आचार्य शर्वेश दिवेदी जी महाराज बिलकुल सही बोल रहे हैं जो व्यक्ति माया में लिप्त है वो ही ईश्वर से दूर है और जिसने माया को त्याग दिया बो भगवान का हो गया नारद जी को ही देख लो माया में फसे तो भगवान से दूर और माया से दूर हुए तो फिर ईश्वर के हो गए
ईश्वर का संबंध माया से नहीं, माया पुरुष की छाया कि तरह है, पुरुष सत्य है पुरुष छाया झूठी.. दृग दृश्य द्वै। पदार्थों स्त दृग ब्रह्म दृश्य मायेती सर्व वेदांत निर्णय..
माया भगवान से अलग कैसे हो सकती है क्यू की माया उसी परमात्मा की रचना है ( आदि शक्ति जेही जग उपजाया l सो औतरहु मोर यह माया ) ये तो जीव के लिए यह बात कही जा रही है की माया और ईश्वर को अलग अलग समझ पाए ताकि प्रेम माया से नही बल्कि ईश्वर से कर पाए नारद जैसे महर्षि तो जगत के लिए उपदेश दे रहे है माया और ईश्वर में लिप्त होने के परिणाम की दिखा रहे है इसका मतलब माया कोई बुरी चीज नही है क्यू की ( भक्ति स्वतंत्र सकल गुण खानी ) भक्ति भी एक माया का रूप है जिसके द्वारा ईश्वर तक पहुंचा जा सकता है इस लिए दोनो की बाते सही है बस समझने का फर्क है
ये दोनों विद्वान सही कह रहे हैं लेकिन एक दूसरे को समझ और समझा नहीं पा रहे हैं,माया दो प्रकार की है एक विद्या और एक अविद्या, जहां अविद्या वहां परमात्मा नहीं मिलेगा और जहां विद्या है वहां परमात्मा मिलेंगे।
सर्वेश जी का कोई जोड़ नहीं बिना ज्ञान के तर्क कर रहे 😊विश्वामित्र
आचार्य शर्वेश दिवेदी जी महाराज बिलकुल सही बोल रहे हैं
जो व्यक्ति माया में लिप्त है वो ही ईश्वर से दूर है और जिसने माया को त्याग दिया बो भगवान का हो गया
नारद जी को ही देख लो माया में फसे तो भगवान से दूर और माया से दूर हुए तो फिर ईश्वर के हो गए
Jai parshuram
🙏
परशुराम जी को अध्ययन की आवश्यकता है विश्वामित्र जी का वक्तव्य वैदूष्य पूर्ण है
विश्वामित्र जी सत्य कह रहे धनुर्वेद का ज्ञान दिया है जोकि मेरे पास है सबसे पहले श्लोक में हे
🙏🙏
सर्वेश जी का कहना सही है
भाई जी वह श्लोक प्रस्तुति करें यदि आपके पास कोई प्रमाण है।
Vishwa mitra ji ki bahut ahnkar hai
Sahi baat hai @@arvindtomar8891
Jai parasuram
🙏🙏🙏
Sarvesh jee ka Chintan sahe hai
धन्यवाद जी 🙏🙏
ईश्वर का संबंध माया से नहीं, माया पुरुष की छाया कि तरह है, पुरुष सत्य है पुरुष छाया झूठी.. दृग दृश्य द्वै। पदार्थों स्त दृग ब्रह्म दृश्य मायेती सर्व वेदांत निर्णय..
गुरु चेला आपस मे गले नही मिलते
🙏
मेरी समझ मे विश्वामित्र सही बोल रहे हैं।परशुराम तर्क कर रहे हैं
Vishwamitra ji bhi maya ke vashibhut ho gye hai
Ye bat bilkul sahi ha ki parsuram ji maharaj ji k viswamitra ji guru han.
माया मोह से फसे बयकित को परमात्मा से मिलन नहीं हो सकता
विश्वामित्र जी से श्री परशुराम जी ने शिक्षा प्राप्त की इसका कोई श्लोक है तो लिखिए
Ha,aayiye ham de
पंडित जी जय हो विश्वामित्र जी को श्लोक वहां मंच में बोलना चाहिए बिना अहंकार के
Vishvamitra ki Bhasha abhiman purn hai
Parasram je sahe bol rahey hai
Man anandit ho gya hai
Dhanyawad ji 🙏
विश्वामित्र यदि परशुराम जी के गुरु हैँ तो दोनों लोग आपस में गले क्यों मिले हैँ 😮🙏
Vaise to humne bhi gyani logo suna hai ki bhagwan Shankar ji se hi gyan mila h
Jai shree Ram
जय श्री राम 🙏
माया भगवान से अलग कैसे हो सकती है क्यू की माया उसी परमात्मा की रचना है ( आदि शक्ति जेही जग उपजाया l सो औतरहु मोर यह माया ) ये तो जीव के लिए यह बात कही जा रही है की माया और ईश्वर को अलग अलग समझ पाए ताकि प्रेम माया से नही बल्कि ईश्वर से कर पाए नारद जैसे महर्षि तो जगत के लिए उपदेश दे रहे है माया और ईश्वर में लिप्त होने के परिणाम की दिखा रहे है इसका मतलब माया कोई बुरी चीज नही है क्यू की ( भक्ति स्वतंत्र सकल गुण खानी ) भक्ति भी एक माया का रूप है जिसके द्वारा ईश्वर तक पहुंचा जा सकता है इस लिए दोनो की बाते सही है बस समझने का फर्क है
जय हो 🙏
धन्यवाद व्यास जी 🙏
बहुत सुंदर
धन्यवाद 🙏जी
Vishvamitra Ji ne Sahi phansha Parshuram Ji ko
Vishvamitra ,adh jal gagari hai,
Vishvamitra ji ko kuchh bhi gyan nhi h bas faltu ki bkvas kr rhe ho parshuram ji maha gyani h ❤❤❤
Parasuram me viddwata hai
Jitendrajiaapkivartamemaya satiknahibethti koardhalibhimayamayinahiboli bolnekaprastobadh chadkar kartehopartaytayfiss
विश्वामित्र की भाषा अधूरी है शुद्ध ज्ञान का अभाव है
ये दोनों विद्वान सही कह रहे हैं लेकिन एक दूसरे को समझ और समझा नहीं पा रहे हैं,माया दो प्रकार की है एक विद्या और एक अविद्या, जहां अविद्या वहां परमात्मा नहीं मिलेगा और जहां विद्या है वहां परमात्मा मिलेंगे।
🙏
Jai parshuram
🙏🙏🙏