sanskrit seekhi h kyaaa aapne?
Hari om
आचार्य जी नमस्कार. आप प्रश्न-उत्तर का भाग अलग से लेंगे तो सूत्रों का भाग अधिक समझ मे आ सकेगा. अभी सूत्रों की व्याख्या कम और प्रश्न-उत्तर भाग ज्यादा है , इसलिये link टूट जाता है और प्रवचन अधिक लंबा होता है. कृपा करके प्रश्न-उत्तर कम से कम या बाद में लेने की कृपा करें. आपके प्रवचन बहुत ही सरल होते हैं, आप का बहुत बहुत धन्यवाद.
ठीक लिखा 🙏
W cm8y87 ok bpuuuupupyy
नमस्ते जी
जितना मेँ कर सकता हु उतना ही कर सकता हु sorry
💐🕉️🙏🕉️🚩
आचार्य जी किस पुस्तक से पढ़ा रहे हैं??
aapne kaha ki sankhya aur yog samaanya vishaya hai aur dono mein antar hai toh sirf yahi ki ek theoretical hai ur doosra practical. ek siddhant pe zor deta hai aur doosra laksh ke siddhi ke liye jo nischit kriya hai usei spasht roop se darshaata hai. inmein se uttam konsa hai, saiddhantik darshan yaa praayogik darshan? aur kyon?
agar hum siddhant ko jaanenge toh hum kriya ka khoj svayam kar sakenge. par siddhant ke agayan se hum andhshraddhit yog kriya karenge. aapka kya vichaar hai?
Aap.ki.saili.bdi.rochk.he.svamiji
राम चरित मानस में भी लिखा है - दैहिक दैविक भौतिक तापा….
aaj se suru kr rha hu sashtro ka gyaan
om
very good brother... MAY LORD OF LORD AUM BLESS YOU
Ji
@@rajendradubey4256 by j6 the
.
Amazing explaining sir,
लोग क्यों बेकार प्रश्न करते है ? ये क्लास भूकम्प पर तो नहीं है ?
intelligently explained
ओउम् उत्तम
आचार्य जी प्रणाम,
निम्न सूत्र सांख्य के किस अध्याय का है, कृपया मेरी शंका समाधान करें।
पुरुषप्रकृत्योर्वियोगेपि योगइत्यमिधीयते। अर्थात् पुरुष एवं प्रकृति के पार्थक्य को स्थापित कर पुरुष का स्व स्वरूप में अवस्थित होना ही योग है।
आचार्य जी व्याख्या में अधिक समय लेना अधिक विस्तार करना ठीक नहीं।
Isse badkar koi gyan nahi jo humko apka madhyam se darsan shastr ka milta h, 9 darshan padna h mujhe aaj se start sankya darshan se, ashirwad dijiye mai acha se samajh saku,dhanyavad
Karam kya hai
ப்0
I have a question. This swadhya it says is based on sutras from Kapila. However, I have commonly heard that original Sankhya Sutra of Kapila was lost long ago. So, can you please shed some light on this? Your reply is much appreciated
संख्या दर्शन के ऋषि भाष्य विलुप्त हुए हैं, मूल सूत्र पूरे उपलब्ध हैं ।
Aacharya ji sankhya darshan nastik darshan hai kya
नहीं
@@Amarsingh__28 par jitne bhi advait ko mante hai voh toh yehi kehte ha
@@modernkshatriye4629 कपिल मुनि ने सृष्टि के उपादान कारण (material cause) प्रकृति को माना है जो सत्य भी है और ईश्वर को निम्मित कारण ( कार्य को करने वाला चेतन) तो उस सूत्र में ईश्वर के उपादान कारण को ठुकराया है।
इसलिए कहते है उनको नास्तिक।
आप। सांख्य सिद्धांत और सांख्य दर्शन पढ़िए आचार्य उदयवीर जी का सब स्पष्ट हो जाएगा।
@@modernkshatriye4629 यह एक भ्रांति हैं पूरी।
@@Amarsingh__28 ji bhai dhanyavaad aapka🙏
Samjane ka tarika thik nahi hai
Samjana barabar nahi aata hai
No
प्रणाम गुरुदेव
🙏🙏🙏
Om
🙏
प्रणाम गुरुदेव
🙏🙏🙏