ll माँ पर कविता ll हरिवंश राय बच्चन ll आज मेरा फिर से मुस्कुराने का मन किया,माँ की ऊँगली पकड़कर ...

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  • Опубліковано 29 вер 2024
  • माँ पर कविता हरिवंश राय बच्चन
    आज मेरा फिर से मुस्कुराने का मन किया,
    माँ की ऊँगली पकड़कर घूमने जाने का मन किया l
    माँ की गोद में सोने को फिर से जी चाहता है,
    हाथो से माँ के खाना खाने का जी चाहता है।
    मेरी तकलीफ में मुझ से ज्यादा मेरी माँ ही रोयी है,
    खिला-पिला के मुझको माँ मेरी, कभी भूखे पेट भी सोयी है।लगाकर सीने से माँ ने मेरी मुझको दूध पिलाया है,
    रोने और चिल्लाने पर बड़े प्यार से चुप कराया है।माँ के चरणो में मुझको जन्नत नजर आती है,
    लेकिन माँ मेरी मुझको हमेशा अपने सीने से लगाती है।कभी खिलौनों से खिलाया है, कभी आँचल में छुपाया है,
    गलतियाँ करने पर भी माँ ने मुझे हमेशा प्यार से समझाया है।
    माँ के चरणो में मुझको जन्नत नजर आती है,
    लेकिन माँ मेरी मुझको हमेशा अपने सीने से लगाती है।
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