Became millionaire by Quail rearing (बटेर पालन से लखपति बने रणधीर)

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  • Опубліковано 16 жов 2024
  • बटेर पालन ने रणधीर की किस्मत को बदल दिया है. जहाँ वे कुछ रुपयों के लिए मुहताज थे आज वे लाखों रूपये अपने गांव में रह कर अर्जित कर हे हैं. बटेर पालन का व्यवसाय कम स्थान, कम समय व कम लागत से शुरू किया जा सकता है। थोड़े ही दिनों मे इस व्यवसाय से लाभ प्राप्त होने लगता है।यह व्यवसाय पूरे वर्श किया जा सकता है। जितने क्षेत्र मे एक मुर्गी को रखा जाता है उतने ही क्षेत्र में 8-10 बटेर पाला जा सकता है। पांच सप्ताह की उम्र मे यह करीब 300 ग्राम का तैयार हो जाता है। 6-7 सप्ताह मे बटेर अंडा भी देना षुरू कर देती है। बाजार में प्रतिअंडा 3 रूप्ये की दर से बिक जाता है। जबकि एक बटेर करीब 60 रूप्ये मे बेचा जाता है। रोगप्रतिरोधक क्षमता अधिक रहने के कारण मुर्गियों की तुलना में बटेर में बीमारियाॅ भी लगभग नही के बराबर होती है।
    रंधीर कुमार को षुरूआत में 200 बटेर चूजों को 40 दिन तक पालन करने पर 6000 रूप्ये की लागत आयी और 1200 रूप्ये मे इसकी ब्रिकी हुई। इससे उत्साहित होकर इस व्यवसाय को बड़े स्तर पर करने की लालसा भी उत्पन्न हुई। इन्होने बटेर की लेयर फार्मिंग की आज करीब 4000 बटेर का पालन कर इन्हें प्रतिमाह 25-30 हजार रूप्ये यानि साल के करीब साढ़े तीन लाख रूपये की शुद्ध आमदनी हो जाती है। रंधीर कुमार को बटेर के अंडे का वृहत रूप मे उत्पादन कर मार्केंटिंग करना तथा मांस उत्पादन के लिए करीब 10 हजार बटेर चूजों का पालन वर्ष में १० लाख रूपये शुद्ध आमदनी हासिल करना इनका लक्ष्य हैए जो कि इनके लगन और महानत को देखकर ज्यादा मुश्किल नहीं लग रहा.
    रंधीर इस इलाके के युवाओं के रोल मोडल बन चुके हैं बटेर पालन में इनकी सफलता को देखकर प्रखंड के कई युवाओं ने केंद्र पर बटेर पालन का प्रषिक्षण प्राप्त कर इसे व्यवसाय के रूप मे षुरू किया है। मशरूम उत्पादन के लिए प्रशिक्षण भी हाल में ही लिया है... कृषि विज्ञानं केंद्र के मार्गदर्शन में इन्होने अपनी खेती को भी सुधारा है और यहाँ से भी इन्हें अच्छी खासी आमदनी अब हो जा रही हैण्ण्ण् जहाँ कभी वे कुछ पैसों के लिए संघर्ष कर रहे थे आज गौरव अपने बटेर पालन और सुव्यवस्थित खेती से घर बैठे ५ से ६ लाख रूपये सालाना की आमदनी कर रहे हैं और युवाओं को दिखा रहे हैं एक नयी राह...

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