आत्मसाक्षात्कार भी एक शब्द है, शब्द की अपनी एक सीमा होती है ,उससे असीम का लक्ष्य नहीं हो पाता है अतः वस्तुतः शंकराचार्य जी सही कह रहे हैं कि आत्मसाक्षात्कार किसी को नहीं होता। क्योंकि अपने से अपना दर्शन( बिना द्वैत के ) सम्भव नहीं है।इस दृष्टिकोण से आत्मसाक्षात्कार होना की बात कहना सिद्धान्ततः गलत हो जाता है। वस्तुतः शास्त्रों जिसे आत्मसाक्षात्कार कहा जाता है वह वाणी या शब्द का विषय नहीं है। वह अवस्था सरल भाषा में अपने स्वरूप में स्थित होने को आत्मसाक्षात्कार, स्वयंप्रकाश आदि नामों से जाना जाता है। लेकिन क्योंकि बातचीत द्वैत में होते है और अद्वैत में कथन सम्भव नहीं। इस कारण आत्मसाक्षात्कार जो कि कथन में प्रयुक्त एक शब्द ही है अतः यह वास्तविक स्थिति को केवल इंगित करता है। वस्तुतः यह तर्क का विषय होते हुए भी तर्क का विषय नहीं है क्योंकि यह अवस्था तर्क के तिरोहित होने के बाद की है, अतः जो आत्मसाक्षात्कार करता है वह इसका अनुभव तो कर सकता लेकिन उसे शब्दों में बता नहीं सकता,क्योंकि साक्षात्कार के लिए द्वैत आवश्यक है जबकि जिसे साक्षात्कार कहा जाता है वहाँ द्वैत का निषेध ही होता है। जो शास्त्रोक्त आत्मसाक्षात्कार करता है,वह भी जब बात करेगा तो द्वैत में ही करेगा इसप्रकार वह अद्वैत स्थिति को वर्णित नहीं कर सकता,मौन हो जाता है। इस दृष्टिकोण से कोई भी साक्षात्कार नहीं करता। लेकिन इस शब्दातीत अवस्था को सांसारिक भाषा में 'आत्मसाक्षात्कार' कहा जायेगा। क्योंकि यह सारा प्रकरण द्वैत में चल रहा है तो भले ही यह शब्द वास्तविकता को वर्णित नहीं करता फिर भी उस इशारे को समझते हुए उसे स्वीकार किया जाता है, शब्द की सीमा और मर्यादा को समझते हुए। इसी कारण भगवान व संतो ने 'आत्मसाक्षात्कार' शब्द का खूब प्रयोग किया है तथा स्वयं आदिशंकराचार्य जी ने भी।इस प्रकार शास्त्रों की बातें उस अवस्था को इंगित ही करती हैं उसको वस्तुतः वर्णित नहीं करती है।क्योंकि असीम को समीम वर्णित नहीं कर सकता। पुरी शंकराचार्य जी ने सरल बात को अपनी विद्वत्ता के माध्यम से कठिन बना कर प्रस्तुत कर दिया है।जबकि संत खारे जल से सार रूप पीने योग्य जल प्रदान करते हैं।
धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो प्राणियों में सद्भावना हो विश्व का कल्याण हो गोमाता की जय हो गो हत्या बन्द हो धर्म सम्राट करपात्रीजी महाराज की जय हो शंकराचार्य जी महाराज की जय हो नमो पार्वती पती हर हर महादेव
When kundalini shakti that is dormant in sacrum bone area gets activated and it pierces and nourishes through all 7 chakras and crosses last chakra sahastrara, then the jeevatma unites with paramatma(sada shiva). This sada shiva then reflects in the anahatha as shiva. This event is enlightenment. This is self realization.
No reading of any scripture can enlighten you, this can only be experienced. Only one who himself is enlightened can enlighten the other. Only a candle that is lit can light other candles. Try Sahaja yoga and you’ll know what I am talking about once you experience it yourself.
श्री राधाकृष्णाभ्याम नमः परम पूज्य श्री महाराज जी के श्रीचरणों में अनन्त साष्टांग दंडवत प्रणाम निवेदित हों। वैसे मैं आपको सुनता हूं एवं आपके विचारों का लगभग-लगभग समर्थक भी हूं, किंतु कृपया एक बात स्पष्ट करने की कृपा करें कि फिर ये जो श्रीधाम वृन्दावन के जो पूज्यचरण श्री रसिक महापुरुष हुए हैं तथा जो अभी भी हैं तब क्या ये सब जो बातें कही गईं हैं कि श्रीकृष्ण प्रभु अमुक व्यक्ति के साथ खेलते थे, अमुक से ये बात करी थी, आदि-आदि लीलाएं क्या सब मिथ्या हैं। दूसरी तरफ पूर्वी भारत के काशी में श्री तैलंग स्वामी तथा अन्य अन्य श्रीगंगा जी के तट पर सदा ब्रह्म चिंतन करने वाले महापुरुषों के जीवन का फिर क्या हुआ, जबकि उन्हें आपके प्रवचन के आधार पर जीवन में कुछ भी आध्यत्मिक अनुभव प्राप्त नहीं हुआ है अर्थात वे सभी महापुरुष आत्मसाक्षात्कार, आत्मबोध इत्यादि शब्दों की अनुभूति से वंचित रह गये तब फिर क्या यह कहा जाना चाहिए कि उन्होंने ने ये लौकिक जीवन के भी सुख को त्याग दिया। और आगे चलें तो देखेंगे कि कोलकाता के दक्षिणेश्वर काली मां के मंदिर के पुजारी के रूप में आराधना करने वाले सदा पूज्य श्री श्री रामकृष्ण परमहंस देव जी के सम्बंध में जो कहा जाता है कि उन्होंने ने जो भारत तथा अन्य देशों में प्रचलित सभी मत-पथों की तथा भारत के सभी धर्मों पंथों की भी साधना की एवं उन सभी मार्गों की सिद्धि भी प्राप्त की है। तो क्या फिर ये सब भी झूठ है और यदि ये सब मिथ्या ही है तब फिर किसी भी प्रकार की पारलौकिक सत्ता को स्वीकार करने की आवश्यकता ही क्या है, सामान्यतः प्रकृति प्रदत्त बुद्धि के आधार पर ही चलना समझदारी होनी चाहिए। अब कृपया मेरा मार्गदर्शन करने की कृपा करें। हर हर महादेव
Very aptly asked. Even I am also waiting to get such answers. Would like to hear a person who experienced Ultimate. Yet, it's sure our karma and our Bhakti is definitely not strong enough to get the grace of God. It's sure, for his dependents, He shall shower His grace and give Him insight and show Him the right person and knowledge.🙏🙏🙏
@@tvramkumar जय सच्चिदानंद श्री रवी कुमार जी आप श्रीधाम वृन्दावन में श्रीवेणु विनोद कुंज आश्रम जायें वहां आपको परम वंदनीय पूज्यपाद श्री श्री बालकृष्ण दास जी महाराज की तस्वीरें तथा उनकी जीवनी ग्रंथ उपलब्ध हो सकेंगे जिसको कि देख तथा पढ़कर के आप सब समझ जायेंगे। परम पूज्य श्री महाराज जी मेरे सर्वस्व प्रभु है।
I am waiting to see a person who has experienced bliss, who can calmly share His divine experiences which fit with the scriptures. I have a great regard to Shankaracharya peetha as it's the ultimate place. Sometimes, due to some predesigned thoughts and prejudices I am unable to connect with Swamiji. He is telling right in idealistic situation. It's upto God when He showers His holy grace onto me to enjoy and feel it away from vices. I am not proficient in Hindi, yet I can understand and read to an extent. I can understand the meaning of your message.🙏🙏🙏
@@tvramkumar Ram Kumar ji, I think you feel uncomfortable in Hindi language, no problem, I try to explain my point to you in English language. See, the thing is that I have shared a link to the video of the life introduction of His Holiness Shree Shree Maharaj Ji with Shreevanu Vinod Kunj Shridham Vrindavan, in the video of that link, almost all the pictures related to the supernatural experiences of Shree Maharaj Ji and the sadhana related to Shree Maharaj - Almost everything has been highlighted, and you enjoy the video of the concerned mind.
This is possible.....i have experienced it.....he is not experienced rather they are well studied on scriptures......upanishadon ki ghosh h .....agyani andhakar me hota h.....par gyaan mahaandhakar me ghuma deta h...... isiliye you must have to do go for jnana and dhyana .....atmaabalokan ..... chahiye.....tab jake milega..... When i experienced i see a heightened level of awareness like flower is more beautiful....leaves are more green....greater concentration level.....no thought.....if i want i can think....if i dont want i wint think.....
With all respect to him I agree with you. The person asking about atmasakshatkar was probably talking about what Ram krishna paramhamsa and Vivekananda experienced. I was expecting a straight answer.
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः। तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्।। iska matlab hai jo dharm ko marta hai arthath adharm karta hai dharm usko mardeta hai Aur dharm ki jo raksha karta hai dharm uski raksha karta hai Isliye sada Dharm ke path par chalna chahiye 🙏🏽 🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽ॐ 🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽
यदि आत्मसाक्षात्कार मुक्ति है,मुक्ति अनादि अनंत ब्रह्म ही है तो उसे यह कहना कि वह 'यह'है,गलत ही होगा, अतः निषेधात्मक नेति नेति ही सही वर्णन होगा, संभवतः महराज जी का यही अभिप्रेत है,सादर प्रणाम
गुरु जी का इतना ही कहना है कि , क्या प्रकाश खुद को प्रकाशित कर सकता है?? नहीं ना । ठीक उसी प्रकार आत्म साक्षात्कार संभव नहीं है। तो फिर भगवान ने ऐसा क्यों बोल दिया। तो इसका अर्थ ये है कि अनात्मा से नृवित्ति पाना ही आत्मा को पाना हुआ। अत: इसी को लोग आत्म साक्षात्कार के नाम से भी जानते है। गुरु जी ने ऐसा कहा कि व्याकरण के दृष्टि से ऐसा सम्भव नहीं है, इसलिए जब एक मनुष्य बिना गुरु कि सहायता से वेद वेदांगो का अध्ययन करता है तो उसका गलत अर्थ निकालता है, अत: हमें गुरु से ही वैदिकशास्त्र का अध्ययन करना चाहिए। 🕉️ हरे राम।🙏
आत्मसाक्षात्कार भी एक शब्द है, शब्द की अपनी एक सीमा होती है ,उससे असीम का लक्ष्य नहीं हो पाता है अतः वस्तुतः शंकराचार्य जी सही कह रहे हैं कि आत्मसाक्षात्कार किसी को नहीं होता क्योंकि अपने से अपना दर्शन अर्थात बिना द्वैत के सम्भव नहीं है। जो कि सिद्धान्ततः गलत हो जायेगी। इसप्रकार जिसे आत्मसाक्षात्कार कहा जाता है वह वाणी या शब्द का विषय नहीं है। अतः सरल भाषा में अपने स्वरूप में स्थित होने को आत्मसाक्षात्कार, स्वयंप्रकाश आदि नामों से जाना जाता है। क्योंकि बातचीत द्वैत में होते है और अद्वैत में कथन सम्भव नहीं। वस्तुतः यह तर्क का विषय होते हुए भी तर्क का विषय नहीं है क्योंकि यह अवस्था तर्क के तिरोहित होने के बाद कि है, अतः जो आत्मसाक्षात्कार करता है वह इसका अनुभव तो कर सकता लेकिन उसे शब्दों में बता नहीं सकता,क्योंकि साक्षात्कार के लिए द्वैत आवश्यक है। वह भी जब बात करेगा तो द्वैत में ही करेगा इसप्रकार वह अद्वैत स्थिति को कोई वर्णित नहीं कर सकता। इस दृष्टिकोण से कोई भी साक्षात्कार नहीं करता। लेकिन इस शब्दातीत अवस्था को सांसारिक भाषा में आत्मसाक्षात्कार कहा जायेगा। शंकराचार्य जी ने सरल बात को अपनी विद्वत्ता के माध्यम से कठिन बना कर प्रस्तुत कर दिया है। शास्त्रों की बातें उस अवस्था को इंगित ही करती हैं उसको वस्तुतः वर्णित नहीं करती है।
Aatma sakshatkari purush hotey hain.....hotey hain...hotey hain...jaisey Brahamrishi vashishth, Devraha baba, Swami Ramtirth, Shrikrishna, Paramhansa Yogananda aadi...Bharat bhumi m aatmaarami sant mahatmaon ki kami nahi hai....yah khajana keval Sacchey GURU se he milta hai OM OM
Bg. 13.25 ध्यानेनात्मनि पश्यन्ति केचिदात्मानमात्मना। अन्ये सांख्येन योगेन कर्मयोगेन चापरे ॥ then what is meaning of this ? Yes there is possible to do self realisation.... the first thing Krishna try to explain to arjuna that he is not this body but atma .and give methods to verify it . You see your lights in Meditation . You enjoy bliss of self, atmanand .
The answer is for the questioner. It is not a criticism of truly realized sages. It is likely that the one who asked the question was sceptical. There are other videos where the Jagadguru has clearly expressed that He has realized the Self. Not just that, the Puri Shankaracharya lineage has an intimate connection with Bhagavan Sri Ramana Maharshi. The 143rd Acharya, also given the Purvashrama name of Venkataraman (just like Bhagavan Sri Ramana Maharshi) has visited Bhagavan to discuss Vedanta. The current Jagadguru definitely has immense respect for many Mahatmas. This is only a likely answer to someone who was insincere with their question.
@@theperfectcelibate8669 inhone kaha ki hame self realisation hua hai? Swami vivekanand ne toh kabhi nahi kaha. Vo toh karm ko greatest maante the, balki baki log karm ko bhi bandhan mante the.
From my limited understanding, what pujya Sri Shankaracharyaji is explaining us is that, it is not possible for anyone to experience self realisation. An eye sees objects but can't see itself. A source of light throws its luminescence on other objects but can't see itself. If anyone says that he has seen the aatma that means now there are 2 here. One the aatma and the other one who has seen it. This is not possible right.
Swami Sarvpriyanwnda n various western non- dualist scholars have described same as done by u sir. 🙏 This knowledge must not be confined only in Gurukuls otw this esoteric knowledge has nothing to do with the peace,happiness n welfare of humanity🙏
Question he Paap ki saja jel pynya ka fal swarg ya dhan prapti Saja bhogne ke baad choot Jaya he aur swarg bhog kar bo bhi pehle walie stithie me a jata he to mukti kese hogi es chakr se kaise chootega Jai sankrachar ji ki
वैष्णवों को तो ब्रह्म साक्षात्कार होता है. वे तो आनंद का असली उपभोग भी कर सकते है. बेचारे ज्ञानी लोग ज्ञान मात्र रह जाते है. अद्वैत होने के कारण आनंद का भोग ही नहीं कर पाते. और आनंद ही तो अंतिम लक्ष्य है. जीव सनातन जीवन और सर्वज्ञता का त्याग कर सकता है पर सिर्फ आनंद प्राप्ति के लिए. आनंद ही एक मात्र लक्ष्य है जीव का. वैष्णवों के मोक्ष में प्रेमी-प्रेम-प्रेमास्पद की त्रिपुटी रहती है जिससे जीव आनंद ब्रह्म का भोग कर सकता है. यही सर्वोच्च स्थिति और पद है. अद्वितियों की तो ज्ञाता-ज्ञान-गेय त्रिपुटी ही समाप्त हो जाती है मन के मरने से. यह कैसा मोक्ष है. नीरस और सामान्य. वृंदावन के रसिक ऐसे मोक्ष को लात मारते है. लाड़ली किशोरी की जय.
आत्मसाक्षात्कार भी एक शब्द है, शब्द की अपनी एक सीमा होती है ,उससे असीम का लक्ष्य नहीं हो पाता है अतः वस्तुतः शंकराचार्य जी सही कह रहे हैं कि आत्मसाक्षात्कार किसी को नहीं होता।
क्योंकि अपने से अपना दर्शन( बिना द्वैत के ) सम्भव नहीं है।इस दृष्टिकोण से आत्मसाक्षात्कार होना की बात कहना सिद्धान्ततः गलत हो जाता है।
वस्तुतः शास्त्रों जिसे आत्मसाक्षात्कार कहा जाता है वह वाणी या शब्द का विषय नहीं है।
वह अवस्था सरल भाषा में अपने स्वरूप में स्थित होने को आत्मसाक्षात्कार, स्वयंप्रकाश आदि नामों से जाना जाता है।
लेकिन क्योंकि बातचीत द्वैत में होते है और अद्वैत में कथन सम्भव नहीं। इस कारण आत्मसाक्षात्कार जो कि कथन में प्रयुक्त एक शब्द ही है अतः यह वास्तविक स्थिति को केवल इंगित करता है।
वस्तुतः यह तर्क का विषय होते हुए भी तर्क का विषय नहीं है क्योंकि यह अवस्था तर्क के तिरोहित होने के बाद की है, अतः जो आत्मसाक्षात्कार करता है वह इसका अनुभव तो कर सकता लेकिन उसे शब्दों में बता नहीं सकता,क्योंकि साक्षात्कार के लिए द्वैत आवश्यक है जबकि जिसे साक्षात्कार कहा जाता है वहाँ द्वैत का निषेध ही होता है।
जो शास्त्रोक्त आत्मसाक्षात्कार करता है,वह भी जब बात करेगा तो द्वैत में ही करेगा इसप्रकार वह अद्वैत स्थिति को वर्णित नहीं कर सकता,मौन हो जाता है। इस दृष्टिकोण से कोई भी साक्षात्कार नहीं करता।
लेकिन इस शब्दातीत अवस्था को सांसारिक भाषा में 'आत्मसाक्षात्कार' कहा जायेगा।
क्योंकि यह सारा प्रकरण द्वैत में चल रहा है तो भले ही यह शब्द वास्तविकता को वर्णित नहीं करता फिर भी उस इशारे को समझते हुए उसे स्वीकार किया जाता है, शब्द की सीमा और मर्यादा को समझते हुए।
इसी कारण भगवान व संतो ने 'आत्मसाक्षात्कार' शब्द का खूब प्रयोग किया है तथा स्वयं आदिशंकराचार्य जी ने भी।इस प्रकार शास्त्रों की बातें उस अवस्था को इंगित ही करती हैं उसको वस्तुतः वर्णित नहीं करती है।क्योंकि असीम को समीम वर्णित नहीं कर सकता।
पुरी शंकराचार्य जी ने सरल बात को अपनी विद्वत्ता के माध्यम से कठिन बना कर प्रस्तुत कर दिया है।जबकि संत खारे जल से सार रूप पीने योग्य जल प्रदान करते हैं।
बिल्कुल सही कहा आपने।
It's amazing how practical and knowledgeable Adi Shankaracharya was in his time.
Bewokkof, baaki saarein kya impractical the?!
@@theperfectcelibate8669 Tum ulte paida hue the na?
@@Ishamv3 kyu ba faltu ka baat kyu kar raha! Tera tution lena padega kya!
@@theperfectcelibate8669 Shuru kisne kiya? Don't fight here.
@@theperfectcelibate8669tere naam,
Tu akela celibate hai?
To baki sab jitne akhand brahmachari ka naam shastra me hai, baki sab kya Napunshak hai?
।। वंदे महापुरुष ते चरणार विंदम्म।।
Shri pujaniya Gurudev Shri Anant vibhushith purvanamay rigvediya Goverdhan math Puri pithadhishwar Shrimad Jagadguru Shankaracharya ji Mahabhag ke Shri Kamal caharon mein dandwat vandan.
Hindu Nagar Shivganj, Rajasthan, Bharat.
।। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी,सम्वत 2080।।
तद्नुसार रविवार ,27.03.2024.
।। जय श्री गौ माता।।
।। जय श्री सनातन धर्म।।
।।जय श्री सनातन राष्ट्र।।
।।जय श्री सनातन धरा।।
।।जय श्री सनातन संस्कृति।।
।।वंदे मातरम्।।
।।जय श्री मां भारती।।
।। ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ।।
Vedanta Vidya without guru makes us ignorant.. pranam Maharaj ji............
Thank you so much for the English subtitles, they are such a gift!.
पूज्य गुरुदेव की जय हो ! जय जगन्नाथ प्रभु की !!
Kyun kaise Jai ho ?
Tumhe Kya samajh aaya pehle ye batao
गोबर भक्त को गोबर गुरू ही अच्छा लग रहा है /
@@brajkishorebalendu2010 हा तुम लोगो का गुरु ओशो और आशाराम बापू है..
@@nitishpandey6624 तुम लोग मानसिक बिमार ही होते हो! तुम लोग बेचारा हो जो कभी भी सत्य को समझ ही नहीं सकते हो! /
धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो प्राणियों में सद्भावना हो विश्व का कल्याण हो गोमाता की जय हो गो हत्या बन्द हो धर्म सम्राट करपात्रीजी महाराज की जय हो शंकराचार्य जी महाराज की जय हो नमो पार्वती पती हर हर महादेव
ये व्याख्यान उन मूर्खों को सुनना चाहिए जो दम्भ में भरकर कहते है, "मैनें चारों वेद और सारे उपनिषद पढ़ लिए"।
Very nice and really speaking of jagatguru Shankaracharya Swami ji, Har Har Mahadev.
जय श्री गुरु देव, ॐ नमों नारायण
When kundalini shakti that is dormant in sacrum bone area gets activated and it pierces and nourishes through all 7 chakras and crosses last chakra sahastrara, then the jeevatma unites with paramatma(sada shiva). This sada shiva then reflects in the anahatha as shiva. This event is enlightenment. This is self realization.
No reading of any scripture can enlighten you, this can only be experienced. Only one who himself is enlightened can enlighten the other. Only a candle that is lit can light other candles. Try Sahaja yoga and you’ll know what I am talking about once you experience it yourself.
@@AshishVerma-gy3yj brother have you experienced it?
@@anshu5518he has read about other ppl experiencing it
जी महाराज जी को नमन.. यह विद्या ही.. ऐसी ह.! अकथ कहानी..
शंकराचार्य भगवान् की जय हो
😂😂😂😂😂😂
🤣🤣😂😂😂😂
Shatakoti Pranaam to Guruji! Every discourse of Guruji is very meaningful and powerful.
Apne bahut hi gahra Rahasya bataya hai...kyuki atma sirf ek hi hai...do nahi, tin nahi..ek se adhik nahi etc... Jai Shree SitaRam...om namah shivay
🤣🤣😂😂
I will meet you after finishing some study and writings.....
श्री राधाकृष्णाभ्याम नमः
परम पूज्य श्री महाराज जी के श्रीचरणों में अनन्त साष्टांग दंडवत प्रणाम निवेदित हों।
वैसे मैं आपको सुनता हूं एवं आपके विचारों का लगभग-लगभग समर्थक भी हूं, किंतु कृपया एक बात स्पष्ट करने की कृपा करें कि फिर ये जो श्रीधाम वृन्दावन के जो पूज्यचरण श्री रसिक महापुरुष हुए हैं तथा जो अभी भी हैं तब क्या ये सब जो बातें कही गईं हैं कि श्रीकृष्ण प्रभु अमुक व्यक्ति के साथ खेलते थे, अमुक से ये बात करी थी, आदि-आदि लीलाएं क्या सब मिथ्या हैं।
दूसरी तरफ पूर्वी भारत के काशी में श्री तैलंग स्वामी तथा अन्य अन्य श्रीगंगा जी के तट पर सदा ब्रह्म चिंतन करने वाले महापुरुषों के जीवन का फिर क्या हुआ, जबकि उन्हें आपके प्रवचन के आधार पर जीवन में कुछ भी आध्यत्मिक अनुभव प्राप्त नहीं हुआ है अर्थात वे सभी महापुरुष आत्मसाक्षात्कार, आत्मबोध इत्यादि शब्दों की अनुभूति से वंचित रह गये तब फिर क्या यह कहा जाना चाहिए कि उन्होंने ने ये लौकिक जीवन के भी सुख को त्याग दिया।
और आगे चलें तो देखेंगे कि कोलकाता के दक्षिणेश्वर काली मां के मंदिर के पुजारी के रूप में आराधना करने वाले सदा पूज्य श्री श्री रामकृष्ण परमहंस देव जी के सम्बंध में जो कहा जाता है कि उन्होंने ने जो भारत तथा अन्य देशों में प्रचलित सभी मत-पथों की तथा भारत के सभी धर्मों पंथों की भी साधना की एवं उन सभी मार्गों की सिद्धि भी प्राप्त की है।
तो क्या फिर ये सब भी झूठ है और यदि ये सब मिथ्या ही है तब फिर किसी भी प्रकार की पारलौकिक सत्ता को स्वीकार करने की आवश्यकता ही क्या है, सामान्यतः प्रकृति प्रदत्त बुद्धि के आधार पर ही चलना समझदारी होनी चाहिए।
अब कृपया मेरा मार्गदर्शन करने की कृपा करें।
हर हर महादेव
Very aptly asked. Even I am also waiting to get such answers. Would like to hear a person who experienced Ultimate. Yet, it's sure our karma and our Bhakti is definitely not strong enough to get the grace of God. It's sure, for his dependents, He shall shower His grace and give Him insight and show Him the right person and knowledge.🙏🙏🙏
@@tvramkumar
जय सच्चिदानंद
श्री रवी कुमार जी आप
श्रीधाम वृन्दावन में श्रीवेणु विनोद कुंज आश्रम जायें वहां आपको परम वंदनीय पूज्यपाद श्री श्री बालकृष्ण दास जी महाराज की तस्वीरें तथा उनकी जीवनी ग्रंथ उपलब्ध हो सकेंगे जिसको कि देख तथा पढ़कर के आप सब समझ जायेंगे।
परम पूज्य श्री महाराज जी मेरे सर्वस्व प्रभु है।
@@सौरभतिवारी-द4ध Dhanyavad. 🙏
I am waiting to see a person who has experienced bliss, who can calmly share His divine experiences which fit with the scriptures.
I have a great regard to Shankaracharya peetha as it's the ultimate place. Sometimes, due to some predesigned thoughts and prejudices I am unable to connect with Swamiji. He is telling right in idealistic situation. It's upto God when He showers His holy grace onto me to enjoy and feel it away from vices.
I am not proficient in Hindi, yet I can understand and read to an extent. I can understand the meaning of your message.🙏🙏🙏
@@tvramkumar
Ram Kumar ji,
I think you feel uncomfortable in Hindi language, no problem, I try to explain my point to you in English language.
See, the thing is that I have shared a link to the video of the life introduction of His Holiness Shree Shree Maharaj Ji with Shreevanu Vinod Kunj Shridham Vrindavan, in the video of that link, almost all the pictures related to the supernatural experiences of Shree Maharaj Ji and the sadhana related to Shree Maharaj - Almost everything has been highlighted, and you enjoy the video of the concerned mind.
हे जगद्गुरु! साष्टांग प्रणाम🙏 l सर्वोत्कृष्ट व्याख्या की है आपने l सुनकर मन आनंदित हो गया l
नमो नारायणाय 🙏🙏🙏💮🌻🌺
जय गुरुदेव शंकराचार्य की
Mere guru k charno me Sadar charan sparsh..
प्रणाम गुरुदेव जय श्री सनातन विजय श्री सनातन 🙏
पूज्य चरणों में सादर प्रणाम
Bhut bdiya guru ji
साष्टांग दंडवत चरण स्पर्श जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी जी को।
श्री चरणौ मे कोटी कोटी प्रणाम
Pujjya gurudev ko dandvat pranam
जय जगन्नाथ
Jai ho 🙏🙏
आत्म साक्षात्कार होता ह जी लेकिन बहुत ही दुर्लभ ह..विपरीत देश और काल में योग के बीज के भी दर्शन दुर्लभ हैं..
Hare Krishan
हर महादेव । पूज्यपाद के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम
नमन महातमन दास का दंडवत स्वीकार हो ।।
हर हर महादेव
This is possible.....i have experienced it.....he is not experienced rather they are well studied on scriptures......upanishadon ki ghosh h .....agyani andhakar me hota h.....par gyaan mahaandhakar me ghuma deta h...... isiliye you must have to do go for jnana and dhyana .....atmaabalokan ..... chahiye.....tab jake milega.....
When i experienced i see a heightened level of awareness like flower is more beautiful....leaves are more green....greater concentration level.....no thought.....if i want i can think....if i dont want i wint think.....
Bhagwan ji ko koti koti Pranam
I will meet you soon.....
Self realisation jisko ho jayega vo btayege hi nahi.
Ram Ram 🥰
Sarmata hogi sayed.
Nachiketa had only wanted to know the secret from " The Yama " ? You too know the same anecdot ? Kindly clarify it ?
Ram krishna Paramhanas ji ki atma shakastkar nahi hua tha ? Unko toh maa kali ke bhi darshan hue the ?
भगवान जाने
samadhi ka anubhaw hua hai maharaj ji🙏
Truth ..pure truth...nothing but truth!!! Thank you Sir !
Evading the actual question and going about semantics.
Totally agree with you. I am quite surprised by the explanation.
With all respect to him I agree with you. The person asking about atmasakshatkar was probably talking about what Ram krishna paramhamsa and Vivekananda experienced. I was expecting a straight answer.
Jai jai jai Nischalananda Sankaracharya Maharaj ji ko koti koti pranam
Jai ho
🙏🙏🙏 Jai Shri Jagatguru Aadi Shankaracharya Ji 🙏🙏🙏
Sat sat Parnam guruji
Jai shree jagatguru shankaracharya ji ko shat shat naman kar Charan Vandana.
सादर प्रणाम .हरे कृष्णा
जय गुरूदेव। जय सनातन धर्म।
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः।
तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्।।
iska matlab hai jo dharm ko marta hai arthath adharm karta hai dharm usko mardeta hai
Aur dharm ki jo raksha karta hai dharm uski raksha karta hai
Isliye sada Dharm ke path par chalna chahiye 🙏🏽
🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽ॐ 🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽🙏🏽
Wah Maharaj ji,adbhut
यदि आत्मसाक्षात्कार मुक्ति है,मुक्ति अनादि अनंत ब्रह्म ही है तो उसे यह कहना कि वह 'यह'है,गलत ही होगा, अतः निषेधात्मक नेति नेति ही सही वर्णन होगा, संभवतः महराज जी का यही अभिप्रेत है,सादर प्रणाम
Pranam swamiji
Thank You for elucidating so well !👍👌💐
Jagannath swami Nayan pathagami bhavatu me 🙏 Bhagwan Shree Shankaracharyaji ko koti koti Pranam 🙏 🙏🙏 🙏
Right question should have been are you trikal darshi
Wah. ... Real knowledge...
Jai Gurudev🕉❤🙏
बातों में स्पष्टता का अभाव है। वेदांत एक चिंतन मात्र है।
शायद समझने वाले की बौद्धिक स्तर में भी कोई 'विशेषता' हो
गुरु जी का इतना ही कहना है कि , क्या प्रकाश खुद को प्रकाशित कर सकता है?? नहीं ना । ठीक उसी प्रकार आत्म साक्षात्कार संभव नहीं है। तो फिर भगवान ने ऐसा क्यों बोल दिया। तो इसका अर्थ ये है कि अनात्मा से नृवित्ति पाना ही आत्मा को पाना हुआ। अत: इसी को लोग आत्म साक्षात्कार के नाम से भी जानते है। गुरु जी ने ऐसा कहा कि व्याकरण के दृष्टि से ऐसा सम्भव नहीं है, इसलिए जब एक मनुष्य बिना गुरु कि सहायता से वेद वेदांगो का अध्ययन करता है तो उसका गलत अर्थ निकालता है, अत: हमें गुरु से ही वैदिकशास्त्र का अध्ययन करना चाहिए।
🕉️ हरे राम।🙏
आत्मसाक्षात्कार भी एक शब्द है, शब्द की अपनी एक सीमा होती है ,उससे असीम का लक्ष्य नहीं हो पाता है अतः वस्तुतः शंकराचार्य जी सही कह रहे हैं कि आत्मसाक्षात्कार किसी को नहीं होता क्योंकि अपने से अपना दर्शन अर्थात बिना द्वैत के सम्भव नहीं है। जो कि सिद्धान्ततः गलत हो जायेगी।
इसप्रकार जिसे आत्मसाक्षात्कार कहा जाता है वह वाणी या शब्द का विषय नहीं है।
अतः सरल भाषा में अपने स्वरूप में स्थित होने को आत्मसाक्षात्कार, स्वयंप्रकाश आदि नामों से जाना जाता है।
क्योंकि बातचीत द्वैत में होते है और अद्वैत में कथन सम्भव नहीं। वस्तुतः यह तर्क का विषय होते हुए भी तर्क का विषय नहीं है क्योंकि यह अवस्था तर्क के तिरोहित होने के बाद कि है, अतः जो आत्मसाक्षात्कार करता है वह इसका अनुभव तो कर सकता लेकिन उसे शब्दों में बता नहीं सकता,क्योंकि साक्षात्कार के लिए द्वैत आवश्यक है। वह भी जब बात करेगा तो द्वैत में ही करेगा इसप्रकार वह अद्वैत स्थिति को कोई वर्णित नहीं कर सकता। इस दृष्टिकोण से कोई भी साक्षात्कार नहीं करता।
लेकिन इस शब्दातीत अवस्था को सांसारिक भाषा में आत्मसाक्षात्कार कहा जायेगा।
शंकराचार्य जी ने सरल बात को अपनी विद्वत्ता के माध्यम से कठिन बना कर प्रस्तुत कर दिया है।
शास्त्रों की बातें उस अवस्था को इंगित ही करती हैं उसको वस्तुतः वर्णित नहीं करती है।
Inko aatm sakshatkar hua ya nahin mere khyal se to bilkul bhi nahin lag raha
Aatma sakshatkari purush hotey hain.....hotey hain...hotey hain...jaisey Brahamrishi vashishth, Devraha baba, Swami Ramtirth, Shrikrishna, Paramhansa Yogananda aadi...Bharat bhumi m aatmaarami sant mahatmaon ki kami nahi hai....yah khajana keval Sacchey GURU se he milta hai OM OM
Correct
Shri Pujaniya Gurudev Shri Anant Vibhushit Shrimad Jagadguru Shankaracharya Rigvediya Purvamanay Goverdhan Math Puri Peeth Adhishwar ke Shri Kamal Charnon mein dand wat vandan.
Jai gurudev
।।वंदे मातरम्।।
।।जय जगन्नाथ ।।
।।श्रीमद्जगद्गुरवे नमः।।
जय हो
Namo parvati pataye Har Har mahadev🙏🙏🙏🙏🙏
नारायण नारायण 🙏🏻🙏🏻
Bilkul sahi... Ab jal ko khud ki sheetalta ka anubhav ya us se prabhav kaise pad sakta hai...
बिल्कुल सही कहा पांडेय जी, अब भला पुष्प खुद की सुगंध कैसे महसूस कर सकता है । यहां पर अधिकांश लोग गुरु जी के बात को ही नहीं समझ सके।
🕉️ हरे राम। 🙏
शंकराचार्य की जय हो ❤️🙏
है गुरुदेव आपकी कोटि कोटि जय हो हर हर महादेव ।।। जय हो गुरूजी आपकी
सद् गुरुदेव के चरणों में कोटि कोटि नमन।
Dandwat pranam mahraj ji
कोटि-कोटि-कोटि वन्दन है
Bg. 13.25
ध्यानेनात्मनि पश्यन्ति केचिदात्मानमात्मना।
अन्ये सांख्येन योगेन कर्मयोगेन चापरे ॥ then what is meaning of this ? Yes there is possible to do self realisation.... the first thing Krishna try to explain to arjuna that he is not this body but atma .and give methods to verify it . You see your lights in Meditation . You enjoy bliss of self, atmanand .
Sadashiva Brahmendra, Trailanga Swami, Nisargadatta, Adi Shankaracharya, Ramana Maharshi Sri Ramakrishna, Swami Vivekananda; inn sarein kya majak hain, Guruji !!!
Mujhe to kavi kavi Aaj ke Shankaracharya pe doubt hota he..
The answer is for the questioner. It is not a criticism of truly realized sages. It is likely that the one who asked the question was sceptical. There are other videos where the Jagadguru has clearly expressed that He has realized the Self. Not just that, the Puri Shankaracharya lineage has an intimate connection with Bhagavan Sri Ramana Maharshi. The 143rd Acharya, also given the Purvashrama name of Venkataraman (just like Bhagavan Sri Ramana Maharshi) has visited Bhagavan to discuss Vedanta. The current Jagadguru definitely has immense respect for many Mahatmas. This is only a likely answer to someone who was insincere with their question.
aapki jai ho guruvr
🙏🙏🙏
With no disrespect to you, you should have given that poor man the right answer instead of scolding him.
Correct
गोबर गोबर ही छोड़ते है और मूर्ख कहते हैं क्या हिरा दिये हो!
Murk ko kabhi mat batao ki wo murk hai...
We have to ignore his arrogantish inclination (the way he was sitting too) and stick to the content (which I hope is right!)
Agreed
jayho
🙏🙏🙏👌
नमो नमः
Trancedental state of existence experience is self realisation
किसको हुआ ये बताए....
@@py12367
Ramana Maharshi ka naam suna hai?
@@py12367 Sadashiva Brahmendra, Trailanga Swami, Nisargadatta, Adi Shankaracharya, Sri Ramakrishna, Swami Vivekananda; samjha ya fir aur bolu.
@@theperfectcelibate8669 inhone kaha ki hame self realisation hua hai?
Swami vivekanand ne toh kabhi nahi kaha. Vo toh karm ko greatest maante the, balki baki log karm ko bhi bandhan mante the.
What does that even mean
नारायण नारायण दंडवत प्रणाम गुरू देव
कृपया बताएं कि स्वामी रामसुखदास जी महराज भगवत प्राप्त महापुरुष थे या नही बताए प्रणाम।
निःसंदेह
Atma saxatkar kise kahte he... Usme kesi anubhuti hoti he plz ans dijiye ga.
Gurudev koti koti pranam. Vande guruparamparam.
Kripa explain aur kare gurudev
From my limited understanding, what pujya Sri Shankaracharyaji is explaining us is that, it is not possible for anyone to experience self realisation. An eye sees objects but can't see itself. A source of light throws its luminescence on other objects but can't see itself. If anyone says that he has seen the aatma that means now there are 2 here. One the aatma and the other one who has seen it. This is not possible right.
Guru ji 🙏🙏👍👍👍💯💯💯💯🐯🐯
Gyan k sagar h guru ji🙏🏻
जय जय शङ्कर हर हर शङ्कर
कोटि कोटि नमन 🙏🙏🙏
नमस्कार गुरू जि
जय हरि
Excellent explanation. Please provide English translation /titles also....🙏🙏🙏
What is sloka number in Chapter 18. Searched not able to find Verse?
English subtitle aa gaya hai.
Esa book likha hi kyu gya jo logo ko samjh hi n aaye
नमामि शङ्करं।
Swami Sarvpriyanwnda n various western non- dualist scholars have described same as done by u sir. 🙏
This knowledge must not be confined only in Gurukuls otw this esoteric knowledge has nothing to do with the peace,happiness n welfare of humanity🙏
।। जय श्री राम कृष्ण हरि।।
Gyan sadev namra karati hay,jibant pramaan Shankaracharya mahabhag...
Shiri.... jagdguru.... shiri.... shankrachary...ji.... maraj....ke... charnomen.... dndvt..... pranam..... shiri.... jagdguru... shiri.... shankrachary.....ji.... maraj.....ki.... Jay....ho....
Question he
Paap ki saja jel pynya ka fal swarg ya dhan prapti
Saja bhogne ke baad choot Jaya he aur swarg bhog kar bo bhi pehle walie stithie me a jata he to mukti kese hogi es chakr se kaise chootega Jai sankrachar ji ki
Love u guruji koti koti namn 🙏🙏🙏
वैष्णवों को तो ब्रह्म साक्षात्कार होता है. वे तो आनंद का असली उपभोग भी कर सकते है. बेचारे ज्ञानी लोग ज्ञान मात्र रह जाते है. अद्वैत होने के कारण आनंद का भोग ही नहीं कर पाते. और आनंद ही तो अंतिम लक्ष्य है. जीव सनातन जीवन और सर्वज्ञता का त्याग कर सकता है पर सिर्फ आनंद प्राप्ति के लिए. आनंद ही एक मात्र लक्ष्य है जीव का.
वैष्णवों के मोक्ष में प्रेमी-प्रेम-प्रेमास्पद की त्रिपुटी रहती है जिससे जीव आनंद ब्रह्म का भोग कर सकता है. यही सर्वोच्च स्थिति और पद है. अद्वितियों की तो ज्ञाता-ज्ञान-गेय त्रिपुटी ही समाप्त हो जाती है मन के मरने से. यह कैसा मोक्ष है. नीरस और सामान्य. वृंदावन के रसिक ऐसे मोक्ष को लात मारते है.
लाड़ली किशोरी की जय.
भावना भोग इंद्र तृप्ति का विषय है.
जो अनुभव और अनुभवों की इच्छा पैदा करता है, वो और बंधन में डालता है |