बीजक खंड-3 : साखी | जहिया जन्म मुक्ता हता वाणी का मूल अर्थ | 2 types of ego | मसि कागज छुओ नहीं
Вставка
- Опубліковано 3 лис 2024
- बीजक खंड-3 : साखी
जहिया जन्म मुक्ता हता, तहिया हता ना कोई
कबीर वाणी का मूल अर्थ !
Virah bhuvangam tan dasa mantra na lage koy
chumbak lohe preet jyu, loha let uthay
Pani piyavat ka firey, Ghar Ghar sayar bari
मसि कागज छुओ नहीं
Jahiya Janam mukta hata
ego self & ego tendency
साखी आंखी ज्ञान की, समझ देख मन माही
बिन साखी संसार का, झगड़ा छूटत नाही