ऐसे बहुविद प्रतिभा के धनी श्री विद्या दत्त शर्मा जी को सादर नमन वंदन प्रणाम, हमारे जन प्रतिनिधियों,नेताओं, युवकों, नवजवानों और बुद्धिजीवी प्रशासन अधिकारियों के लिए प्रेरणा श्रोत है,इन्हें तो विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया जाना चाहिए,उत्तराखंड के नेता, मंत्री संतरी सभी को इनसे सलाह लेनी चाहिए,जय हिंद जय सनातन संस्कृति
Capital deharadun tik h bro Hum log isse ckkar me rehate h Hum soch yehi raha to ek din komaon ,Garhwal alag hone ki maag hogi Aap logo ki soch ki Karan
🤣🤣 ye hi chiz ye log nhi samjhte hai tm log apni Jamin kyu chhodege bhai tumhe to aur kabja karna chahiye koi तुम्हारी जमीन पे कब्जा कर लिया तो tm use chhod apna state ki bhumi km kr rhe।ho 😂😂apke waha ke kuch logo ke muh se suna hai ki Haridwar Rishikesh Dehradun ye sb jile ko pahad se alg kr do wo log kitne बेवकूफ है की 🤣🤣अलग होना चाहते है जबकि पैसा तो वही पे है सारी सुविधा भी लेकिन हद्द है@@nationfirst8193
सही बात है कोई भी पहाड़ की महिला पहाड़ में नहीं रहनाचाहती लेकिन महिलाओं के इस व्यवहार का भी करण आदमी ही है पहाड़ों में महिलाओं के पास सदियों से बहुत ज्यादा काम होता आया है पहाड़ों में लगभग खाना बनाना बच्चों का पालन पोषण जंगल जाना खेती बाड़ी करना जानवरों को पालना यह सारे काम महिलाओं के ऊपर ही हैं जबकि घर का पुरुष इन सभी महिलाओं का हाथ नहींबताता इसलिए अपनी माता बहनों का ही केवल दोष नहीं है
Apka kehna bilkul sahi h , keti to dur mahilaye waha isliye bhi nhi rehna chahti kyuki waha k log unhe majbur krte h kheti or pashupalan k liye, phle unhe waha rehne to do , unhe khud lagega ki hamare pass jameen h kyu na isme sabji etc ugayi jaye, ye gehu, chawal nhi to Kam se kam haldi , adrak jaisi cheeze ugaker bhi khet Abad reh skte h , admiyo ko bhi apne kheto pe dhyan dena chahiye .
आदरणीय विद्यादत्त शर्मा जी को सादर नमस्कार। आपकी गांवों को वापस बसाने की अभिलाषा पूरी तरह से अनुकरणीय है बस जरूरत है तो नई पीढ़ी को अपने पहाड़ के प्रति प्रेम और समर्पण को जगाने की आपकी तरह मैं भी यही समझता हूं कि एक न एक दिन इस पैतृक गांव को लौटना पड़ेगा ऐसा न हो कि तब बहुत देर हो जाय और आज के बच्चे खाली हाथ मलते रह जाएं । कास ऐसा कभी न हो । जय हमरी माटी जय देवभूमि।
उत्तराखंड का विकास सही मायने में तभी सम्भव है जब तक प्रत्येक गांव में स्वैच्छिक चकबंदी हो। इस पहाड़ी राज्य को मूल निवास भू कानून पहाड़ की राजधानी गैरसैंण तथा प्रत्येक योजना गांव को केंद्र में रखकर बनाई जाये तभी पलायन जैसे अभिशाप से उत्तराखंड के गांव को बचाये जा सकता है।।। नमन है डॉ शर्मा जी को जो चकबंदी को लेकर दूरदर्शी सोच एवं उनको साकार कर उत्तराखंडीयों का मार्गदर्शन कर रहें हैं।।।।।💐🌾🌿🙏
चकबंदी करने से कुछ नहीं जिसमें अपने गांव प्रदेश के लिए कुछ करने की जिज्ञासा है खेत बंजर पड़े हैं कब्जा करने के मकसद से खेती न करो चकबंदी से जो फायदे में हैं उसके अनुसार। काम करने से ही गांव बचाना है हनुमान बनना पड़ेगा जहां दूसरे अपने झूठे शान शौक पैसे के अंहकार के कारण बहाने बना कर खुद पलायन कर दूसरों को भी बहका रहे हैं क्योंकि कहते हैं ना गीदड़ अर्थात शियाल। उसका स्वभाव चालाक है की मौत आती है तो शहर की ओर भागता है वहीं हम लोगों की दशा है जो रास्ता शहर की ओर जाता है वह गांव की ओर भी आता है जिंदगी का कड़वा सच जिससे जितनी नफरत घृणा उसकी अंत में उतनी जरूरत
मेरा सुझाव है कि जो पहाड़ के लोग नौकरी से रीटायर हो चुके है और स्वस्थ है उनको अपनी जिंदगी पहाड़ मैं गुजारनी चाहिए और समाज के लिए अपना सहयोग देना चाहिऐ तभी पहाड़ का उत्थान होगा
क्या सुझाव है ये,60 साल के लगभग आदमी रिटायर होता है औऱ तब कौन सी उम्र है काम करने की ज़ब कि नौकरी हमसे छुड़वा दी जाती है कि अब आराम करो,, कुछ करने का जज्बा औऱ जोश जवानी में होता है औऱ उत्तराखंड का युवा हर रोज पलायन कर रहा है,,
Badola ji uttarakhand ka yuva kaam ka hota to aaj ye naubat he na ati. Aajkal to you tobber ho gaye hain bal sab pahad me padhai likhai me man nahi lagta bal Vo to up bihari Rajasthani haryana walon ke liye chod diya hai pahadi yuvaon ne. Or pehle you tobe or uske baad bartan dhone ka kaam ya phir koi choti moti job or uske baad free ki rashan daru meet se makkar chor nikkame neta chunwakar pahadon ki barbadi . Ye hai uttarakhand pahadi katha
एकदम स्पष्ट और सत्य आदरणीय शर्मा जी को सादर नमन, आज की मांगों और वर्तमान उत्तराखंड की वास्तविकता का बहुत सुंदर वृतांत बताकर एक ऐसा उदाहरण दिया जिसके लिए यहाँ के मुख्यमंत्री, नेता और महिलाओ सहित सभी दोषी हैं । चकबन्दी आवश्यक है परन्तु कैसे हो ?
सरकार को चाहिए कि पहाड़ की बिखरे खेतों को चकबंदी कर दिया जाए। प्लायन रुक सकता है। महिलाओं को सबसे ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। अगर चकबंदी कर दिया जाए तो महिलाओं को सबसे ज्यादा लाभ होगा। अत: मातृ शक्ति के लिए चकबंदी को जमीन पर उतारा जाए।
बहुत ही शानदार प्रस्तुति और उतना ही शानदार जज्बा आदरणीय ताऊ जी का। आपके जज्बे और कर्मठता को नमन करते हैं ।पहाड़ की पीड़ा को आपने बखूबी बयान किया। एंकर जोशी जी कृपया आदरणीय ताऊ जी का पता और मोबाइल नंबर देने का कष्ट कीजिए उनसे भेंट और दर्शन करने का सौभाग्य आपके माध्यम से प्राप्त हो सके। धन्यवाद🎉❤
चाचाजी विद्यादत्त जी को चरणस्पर्श। उत्तराखंड में चकबंदी के लिए मेरा भी एक सुझाव है कि सरकार प्रदेश की सारी बंजर जमीन का अधिग्रहण कर चकबंदी करे और फिर किसानी करने के इच्छुक उत्तराखंड के स्थानीय लोगों को चक इस शर्त पर आवंटित करे कि वो जमीन का सौदा नहीं कर सकेगा और अगर वो किसानी छोड़े तो जमीन सरकार को वापस करेगा जिसे सरकार अन्य स्थानीय इच्छुक को आवंटित कर देगी।
विद्या दत्त शर्मा जी के अनुभव दूरदर्शी सोच को कोटि कोटि दण्डवत प्रणाम बिल्कुल। आपने सही कहा अगर उत्तराखंड ही देश। को बचाना है तो गांव को बचाना जरूरी है गांव को बचाना है तो किसान को बचाना जरूरी है किसान को बचाना है तो खेती वो जैविक खेती को बचाना जरूरी है और खेती को बचाना है तो गाय को बचाना जरूरी है गाय बचेगी तो खेती बचेगी खेती बचेगी तो किसान बचेगा किसान बचेगा तो गांव बचेगा गांव बचेगा तो उत्तराखंड ही नहीं देश बचेगा देश बचेगा तो दुनिया बचेगी ये वाक्य शाश्वत है
When I see the villages there is no greenary instead u will find the deserted fd no body wanted to do the hard work it is now the new generation making mockery of old generation they say that they are getting 35 kgs/ration per head free then why to do the hard work ?
अच्छा हुआ जो हमारे बुजुर्गो ने बिखरी हुई जोतें अपनाई, अगर जिस दिन यहां पर चकबंदी हो गई, उसी दिन से ये आधुनिक उत्तराखंडी अपने बुजुर्गों की जमीन बेचने में देर नहीं लगायेंगे
❤दिल से नमन चाचा जी उत्तराखण्ङ का विकास वास्तव मां मूल जड़ चकबन्दी ही है यह यखक पहरेदार नी समजणा छन आप लोग हमर प्रेरणाएं का स्रोत छवो आपन अपण नाम पर शर्मा लिख्यूं ं.....इन्नी हमर क ई उनियाल बन्धु लिख्यूं कंफ्यूजन सि ह्वै जांद....भगवान आपको दीर्घयु दे यही कामना छ....
🎉🎉🎉🎉❤❤❤❤जय देव भूमि उत्तराखंड 🎉🎉🎉🎉🎉❤❤❤बहुत सुंदर वीडियोज 🎉🎉🎉🎉सत्यता पर आधारित 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉❤❤❤❤🎉🎉🎉परम आदरणीय विजयदत शर्मा जी को सादर अभिवादन 🎉🎉🎉🎉🎉❤❤❤बहुत ही महत्वपूर्ण प्रेरणादायक 🎉है इसके आगे कोई लिख भी क्या सकता है🎉 🎉लिखने के बजाय इस वीडियोज को बार-बार 🎉सुनना और मनन करना चाहिए 🎉🎉🎉❤❤❤❤हो सके तो आदरणीय डाक्टर शर्मा जी तरह अनुसरण 🎉🎉करने की कोशिश करनी चाहिए 🎉🎉🎉🎉🎉🎉तभी उत्तराखंड कहलायेगा 🎉अन्यथा जवां और पेपरों में ही रह जायेगा 🎉🎉🎉🎉🎉🎉बहुत बहुत बधाई और शुभ कामनाएं 🎉🎉🎉🎉🎉🎉❤❤❤❤❤❤❤जय देव भूमि उत्तराखंड 🎉🎉🎉जय हिंद 🎉भारत माता की जय 🎉बंदेमातरम 🎉🎉🎉🎉🎉
Dear Ghughuti Team, i am indebted to you for this enriching conversation with Dr vidyadutt sharma ji.... please make "chakbandi " one important issue in our pahadi discussion like bhu kanoon....its a request to all uttarakhand UA-cam'rs to create content on this and lets have a discussion...also we need detailed discussion with dr vidyadutt sharma ji on how he formulated his ideas of chakbandi..
Har naujawan ko sunna chahiye ye interview ye matr ek baatcheet ka vdo nahi balki boda ji ka poora 88 saal ka experience ka varnan hai dhanyawad joshi ji ❤
Uttarakhand rajya mai abhi kam se kam 12-15 saalo tak kaafi dikkate rehne wali h, kyunki abhi toh ye sab shuru hua h, abhi dikkate badhengi aur jab dikkate zyada badhne lag jaengi tab log wapis aayenge, yahi chakra h jeewan ka.
He is a multifaceted personality. Salute to him. Undoubtedly, the way he lived his life will be a source of inspiration for many. May God bless Uttarakhand.
पहले संयुक्त परिवार हुआ करते थे,कोई घर को देखता था,कोई पशुओं को,कोई खेती,सब काम मिलजुलकर होता था।अब सब अलग रहना चाहते हैं तो एक अकेली बच्चे भी संभाले,गाय -भैंस भी पाले,जंगल से घास भी लाये और खेती भी करे ये बहुत मुश्किल है।😊
Joshi ji aap ke khuj bahut kamall ki yaise maha purush ka gyan koi uttarakhand ka mukhyamantri le to tab Himachal pardesh jaisa hoga Jaise waha ka pahala mukhyamantri karke Gaya tha nahin to uttarakhand ko bachane wala koi nahi hai 🙏🙏🙏🙏❤️
सही बात है उत्तराखंड के लिए अच्छी अच्छी योजनाएं ए जाए तो महिला भी रहने लगा जाएगी क्योंकि महिला भी घर में रोज कुछ होता नहीं है खेती बाड़ी से महिलाएं इसलिए दूर भागते हैं ऐसी बात नहीं है कि महिलाएं नहीं रहती है काम भी करते हैं कभी जानवर जो है खेती पार्टी सब साफ कर जाते हैं तो महिलाओं को कोई फायदा होता नहीं है जानवर को छोड़कर नहीं है कभी कभी बंधन नहीं छोड़ दे कभी सुंदर नहीं छोड़ते हैं कभी वह छोटे छोटे चीज का जाती है महिलाओं को किसने पैदा होने देते हैं हम भी पहाड़ियां ऐसी बातें हमारा गांव हमारे बाप दादा की जन्मभूमि में हम पहाड़ में ही रहते हैं लेकिन होता कुछ नहीं है
उत्तराखंड के गांव में बहुत दूरी दूरी पर खेत है अगर चकबंदी करके एक जगह सभी के खेत आ जाएं सबको अलग अलग जगह एक एरिया मिल जाए तो पलायन में कुछ मदद मिल सकती है
गाँव से शहर आने पर 5-7 हजार रुपए कमाने वाला आदमी भी अपने परिवार को साथ रख रहा है ,जो गाँव के खुले -खुले वातावरण के बजाय एक छोटे से कमरे में बड़ी मुश्किल से गुजारा करते हैं।😬
आपकी बात भी सही होगी लेकिन मेरे हिसाब से क्या पहले जंगली जानवर नहीं थे पहले भी थे पहले 100% खेत आबाद थे तो जंगली जानवर नुकसान करते थे तो 10% तब उतना नुकसान नहीं होता है अब 10% खेत आबाद होंगे तो सारे जंगली जानवर वही नुकसान करेंगे अब तो जंगली जानवर से बचाने के लिए बहुत उपाय हो गए हैं
यदि विकास के नाम पर गांव-गांव के मोहल्ले मोटर मार्गों, सड़कों से जोड़े जा रहे हैं तो वनों की भी भारी क्षति हुई है! यदि वन्य क्षेत्रों में मानवीय अतिक्रमण बढ़ता जाता है तो वन्य पशुओं का आवादी में हस्तक्षेप भी उन पशुओं की परवशता ही समझनी चाहिए, क्योंकि उनका भी प्रकृति में समान अधिकार है और इससे प्राकृतिक संतुलन भी बना रहता था। यहां पर विकास स्विट्जरलैंड की शैली में होना चाहिए था परंतु नेताओं, ठेकेदारों, चमचों और अभियंताओं- सहअभियंताओं की गाड़ी कमाई तले विकास के नाम पर सब विनाश ही हो रहा है। तीर्थों और पवित्र धामों को पर्यटन स्थल बनाकर व्यवसाय करना भी अभिशाप ही है।
आप सही बात कह रहे हो पर आम उत्तराखंड की जनता को कोसना आसान है पर मान्यवर सरकार की मंशा भी समझिए जो स्कूल अस्पताल मैदानी क्षेत्रों में है उसका 50 प्रतिशत भी अगर दूरस्थ पहाड़ों में हो जाय तो पलायन पर काफी रोक लग सकती है आज भी पहाड़ो में जब कोई बीमार होता है तो उसे पहाड़ो में वो इलाज नही मिल पाता है तो उसे मैदानी क्षेत्र में आकर इलाज करवाना पड़ता है हर व्यक्ति को अच्छी स्वास्थ्य सेवा और उन्नत शिक्षा का अधिकार है तो फिर ये मूलभूत सुविधाएं सिर्फ मैदान तक ही सीमित क्यों ।
दिल को छू लिया , मैं एक बार अपने बचपन की यादों में चला गया। वाकई पहाड़ स्वर्ग है। मैं बागेश्वर जिले का निवासी हूं। हमारे गांव से भी पलायन हो गया । पहले 16 परिवार थे पर आज 2024 में 3 परिवार है। कहा गयी वो गाव जंहा एक अलग ही लोगो मे लगाव था ।
यही तो है पहाड़ की पीड़ा लोगा गांव से शहर की ओर जा रहें हैं ❤ भू कानून और पहाड़ो के गांव में विकास तभी कुछ हो सकता है ए सरकार को आंख खोल कर देखना होगा ✊ ॐ नमः शिवाय 🙏🔱
उत्तराखंड में नैनीताल जिले के हैं हमारे गांव में कोई भी खेती सबसे नहीं हो पाती है क्योंकि जानवरों की दुख से और जो है वहां गांव में कुछ आलू लगाओ या फिर कोई और चीज लगाओ तो सब खत्म कर देते हैं जानवर
विद्या दत शर्मा आप से विनर्म निवेदन है आप ये समशिया हल कर के अपना जीवन धन्य करे आप कि अति कृपा होगी सभी लोगो को एक जगह उसकी जमीन मिल जायेगी तो उसका मान होगा लोग फाम हाउस बनाएं जा सकते है लोगो को जागुरता आयेगी और कृषि भी तभी हो पाएगी आप का धन्यवाद जय श्री देव भूमि उत्तराखण्ड
क्या आप उत्तराखंड खंड के वर्तमान मुख्यमंत्री जी से यह उम्मीद करते है की मूलनिवास और भूकानून बनायेगे जो मुख्यमंत्री चुनाव हारने के बाद भी मुख्यमंत्री बना हो वह उत्तराखण्डियों के हितों में फैसला कैसे ले सकता है मुख्यमंत्री तो वही काम करेगा जो मोदी जी चाहेगे क्यू की इनको तो सिर्फ मुख्यमंत्री बना रहना है उनको तो उत्तराखंड से मुख्यमंत्री बना रहना है जनता तो चिलाते रहे आज की सरकार में एक भी सांसद या विधायक जिसने मूलनिवास और भू कानून की बात की हो जनता आपने अपने जनप्रतिनिधियों से कहे हमारे बारे में सोचे हमने आपको बोट इसी लिए दिया है की आप हमारे लिए कुछ करे ना की केवल अपने और अपने रिश्तेदारों के बारे में सोचे
पहाङो से पलायन का मेन कारण रोजगार और हेल्थकेयर सुविधा है अगर कोई भी सरकार ऐसा सुधार करे जिस से लोगो को वही रोजगार ओर हेल्थकेयर सुविधा मिले तो कौन ये शहर की गन्दगी और महगाई मे आएगा मजबूरी सब कराती है उस के लिए फिर घर भी क्यो ना छोडना पङे।
शर्मा जी! पूरे देश में अकर्मण्यता बढ़ती जा रही है। मजदूरों से लेकर सरकारी कर्मचारियों तक हर किसी को पैसे चाहिये, बिना काम किये। बायोमेट्रिक उपस्थिति आदेश कहीं भी क्रियान्वयित नहीं हो सका। इसके लिए लोगों ने धरना प्रदर्शन तक किये हैं।
ऐसे बहुविद प्रतिभा के धनी श्री विद्या दत्त शर्मा जी को सादर नमन वंदन प्रणाम, हमारे जन प्रतिनिधियों,नेताओं, युवकों, नवजवानों और बुद्धिजीवी प्रशासन अधिकारियों के लिए प्रेरणा श्रोत है,इन्हें तो विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया जाना चाहिए,उत्तराखंड के नेता, मंत्री संतरी सभी को इनसे सलाह लेनी चाहिए,जय हिंद जय सनातन संस्कृति
बहुत ही अच्छे विचार, जिस तरह से पलायन हो रहा है उससे तो लगता है कि आने वाले 20 सालों में पहाड़ ,पहाड़ी मुक्त हो जायेगा
नहीं होगा,मैंने रिटायर होकर पहाड़ में ही रहना है।
असल पहाड़ी हैं शर्मा जी आप, जो इस उम्र में भी पहाड़ में रहकर अपनी माटी की सेवा कर रहे हैं।❤
घुघुती चैनल का बहुत बहुत धन्यवाद जिन्होंने ऐसी प्रेरणा स्रोत महापुरुष से मिलवाया जो वर्तमान व भविष्य की आने वाली पीढियां के लिए प्रेरणा का स्रोत है
उत्तराखंड सरकार को गैरसैंण को स्थाई राजधानी घोषित कर देना चाहिए और साथ ही भू कानून और मूल निवास 1950 लागू कर देना चाहिए।
सही बात है
Capital deharadun tik h bro
Hum log isse ckkar me rehate h
Hum soch yehi raha to ek din komaon ,Garhwal alag hone ki maag hogi
Aap logo ki soch ki Karan
🤣🤣 ye hi chiz ye log nhi samjhte hai tm log apni Jamin kyu chhodege bhai tumhe to aur kabja karna chahiye koi तुम्हारी जमीन पे कब्जा कर लिया तो tm use chhod apna state ki bhumi km kr rhe।ho 😂😂apke waha ke kuch logo ke muh se suna hai ki Haridwar Rishikesh Dehradun ye sb jile ko pahad se alg kr do wo log kitne बेवकूफ है की 🤣🤣अलग होना चाहते है जबकि पैसा तो वही पे है सारी सुविधा भी लेकिन हद्द है@@nationfirst8193
घुघुती ही एक मात्र उत्तराखंडी चैनल जो राजनीतिक दल का ना होकर पहाड़ की बात करता है
Baramasa bhi
सही बात है कोई भी पहाड़ की महिला पहाड़ में नहीं रहनाचाहती लेकिन महिलाओं के इस व्यवहार का भी करण आदमी ही है पहाड़ों में महिलाओं के पास सदियों से बहुत ज्यादा काम होता आया है पहाड़ों में लगभग खाना बनाना बच्चों का पालन पोषण जंगल जाना खेती बाड़ी करना जानवरों को पालना यह सारे काम महिलाओं के ऊपर ही हैं जबकि घर का पुरुष इन सभी महिलाओं का हाथ नहींबताता इसलिए अपनी माता बहनों का ही केवल दोष नहीं है
Apka kehna bilkul sahi h , keti to dur mahilaye waha isliye bhi nhi rehna chahti kyuki waha k log unhe majbur krte h kheti or pashupalan k liye, phle unhe waha rehne to do , unhe khud lagega ki hamare pass jameen h kyu na isme sabji etc ugayi jaye, ye gehu, chawal nhi to Kam se kam haldi , adrak jaisi cheeze ugaker bhi khet Abad reh skte h , admiyo ko bhi apne kheto pe dhyan dena chahiye .
गजब कुतर्क भरे लोग हैं।।।
उत्तराखंड के पुरुष क्या करते हैं ! यह तो मैंने भी देखा हे कि सिर्फ़ महिला ही सारा काम करती हैं
Apke parivar ke mard aise the toh iski vajah tum sabhi mardo ko mat btao, hamare parivar or gaon ke sabhi mard or aurat barabar kaam krte hein
भाई अपने सही कहा
ऐसे कृषक,बुद्धिजीवी और साहित्यकार जो हम पहाड़ियों के लिए समर्पित है,धन्य हो आप का जीवन। मैं भी हिमाचल के सुदूर वर्ती जिला किन्नौर का निवासी हूं।
राठौर जी,आपके प्रदेश की युवा पीढ़ी भी साधन संपन्न होते हुए सेव के बगीचों में काम नहीं करना चाहती ,सभी शहरों की ओर भाग रहे हैं ।
हूँ
आदरणीय विद्यादत्त शर्मा जी को सादर नमस्कार। आपकी गांवों को वापस बसाने की अभिलाषा पूरी तरह से अनुकरणीय है बस जरूरत है तो नई पीढ़ी को अपने पहाड़ के प्रति प्रेम और समर्पण को जगाने की आपकी तरह मैं भी यही समझता हूं कि एक न एक दिन इस पैतृक गांव को लौटना पड़ेगा ऐसा न हो कि तब बहुत देर हो जाय और आज के बच्चे खाली हाथ मलते रह जाएं । कास ऐसा कभी न हो । जय हमरी माटी जय देवभूमि।
उत्तराखंड का विकास सही मायने में तभी सम्भव है जब तक प्रत्येक गांव में स्वैच्छिक चकबंदी हो। इस पहाड़ी राज्य को मूल निवास भू कानून पहाड़ की राजधानी गैरसैंण तथा प्रत्येक योजना गांव को केंद्र में रखकर बनाई जाये तभी पलायन जैसे अभिशाप से उत्तराखंड के गांव को बचाये जा सकता है।।।
नमन है डॉ शर्मा जी को जो चकबंदी को लेकर दूरदर्शी सोच एवं उनको साकार कर उत्तराखंडीयों का मार्गदर्शन कर रहें हैं।।।।।💐🌾🌿🙏
चकबंदी करने से कुछ नहीं जिसमें अपने गांव प्रदेश के लिए कुछ करने की जिज्ञासा है खेत बंजर पड़े हैं कब्जा करने के मकसद से खेती न करो चकबंदी से जो फायदे में हैं उसके अनुसार। काम करने से ही गांव बचाना है हनुमान बनना पड़ेगा जहां दूसरे अपने झूठे शान शौक पैसे के अंहकार के कारण बहाने बना कर खुद पलायन कर दूसरों को भी बहका रहे हैं क्योंकि कहते हैं ना गीदड़ अर्थात शियाल। उसका स्वभाव चालाक है की मौत आती है तो शहर की ओर भागता है वहीं हम लोगों की दशा है जो रास्ता शहर की ओर जाता है वह गांव की ओर भी आता है जिंदगी का कड़वा सच जिससे जितनी नफरत घृणा उसकी अंत में उतनी जरूरत
उत्तराखंड राज्य नहीं बनता तो पलायन नहींहोता आंकड़े उठाकर देख लो सरकार के नीतियों के कारण पलायन हुआ
आपने सिद्ध कर दिया कि खेती उत्तम है।
उत्तराखण्ड में कृषि के नये आयाम आपने पैदा किये। धन्य हैं आप ।
One of the best episode.... He told truth... Nobody wants to work hard.. All wants sarakari nokari
Om Parkash Dabas a organic farmer from delhi
मेरा सुझाव है कि जो पहाड़ के लोग नौकरी से रीटायर हो चुके है और स्वस्थ है उनको अपनी जिंदगी पहाड़ मैं गुजारनी चाहिए और समाज के लिए अपना सहयोग देना चाहिऐ तभी पहाड़ का उत्थान होगा
सहमत। सेवानिवृत्ति के बाद मैं आ गया हूँ नैनीताल। अब शेष जीवन भर यही हमारा कर्म क्षेत्र है।
Sir problem health issues hain.
Kyonki job karte karte body lagbhag khatam ho jate hai.
क्या सुझाव है ये,60 साल के लगभग आदमी रिटायर होता है औऱ तब कौन सी उम्र है काम करने की ज़ब कि नौकरी हमसे छुड़वा दी जाती है कि अब आराम करो,, कुछ करने का जज्बा औऱ जोश जवानी में होता है औऱ उत्तराखंड का युवा हर रोज पलायन कर रहा है,,
Badola ji uttarakhand ka yuva kaam ka hota to aaj ye naubat he na ati.
Aajkal to you tobber ho gaye hain bal sab pahad me padhai likhai me man nahi lagta bal
Vo to up bihari Rajasthani haryana walon ke liye chod diya hai pahadi yuvaon ne.
Or pehle you tobe or uske baad bartan dhone ka kaam ya phir koi choti moti job or uske baad free ki rashan daru meet se makkar chor nikkame neta chunwakar pahadon ki barbadi .
Ye hai uttarakhand pahadi katha
@@pankajsingh1463 तो पहल कीजिए इसे सुधारने की
एकदम स्पष्ट और सत्य
आदरणीय शर्मा जी को सादर नमन, आज की मांगों और वर्तमान उत्तराखंड की वास्तविकता का बहुत सुंदर वृतांत बताकर एक ऐसा उदाहरण दिया जिसके लिए यहाँ के मुख्यमंत्री, नेता और महिलाओ सहित सभी दोषी हैं ।
चकबन्दी आवश्यक है परन्तु कैसे हो ?
सरकार को चाहिए कि पहाड़ की बिखरे खेतों को चकबंदी कर दिया जाए। प्लायन रुक सकता है। महिलाओं को सबसे ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। अगर चकबंदी कर दिया जाए तो महिलाओं को सबसे ज्यादा लाभ होगा। अत: मातृ शक्ति के लिए चकबंदी को जमीन पर उतारा जाए।
बहुत ही बढ़िया एपिसोड। ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए घुघुती चैनल और एंकर जोशी जी का बहुत धन्यवाद।
बहुत ही शानदार प्रस्तुति और उतना ही शानदार जज्बा आदरणीय ताऊ जी का। आपके जज्बे और कर्मठता को नमन करते हैं ।पहाड़ की पीड़ा को आपने बखूबी बयान किया। एंकर जोशी जी कृपया आदरणीय ताऊ जी का पता और मोबाइल नंबर देने का कष्ट कीजिए उनसे भेंट और दर्शन करने का सौभाग्य आपके माध्यम से प्राप्त हो सके। धन्यवाद🎉❤
चाचाजी विद्यादत्त जी को चरणस्पर्श। उत्तराखंड में चकबंदी के लिए मेरा भी एक सुझाव है कि सरकार प्रदेश की सारी बंजर जमीन का अधिग्रहण कर चकबंदी करे और फिर किसानी करने के इच्छुक उत्तराखंड के स्थानीय लोगों को चक इस शर्त पर आवंटित करे कि वो जमीन का सौदा नहीं कर सकेगा और अगर वो किसानी छोड़े तो जमीन सरकार को वापस करेगा जिसे सरकार अन्य स्थानीय इच्छुक को आवंटित कर देगी।
बहुत ही अछी बात बोली सर ने। ऐसे लोगो को उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री बनना चाहिए। ग्रेट पर्सनालिटी
विद्या दत्त शर्मा जी के अनुभव दूरदर्शी सोच को कोटि कोटि दण्डवत प्रणाम बिल्कुल। आपने सही कहा अगर उत्तराखंड ही देश। को बचाना है तो गांव को बचाना जरूरी है गांव को बचाना है तो किसान को बचाना जरूरी है किसान को बचाना है तो खेती वो जैविक खेती को बचाना जरूरी है और खेती को बचाना है तो गाय को बचाना जरूरी है गाय बचेगी तो खेती बचेगी खेती बचेगी तो किसान बचेगा किसान बचेगा तो गांव बचेगा गांव बचेगा तो उत्तराखंड ही नहीं देश बचेगा देश बचेगा तो दुनिया बचेगी ये वाक्य शाश्वत है
When I see the villages there is no greenary instead u will find the deserted fd no body wanted to do the hard work it is now the new generation making mockery of old generation they say that they are getting 35 kgs/ration per head free then why to do the hard work ?
बहुत अच्छा शर्मा जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपने हमे इतनी अच्छी बात बताई
उत्तराखंड के महान कर्मयोगी श्री विद्यादतजी को प्रणाम! आशा है कि आज के युवा आपसे प्रेरणा लेकर धन्य होंगे।
हमारे बुजर्ग शर्मा जी को प्रणाम . हमें उनके विचारों पर मनन करना चाहिए . साथ ही घुघती चैनल को धन्यवाद है ।
सरकार और आज की पीढ़ी दोनों ही इस तरह के प्राकृतिक वातावरण को महत्व नहीं देंगे।
सरकारी नीतियां तो पहाड़ की समृद्धि से ईर्ष्या करतीं हैं।
अच्छा हुआ जो हमारे बुजुर्गो ने बिखरी हुई जोतें अपनाई, अगर जिस दिन यहां पर चकबंदी हो गई, उसी दिन से ये आधुनिक उत्तराखंडी अपने बुजुर्गों की जमीन बेचने में देर नहीं लगायेंगे
❤दिल से नमन चाचा जी उत्तराखण्ङ का विकास वास्तव मां मूल जड़ चकबन्दी ही है यह यखक पहरेदार नी समजणा छन आप लोग हमर प्रेरणाएं का स्रोत छवो आपन अपण नाम पर शर्मा लिख्यूं ं.....इन्नी हमर क ई उनियाल बन्धु लिख्यूं कंफ्यूजन सि ह्वै जांद....भगवान आपको दीर्घयु दे यही कामना छ....
पहाड़ की संवेदना को प्रकट करती जीवन के ८८ वें बसंत की प्रगाढ़ आवाज 🙏
🎉🎉🎉🎉❤❤❤❤जय देव भूमि उत्तराखंड 🎉🎉🎉🎉🎉❤❤❤बहुत सुंदर वीडियोज 🎉🎉🎉🎉सत्यता पर आधारित 🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉❤❤❤❤🎉🎉🎉परम आदरणीय विजयदत शर्मा जी को सादर अभिवादन 🎉🎉🎉🎉🎉❤❤❤बहुत ही महत्वपूर्ण प्रेरणादायक 🎉है इसके आगे कोई लिख भी क्या सकता है🎉 🎉लिखने के बजाय इस वीडियोज को बार-बार 🎉सुनना और मनन करना चाहिए 🎉🎉🎉❤❤❤❤हो सके तो आदरणीय डाक्टर शर्मा जी तरह अनुसरण 🎉🎉करने की कोशिश करनी चाहिए 🎉🎉🎉🎉🎉🎉तभी उत्तराखंड कहलायेगा 🎉अन्यथा जवां और पेपरों में ही रह जायेगा 🎉🎉🎉🎉🎉🎉बहुत बहुत बधाई और शुभ कामनाएं 🎉🎉🎉🎉🎉🎉❤❤❤❤❤❤❤जय देव भूमि उत्तराखंड 🎉🎉🎉जय हिंद 🎉भारत माता की जय 🎉बंदेमातरम 🎉🎉🎉🎉🎉
Dear Ghughuti Team, i am indebted to you for this enriching conversation with Dr vidyadutt sharma ji.... please make "chakbandi " one important issue in our pahadi discussion like bhu kanoon....its a request to all uttarakhand UA-cam'rs to create content on this and lets have a discussion...also we need detailed discussion with dr vidyadutt sharma ji on how he formulated his ideas of chakbandi..
Tau ji ki line bahut badiya hai.... manna padega guru tau ji m aapka chela aabse..❤❤🙏🙏🙏🙏
Har naujawan ko sunna chahiye ye interview ye matr ek baatcheet ka vdo nahi balki boda ji ka poora 88 saal ka experience ka varnan hai dhanyawad joshi ji ❤
सादर नमन आदरणीय विद्या दत्त शर्मा जी।
प्रेरणादायक
Bahut sundar information satya vachan sat sat naman ❤❤❤ Jai uttarakhand 🙏🙏
Uttarakhand rajya mai abhi kam se kam 12-15 saalo tak kaafi dikkate rehne wali h, kyunki abhi toh ye sab shuru hua h, abhi dikkate badhengi aur jab dikkate zyada badhne lag jaengi tab log wapis aayenge, yahi chakra h jeewan ka.
नमन ऐसे महान व्यक्ति को 👏🙏
महान शख्सियत को नमन
अकर्मण्यता और मुफ्तखोरी! नमन शर्मा जी!!🙏🙏🙏
इन कर्मयोगी महापुरुष के शब्दों पर चिंतन किया जाय तो असल में
उत्तराखंड को बचाया जा सकता है। काश सरकार तक इनकी बात पहुच जाये।
दादा जी ने बहुत सही कहा,, बचाओगे तो भुमि जीवित रहेगी।
Ji Bilkul satya vachan hey Dr. Sharma ji ki Ati sunder
He is a multifaceted personality. Salute to him. Undoubtedly, the way he lived his life will be a source of inspiration for many. May God bless Uttarakhand.
नमन है सर जी आपका आशीर्वाद सदैव बना रहे आप प्रेरणा के श्रोत हैं हम सभी उत्तराखंडी वासियो के लिए
अगर पहाड़ों में अच्छे स्तर के स्कूल कॉलेज अच्छी स्वास्थ्य सुविधा , रोजगार अन्य हिमालई राज्यों के जैसे विकसित हो तो गांव दुबारा से रौनक दार हो जाए
केवल तेरह ही जिले हैं।ज्यादा खर्च भी नहीं आयेगा।
निश्चित ही सर आप पूरे पहाड़ के लिए अपने आप को एक महामानव के रूप में शापित कर दिया है आपको कोटि कोटि प्रणाम और बहुत बहुत बधाई🎉🌹💗💥🙏
पहले संयुक्त परिवार हुआ करते थे,कोई घर को देखता था,कोई पशुओं को,कोई खेती,सब काम मिलजुलकर होता था।अब सब अलग रहना चाहते हैं तो एक अकेली बच्चे भी संभाले,गाय -भैंस भी पाले,जंगल से घास भी लाये और खेती भी करे ये बहुत मुश्किल है।😊
Ghughuti channel ko bahut bada aabhar Mahan Purush ko Apne Rubaru karvaya
Great a big salute to respected Sharma ji. Kash pahad k log unki tarah soch or ker paty
Joshi ji aap ke khuj bahut kamall ki yaise maha purush ka gyan koi uttarakhand ka mukhyamantri le to tab Himachal pardesh jaisa hoga Jaise waha ka pahala mukhyamantri karke Gaya tha nahin to uttarakhand ko bachane wala koi nahi hai 🙏🙏🙏🙏❤️
Hat's Off 🙏😊👌✌👍
Prabhu ji ek dum sahi baat keh rahe hai... Government ko seriously lena chahiye
Adbhut partibha ke dhani,salute hai🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉
bahut sundar ..mera parnam 🙏 uttarakhand ki in mahabibhuti ji ko ..
सही बात है उत्तराखंड के लिए अच्छी अच्छी योजनाएं ए जाए तो महिला भी रहने लगा जाएगी क्योंकि महिला भी घर में रोज कुछ होता नहीं है खेती बाड़ी से महिलाएं इसलिए दूर भागते हैं ऐसी बात नहीं है कि महिलाएं नहीं रहती है काम भी करते हैं कभी जानवर जो है खेती पार्टी सब साफ कर जाते हैं तो महिलाओं को कोई फायदा होता नहीं है जानवर को छोड़कर नहीं है कभी कभी बंधन नहीं छोड़ दे कभी सुंदर नहीं छोड़ते हैं कभी वह छोटे छोटे चीज का जाती है महिलाओं को किसने पैदा होने देते हैं हम भी पहाड़ियां ऐसी बातें हमारा गांव हमारे बाप दादा की जन्मभूमि में हम पहाड़ में ही रहते हैं लेकिन होता कुछ नहीं है
डाक्टर विद्यादत्त शर्मा जी से पूर्णत: सहमत।
पूर्ण रूप से प्रतिबंध वरना केंद्र सरकार जीमेदार होगी जिसने पहाड़ों में घूस्पेड करवाई हमे मोदी जी से अभी भी काफी उम्मीद है
Wow ase log bhi hai uttrakhand m
Ase log ko sat sat pranam
आपका इस मुद्दे पे एपिसोड बनाने के लिए एवम शर्मा जी जैसे विद्वान से मिलने के लिए धन्यवाद।
इनका फॉर्मूला प्रैक्टिकल एवम धरातल से जुड़ा है।
उत्तराखंड के गांव में बहुत दूरी दूरी पर खेत है अगर चकबंदी करके एक जगह सभी के खेत आ जाएं सबको अलग अलग जगह एक एरिया मिल जाए तो पलायन में कुछ मदद मिल सकती है
100%
गाँव से शहर आने पर 5-7 हजार रुपए कमाने वाला आदमी भी अपने परिवार को साथ रख रहा है ,जो गाँव के खुले -खुले वातावरण के बजाय एक छोटे से कमरे में बड़ी मुश्किल से गुजारा करते हैं।😬
Uttarakhand need bhoo kanoon and new cm as pahadi party🙏🏻
Good job done by Joshi je namaste 🙏
कोटि कोटि नमन है ऐसे महापुरुष को🙏
Jay devbhoomi uttarakhand ❤️❤️
Great thought of unkle ji 👍👍👍👍
खेती तो माहिलाए करना चाहती है लेकिन जंगली जानवर खेती को बहुत नुकसान पहुंचाते है इसलिए खेती से मोह भंग हो रहा है
आपकी बात भी सही होगी
लेकिन मेरे हिसाब से क्या पहले जंगली जानवर नहीं थे पहले भी थे पहले 100% खेत आबाद थे तो जंगली जानवर नुकसान करते थे तो 10% तब उतना नुकसान नहीं होता है अब 10% खेत आबाद होंगे तो सारे जंगली जानवर वही नुकसान करेंगे
अब तो जंगली जानवर से बचाने के लिए बहुत उपाय हो गए हैं
यदि विकास के नाम पर गांव-गांव के मोहल्ले मोटर मार्गों, सड़कों से जोड़े जा रहे हैं तो वनों की भी भारी क्षति हुई है! यदि वन्य क्षेत्रों में मानवीय अतिक्रमण बढ़ता जाता है तो वन्य पशुओं का आवादी में हस्तक्षेप भी उन पशुओं की परवशता ही समझनी चाहिए, क्योंकि उनका भी प्रकृति में समान अधिकार है और इससे प्राकृतिक संतुलन भी बना रहता था। यहां पर विकास स्विट्जरलैंड की शैली में होना चाहिए था परंतु नेताओं, ठेकेदारों, चमचों और अभियंताओं- सहअभियंताओं की गाड़ी कमाई तले विकास के नाम पर सब विनाश ही हो रहा है। तीर्थों और पवित्र धामों को पर्यटन स्थल बनाकर व्यवसाय करना भी अभिशाप ही है।
आप सही बात कह रहे हो
पर आम उत्तराखंड की जनता को कोसना आसान है पर मान्यवर सरकार की मंशा भी समझिए जो स्कूल अस्पताल मैदानी क्षेत्रों में है
उसका 50 प्रतिशत भी अगर दूरस्थ पहाड़ों में हो जाय तो पलायन पर काफी रोक लग सकती है
आज भी पहाड़ो में जब कोई बीमार होता है तो उसे पहाड़ो में वो इलाज नही मिल पाता है तो उसे मैदानी क्षेत्र में आकर इलाज करवाना पड़ता है
हर व्यक्ति को अच्छी स्वास्थ्य सेवा और उन्नत शिक्षा का अधिकार है तो फिर ये मूलभूत सुविधाएं सिर्फ मैदान तक ही सीमित क्यों ।
Ap thik bola jo bhi bola ek no 👉❤👈
Salute to the old youngman and very energetic person I pray to almighty for his longevity of life and all more success in future.
दिल को छू लिया , मैं एक बार अपने बचपन की यादों में चला गया। वाकई पहाड़ स्वर्ग है। मैं बागेश्वर जिले का निवासी हूं। हमारे गांव से भी पलायन हो गया । पहले 16 परिवार थे पर आज 2024 में 3 परिवार है। कहा गयी वो गाव जंहा एक अलग ही लोगो मे लगाव था ।
M very impressed by unkele ji👍
Dada ji ap mahan hy sarkar ko yai baty sunany chaychay
This is gem of an interview ! ❤
घुघूती का आभार 🎉❤
Bahut Prerak baat cheet Prerak marg darshak , saadar naman
यही तो है पहाड़ की पीड़ा लोगा गांव से शहर की ओर जा रहें हैं ❤ भू कानून और पहाड़ो के गांव में विकास तभी कुछ हो सकता है ए सरकार को आंख खोल कर देखना होगा ✊ ॐ नमः शिवाय 🙏🔱
Bahut hi mehanti aadmi hai ye pandit jee
बुबु जी 🙏🙏 आपको सत् सत् नमन
उत्तराखंड में नैनीताल जिले के हैं हमारे गांव में कोई भी खेती सबसे नहीं हो पाती है क्योंकि जानवरों की दुख से और जो है वहां गांव में कुछ आलू लगाओ या फिर कोई और चीज लगाओ तो सब खत्म कर देते हैं जानवर
Koti Koti naman
विद्या दत शर्मा आप से विनर्म निवेदन है आप ये समशिया हल कर के अपना जीवन धन्य करे आप कि अति कृपा होगी सभी लोगो को एक जगह उसकी जमीन मिल जायेगी तो उसका मान होगा
लोग फाम हाउस बनाएं जा सकते है लोगो को जागुरता आयेगी और कृषि भी तभी हो पाएगी आप का धन्यवाद जय श्री देव भूमि उत्तराखण्ड
श्रद्धेय शर्मा जी को शत शत नमन।
जब से उत्तराखंड बना है,तब से तेजी से पलायन बढ़ा है,खासकर देहरादून की तरफ
ye bhaut achi baate batae hai apne, ese he motivational aur jeevit karne wali baate aur logo k interview aese he laate rahiye joshi bhai ji🥰🙏🙏
निःशब्द l दिल की गहराइयों से नमन l
पौड़ी के बहुत बुरे हाल है पलायन के मामले मे।
बहुत सुंदर पॉडकास्ट
दुख है लेकिन सच यही है कि पहाड़ अब आबाद नही हो सकता है।
पहाड़ पहाड़ियों से है।
और कोही पहाड़ी पहाड़ में नही रहना चाहता।
Really appreciable work.
बहुत बहुत शुभकामनाएं एवं बधाई। पुरूषार्थ हेतु।
हम सबके लिए प्रेरणास्रोत
Bahut bariya
क्या आप उत्तराखंड खंड के वर्तमान मुख्यमंत्री जी से यह उम्मीद करते है की मूलनिवास और भूकानून बनायेगे जो मुख्यमंत्री चुनाव हारने के बाद भी मुख्यमंत्री बना हो वह उत्तराखण्डियों के हितों में फैसला कैसे ले सकता है मुख्यमंत्री तो वही काम करेगा जो मोदी जी चाहेगे क्यू की इनको तो सिर्फ मुख्यमंत्री बना रहना है उनको तो उत्तराखंड से मुख्यमंत्री बना रहना है जनता तो चिलाते रहे आज की सरकार में एक भी सांसद या विधायक जिसने मूलनिवास और भू कानून की बात की हो जनता आपने अपने जनप्रतिनिधियों से कहे हमारे बारे में सोचे हमने आपको बोट इसी लिए दिया है की आप हमारे लिए कुछ करे ना की केवल अपने और अपने रिश्तेदारों के बारे में सोचे
Wah re Charan chumbak darbaaree😂
मैं 58 साल का हूँ, इनको मिलने जरूर जाऊँगा।
उनसे मिलने से अच्छा कुछ काम कर लो जी।
Meri najar me dehradun haridwar kotdwar Haldwani us nagar utrakhand nhi hai
Ye uttrakhand ke under hi doosra state hai
पहाङो से पलायन का मेन कारण रोजगार और हेल्थकेयर सुविधा है अगर कोई भी सरकार ऐसा सुधार करे जिस से लोगो को वही रोजगार ओर हेल्थकेयर सुविधा मिले तो कौन ये शहर की गन्दगी और महगाई मे आएगा मजबूरी सब कराती है उस के लिए फिर घर भी क्यो ना छोडना पङे।
शर्मा जी! पूरे देश में अकर्मण्यता बढ़ती जा रही है। मजदूरों से लेकर सरकारी कर्मचारियों तक हर किसी को पैसे चाहिये, बिना काम किये। बायोमेट्रिक उपस्थिति आदेश कहीं भी क्रियान्वयित नहीं हो सका। इसके लिए लोगों ने धरना प्रदर्शन तक किये हैं।
शर्मा जी के विचार बहुत उत्तम है़ परन्तु खेती मे जानवरो के नुकशान का कोई उपाय नही बताया,?
Bade bujurgo ki baat ✅💯
All is possible 😎😎😎
Down to earth unkle ji🙏
Aap dhanya hain Vidya Dutt jee.
बहुत सुन्दर ❤❤❤❤