Anahad Mein Bisram (अनहद में बिसराम) # 7 - 10 || osho || Bhakti Sansar Official // osho

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  • Опубліковано 19 лют 2024
  • / @mahaguruoshorajneesh
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    विज्ञान तो पदार्थ का होता है; और विज्ञाता होना आत्मबोध है, परमात्म-अनुभव है, सत्य-साक्षात है। इसलिए विज्ञान और विज्ञाता शब्द को सबसे पहले स्पष्ट अलग-अलग कर लो। एक ही धातु से बनते हैं दोनों। भाषाकोश में एक ही अर्थ है दोनों का। इसलिए भूल हो सकती है। लेकिन यह सूत्र जिन्होंने कहा होगा, वे कुछ भाषा के जानकार ही नहीं; अनुभव, रससिक्त, उस परम विज्ञान की, विज्ञाता की अवस्था में रहे हुए व्यक्ति रहे होंगे।
    तो पहला भेद: विज्ञान अर्थात साइंस, और विज्ञाता अर्थात धर्म। विज्ञान विचार पर निर्भर होता है, और विज्ञाता निर्विचार पर। विज्ञान में सोचना होता है; विज्ञाता होने में सोचने का अतिक्रमण करना होता है।
    जब तक सोच-विचार है, तब तक मन में उपद्रव है, तब तक झंझावात, आंधियां, तूफान; नाव डांवाडोल! किनारा मिलेगा कि नहीं मिलेगा! कि मझधार में ही डूब जाना होगा! यूं ही चिंता में क्षण बीतते। ऐसे ही संताप में समय गुजरता। अब डूबे, तब डूबे की हालत होती।
    Anahad Mein Bisram (अनहद में बिसराम) : --
    • Anahad Mein Bisram # 1-10
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