जैसे आपने कहा कि पुराने गाने तो कोई भी गा सकते हैं क्योंकि वे तो किसी की निजी रचनाएं नहीं है। इस पर भी मेरा तर्क है कि जो "हारुल" यह जौनसार बावर की धरोहर है। हारुल वास्तविक घटनाओं पर आधारित है। और किसी भी कलाकार का चाहे वो गायक हो या लेखक, उसका संस्कृति को प्रभावित करने में बड़ा योगदान होता है। क्योंकि उसका असर आम जनता में तेजी से फैलता है। लेकिन यहां ऐसा नहीं है। यहां के कलाकारों ने 'हारुलों' का मूल स्वरुप ही बिगाड़ के रख दिया है। एक ही धुन पर कितनी ही हारुल बना दी है। कौन सी हारुल किस विषय पर बनी थी, वो उसमें बताया ही नहीं जाता। कई कलाकार तो ऐसे हैं जो पहाड़ी दिवाली में अश्लील हारुलों को गाया जाता है उसकी धुन को भी कॉपी कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें यहां की संस्कृति से कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्हें तो बस एक ही दिन में प्रसिद्धी चाहिए। फिर उसके लिए कुछ भी करना पड़े, मेहनत को छोड़कर। पुराने कलाकार यह सब नहीं करते थे और वो आज भी नहीं करते हैं।
मेरा रेशमा शाह जी को बहुत बहुत धन्यवाद हमें गर्व है कि आम हमारी उत्तराखंड से बिलोंग करते हो आपकी गाने उत्तराखंड में ही नहीं पूरे भारत में सुनाए जाते हैं आप हमारे जौनसार कि इस सबसे अच्छे कलाकार हो। (और बहुत बहुत धन्यवाद tripod production का )❤❤🎉🎉🙏🙏🎶
आजकल जौनसार बावर की संस्कृति में कुछ नया ही चल रहा है। हर गायक एक दूसरे के गाने कॉपी कर रहे हैं। कोई गाना नहीं तो गाने की धुन की नकल कर रहे हैं। अपने आप ही अपने नामांकरण कर रहे हैं। कोई अपने आपको नाटी किंग, कोई हारुल किंग, कोई बादशाह, कोई स्वर कोकिला, कोई रिमिक्स किंग वगैरह वगैरह.... न जाने अपने आप क्या क्या उपाधि ले रहे हैं। अब मैं आपके सवाल के जवाब पर आता हूं। आपने जो गाना गाया है 'धन बोठा महासू ले महाराजा तेरी हनोडी ठाई ले' यह गाना सन् 1995 - 96 के आसपास का है जो जगतराम वर्मा की कैसेट से लिया गया है। मुझे जितना याद है इसको आवाज दी थी मंगला रावत जी ने, और शायद यह गाना "गांवदा डिस्को" एल्बम का है। दूसरा गाना है "तीखा आया घरे स्वामी झूरो रोई लागी, दूजी खुशिया की बाता...." इस गाने को भी 'खानदानी संस्कार' नाम से जगतराम वर्मा व मीना राणा जी पहले ही गा चुके हैं। तीसरा गाना "सडकी सराईना" यह गाना भी शांति वर्मा जी का है। इसको उन्होंने दूबारा भी रिलीज किया है। अब आप ही बताइए कि यह कॉपी है कि नहीं।
जाहिर है मैंने इतना कुछ लिख दिया है तो लोगों के हलक से नीचे ये बात उतरेगी नहीं। लेकिन यह सच है। क्योंकि मैं आप लोगों का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। इसलिए मैं अंत में यह कहना चाहता हूं कि हमें किसी की आवाज, उसकी गायिकी, या लेखनी आदि पर कोई संदेह नहीं है। परन्तु इस बात पर विशेष ध्यान दें कि आप वह वजह बनों जिससे जौनसार बावर की संस्कृति सही दिशा में आगे बढ़ें। डॉ नन्द लाल भारती जी इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण है।
आपकी गायकी का कोई जवाब नहीं है। आप सचमुच बहुत ही अच्छी गायिका हैं। लेकिन हमें बहुत अफ़सोस होता है जब आप जैसे कलाकार किसी दूसरे के गाने कॉपी करते हैं। आपको लोग फॉलो करते हैं। आप लोगों के लिए आदर्श हो अतः आपको अपनी और अपने क्षेत्र की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए।
जो पुराने गीत होते हैं उनको मैं गति हूं उसमें किसी का पर्सनल गीत नहीं होता और जब मैं गा देती हूँ कलाकार बोलते यह गीत तो मेरा है तो आप जरूर इस बार इसमें लिखना कि मैंने कौन सा किसका गाना गाया
परशुराम देवा वाला भजन,, सीतराम चौहान जी ने गाया और भीम सिंह चौहान जी ने लिखा है... पुंडी ओटे डांडे की कुरैड,, ये गाना स्व. जगत राम वर्मा,, और डॉ. ननद लाल भारती जी ने लिखा है.. आज समस्या ये है कि पहले सोशल मिडिया नहीं होती थी,, आज के और भी गायक है जो दूसरे का लिखा गीतकार मै अपना नाम लिख देते है, आने वाली पीढ़ी तो यही देखगी की इन्होने ही लिखा है.. इसलिए जो भी कोई किसी का लिखा गाना गाये तो पहले छानबीन करके वो उस वेक्ति का नाम जरूर लिखें, मेरा किसी से कोई वेक्तिगत द्वेष नहीं है 🙏🙏🙏🙏🙏
❤❤
Bhaut acha 🎉song of Quin jonsar
Bhut hi sundar geet bhi Sangeet bhi our awaj to bhut hi sundar hai apki ❤se Salut 🙏
Thank you sir 🙏 प्लीज वीडियो शेयर जरूर करें.
Bahut bahut badhai bhaiya ji ko keep growing
❤ God bless you
Thank you so much 🙏❤️.
Jay mahadi maharaj ki🙏🙏🙏🙏
Jai mahasu devta 🙏🏻
आप का जीवन बहुत ही कठिन परिस्थितियों से गुजरा होगा सलाम है आप को रेशमा जी❤❤❤
Bahut shandar 🙏💐
महासू महाराज जी आपके ओर आपके चैनल के ऊपर कृपा दृष्टि बनाए रखे❤❤
🙏🙏🙏🌹🙏🙏🙏👌👌🌹🙏🙏🙏
She is a true legend of Uttarakhand❤❤❤
Bahut sundar ❤
Keep it up
धन्यवाद जी 🙏❤️
महासू महाराज की कृपा आपके चैनल पर बनी रहे ❤
Thank you pramod ji 🙏
रेशमा शाह जी जौनपुर, जौनसार ,रवाई की शान है❤❤❤
Thank you sir 🙏 वीडियो जरूर शेयर करें
जैसे आपने कहा कि पुराने गाने तो कोई भी गा सकते हैं क्योंकि वे तो किसी की निजी रचनाएं नहीं है। इस पर भी मेरा तर्क है कि जो "हारुल" यह जौनसार बावर की धरोहर है। हारुल वास्तविक घटनाओं पर आधारित है। और किसी भी कलाकार का चाहे वो गायक हो या लेखक, उसका संस्कृति को प्रभावित करने में बड़ा योगदान होता है। क्योंकि उसका असर आम जनता में तेजी से फैलता है। लेकिन यहां ऐसा नहीं है। यहां के कलाकारों ने 'हारुलों' का मूल स्वरुप ही बिगाड़ के रख दिया है। एक ही धुन पर कितनी ही हारुल बना दी है। कौन सी हारुल किस विषय पर बनी थी, वो उसमें बताया ही नहीं जाता। कई कलाकार तो ऐसे हैं जो पहाड़ी दिवाली में अश्लील हारुलों को गाया जाता है उसकी धुन को भी कॉपी कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें यहां की संस्कृति से कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्हें तो बस एक ही दिन में प्रसिद्धी चाहिए। फिर उसके लिए कुछ भी करना पड़े, मेहनत को छोड़कर। पुराने कलाकार यह सब नहीं करते थे और वो आज भी नहीं करते हैं।
❤❤
मेरा रेशमा शाह जी को बहुत बहुत धन्यवाद हमें गर्व है कि आम हमारी उत्तराखंड से बिलोंग करते हो आपकी गाने उत्तराखंड में ही नहीं पूरे भारत में सुनाए जाते हैं आप हमारे जौनसार कि इस सबसे अच्छे कलाकार हो। (और बहुत बहुत धन्यवाद tripod production का )❤❤🎉🎉🙏🙏🎶
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धरोहर को जो सहेज रहे हो,
सत्कार तुम्हारा करते हैं।
संस्कृति के दीप जलाने वाले,
तुम पर नाज़ हम करते हैं।❤
Thank you
next Podcast with Sita Ram Chauhan and Mahender Chauhan
आजकल जौनसार बावर की संस्कृति में कुछ नया ही चल रहा है। हर गायक एक दूसरे के गाने कॉपी कर रहे हैं। कोई गाना नहीं तो गाने की धुन की नकल कर रहे हैं। अपने आप ही अपने नामांकरण कर रहे हैं। कोई अपने आपको नाटी किंग, कोई हारुल किंग, कोई बादशाह, कोई स्वर कोकिला, कोई रिमिक्स किंग वगैरह वगैरह.... न जाने अपने आप क्या क्या उपाधि ले रहे हैं। अब मैं आपके सवाल के जवाब पर आता हूं। आपने जो गाना गाया है 'धन बोठा महासू ले महाराजा तेरी हनोडी ठाई ले' यह गाना सन् 1995 - 96 के आसपास का है जो जगतराम वर्मा की कैसेट से लिया गया है। मुझे जितना याद है इसको आवाज दी थी मंगला रावत जी ने, और शायद यह गाना "गांवदा डिस्को" एल्बम का है। दूसरा गाना है "तीखा आया घरे स्वामी झूरो रोई लागी, दूजी खुशिया की बाता...." इस गाने को भी 'खानदानी संस्कार' नाम से जगतराम वर्मा व मीना राणा जी पहले ही गा चुके हैं। तीसरा गाना "सडकी सराईना" यह गाना भी शांति वर्मा जी का है। इसको उन्होंने दूबारा भी रिलीज किया है। अब आप ही बताइए कि यह कॉपी है कि नहीं।
बिल्कुल सही विश्लेषण किया है आपने ❤❤
जाहिर है मैंने इतना कुछ लिख दिया है तो लोगों के हलक से नीचे ये बात उतरेगी नहीं। लेकिन यह सच है। क्योंकि मैं आप
लोगों का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं। इसलिए मैं अंत में यह कहना चाहता हूं कि हमें किसी की आवाज, उसकी गायिकी, या लेखनी आदि पर कोई संदेह नहीं है। परन्तु इस बात पर विशेष ध्यान दें कि आप वह वजह बनों जिससे जौनसार बावर की संस्कृति सही दिशा में आगे बढ़ें। डॉ नन्द लाल भारती जी इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण है।
सच्चाई थोड़ी कड़वी होती है
इस गाने का नाम क्या है माहिला प्रदान बनानी
आपकी गायकी का कोई जवाब नहीं है। आप सचमुच बहुत ही अच्छी गायिका हैं। लेकिन हमें बहुत अफ़सोस होता है जब आप जैसे कलाकार किसी दूसरे के गाने कॉपी करते हैं। आपको लोग फॉलो करते हैं। आप लोगों के लिए आदर्श हो अतः आपको अपनी और अपने क्षेत्र की मर्यादा का ध्यान रखना चाहिए।
हां भैया नमस्कार मैं आपसे यही कहना चाहती हूं कि मैं मैं किसके गीत गाती हूं जो आप मुझे इस तरह से बोलते हैं
जो पुराने गीत होते हैं उनको मैं गति हूं उसमें किसी का पर्सनल गीत नहीं होता और जब मैं गा देती हूँ कलाकार बोलते यह गीत तो मेरा है तो आप जरूर इस बार इसमें लिखना कि मैंने कौन सा किसका गाना गाया
परशुराम देवा वाला भजन,, सीतराम चौहान जी ने गाया और भीम सिंह चौहान जी ने लिखा है... पुंडी ओटे डांडे की कुरैड,, ये गाना स्व. जगत राम वर्मा,, और डॉ. ननद लाल भारती जी ने लिखा है.. आज समस्या ये है कि पहले सोशल मिडिया नहीं होती थी,, आज के और भी गायक है जो दूसरे का लिखा गीतकार मै अपना नाम लिख देते है, आने वाली पीढ़ी तो यही देखगी की इन्होने ही लिखा है.. इसलिए जो भी कोई किसी का लिखा गाना गाये तो पहले छानबीन करके वो उस वेक्ति का नाम जरूर लिखें, मेरा किसी से कोई वेक्तिगत द्वेष नहीं है 🙏🙏🙏🙏🙏
@@reshmashahliveshow bahut gaane hai aapke bhi lekin meri reply forward nahi ho rahi hai
Apki apbiti sunkar Hume bhi dukh ho rha hai