🙏🙏🌹 JAI, SHREE RAVI SHANKA PRASAD JI 🙏🌹❤& ALL IF OUR SANATANI HINDU RASHTRA BHARAT, KI " JANATA JARDAN, JAGO. " 🙏🙏❤🇮🇳 DESH KA GADDAR, - NAMAK HARAMI, & INSANIYAT KI DUSHMAN , KO HATAO, 🙏SANATANI HINDU RASHTRA 🇮🇳🚩 KO BACHAO. " 🙏🙏 " BANGAL DESHI 🇧🇩🇧🇩 MINORITY HINDU , BROTHERS😎 & SISTERS NAGARIK, KA " LIFE BACHLO. " PLEASE SAVE INNOCENT HUMAN BEINGS LIFE. " 🙏🙏 " JAGO, SANATANI HINDU JAGO, ABHI NAHI TOH , JABHI NAHIN. " JAGO. 🙏🙏❤🇮🇳🚩 BHARAT MAATA KI JAI. " 🙏🙏❤🇮🇳🇮🇳🚩🚩
फूलवाले चचाजान से विदेशी औरत की जर्नी में आपको देशद्रोह,भ्रष्टाचार, पद-लोलुपता, तुष्टिकरण व अभिजात्यता का पूर्ण रूप देखने को मिलेगा? इनको समझाईए मत समुचित उपचार कीजिए🪷 हम तो 6/12/1992 से उपचार का प्रयास कर रहे हैं अखंड भारत की जय वंदेमातरम
भाजपाई भौंपू टोली के मुखर प्रचारक रविशंकर प्रसाद संविधान के 75 साल की यात्रा विषय पर 14 दिसंबर 2024 को लोकसभा में एक बार फिर भौंपू बनकर सामने आ गये और संविधान के लिथोग्राफिक मूल प्रति के 22 भागों में नंदलाल बोस द्वारा उकेरे गए 22 चित्रों में से सिलेक्टिव तरीके से राम, कृष्ण, हनुमान, शिवाजी, अकबर आदि को सदन के अंदर प्रदर्शित करते हुए यह कहते नजर आये कि संविधान ने हमारी सांस्कृतिक विरासत को मान्यता प्रदान की है और संविधान भी इन हिन्दू प्रतीकों को संवैधानिकता देता है। हम अच्छी तरह जानते हैं कि संविधान का मतलब होता है संविधान का Bare Act यानी संविधान की इबारत अर्थात संविधान में निहित लिखित शब्द, न कि किसी चित्रकार द्वारा उकेरे गए और अलंकृत किये गए चित्र। मिस्टर रविशंकर प्रसाद को चुनौती है कि वह यह सिद्ध कर के साबित करें कि संविधान के बाईस भागों में से प्रत्येक भाग में नंदलाल बोस ने जो चित्र बनाये थे वे संविधान सभा द्वारा पारित संविधान के किस अनुच्छेद के तहत निर्देशित होकर बनाये गये थे ? वे कम से कम संबंधित अनुच्छेद नम्बर का उल्लेख तो करें। क्या संविधान सभा ने संविधान के Text में इन चित्रों को अंगीकृत करने और वैधानिक मान्यता देने के संबंध में कोई प्रस्ताव अथवा अनुच्छेद पारित किया था ? क्या संविधान सभा ने नंदलाल बोस को किसी विशिष्ट अनुच्छेद के अंतर्गत संविधान में चित्रांकन करने के अधिकृत करने संबंधी कोई आदेश पारित किया था ? अगर ऐसा कोई अनुच्छेद या प्रस्ताव संविधान सभा ने पारित ही नहीं किया था तो नंदलाल बोस द्वारा बाहरी साज-सज्जा के रूप में ये चित्र संविधान की लिथोग्राफिक प्रति में बनाए भी गए तो वे चित्र संविधान का अभिन्न हिस्सा कतई नहीं हैं बल्कि संविधानेतर तत्व और बाह्य सामग्री मात्र ही हैं जिनका कोई कानूनी या संवैधानिक मूल्य नहीं है। इसलिए रविशंकर प्रसाद निराधार और बेबुनियाद आधार पर इन चित्रों को लेकर लंबी-चौड़ी डींगें हांक रहे हैं वह सब खोखली बयानबाजी के अलावा और कुछ नहीं है।
सत्यमेव जयते
Jai Shree Ram ji 🙏❤️🚩😊
जय श्रीराम जय भारत वन्देमातरम। 🙏🙏🙏🙏🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
Jai Shree Ram 🙏🙏🙏
🚩🙏🙏🙏🙏
Bharat Mata ki jai bjp jindabad Narendra Modi jindabad
14-12-2024
🌷🌹🇮🇳🇳🇱🇸🇷🇳🇱🇮🇳🌹🌷
👍🏼👌🏼❤️
जय श्री राम, जय हिंद, जय भारत!
शुभ दिन प्रिय आत्माओं,
राम राम 🙏🏼🙏🏼
🕉️ हर हर महादेव 🕉️
Jai shiv gorkah
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Sir,I am guessing that you will win next Lok sabha elections.
Jai BJP i love my world BJP wow india 🙏🌍⭐🌻🧘♂️🌻🇮🇳🚩🇮🇳🌹👷🌹
Powerful speech ❤❤❤❤ 😮😮😮 ❤❤❤❤ strong leader 🙏🙏🙏🥸🥸
एक को हैंडल किया नासूर बना दिया
फूलवाले चचाजान से विदेशी औरत की जर्नी में आपको देशद्रोह,भ्रष्टाचार, पद-लोलुपता, तुष्टिकरण व अभिजात्यता का पूर्ण रूप देखने को मिलेगा? इनको समझाईए मत समुचित उपचार कीजिए🪷 हम तो 6/12/1992 से उपचार का प्रयास कर रहे हैं अखंड भारत की जय वंदेमातरम
RG just tore pensionveer Savarkar to pieces in his speech on constitution
भाजपाई भौंपू टोली के मुखर प्रचारक रविशंकर प्रसाद संविधान के 75 साल की यात्रा विषय पर 14 दिसंबर 2024 को लोकसभा में एक बार फिर भौंपू बनकर सामने आ गये और संविधान के लिथोग्राफिक मूल प्रति के 22 भागों में नंदलाल बोस द्वारा उकेरे गए 22 चित्रों में से सिलेक्टिव तरीके से राम, कृष्ण, हनुमान, शिवाजी, अकबर आदि को सदन के अंदर प्रदर्शित करते हुए यह कहते नजर आये कि संविधान ने हमारी सांस्कृतिक विरासत को मान्यता प्रदान की है और संविधान भी इन हिन्दू प्रतीकों को संवैधानिकता देता है। हम अच्छी तरह जानते हैं कि संविधान का मतलब होता है संविधान का Bare Act यानी संविधान की इबारत अर्थात संविधान में निहित लिखित शब्द, न कि किसी चित्रकार द्वारा उकेरे गए और अलंकृत किये गए चित्र। मिस्टर रविशंकर प्रसाद को चुनौती है कि वह यह सिद्ध कर के साबित करें कि संविधान के बाईस भागों में से प्रत्येक भाग में नंदलाल बोस ने जो चित्र बनाये थे वे संविधान सभा द्वारा पारित संविधान के किस अनुच्छेद के तहत निर्देशित होकर बनाये गये थे ? वे कम से कम संबंधित अनुच्छेद नम्बर का उल्लेख तो करें। क्या संविधान सभा ने संविधान के Text में इन चित्रों को अंगीकृत करने और वैधानिक मान्यता देने के संबंध में कोई प्रस्ताव अथवा अनुच्छेद पारित किया था ? क्या संविधान सभा ने नंदलाल बोस को किसी विशिष्ट अनुच्छेद के अंतर्गत संविधान में चित्रांकन करने के अधिकृत करने संबंधी कोई आदेश पारित किया था ? अगर ऐसा कोई अनुच्छेद या प्रस्ताव संविधान सभा ने पारित ही नहीं किया था तो नंदलाल बोस द्वारा बाहरी साज-सज्जा के रूप में ये चित्र संविधान की लिथोग्राफिक प्रति में बनाए भी गए तो वे चित्र संविधान का अभिन्न हिस्सा कतई नहीं हैं बल्कि संविधानेतर तत्व और बाह्य सामग्री मात्र ही हैं जिनका कोई कानूनी या संवैधानिक मूल्य नहीं है। इसलिए रविशंकर प्रसाद निराधार और बेबुनियाद आधार पर इन चित्रों को लेकर लंबी-चौड़ी डींगें हांक रहे हैं वह सब खोखली बयानबाजी के अलावा और कुछ नहीं है।
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Jai Bharat