Pending Cases In India: क्या है Pending Cases की पीछे वजह, जानें क्या है Experts का कहना |CNBC Awaaz

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  • Опубліковано 18 лис 2024
  • Supreme Court Hearings Live Streaming | तारीख पर तारीख का किस्सा कैसे होगा खत्म? सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग। तारीख पर तारीख से कब मिलेगा छुटकारा? कोर्ट में कैसे खत्म होंगे पेंडिंग केस? तारीख पर तारीख अब बस करो ! आज Awaaz Adda में इस खास विषय पर होगी चर्चा, सिर्फ CNBC Awaaz पर!
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КОМЕНТАРІ • 26

  • @surendrakumar-sr7rs
    @surendrakumar-sr7rs 5 місяців тому +2

    Good Report Ground Level ki Report, Good patarkarita Aapane Desh ki jawalant matters ko dikhaya THANKS ACCESS TO JUSTICE,JUSTICE FOR ALL, FAST SPEEDY, SASTA,SULAF,TAVRIT JUSTICE MILE,JUSTICE DELAY JUSTICE DENIED

  • @madhukararoychoudhury6818
    @madhukararoychoudhury6818 Рік тому +3

    न्याय व्यवस्था की ही सुधार होनी चाहिए ।

    • @Bappa-h3l-o7q
      @Bappa-h3l-o7q 2 місяці тому

      भारत के सभी प्रदेशों में बिबिध अपराध तथा संगीन अपराधियों की संख्या आये दिन तेजी से बढ़ रहा है ; एक दिन में ही, अचानक सुबह बिस्तर से उठकर.. कोनो ब्यक्ति बड़ा अपराधी बन नहीं जाता है ; छोटी मोटी अपराध बड़ा अपराध की जड़ तथा जननी होती है ; जैसे आज जो लोग अवैध तथा गैर कानूनी तरीके से दुसरे किसी की कोई छोटा मोटा जमीन या घर सम्पत्ति पर कब्जा करके रखा है .. अगर उसको कोई प्रतिरोध का सामना न करना पड़े.. यानी कानूनी सज़ा न मिले, तो आगे चलकर वह ब्यक्ति बड़ा भूमि माफिया जरूर बनने कि कौशिक अवश्य ही करेंगे, और आगे चल के खूनी बलात्कारी भी बन सकते है ; वैसे ही.. कोई छोटा मोटा चोर को अगर समय रहते ही कानुनी सज़ा न मिले तो वोह आगे चलकर बहुत बड़ा डकाईत बनने की हिम्मत जुटा ही लेंगे ; कोलकाता के RG KAR HOSPITAL में काफ़ी सालों से छोटी मोटी अपराध.. चोरी चलती रही लेकिन पुलिस और अदालत ने इसका नज़रअंदाज किया ; अगर आम जनता के छोटे-छोटे शिकायतों पे early stage में ही, अदालत द्वारा RG KAR HOSPITAL के भ्रष्ट असुस्थ वातावरण को बदलने का कानुनी प्रयास किया गया होता.. या जनआंदोलनं हुआ होता, तो आज अस्पताल के अन्दर ON DUTY एक सुशील लेडी डॉक्टर से बलात्कार और हत्या की भीषण क्रुरता भरी बार्दात कभी नहीं घटती ।
      असल बात यह है कि.. हमारे देश के न्याय ब्यवस्था judicial system बहुत धीमा , पक्षपात दुष्ट, पेचीला, लुटेरा परस्त, वकिल सर्वस्व.. backdated, unscientific होने के कारण यथा समय में एक न्याय प्रार्थी को कानुनी न्याय मिलता ही नहीं है ; अत्याचार ग्रस्त अपराध पीड़ित ब्यक्ति न्याय के लिए जब अदालत में जायेंगे तब डाकू वकिल उसकी संचित धनराशि fees के नाम पर ग्रास कर लेने के लिए सदैव तत्पर रहते हुये दिखाई देंगे .. उसके बाद हमारे न्यायालय तथा अदालत निपीड़ित न्याय प्रार्थी के जख्म में नमक छिड़कने का काम शुरू करेंगे .. DATE पर DATE .. तारीख पे तारीख दे दे कर केस को लम्बित करने की अत्याचार शुरू हो जायेगी .. जज साहेब सब जानबूझकर मुस्कुराते रहेंगे .. हर महीना मोटा रकम Salary + सलामी दोनों के साथ खुश रहेंगे .. न्याय प्रार्थी को यथासमय में न्याय दिलाने की बात उसकी दिमाग में कभी आयेगा ही नहीं ; उधर अपराधियों के वकिल अपराधियों को बचाने के लिए दिन को रात रात को दिन बना देगें .. झुठ का काला जाल बिछा देगें .. setting करके अपराधियों का आत्मविश्वास बढ़ाते रहेंगे .. इन सब के बीच शायद, एक दिन न्याय प्रार्थी रोते हुए मर ही जायेंगे .. then case will be closed permanently ; यही भारत के न्याय ब्यवस्था की बहुल प्रचलित असली तस्वीर है.. इसके अलावा कुछ रेयर केस, जहाँ मिडिया हाइलाइट काफ़ी ज्यादा दिखाई देती है वहां अदालत मजबूरन अपनी गरिमा-महिमा हाइलाइट रखने के लिए थोड़ा जल्दी अपनी कार्रवाई शुरू कर देती है ;
      इसलिए बोलना चाहिए कि भारत के न्यायालय सबसे बड़ा "तमराज किलबिस" है.. अपराधियों के सबसे बड़ा पृष्ठ पोषक है .. अदालत अगर सही सटिक वक्त में काम करते तो चाहें जितना भी बड़ा पुलिस MLA, MP या मन्त्री क्यु न हो अपराध करने से पहले अपराध को मदद देने से पहले हजार बार सोचने पर मजबूर होते।

  • @Quick_recipes1965
    @Quick_recipes1965 Рік тому +3

    मैं स्वयं मुक़दमा लड़ रहा हूँ मुझसे ज़्यादा वहाँ की सच्चाई के बारे में कौन जान सकता है ।वहाँ केवल तारीख़ें मिलती है ।ये लोग झूठ - मूठ जज की कमी का रोना रोते हैं । अब जब राष्ट्रपति महोदय ने इसी बात को कह दिया तो इसके प्रमाण की आवश्यकता भी नहीं है ।

    • @Bappa-h3l-o7q
      @Bappa-h3l-o7q 2 місяці тому

      भारत के सभी प्रदेशों में बिबिध अपराध तथा संगीन अपराधियों की संख्या आये दिन तेजी से बढ़ रहा है ; एक दिन में ही, अचानक सुबह बिस्तर से उठकर.. कोनो ब्यक्ति बड़ा अपराधी बन नहीं जाता है ; छोटी मोटी अपराध बड़ा अपराध की जड़ तथा जननी होती है ; जैसे आज जो लोग अवैध तथा गैर कानूनी तरीके से दुसरे किसी की कोई छोटा मोटा जमीन या घर सम्पत्ति पर कब्जा करके रखा है .. अगर उसको कोई प्रतिरोध का सामना न करना पड़े.. यानी कानूनी सज़ा न मिले, तो आगे चलकर वह ब्यक्ति बड़ा भूमि माफिया जरूर बनने कि कौशिक अवश्य ही करेंगे, और आगे चल के खूनी बलात्कारी भी बन सकते है ; वैसे ही.. कोई छोटा मोटा चोर को अगर समय रहते ही कानुनी सज़ा न मिले तो वोह आगे चलकर बहुत बड़ा डकाईत बनने की हिम्मत जुटा ही लेंगे ; कोलकाता के RG KAR HOSPITAL में काफ़ी सालों से छोटी मोटी अपराध.. चोरी चलती रही लेकिन पुलिस और अदालत ने इसका नज़रअंदाज किया ; अगर आम जनता के छोटे-छोटे शिकायतों पे early stage में ही, अदालत द्वारा RG KAR HOSPITAL के भ्रष्ट असुस्थ वातावरण को बदलने का कानुनी प्रयास किया गया होता.. या जनआंदोलनं हुआ होता, तो आज अस्पताल के अन्दर ON DUTY एक सुशील लेडी डॉक्टर से बलात्कार और हत्या की भीषण क्रुरता भरी बार्दात कभी नहीं घटती ।
      असल बात यह है कि.. हमारे देश के न्याय ब्यवस्था judicial system बहुत धीमा , पक्षपात दुष्ट, पेचीला, लुटेरा परस्त, वकिल सर्वस्व.. backdated, unscientific होने के कारण यथा समय में एक न्याय प्रार्थी को कानुनी न्याय मिलता ही नहीं है ; अत्याचार ग्रस्त अपराध पीड़ित ब्यक्ति न्याय के लिए जब अदालत में जायेंगे तब डाकू वकिल उसकी संचित धनराशि fees के नाम पर ग्रास कर लेने के लिए सदैव तत्पर रहते हुये दिखाई देंगे .. उसके बाद हमारे न्यायालय तथा अदालत निपीड़ित न्याय प्रार्थी के जख्म में नमक छिड़कने का काम शुरू करेंगे .. DATE पर DATE .. तारीख पे तारीख दे दे कर केस को लम्बित करने की अत्याचार शुरू हो जायेगी .. जज साहेब सब जानबूझकर मुस्कुराते रहेंगे .. हर महीना मोटा रकम Salary + सलामी दोनों के साथ खुश रहेंगे .. न्याय प्रार्थी को यथासमय में न्याय दिलाने की बात उसकी दिमाग में कभी आयेगा ही नहीं ; उधर अपराधियों के वकिल अपराधियों को बचाने के लिए दिन को रात रात को दिन बना देगें .. झुठ का काला जाल बिछा देगें .. setting करके अपराधियों का आत्मविश्वास बढ़ाते रहेंगे .. इन सब के बीच शायद, एक दिन न्याय प्रार्थी रोते हुए मर ही जायेंगे .. then case will be closed permanently ; यही भारत के न्याय ब्यवस्था की बहुल प्रचलित असली तस्वीर है.. इसके अलावा कुछ रेयर केस, जहाँ मिडिया हाइलाइट काफ़ी ज्यादा दिखाई देती है वहां अदालत मजबूरन अपनी गरिमा-महिमा हाइलाइट रखने के लिए थोड़ा जल्दी अपनी कार्रवाई शुरू कर देती है ;
      इसलिए बोलना चाहिए कि भारत के न्यायालय सबसे बड़ा "तमराज किलबिस" है.. अपराधियों के सबसे बड़ा पृष्ठ पोषक है .. अदालत अगर सही सटिक वक्त में काम करते तो चाहें जितना भी बड़ा पुलिस MLA, MP या मन्त्री क्यु न हो अपराध करने से पहले अपराध को मदद देने से पहले हजार बार सोचने पर मजबूर होते।

  • @deorajsrivastava4914
    @deorajsrivastava4914 Рік тому +4

    आम जनता इन न्यायलयों से त्रस्त है क्योंकि वहाँ केवल तारीख़ें मिलती है । लोगों का भरोसा इन न्यायलयों पर से उठ चुका है अगर विश्वास न हो तो इस पर जनमत करा लिया जाय। लम्बी तारीख़ लगवाना हो तो छोटी तारीख़ लगवाना हो तो पेशकार को पैसे देने पड़ते है। लोगों का विश्वास न्यायलय पर नहीं रह गया । उनका कहना है कि यहीं मिलबैठकर झगड़ा सुलझा लो मगर कोर्ट मत जाओ। ऐसी स्थिति में इन न्यायलयों का आम janta के लिए इनका कोई मतलब नहीं रह गया है। इसमें आमूल चूल परिवर्तन की ज़रूरत है ।

    • @Bappa-h3l-o7q
      @Bappa-h3l-o7q 2 місяці тому

      भारत के सभी प्रदेशों में बिबिध अपराध तथा संगीन अपराधियों की संख्या आये दिन तेजी से बढ़ रहा है ; एक दिन में ही, अचानक सुबह बिस्तर से उठकर.. कोनो ब्यक्ति बड़ा अपराधी बन नहीं जाता है ; छोटी मोटी अपराध बड़ा अपराध की जड़ तथा जननी होती है ; जैसे आज जो लोग अवैध तथा गैर कानूनी तरीके से दुसरे किसी की कोई छोटा मोटा जमीन या घर सम्पत्ति पर कब्जा करके रखा है .. अगर उसको कोई प्रतिरोध का सामना न करना पड़े.. यानी कानूनी सज़ा न मिले, तो आगे चलकर वह ब्यक्ति बड़ा भूमि माफिया जरूर बनने कि कौशिक अवश्य ही करेंगे, और आगे चल के खूनी बलात्कारी भी बन सकते है ; वैसे ही.. कोई छोटा मोटा चोर को अगर समय रहते ही कानुनी सज़ा न मिले तो वोह आगे चलकर बहुत बड़ा डकाईत बनने की हिम्मत जुटा ही लेंगे ; कोलकाता के RG KAR HOSPITAL में काफ़ी सालों से छोटी मोटी अपराध.. चोरी चलती रही लेकिन पुलिस और अदालत ने इसका नज़रअंदाज किया ; अगर आम जनता के छोटे-छोटे शिकायतों पे early stage में ही, अदालत द्वारा RG KAR HOSPITAL के भ्रष्ट असुस्थ वातावरण को बदलने का कानुनी प्रयास किया गया होता.. या जनआंदोलनं हुआ होता, तो आज अस्पताल के अन्दर ON DUTY एक सुशील लेडी डॉक्टर से बलात्कार और हत्या की भीषण क्रुरता भरी बार्दात कभी नहीं घटती ।
      असल बात यह है कि.. हमारे देश के न्याय ब्यवस्था judicial system बहुत धीमा , पक्षपात दुष्ट, पेचीला, लुटेरा परस्त, वकिल सर्वस्व.. backdated, unscientific होने के कारण यथा समय में एक न्याय प्रार्थी को कानुनी न्याय मिलता ही नहीं है ; अत्याचार ग्रस्त अपराध पीड़ित ब्यक्ति न्याय के लिए जब अदालत में जायेंगे तब डाकू वकिल उसकी संचित धनराशि fees के नाम पर ग्रास कर लेने के लिए सदैव तत्पर रहते हुये दिखाई देंगे .. उसके बाद हमारे न्यायालय तथा अदालत निपीड़ित न्याय प्रार्थी के जख्म में नमक छिड़कने का काम शुरू करेंगे .. DATE पर DATE .. तारीख पे तारीख दे दे कर केस को लम्बित करने की अत्याचार शुरू हो जायेगी .. जज साहेब सब जानबूझकर मुस्कुराते रहेंगे .. हर महीना मोटा रकम Salary + सलामी दोनों के साथ खुश रहेंगे .. न्याय प्रार्थी को यथासमय में न्याय दिलाने की बात उसकी दिमाग में कभी आयेगा ही नहीं ; उधर अपराधियों के वकिल अपराधियों को बचाने के लिए दिन को रात रात को दिन बना देगें .. झुठ का काला जाल बिछा देगें .. setting करके अपराधियों का आत्मविश्वास बढ़ाते रहेंगे .. इन सब के बीच शायद, एक दिन न्याय प्रार्थी रोते हुए मर ही जायेंगे .. then case will be closed permanently ; यही भारत के न्याय ब्यवस्था की बहुल प्रचलित असली तस्वीर है.. इसके अलावा कुछ रेयर केस, जहाँ मिडिया हाइलाइट काफ़ी ज्यादा दिखाई देती है वहां अदालत मजबूरन अपनी गरिमा-महिमा हाइलाइट रखने के लिए थोड़ा जल्दी अपनी कार्रवाई शुरू कर देती है ;
      इसलिए बोलना चाहिए कि भारत के न्यायालय सबसे बड़ा "तमराज किलबिस" है.. अपराधियों के सबसे बड़ा पृष्ठ पोषक है .. अदालत अगर सही सटिक वक्त में काम करते तो चाहें जितना भी बड़ा पुलिस MLA, MP या मन्त्री क्यु न हो अपराध करने से पहले अपराध को मदद देने से पहले हजार बार सोचने पर मजबूर होते।

  • @deorajsrivastava4914
    @deorajsrivastava4914 Рік тому +4

    पेंडिंग केसेस की वजह चाहे जो भी हो जनता को एक साल में न्याय चाहिए और जो इसके लिए जिम्मेदार हो उसकी जिम्मेदारी तय करके उसे पनिशमेंट करते हुए समस्या का समाधान किया जाय जनता टैक्स देती है तो दुःख क्यों भ़ोगे।

    • @Bappa-h3l-o7q
      @Bappa-h3l-o7q 2 місяці тому

      भारत के सभी प्रदेशों में बिबिध अपराध तथा संगीन अपराधियों की संख्या आये दिन तेजी से बढ़ रहा है ; एक दिन में ही, अचानक सुबह बिस्तर से उठकर.. कोनो ब्यक्ति बड़ा अपराधी बन नहीं जाता है ; छोटी मोटी अपराध बड़ा अपराध की जड़ तथा जननी होती है ; जैसे आज जो लोग अवैध तथा गैर कानूनी तरीके से दुसरे किसी की कोई छोटा मोटा जमीन या घर सम्पत्ति पर कब्जा करके रखा है .. अगर उसको कोई प्रतिरोध का सामना न करना पड़े.. यानी कानूनी सज़ा न मिले, तो आगे चलकर वह ब्यक्ति बड़ा भूमि माफिया जरूर बनने कि कौशिक अवश्य ही करेंगे, और आगे चल के खूनी बलात्कारी भी बन सकते है ; वैसे ही.. कोई छोटा मोटा चोर को अगर समय रहते ही कानुनी सज़ा न मिले तो वोह आगे चलकर बहुत बड़ा डकाईत बनने की हिम्मत जुटा ही लेंगे ; कोलकाता के RG KAR HOSPITAL में काफ़ी सालों से छोटी मोटी अपराध.. चोरी चलती रही लेकिन पुलिस और अदालत ने इसका नज़रअंदाज किया ; अगर आम जनता के छोटे-छोटे शिकायतों पे early stage में ही, अदालत द्वारा RG KAR HOSPITAL के भ्रष्ट असुस्थ वातावरण को बदलने का कानुनी प्रयास किया गया होता.. या जनआंदोलनं हुआ होता, तो आज अस्पताल के अन्दर ON DUTY एक सुशील लेडी डॉक्टर से बलात्कार और हत्या की भीषण क्रुरता भरी बार्दात कभी नहीं घटती ।
      असल बात यह है कि.. हमारे देश के न्याय ब्यवस्था judicial system बहुत धीमा , पक्षपात दुष्ट, पेचीला, लुटेरा परस्त, वकिल सर्वस्व.. backdated, unscientific होने के कारण यथा समय में एक न्याय प्रार्थी को कानुनी न्याय मिलता ही नहीं है ; अत्याचार ग्रस्त अपराध पीड़ित ब्यक्ति न्याय के लिए जब अदालत में जायेंगे तब डाकू वकिल उसकी संचित धनराशि fees के नाम पर ग्रास कर लेने के लिए सदैव तत्पर रहते हुये दिखाई देंगे .. उसके बाद हमारे न्यायालय तथा अदालत निपीड़ित न्याय प्रार्थी के जख्म में नमक छिड़कने का काम शुरू करेंगे .. DATE पर DATE .. तारीख पे तारीख दे दे कर केस को लम्बित करने की अत्याचार शुरू हो जायेगी .. जज साहेब सब जानबूझकर मुस्कुराते रहेंगे .. हर महीना मोटा रकम Salary + सलामी दोनों के साथ खुश रहेंगे .. न्याय प्रार्थी को यथासमय में न्याय दिलाने की बात उसकी दिमाग में कभी आयेगा ही नहीं ; उधर अपराधियों के वकिल अपराधियों को बचाने के लिए दिन को रात रात को दिन बना देगें .. झुठ का काला जाल बिछा देगें .. setting करके अपराधियों का आत्मविश्वास बढ़ाते रहेंगे .. इन सब के बीच शायद, एक दिन न्याय प्रार्थी रोते हुए मर ही जायेंगे .. then case will be closed permanently ; यही भारत के न्याय ब्यवस्था की बहुल प्रचलित असली तस्वीर है.. इसके अलावा कुछ रेयर केस, जहाँ मिडिया हाइलाइट काफ़ी ज्यादा दिखाई देती है वहां अदालत मजबूरन अपनी गरिमा-महिमा हाइलाइट रखने के लिए थोड़ा जल्दी अपनी कार्रवाई शुरू कर देती है ;
      इसलिए बोलना चाहिए कि भारत के न्यायालय सबसे बड़ा "तमराज किलबिस" है.. अपराधियों के सबसे बड़ा पृष्ठ पोषक है .. अदालत अगर सही सटिक वक्त में काम करते तो चाहें जितना भी बड़ा पुलिस MLA, MP या मन्त्री क्यु न हो अपराध करने से पहले अपराध को मदद देने से पहले हजार बार सोचने पर मजबूर होते।

  • @deorajsrivastava4914
    @deorajsrivastava4914 Рік тому +3

    आप जजों का रोना मत रोईए ।मैंने तो अपने आँखों से देखा है जो हैं भी वे भी कुछ नहीं कर रहे हैं । जनता अंधी नहीं है जो ये सब बातें आपको बता रही है।

    • @Bappa-h3l-o7q
      @Bappa-h3l-o7q 2 місяці тому

      भारत के सभी प्रदेशों में बिबिध अपराध तथा संगीन अपराधियों की संख्या आये दिन तेजी से बढ़ रहा है ; एक दिन में ही, अचानक सुबह बिस्तर से उठकर.. कोनो ब्यक्ति बड़ा अपराधी बन नहीं जाता है ; छोटी मोटी अपराध बड़ा अपराध की जड़ तथा जननी होती है ; जैसे आज जो लोग अवैध तथा गैर कानूनी तरीके से दुसरे किसी की कोई छोटा मोटा जमीन या घर सम्पत्ति पर कब्जा करके रखा है .. अगर उसको कोई प्रतिरोध का सामना न करना पड़े.. यानी कानूनी सज़ा न मिले, तो आगे चलकर वह ब्यक्ति बड़ा भूमि माफिया जरूर बनने कि कौशिक अवश्य ही करेंगे, और आगे चल के खूनी बलात्कारी भी बन सकते है ; वैसे ही.. कोई छोटा मोटा चोर को अगर समय रहते ही कानुनी सज़ा न मिले तो वोह आगे चलकर बहुत बड़ा डकाईत बनने की हिम्मत जुटा ही लेंगे ; कोलकाता के RG KAR HOSPITAL में काफ़ी सालों से छोटी मोटी अपराध.. चोरी चलती रही लेकिन पुलिस और अदालत ने इसका नज़रअंदाज किया ; अगर आम जनता के छोटे-छोटे शिकायतों पे early stage में ही, अदालत द्वारा RG KAR HOSPITAL के भ्रष्ट असुस्थ वातावरण को बदलने का कानुनी प्रयास किया गया होता.. या जनआंदोलनं हुआ होता, तो आज अस्पताल के अन्दर ON DUTY एक सुशील लेडी डॉक्टर से बलात्कार और हत्या की भीषण क्रुरता भरी बार्दात कभी नहीं घटती ।
      असल बात यह है कि.. हमारे देश के न्याय ब्यवस्था judicial system बहुत धीमा , पक्षपात दुष्ट, पेचीला, लुटेरा परस्त, वकिल सर्वस्व.. backdated, unscientific होने के कारण यथा समय में एक न्याय प्रार्थी को कानुनी न्याय मिलता ही नहीं है ; अत्याचार ग्रस्त अपराध पीड़ित ब्यक्ति न्याय के लिए जब अदालत में जायेंगे तब डाकू वकिल उसकी संचित धनराशि fees के नाम पर ग्रास कर लेने के लिए सदैव तत्पर रहते हुये दिखाई देंगे .. उसके बाद हमारे न्यायालय तथा अदालत निपीड़ित न्याय प्रार्थी के जख्म में नमक छिड़कने का काम शुरू करेंगे .. DATE पर DATE .. तारीख पे तारीख दे दे कर केस को लम्बित करने की अत्याचार शुरू हो जायेगी .. जज साहेब सब जानबूझकर मुस्कुराते रहेंगे .. हर महीना मोटा रकम Salary + सलामी दोनों के साथ खुश रहेंगे .. न्याय प्रार्थी को यथासमय में न्याय दिलाने की बात उसकी दिमाग में कभी आयेगा ही नहीं ; उधर अपराधियों के वकिल अपराधियों को बचाने के लिए दिन को रात रात को दिन बना देगें .. झुठ का काला जाल बिछा देगें .. setting करके अपराधियों का आत्मविश्वास बढ़ाते रहेंगे .. इन सब के बीच शायद, एक दिन न्याय प्रार्थी रोते हुए मर ही जायेंगे .. then case will be closed permanently ; यही भारत के न्याय ब्यवस्था की बहुल प्रचलित असली तस्वीर है.. इसके अलावा कुछ रेयर केस, जहाँ मिडिया हाइलाइट काफ़ी ज्यादा दिखाई देती है वहां अदालत मजबूरन अपनी गरिमा-महिमा हाइलाइट रखने के लिए थोड़ा जल्दी अपनी कार्रवाई शुरू कर देती है ;
      इसलिए बोलना चाहिए कि भारत के न्यायालय सबसे बड़ा "तमराज किलबिस" है.. अपराधियों के सबसे बड़ा पृष्ठ पोषक है .. अदालत अगर सही सटिक वक्त में काम करते तो चाहें जितना भी बड़ा पुलिस MLA, MP या मन्त्री क्यु न हो अपराध करने से पहले अपराध को मदद देने से पहले हजार बार सोचने पर मजबूर होते।

  • @VibhorSrivastava-i9u
    @VibhorSrivastava-i9u Рік тому +2

    CJI sir please arrange to provide justice in one year.

    • @Bappa-h3l-o7q
      @Bappa-h3l-o7q 2 місяці тому

      भारत के सभी प्रदेशों में बिबिध अपराध तथा संगीन अपराधियों की संख्या आये दिन तेजी से बढ़ रहा है ; एक दिन में ही, अचानक सुबह बिस्तर से उठकर.. कोनो ब्यक्ति बड़ा अपराधी बन नहीं जाता है ; छोटी मोटी अपराध बड़ा अपराध की जड़ तथा जननी होती है ; जैसे आज जो लोग अवैध तथा गैर कानूनी तरीके से दुसरे किसी की कोई छोटा मोटा जमीन या घर सम्पत्ति पर कब्जा करके रखा है .. अगर उसको कोई प्रतिरोध का सामना न करना पड़े.. यानी कानूनी सज़ा न मिले, तो आगे चलकर वह ब्यक्ति बड़ा भूमि माफिया जरूर बनने कि कौशिक अवश्य ही करेंगे, और आगे चल के खूनी बलात्कारी भी बन सकते है ; वैसे ही.. कोई छोटा मोटा चोर को अगर समय रहते ही कानुनी सज़ा न मिले तो वोह आगे चलकर बहुत बड़ा डकाईत बनने की हिम्मत जुटा ही लेंगे ; कोलकाता के RG KAR HOSPITAL में काफ़ी सालों से छोटी मोटी अपराध.. चोरी चलती रही लेकिन पुलिस और अदालत ने इसका नज़रअंदाज किया ; अगर आम जनता के छोटे-छोटे शिकायतों पे early stage में ही, अदालत द्वारा RG KAR HOSPITAL के भ्रष्ट असुस्थ वातावरण को बदलने का कानुनी प्रयास किया गया होता.. या जनआंदोलनं हुआ होता, तो आज अस्पताल के अन्दर ON DUTY एक सुशील लेडी डॉक्टर से बलात्कार और हत्या की भीषण क्रुरता भरी बार्दात कभी नहीं घटती ।
      असल बात यह है कि.. हमारे देश के न्याय ब्यवस्था judicial system बहुत धीमा , पक्षपात दुष्ट, पेचीला, लुटेरा परस्त, वकिल सर्वस्व.. backdated, unscientific होने के कारण यथा समय में एक न्याय प्रार्थी को कानुनी न्याय मिलता ही नहीं है ; अत्याचार ग्रस्त अपराध पीड़ित ब्यक्ति न्याय के लिए जब अदालत में जायेंगे तब डाकू वकिल उसकी संचित धनराशि fees के नाम पर ग्रास कर लेने के लिए सदैव तत्पर रहते हुये दिखाई देंगे .. उसके बाद हमारे न्यायालय तथा अदालत निपीड़ित न्याय प्रार्थी के जख्म में नमक छिड़कने का काम शुरू करेंगे .. DATE पर DATE .. तारीख पे तारीख दे दे कर केस को लम्बित करने की अत्याचार शुरू हो जायेगी .. जज साहेब सब जानबूझकर मुस्कुराते रहेंगे .. हर महीना मोटा रकम Salary + सलामी दोनों के साथ खुश रहेंगे .. न्याय प्रार्थी को यथासमय में न्याय दिलाने की बात उसकी दिमाग में कभी आयेगा ही नहीं ; उधर अपराधियों के वकिल अपराधियों को बचाने के लिए दिन को रात रात को दिन बना देगें .. झुठ का काला जाल बिछा देगें .. setting करके अपराधियों का आत्मविश्वास बढ़ाते रहेंगे .. इन सब के बीच शायद, एक दिन न्याय प्रार्थी रोते हुए मर ही जायेंगे .. then case will be closed permanently ; यही भारत के न्याय ब्यवस्था की बहुल प्रचलित असली तस्वीर है.. इसके अलावा कुछ रेयर केस, जहाँ मिडिया हाइलाइट काफ़ी ज्यादा दिखाई देती है वहां अदालत मजबूरन अपनी गरिमा-महिमा हाइलाइट रखने के लिए थोड़ा जल्दी अपनी कार्रवाई शुरू कर देती है ;
      इसलिए बोलना चाहिए कि भारत के न्यायालय सबसे बड़ा "तमराज किलबिस" है.. अपराधियों के सबसे बड़ा पृष्ठ पोषक है .. अदालत अगर सही सटिक वक्त में काम करते तो चाहें जितना भी बड़ा पुलिस MLA, MP या मन्त्री क्यु न हो अपराध करने से पहले अपराध को मदद देने से पहले हजार बार सोचने पर मजबूर होते।

  • @shubhendrathakur8943
    @shubhendrathakur8943 4 місяці тому +1

    जब तक पेन्डिग केस खत्म नहीं होता 1भी जज नहीं बढ़ाया जाना चाहिए 8साल से प्रति सप्ताह
    अंतिम सुनवाई केलिए प्रकरणलगता हे पर सदा Not Reached लिख दिया है केस 27साल से चल रहा हमारी उम्र68हो ग ई कोईपेन्शन नहीं कुछ नहीं ऐसे न्यायालय का क्या करें सिर्फ सरकार से तनख़ा पेन्शन विशेष सुविधा LTCबडे बड़े मकान A/Cनौकर गाड़ी इसीलिए देती है अदालत अदालत के चक्कर मे27,साल हो गए ईश्ववर इनकी आत्मा कै कभी शांती ना दे

    • @Bappa-h3l-o7q
      @Bappa-h3l-o7q 2 місяці тому

      भारत के सभी प्रदेशों में बिबिध अपराध तथा संगीन अपराधियों की संख्या आये दिन तेजी से बढ़ रहा है ; एक दिन में ही, अचानक सुबह बिस्तर से उठकर.. कोनो ब्यक्ति बड़ा अपराधी बन नहीं जाता है ; छोटी मोटी अपराध बड़ा अपराध की जड़ तथा जननी होती है ; जैसे आज जो लोग अवैध तथा गैर कानूनी तरीके से दुसरे किसी की कोई छोटा मोटा जमीन या घर सम्पत्ति पर कब्जा करके रखा है .. अगर उसको कोई प्रतिरोध का सामना न करना पड़े.. यानी कानूनी सज़ा न मिले, तो आगे चलकर वह ब्यक्ति बड़ा भूमि माफिया जरूर बनने कि कौशिक अवश्य ही करेंगे, और आगे चल के खूनी बलात्कारी भी बन सकते है ; वैसे ही.. कोई छोटा मोटा चोर को अगर समय रहते ही कानुनी सज़ा न मिले तो वोह आगे चलकर बहुत बड़ा डकाईत बनने की हिम्मत जुटा ही लेंगे ; कोलकाता के RG KAR HOSPITAL में काफ़ी सालों से छोटी मोटी अपराध.. चोरी चलती रही लेकिन पुलिस और अदालत ने इसका नज़रअंदाज किया ; अगर आम जनता के छोटे-छोटे शिकायतों पे early stage में ही, अदालत द्वारा RG KAR HOSPITAL के भ्रष्ट असुस्थ वातावरण को बदलने का कानुनी प्रयास किया गया होता.. या जनआंदोलनं हुआ होता, तो आज अस्पताल के अन्दर ON DUTY एक सुशील लेडी डॉक्टर से बलात्कार और हत्या की भीषण क्रुरता भरी बार्दात कभी नहीं घटती ।
      असल बात यह है कि.. हमारे देश के न्याय ब्यवस्था judicial system बहुत धीमा , पक्षपात दुष्ट, पेचीला, लुटेरा परस्त, वकिल सर्वस्व.. backdated, unscientific होने के कारण यथा समय में एक न्याय प्रार्थी को कानुनी न्याय मिलता ही नहीं है ; अत्याचार ग्रस्त अपराध पीड़ित ब्यक्ति न्याय के लिए जब अदालत में जायेंगे तब डाकू वकिल उसकी संचित धनराशि fees के नाम पर ग्रास कर लेने के लिए सदैव तत्पर रहते हुये दिखाई देंगे .. उसके बाद हमारे न्यायालय तथा अदालत निपीड़ित न्याय प्रार्थी के जख्म में नमक छिड़कने का काम शुरू करेंगे .. DATE पर DATE .. तारीख पे तारीख दे दे कर केस को लम्बित करने की अत्याचार शुरू हो जायेगी .. जज साहेब सब जानबूझकर मुस्कुराते रहेंगे .. हर महीना मोटा रकम Salary + सलामी दोनों के साथ खुश रहेंगे .. न्याय प्रार्थी को यथासमय में न्याय दिलाने की बात उसकी दिमाग में कभी आयेगा ही नहीं ; उधर अपराधियों के वकिल अपराधियों को बचाने के लिए दिन को रात रात को दिन बना देगें .. झुठ का काला जाल बिछा देगें .. setting करके अपराधियों का आत्मविश्वास बढ़ाते रहेंगे .. इन सब के बीच शायद, एक दिन न्याय प्रार्थी रोते हुए मर ही जायेंगे .. then case will be closed permanently ; यही भारत के न्याय ब्यवस्था की बहुल प्रचलित असली तस्वीर है.. इसके अलावा कुछ रेयर केस, जहाँ मिडिया हाइलाइट काफ़ी ज्यादा दिखाई देती है वहां अदालत मजबूरन अपनी गरिमा-महिमा हाइलाइट रखने के लिए थोड़ा जल्दी अपनी कार्रवाई शुरू कर देती है ;
      इसलिए बोलना चाहिए कि भारत के न्यायालय सबसे बड़ा "तमराज किलबिस" है.. अपराधियों के सबसे बड़ा पृष्ठ पोषक है .. अदालत अगर सही सटिक वक्त में काम करते तो चाहें जितना भी बड़ा पुलिस MLA, MP या मन्त्री क्यु न हो अपराध करने से पहले अपराध को मदद देने से पहले हजार बार सोचने पर मजबूर होते।

    • @Bappa-h3l-o7q
      @Bappa-h3l-o7q 2 місяці тому

      भारत के सभी प्रदेशों में बिबिध अपराध तथा संगीन अपराधियों की संख्या आये दिन तेजी से बढ़ रहा है ; एक दिन में ही, अचानक सुबह बिस्तर से उठकर.. कोनो ब्यक्ति बड़ा अपराधी बन नहीं जाता है ; छोटी मोटी अपराध बड़ा अपराध की जड़ तथा जननी होती है ; जैसे आज जो लोग अवैध तथा गैर कानूनी तरीके से दुसरे किसी की कोई छोटा मोटा जमीन या घर सम्पत्ति पर कब्जा करके रखा है .. अगर उसको कोई प्रतिरोध का सामना न करना पड़े.. यानी कानूनी सज़ा न मिले, तो आगे चलकर वह ब्यक्ति बड़ा भूमि माफिया जरूर बनने कि कौशिक अवश्य ही करेंगे, और आगे चल के खूनी बलात्कारी भी बन सकते है ; वैसे ही.. कोई छोटा मोटा चोर को अगर समय रहते ही कानुनी सज़ा न मिले तो वोह आगे चलकर बहुत बड़ा डकाईत बनने की हिम्मत जुटा ही लेंगे ; कोलकाता के RG KAR HOSPITAL में काफ़ी सालों से छोटी मोटी अपराध.. चोरी चलती रही लेकिन पुलिस और अदालत ने इसका नज़रअंदाज किया ; अगर आम जनता के छोटे-छोटे शिकायतों पे early stage में ही, अदालत द्वारा RG KAR HOSPITAL के भ्रष्ट असुस्थ वातावरण को बदलने का कानुनी प्रयास किया गया होता.. या जनआंदोलनं हुआ होता, तो आज अस्पताल के अन्दर ON DUTY एक सुशील लेडी डॉक्टर से बलात्कार और हत्या की भीषण क्रुरता भरी बार्दात कभी नहीं घटती ।
      असल बात यह है कि.. हमारे देश के न्याय ब्यवस्था judicial system बहुत धीमा , पक्षपात दुष्ट, पेचीला, लुटेरा परस्त, वकिल सर्वस्व.. backdated, unscientific होने के कारण यथा समय में एक न्याय प्रार्थी को कानुनी न्याय मिलता ही नहीं है ; अत्याचार ग्रस्त अपराध पीड़ित ब्यक्ति न्याय के लिए जब अदालत में जायेंगे तब डाकू वकिल उसकी संचित धनराशि fees के नाम पर ग्रास कर लेने के लिए सदैव तत्पर रहते हुये दिखाई देंगे .. उसके बाद हमारे न्यायालय तथा अदालत निपीड़ित न्याय प्रार्थी के जख्म में नमक छिड़कने का काम शुरू करेंगे .. DATE पर DATE .. तारीख पे तारीख दे दे कर केस को लम्बित करने की अत्याचार शुरू हो जायेगी .. जज साहेब सब जानबूझकर मुस्कुराते रहेंगे .. हर महीना मोटा रकम Salary + सलामी दोनों के साथ खुश रहेंगे .. न्याय प्रार्थी को यथासमय में न्याय दिलाने की बात उसकी दिमाग में कभी आयेगा ही नहीं ; उधर अपराधियों के वकिल अपराधियों को बचाने के लिए दिन को रात रात को दिन बना देगें .. झुठ का काला जाल बिछा देगें .. setting करके अपराधियों का आत्मविश्वास बढ़ाते रहेंगे .. इन सब के बीच शायद, एक दिन न्याय प्रार्थी रोते हुए मर ही जायेंगे .. then case will be closed permanently ; यही भारत के न्याय ब्यवस्था की बहुल प्रचलित असली तस्वीर है.. इसके अलावा कुछ रेयर केस, जहाँ मिडिया हाइलाइट काफ़ी ज्यादा दिखाई देती है वहां अदालत मजबूरन अपनी गरिमा-महिमा हाइलाइट रखने के लिए थोड़ा जल्दी अपनी कार्रवाई शुरू कर देती है ;
      इसलिए बोलना चाहिए कि भारत के न्यायालय सबसे बड़ा "तमराज किलबिस" है.. अपराधियों के सबसे बड़ा पृष्ठ पोषक है .. अदालत अगर सही सटिक वक्त में काम करते तो चाहें जितना भी बड़ा पुलिस MLA, MP या मन्त्री क्यु न हो अपराध करने से पहले अपराध को मदद देने से पहले हजार बार सोचने पर मजबूर होते।

  • @rahuljha6346
    @rahuljha6346 9 місяців тому +1

    GOOD

  • @amazingvideowithvishal9338
    @amazingvideowithvishal9338 8 місяців тому +1

    Log anyai se nahi nyai vyavastha se pareshan hai

    • @Bappa-h3l-o7q
      @Bappa-h3l-o7q 2 місяці тому

      भारत के सभी प्रदेशों में बिबिध अपराध तथा संगीन अपराधियों की संख्या आये दिन तेजी से बढ़ रहा है ; एक दिन में ही, अचानक सुबह बिस्तर से उठकर.. कोनो ब्यक्ति बड़ा अपराधी बन नहीं जाता है ; छोटी मोटी अपराध बड़ा अपराध की जड़ तथा जननी होती है ; जैसे आज जो लोग अवैध तथा गैर कानूनी तरीके से दुसरे किसी की कोई छोटा मोटा जमीन या घर सम्पत्ति पर कब्जा करके रखा है .. अगर उसको कोई प्रतिरोध का सामना न करना पड़े.. यानी कानूनी सज़ा न मिले, तो आगे चलकर वह ब्यक्ति बड़ा भूमि माफिया जरूर बनने कि कौशिक अवश्य ही करेंगे, और आगे चल के खूनी बलात्कारी भी बन सकते है ; वैसे ही.. कोई छोटा मोटा चोर को अगर समय रहते ही कानुनी सज़ा न मिले तो वोह आगे चलकर बहुत बड़ा डकाईत बनने की हिम्मत जुटा ही लेंगे ; कोलकाता के RG KAR HOSPITAL में काफ़ी सालों से छोटी मोटी अपराध.. चोरी चलती रही लेकिन पुलिस और अदालत ने इसका नज़रअंदाज किया ; अगर आम जनता के छोटे-छोटे शिकायतों पे early stage में ही, अदालत द्वारा RG KAR HOSPITAL के भ्रष्ट असुस्थ वातावरण को बदलने का कानुनी प्रयास किया गया होता.. या जनआंदोलनं हुआ होता, तो आज अस्पताल के अन्दर ON DUTY एक सुशील लेडी डॉक्टर से बलात्कार और हत्या की भीषण क्रुरता भरी बार्दात कभी नहीं घटती ।
      असल बात यह है कि.. हमारे देश के न्याय ब्यवस्था judicial system बहुत धीमा , पक्षपात दुष्ट, पेचीला, लुटेरा परस्त, वकिल सर्वस्व.. backdated, unscientific होने के कारण यथा समय में एक न्याय प्रार्थी को कानुनी न्याय मिलता ही नहीं है ; अत्याचार ग्रस्त अपराध पीड़ित ब्यक्ति न्याय के लिए जब अदालत में जायेंगे तब डाकू वकिल उसकी संचित धनराशि fees के नाम पर ग्रास कर लेने के लिए सदैव तत्पर रहते हुये दिखाई देंगे .. उसके बाद हमारे न्यायालय तथा अदालत निपीड़ित न्याय प्रार्थी के जख्म में नमक छिड़कने का काम शुरू करेंगे .. DATE पर DATE .. तारीख पे तारीख दे दे कर केस को लम्बित करने की अत्याचार शुरू हो जायेगी .. जज साहेब सब जानबूझकर मुस्कुराते रहेंगे .. हर महीना मोटा रकम Salary + सलामी दोनों के साथ खुश रहेंगे .. न्याय प्रार्थी को यथासमय में न्याय दिलाने की बात उसकी दिमाग में कभी आयेगा ही नहीं ; उधर अपराधियों के वकिल अपराधियों को बचाने के लिए दिन को रात रात को दिन बना देगें .. झुठ का काला जाल बिछा देगें .. setting करके अपराधियों का आत्मविश्वास बढ़ाते रहेंगे .. इन सब के बीच शायद, एक दिन न्याय प्रार्थी रोते हुए मर ही जायेंगे .. then case will be closed permanently ; यही भारत के न्याय ब्यवस्था की बहुल प्रचलित असली तस्वीर है.. इसके अलावा कुछ रेयर केस, जहाँ मिडिया हाइलाइट काफ़ी ज्यादा दिखाई देती है वहां अदालत मजबूरन अपनी गरिमा-महिमा हाइलाइट रखने के लिए थोड़ा जल्दी अपनी कार्रवाई शुरू कर देती है ;
      इसलिए बोलना चाहिए कि भारत के न्यायालय सबसे बड़ा "तमराज किलबिस" है.. अपराधियों के सबसे बड़ा पृष्ठ पोषक है .. अदालत अगर सही सटिक वक्त में काम करते तो चाहें जितना भी बड़ा पुलिस MLA, MP या मन्त्री क्यु न हो अपराध करने से पहले अपराध को मदद देने से पहले हजार बार सोचने पर मजबूर होते।

    • @Bappa-h3l-o7q
      @Bappa-h3l-o7q 2 місяці тому

      भारत के सभी प्रदेशों में बिबिध अपराध तथा संगीन अपराधियों की संख्या आये दिन तेजी से बढ़ रहा है ; एक दिन में ही, अचानक सुबह बिस्तर से उठकर.. कोनो ब्यक्ति बड़ा अपराधी बन नहीं जाता है ; छोटी मोटी अपराध बड़ा अपराध की जड़ तथा जननी होती है ; जैसे आज जो लोग अवैध तथा गैर कानूनी तरीके से दुसरे किसी की कोई छोटा मोटा जमीन या घर सम्पत्ति पर कब्जा करके रखा है .. अगर उसको कोई प्रतिरोध का सामना न करना पड़े.. यानी कानूनी सज़ा न मिले, तो आगे चलकर वह ब्यक्ति बड़ा भूमि माफिया जरूर बनने कि कौशिक अवश्य ही करेंगे, और आगे चल के खूनी बलात्कारी भी बन सकते है ; वैसे ही.. कोई छोटा मोटा चोर को अगर समय रहते ही कानुनी सज़ा न मिले तो वोह आगे चलकर बहुत बड़ा डकाईत बनने की हिम्मत जुटा ही लेंगे ; कोलकाता के RG KAR HOSPITAL में काफ़ी सालों से छोटी मोटी अपराध.. चोरी चलती रही लेकिन पुलिस और अदालत ने इसका नज़रअंदाज किया ; अगर आम जनता के छोटे-छोटे शिकायतों पे early stage में ही, अदालत द्वारा RG KAR HOSPITAL के भ्रष्ट असुस्थ वातावरण को बदलने का कानुनी प्रयास किया गया होता.. या जनआंदोलनं हुआ होता, तो आज अस्पताल के अन्दर ON DUTY एक सुशील लेडी डॉक्टर से बलात्कार और हत्या की भीषण क्रुरता भरी बार्दात कभी नहीं घटती ।
      असल बात यह है कि.. हमारे देश के न्याय ब्यवस्था judicial system बहुत धीमा , पक्षपात दुष्ट, पेचीला, लुटेरा परस्त, वकिल सर्वस्व.. backdated, unscientific होने के कारण यथा समय में एक न्याय प्रार्थी को कानुनी न्याय मिलता ही नहीं है ; अत्याचार ग्रस्त अपराध पीड़ित ब्यक्ति न्याय के लिए जब अदालत में जायेंगे तब डाकू वकिल उसकी संचित धनराशि fees के नाम पर ग्रास कर लेने के लिए सदैव तत्पर रहते हुये दिखाई देंगे .. उसके बाद हमारे न्यायालय तथा अदालत निपीड़ित न्याय प्रार्थी के जख्म में नमक छिड़कने का काम शुरू करेंगे .. DATE पर DATE .. तारीख पे तारीख दे दे कर केस को लम्बित करने की अत्याचार शुरू हो जायेगी .. जज साहेब सब जानबूझकर मुस्कुराते रहेंगे .. हर महीना मोटा रकम Salary + सलामी दोनों के साथ खुश रहेंगे .. न्याय प्रार्थी को यथासमय में न्याय दिलाने की बात उसकी दिमाग में कभी आयेगा ही नहीं ; उधर अपराधियों के वकिल अपराधियों को बचाने के लिए दिन को रात रात को दिन बना देगें .. झुठ का काला जाल बिछा देगें .. setting करके अपराधियों का आत्मविश्वास बढ़ाते रहेंगे .. इन सब के बीच शायद, एक दिन न्याय प्रार्थी रोते हुए मर ही जायेंगे .. then case will be closed permanently ; यही भारत के न्याय ब्यवस्था की बहुल प्रचलित असली तस्वीर है.. इसके अलावा कुछ रेयर केस, जहाँ मिडिया हाइलाइट काफ़ी ज्यादा दिखाई देती है वहां अदालत मजबूरन अपनी गरिमा-महिमा हाइलाइट रखने के लिए थोड़ा जल्दी अपनी कार्रवाई शुरू कर देती है ;
      इसलिए बोलना चाहिए कि भारत के न्यायालय सबसे बड़ा "तमराज किलबिस" है.. अपराधियों के सबसे बड़ा पृष्ठ पोषक है .. अदालत अगर सही सटिक वक्त में काम करते तो चाहें जितना भी बड़ा पुलिस MLA, MP या मन्त्री क्यु न हो अपराध करने से पहले अपराध को मदद देने से पहले हजार बार सोचने पर मजबूर होते।

  • @amazingvideowithvishal9338
    @amazingvideowithvishal9338 8 місяців тому +1

    Vakil paise khate hai aur kam kuch nahi karte

    • @Bappa-h3l-o7q
      @Bappa-h3l-o7q 2 місяці тому

      भारत के सभी प्रदेशों में बिबिध अपराध तथा संगीन अपराधियों की संख्या आये दिन तेजी से बढ़ रहा है ; एक दिन में ही, अचानक सुबह बिस्तर से उठकर.. कोनो ब्यक्ति बड़ा अपराधी बन नहीं जाता है ; छोटी मोटी अपराध बड़ा अपराध की जड़ तथा जननी होती है ; जैसे आज जो लोग अवैध तथा गैर कानूनी तरीके से दुसरे किसी की कोई छोटा मोटा जमीन या घर सम्पत्ति पर कब्जा करके रखा है .. अगर उसको कोई प्रतिरोध का सामना न करना पड़े.. यानी कानूनी सज़ा न मिले, तो आगे चलकर वह ब्यक्ति बड़ा भूमि माफिया जरूर बनने कि कौशिक अवश्य ही करेंगे, और आगे चल के खूनी बलात्कारी भी बन सकते है ; वैसे ही.. कोई छोटा मोटा चोर को अगर समय रहते ही कानुनी सज़ा न मिले तो वोह आगे चलकर बहुत बड़ा डकाईत बनने की हिम्मत जुटा ही लेंगे ; कोलकाता के RG KAR HOSPITAL में काफ़ी सालों से छोटी मोटी अपराध.. चोरी चलती रही लेकिन पुलिस और अदालत ने इसका नज़रअंदाज किया ; अगर आम जनता के छोटे-छोटे शिकायतों पे early stage में ही, अदालत द्वारा RG KAR HOSPITAL के भ्रष्ट असुस्थ वातावरण को बदलने का कानुनी प्रयास किया गया होता.. या जनआंदोलनं हुआ होता, तो आज अस्पताल के अन्दर ON DUTY एक सुशील लेडी डॉक्टर से बलात्कार और हत्या की भीषण क्रुरता भरी बार्दात कभी नहीं घटती ।
      असल बात यह है कि.. हमारे देश के न्याय ब्यवस्था judicial system बहुत धीमा , पक्षपात दुष्ट, पेचीला, लुटेरा परस्त, वकिल सर्वस्व.. backdated, unscientific होने के कारण यथा समय में एक न्याय प्रार्थी को कानुनी न्याय मिलता ही नहीं है ; अत्याचार ग्रस्त अपराध पीड़ित ब्यक्ति न्याय के लिए जब अदालत में जायेंगे तब डाकू वकिल उसकी संचित धनराशि fees के नाम पर ग्रास कर लेने के लिए सदैव तत्पर रहते हुये दिखाई देंगे .. उसके बाद हमारे न्यायालय तथा अदालत निपीड़ित न्याय प्रार्थी के जख्म में नमक छिड़कने का काम शुरू करेंगे .. DATE पर DATE .. तारीख पे तारीख दे दे कर केस को लम्बित करने की अत्याचार शुरू हो जायेगी .. जज साहेब सब जानबूझकर मुस्कुराते रहेंगे .. हर महीना मोटा रकम Salary + सलामी दोनों के साथ खुश रहेंगे .. न्याय प्रार्थी को यथासमय में न्याय दिलाने की बात उसकी दिमाग में कभी आयेगा ही नहीं ; उधर अपराधियों के वकिल अपराधियों को बचाने के लिए दिन को रात रात को दिन बना देगें .. झुठ का काला जाल बिछा देगें .. setting करके अपराधियों का आत्मविश्वास बढ़ाते रहेंगे .. इन सब के बीच शायद, एक दिन न्याय प्रार्थी रोते हुए मर ही जायेंगे .. then case will be closed permanently ; यही भारत के न्याय ब्यवस्था की बहुल प्रचलित असली तस्वीर है.. इसके अलावा कुछ रेयर केस, जहाँ मिडिया हाइलाइट काफ़ी ज्यादा दिखाई देती है वहां अदालत मजबूरन अपनी गरिमा-महिमा हाइलाइट रखने के लिए थोड़ा जल्दी अपनी कार्रवाई शुरू कर देती है ;
      इसलिए बोलना चाहिए कि भारत के न्यायालय सबसे बड़ा "तमराज किलबिस" है.. अपराधियों के सबसे बड़ा पृष्ठ पोषक है .. अदालत अगर सही सटिक वक्त में काम करते तो चाहें जितना भी बड़ा पुलिस MLA, MP या मन्त्री क्यु न हो अपराध करने से पहले अपराध को मदद देने से पहले हजार बार सोचने पर मजबूर होते।

  • @poojanale7786
    @poojanale7786 2 роки тому +1

    Time pass hai

  • @AdityaKumar-qf9ls
    @AdityaKumar-qf9ls Рік тому +1

    Totaly jhut bola ja rha hai ,judges hi tarikh pe tarikh de dete hai ,loyer/advocate kabhi bhi tarikh nhi lete hai ye sab judges ke kranamat hai.

    • @Bappa-h3l-o7q
      @Bappa-h3l-o7q 2 місяці тому

      भारत के सभी प्रदेशों में बिबिध अपराध तथा संगीन अपराधियों की संख्या आये दिन तेजी से बढ़ रहा है ; एक दिन में ही, अचानक सुबह बिस्तर से उठकर.. कोनो ब्यक्ति बड़ा अपराधी बन नहीं जाता है ; छोटी मोटी अपराध बड़ा अपराध की जड़ तथा जननी होती है ; जैसे आज जो लोग अवैध तथा गैर कानूनी तरीके से दुसरे किसी की कोई छोटा मोटा जमीन या घर सम्पत्ति पर कब्जा करके रखा है .. अगर उसको कोई प्रतिरोध का सामना न करना पड़े.. यानी कानूनी सज़ा न मिले, तो आगे चलकर वह ब्यक्ति बड़ा भूमि माफिया जरूर बनने कि कौशिक अवश्य ही करेंगे, और आगे चल के खूनी बलात्कारी भी बन सकते है ; वैसे ही.. कोई छोटा मोटा चोर को अगर समय रहते ही कानुनी सज़ा न मिले तो वोह आगे चलकर बहुत बड़ा डकाईत बनने की हिम्मत जुटा ही लेंगे ; कोलकाता के RG KAR HOSPITAL में काफ़ी सालों से छोटी मोटी अपराध.. चोरी चलती रही लेकिन पुलिस और अदालत ने इसका नज़रअंदाज किया ; अगर आम जनता के छोटे-छोटे शिकायतों पे early stage में ही, अदालत द्वारा RG KAR HOSPITAL के भ्रष्ट असुस्थ वातावरण को बदलने का कानुनी प्रयास किया गया होता.. या जनआंदोलनं हुआ होता, तो आज अस्पताल के अन्दर ON DUTY एक सुशील लेडी डॉक्टर से बलात्कार और हत्या की भीषण क्रुरता भरी बार्दात कभी नहीं घटती ।
      असल बात यह है कि.. हमारे देश के न्याय ब्यवस्था judicial system बहुत धीमा , पक्षपात दुष्ट, पेचीला, लुटेरा परस्त, वकिल सर्वस्व.. backdated, unscientific होने के कारण यथा समय में एक न्याय प्रार्थी को कानुनी न्याय मिलता ही नहीं है ; अत्याचार ग्रस्त अपराध पीड़ित ब्यक्ति न्याय के लिए जब अदालत में जायेंगे तब डाकू वकिल उसकी संचित धनराशि fees के नाम पर ग्रास कर लेने के लिए सदैव तत्पर रहते हुये दिखाई देंगे .. उसके बाद हमारे न्यायालय तथा अदालत निपीड़ित न्याय प्रार्थी के जख्म में नमक छिड़कने का काम शुरू करेंगे .. DATE पर DATE .. तारीख पे तारीख दे दे कर केस को लम्बित करने की अत्याचार शुरू हो जायेगी .. जज साहेब सब जानबूझकर मुस्कुराते रहेंगे .. हर महीना मोटा रकम Salary + सलामी दोनों के साथ खुश रहेंगे .. न्याय प्रार्थी को यथासमय में न्याय दिलाने की बात उसकी दिमाग में कभी आयेगा ही नहीं ; उधर अपराधियों के वकिल अपराधियों को बचाने के लिए दिन को रात रात को दिन बना देगें .. झुठ का काला जाल बिछा देगें .. setting करके अपराधियों का आत्मविश्वास बढ़ाते रहेंगे .. इन सब के बीच शायद, एक दिन न्याय प्रार्थी रोते हुए मर ही जायेंगे .. then case will be closed permanently ; यही भारत के न्याय ब्यवस्था की बहुल प्रचलित असली तस्वीर है.. इसके अलावा कुछ रेयर केस, जहाँ मिडिया हाइलाइट काफ़ी ज्यादा दिखाई देती है वहां अदालत मजबूरन अपनी गरिमा-महिमा हाइलाइट रखने के लिए थोड़ा जल्दी अपनी कार्रवाई शुरू कर देती है ;
      इसलिए बोलना चाहिए कि भारत के न्यायालय सबसे बड़ा "तमराज किलबिस" है.. अपराधियों के सबसे बड़ा पृष्ठ पोषक है .. अदालत अगर सही सटिक वक्त में काम करते तो चाहें जितना भी बड़ा पुलिस MLA, MP या मन्त्री क्यु न हो अपराध करने से पहले अपराध को मदद देने से पहले हजार बार सोचने पर मजबूर होते।