हमारे भारत में तपस्या का बहुत सम्मान माना जाता है तपस्या में बहुत शक्ति होती है स्त्री का पतिव्रता होना बहुत उत्तम माना जाता है हमारी भारतीय सभ्यता में यह गौरव की बात है
@@amitsingh-gv5grtu hi ghar se nikalte vyabhichar karta hai or ghar me bhi islie teri stree pativrata nah hogi... Pavitra sthan par hi pavitrat hoti ha tujh jaiso ke sath nahi jo vasna se bhar ho🤣😂🤣
Nahi tum log sanatan ko isliye nahi support karte ho kyunki yeh Satya hai tum log ise isliye support karte ho kyunki yeh purush ko hi saare adhikar deta hai mushkil se pure jeevan mein stri ko ek adhikar Mila hai swayamvar ka iss kahani mein iss ek adhikar kaa bhi hanan ho raha hai isliye tum log ise sunkar phoole nahi sama rahe ho kaash ki tum log bhi stri hi ban jayo
@@BhumiBhadani mere dost me khud Sanatani hu....but me Andhbhakt nhi hu....Me Satya ka support karta hu.... Sanatan k naam p Atyachar ka support nahi krta hu....Or baat rhi tum logo ki toh tum Sanatan k naam p Adharm ko support karte ho !!.....Ab aao is story p, toh bhai Kon sa Swamvar hua yha??.... Chyavan Rishi ne khud bola ki mujhe aapki ladki pasand hai ,isse me Vivah karna chahta hu ...Toh isme Chyavan Rishi Vivah ko bol rhe hai, ladki nahi ..... pehle toh samjh lo bhai......kisi anjan Kanya se koi galati ho gai toh iska mtlb vo Kisi 20-21 sal ki ladki ki Shadi kisi 60-70 sal k bujurg se kar doge ???...Ye kon sa Swayar hai ??.....Or baat rhi Swamvar ki to vo bs 5-10 % Women k liye hi possible tha, 90 % women ko koi adhikar nahi tha !!..... Most of the women ko pita se sampatti ka adhikar nhi tha, padhne likhne ka adhikar nahi tha,koi vyavsay krne ka adhikar nahi tha, independent yagya krne ka adhikar nahi tha.......But tum log Women ko insaan smjhte hi kha ho, jab tum Women hote toh bta chlta........tum jaise log Adharm ko support karte ho, Galat ko support karte ho , Atyachar ko support karte ho or bolte ho ki yahi Dharm hai ,yahi Sanatan hai !!....But ab sabko pta chl chuka hai ki Satya hi Sanatan hai, baki sab pakhand hai Adharm hai..... Please accept the Truth!
@@BhumiBhadanimere bhai ! Me bhi toh yhi bol rha hu jo tum bol rhe ho ! Ye bol rha hu ki Satya hi Sanatan hai Mtlb ki Stri ka samman karna Satya hai or apmaan Krna Ahenkar hai jhoot hai.... isiliye ye story bta rhi hai ki hazaro sal pehle bhi Stri k uper atyachar hota tha jaise ki iss Story m Sach dikhaya hai !!...Story mahilao ki condition ko sach sach bta thi hai ki Dharm k naam p ham logo ne mahilao p kitna Atyachar kia , jo ki Dharm nhi tha, Adharm tha....Kyuki Satya , Prem, karuna hi Sanatan Dharm hai baki sirf Tilak lagana, Pooja Krna Sanatan Dharm nhi hai !!
@@BhumiBhadanibhai , me bhi vhi bol rha hu jo tum bol rhe ho, but tum samjhe nhi meri baat !!......me Satya ko Sanatan bol rha hu, Pakhand ko nahi !!...Or jo Women ko Chhota bolte hai, women ko barabari nhi dete hai vo Pakhandi hote hai ,Sanatani nhi !!...Tilak lagane se, Geruye kapde pehanne se, khud ko Brahmins bolne se koi Sanatani nhi hota hai !!...Sanatani vo hota hai jo sabko Equal smjhta hai, women ko samman deta hai jaise ki bhagwan Buddha ne dia !!........But aajkal Brahmins log Sanatan k naam p pakhand faila rhe hai !!....
Wah bahut khub sukanya ne apne pati dharm ki raksha bhi ki aur apne pati ko bilkul Jawan aur khub Surat bhi aswani Kumari se. Theek Kara liya, aisi pati warta nari ko ram ji ka asirwad,♥️
सनातन पौराणिक कथाओं को पवित्र साधक ही सार्थक अर्थ कर सकते हैं जो सदाचार और उच्च शब्दज्ञान भाव से युक्त हों!लौकिक संसारी कदाचारी इन पौराणिक कथाओं का मर्म निरर्थक ही निकालैगे।
उत्तम पद इंद्र का होता अगर ये जो ग्वुत्तम ऋषि की पत्नी आल्या पर मोहित हो जाते है चंद्र आप ने गुरुपत्नी पर मोहित हो जाते है खुद भोलेनाथ मोहनि रूप पर मोहित होता है तो क्या एक तपस्वी कोय स्त्री पर मोहित नही होता केसा भी तपस्वी हो कोय स्त्री को जीत नही पाते है ये हिंदू धर्म की ज्ञानमय कथा है जो विधर्मी को समझ नहीं आता
हरे कृष्णा, सही ज्ञान के लिए आप अपने धर्मशास्त्रों को खुद पढ़ेंगे, और जब संदेह हो तो किसी ज्ञानी गुरुजन से प्रश्न करके उत्तर ले...ये मिश्रित कहानी है आधा ज्ञान, सही कहानी को ज्यादा view देने के लिए, कहानीकार जी झूठ परोस रहे है, कृपा श्रीमद्भागवत जी में ये कहानी खुद पड़े...और नादान लोगों की भाँति व्यवहार नहीं करे, आपके पास इतना भी समय नहीं की अपने शास्त्रों को पढ़ें ,तो उन पर संदेह करने का भी हक नहीं, जब तक पूरी बात पता नहीं हो कुछ भी मत टाइप कर दो। इन्हें सुनो और अपने संदेह खुद दूर karo...खुद शास्त्र पढ़ कर अपने गुरुजनों से पूछ कर। 🙏🏻
@@umeshsihote4498 कृपा खुद श्रीमद्भागवत पड़े उसमें ये कथा दी हुई है, भाई साहब कुछ भटक गए है, ऋषि च्यवन को खुद कन्या दी थी अपनी राजा ने, ...ये बॉलीवुड का तड़का लगा रहे हैं, भगवान इनको सद्बुद्धि दे।
यह कहानी मेरे ही क्षेत्र की है, यह नारनौल, हरियाणा में ढोसी नमक तीर्थ है। मैं इस कहानी को अच्छी तरह जानता हूं, श्रीमद् भागवत महा पुराण में भी इसका वर्णन आता है। परंतु शब्दों को मर्यादित रखकर भी इन्हें समझा जा सकता है। सत्यं परमं दी मही।
पतिव्रता धर्म द्वारा हमारे सनातन धर्म की महिलाएं देवता दानव यमराज पर भारी पड़ती हुई अपनी हर चाहत की पूर्ति की हैं। जैसे अनुसुइया माता के द्वारा ब्रह्मा ,विष्णु, महेश क़ो बालक बनाकर स्तनपान कराना , सावित्री द्वारा सत्यवान का आयु जीत लेना आदि। यही सुकन्या के द्वारा यहां भी हुआ है़। यही सनातन धर्म की खूबसूरती है़। जय सनातन धर्म।
महर्षि ऋषि च वन महामुनी धोखे से सुकन्या के द्वारा जब आंखें फूट जाती है तब बुढ़ापे के सहारे की रूप में शादी ही एकमात्र रास्ता था जब गलती हुई है सेवा तो करना ही पड़ेगा सेवन की पूरी कहानी और इतिहास पढ़ने पर सब समझ में आ सकता है समझ में आएगा महर्षि बहुत महान थे
वासना से भरपूर पुरुष 90%. वैसे ऋषि माने Scientist, Scholar, Academicians, Researchers इन सबके लिए लिए इस्तेमाल किया गया शब्द था। और तपस्या सिर्फ ध्यान में बैठने को नही, कठोर, लगनशील, परिश्रम को भी कहते हैं। वैसे पुरुषों की uncontrolled वासना दुनिया भर में सिर्फ समस्या भी पैदा करती आई है। पुरुष सत्तात्मक समाज का कुपरिणाम। एक में तो सारे लंपटों को इकट्ठा करके मजहब हो बना लिया। मातृसत्तात्मक समाज होता तो ऐसे पुरूष कंट्रोल में रहते, और दुनिया में शांति।
मैं यह पौराणिक कथा पढ़ चुका हूं कहीं पर भी च्यवन ऋषि ने राजकुमारी से प्रेम नहीं किया था। बल्कि राजकुमारी पतिव्रता थी उसने वृद्ध पति च्यवन ऋषि को खुद चुना था क्योंकि राजकुमारी से अंजाने में ऋषि की आंख फूट गई थी इसलिए वह ऋषि के जीवन में एक पत्नी बनकर सहायता करना चाहती थी। इसमें संभोग शब्द कहीं नहीं आया है यह गलत बात है। लेकिन अश्विनी कुमारों ने राजकुमारी की सतीत्व की परीक्षा लेने के लिए दोनों में से एक को पति बनाने का प्रस्ताव रखा था । उसके पति व्रत धर्म से प्रसन्न होकर ही उन्होंने ऋषि च्यवन को फिर से युवा बना दिया था। आप धार्मिक कहानियों में अश्लीलता डालकर हिंदू ग्रंथों को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हो। अगर ऐसा कहीं लिखा भी है तो धर्म ग्रंथों के साथ छेड़छाड़ किया गया है। लेकिन मैंने इस तरह की कहानियां में ऐसी मर्यादा हीनता न देखा है और न ही पढ़ा है तो आप कहां से ले आते हो ऐसी मनघड़ंत गंदगी और वह भी सनातन के धर्म ग्रंथों के ऊपर।
Bilkul sahi kaha aapne..iss magapaapi ne devi ahilya, panchdevi me se ek h jo unko bhi bahut bura bola ki unhone khud ki marzi se inder dev se relation bnaya!
हमने complete कथा पढी है । ऋषि च्यवन नेआसक्ति के कारण सुकन्या को नहीं माँगा था । अंधे होने के कारण वे बिना किसी की सहायता / सेवा के जीवन सुचारु रूप से नहीं चला सकते थे । और - तपस्वी महात्मा ऐसे ही किसी से सेवा नहीं लेते । सुकन्या ने ही उनकी आँखें फोड़ी थी , इसलिए सेवा करने का कर्तव्य भी उसका ही था । जब पत्नी स्वीकार कर लिया तो उसकी प्रसन्नता की जिम्मेदारी भी महऋषी की ही थी । इसलिए उन्होंने अश्विनीकुमारों का यौवन देने का प्रस्ताव स्वीकार किया था - वासना के कारण नहीं ।
राजा ने स्वयं अपनी इच्छा से अपनी इच्छा से ऋषि की सेवा के लिए दिया था न की चमन ऋषि ने जबरदस्ती से मांगा था नाजायज फायदा उठाया या उनसे संभोग करने के लिए दबाव बनाया इस कथा के बारे में मैं नजदीक से जानता हूं
सिर्फ नीचता की वजह से च्यवन ने सुकन्या को अपने साथ रखा था।अगर उसे सेवा की जरूरत थी तो राजा कोई भी इंतजाम करवा सकता था।मगर ऋषि ने नीचता और कामना से वश होकर सुकन्या को मांगा था।ये नीचता की पराकाष्ठा है।
@@kahaniyonkichaupal नवम स्कंध में तीसरा अध्याय है 'महर्षि च्यवन और सुकन्या का चरित्र, राजा शराति (sharyaati) का वश । 488 पेज पर है मेरे श्री भागवत में 🙏🏻 आपका अवश्य नया संस्करण होगा , सनातन धर्म को बदनाम करने व युवाओं को भटकाने के लिए काफी इतिहास बदला है, मैंने आपको दोष नहीं दिया आप तो अच्छा काम ही कर रहे है, पर इस बार आपसे थोड़ी चूक हो गई। 🙏🏻 कृपा शास्त्रों को पढ़ कर, अपने गुरु से उसका सन्दर्भ को समझे।
Nice aur Sahi story.rishi Muni ki Kahani hamesha shikshprad rehti hain.aap to aur video dalein.kuch log hain unki mansiktra kharab aur Gandi hai UN par dhyan mat dein.very nice story.
यह कथा हमारे घर की है, महर्षि हमारे पूर्वज हैं। दरअसल अश्वनि कुमारों ने एक पेस्ट (प्राश) तैयार किया है जिसे खाकर महर्षि को यौवन मिला। फिर बाद में इसी पराश के नाम पर चिर युवा रहने के लिए च्यवनप्राश बना। जो आज भी लोग खाते हैं। च्यवन ऋषि आश्रम गोण्डा यूपी में आप सभी का स्वागत है।
हिन्दू भोग शब्द तो है ही साथ ही आज यदि यह तथाकथित ऋषि कुमारों होते तोइन्हैभँड कह जाता । आज एसा तोगैरकानूनी है। पतिकीबात माने काअर्थ पितृसत्तातमक है आज के क़ानून केआधारमे ख़त्म
स्रोत की सूचना :- यह कहानी श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के द्वितीय खण्ड के प्रथम भाग में वर्णित है। Edit :- 1. यदि आपको लगता है कि यहां वासना से संबंधित कहानियां ही पेश की जाती हैं तो इसका एक कारण यह हो सकता है कि आप सिर्फ इन कहानियों पर ही ध्यान दे रहे हों, क्योंकि पिछली 20 कहानियों में मात्र 7 कहानियां ही ऐसी हैं जो वासना विषय से संबंध रखती हैं; उनमें भी एक कहानी पिछली दो कहानियों का संग्रह ही है अतः इफेक्टिव आंकड़ा 6 ही हुआ! 2. च्यवन ऋषि ने दबाव बनाया या नहीं तो इस विषय में इतना ही कहना है कि एक तपस्वी और अनुभवी ऋषि जब एक कम वय की लड़की के बेध्यानी में गलती करने पर उसे निःशर्त क्षमा नहीं कर के उसके पिता से यह प्रस्ताव रख रहें हैं कि आपकी बेटी से विवाह होने पर ही आपकी जान बचेगी, क्योंकि मैं उसपर मोहित हूं, तो यह एक तरह का दबाव ही लगता है। 3. ये कहानियां पुराणों में वर्णित हैं और निश्चित तौर पर पुराण लिखने वाले विद्वान ऋषि मुनि सनातन को बदनाम तो नहीं ही करना चाहते होंगे, फिर उनके लिखे को आपके सामने पढ़ने मात्र से सनातन धर्म की बदनामी कैसे हो जाती है? यदि ये बाद की मिलावटें हैं तो हमारे आज के धर्माचार्य और गीताप्रेस जैसे प्रकाशन संस्थान इसे खारिज क्यों नहीं करते हैं? वास्तव में सनातन धर्म की कहानियां उसे बदनाम नहीं करतीं बल्कि उन कहानियों को सुनकर आपका मन जो छवि गढ़ता और समझता है वह सही या गलत होता है। परम् पूज्य महाकवि तुलसीदास जी लिखते हैं :- जाकर रही भावना जैसी। प्रभु मूरत तिन्ह देखी तैसी।।....🙏
बुद्धि का निर्णय कर निष्कर्ष देने का कार्य है । लेकिन यह पूर्वाग्रह से ग्रसित रहती है ।लेकिन जब सत्य का बोध हो जाय तो यहीं सत्य का ही निर्णय करता हैं ।
हमारे भारत में तपस्या का बहुत सम्मान माना जाता है तपस्या में बहुत शक्ति होती है स्त्री का पतिव्रता होना बहुत उत्तम माना जाता है हमारी भारतीय सभ्यता में यह गौरव की बात है
माना जाता है, होती नही है
@@amitsingh-gv5grtu hi ghar se nikalte vyabhichar karta hai or ghar me bhi islie teri stree pativrata nah hogi...
Pavitra sthan par hi pavitrat hoti ha tujh jaiso ke sath nahi jo vasna se bhar ho🤣😂🤣
यही सत्य सनातनी संस्कृति और मनुवादी धर्म-कर्म है धन्यवाद मत्स्य कानून ।
बहुत अच्छा भाई!आप ऐसे ही सत्य को उजागर करते रहिये! क्यूंकि सत्य ही सनातन है और सनातन ही धर्म है, बाकी सब झूठ, छलावा और पाखण्ड है।
Nahi tum log sanatan ko isliye nahi support karte ho kyunki yeh Satya hai tum log ise isliye support karte ho kyunki yeh purush ko hi saare adhikar deta hai mushkil se pure jeevan mein stri ko ek adhikar Mila hai swayamvar ka iss kahani mein iss ek adhikar kaa bhi hanan ho raha hai isliye tum log ise sunkar phoole nahi sama rahe ho kaash ki tum log bhi stri hi ban jayo
@@BhumiBhadani mere dost me khud Sanatani hu....but me Andhbhakt nhi hu....Me Satya ka support karta hu.... Sanatan k naam p Atyachar ka support nahi krta hu....Or baat rhi tum logo ki toh tum Sanatan k naam p Adharm ko support karte ho !!.....Ab aao is story p, toh bhai Kon sa Swamvar hua yha??.... Chyavan Rishi ne khud bola ki mujhe aapki ladki pasand hai ,isse me Vivah karna chahta hu ...Toh isme Chyavan Rishi Vivah ko bol rhe hai, ladki nahi ..... pehle toh samjh lo bhai......kisi anjan Kanya se koi galati ho gai toh iska mtlb vo Kisi 20-21 sal ki ladki ki Shadi kisi 60-70 sal k bujurg se kar doge ???...Ye kon sa Swayar hai ??.....Or baat rhi Swamvar ki to vo bs 5-10 % Women k liye hi possible tha, 90 % women ko koi adhikar nahi tha !!..... Most of the women ko pita se sampatti ka adhikar nhi tha, padhne likhne ka adhikar nahi tha,koi vyavsay krne ka adhikar nahi tha, independent yagya krne ka adhikar nahi tha.......But tum log Women ko insaan smjhte hi kha ho, jab tum Women hote toh bta chlta........tum jaise log Adharm ko support karte ho, Galat ko support karte ho , Atyachar ko support karte ho or bolte ho ki yahi Dharm hai ,yahi Sanatan hai !!....But ab sabko pta chl chuka hai ki Satya hi Sanatan hai, baki sab pakhand hai Adharm hai..... Please accept the Truth!
@@BhumiBhadanimere bhai ! Me bhi toh yhi bol rha hu jo tum bol rhe ho ! Ye bol rha hu ki Satya hi Sanatan hai Mtlb ki Stri ka samman karna Satya hai or apmaan Krna Ahenkar hai jhoot hai.... isiliye ye story bta rhi hai ki hazaro sal pehle bhi Stri k uper atyachar hota tha jaise ki iss Story m Sach dikhaya hai !!...Story mahilao ki condition ko sach sach bta thi hai ki Dharm k naam p ham logo ne mahilao p kitna Atyachar kia , jo ki Dharm nhi tha, Adharm tha....Kyuki Satya , Prem, karuna hi Sanatan Dharm hai baki sirf Tilak lagana, Pooja Krna Sanatan Dharm nhi hai !!
ये सत्य नही, सिर्फ कथा है
@@BhumiBhadanibhai , me bhi vhi bol rha hu jo tum bol rhe ho, but tum samjhe nhi meri baat !!......me Satya ko Sanatan bol rha hu, Pakhand ko nahi !!...Or jo Women ko Chhota bolte hai, women ko barabari nhi dete hai vo Pakhandi hote hai ,Sanatani nhi !!...Tilak lagane se, Geruye kapde pehanne se, khud ko Brahmins bolne se koi Sanatani nhi hota hai !!...Sanatani vo hota hai jo sabko Equal smjhta hai, women ko samman deta hai jaise ki bhagwan Buddha ne dia !!........But aajkal Brahmins log Sanatan k naam p pakhand faila rhe hai !!....
बहुत अच्छी लगी 🙏🙏
जय सनातन 🚩🚩 जय भारत 🇮🇳🇮🇳
This is for the first time I am listening the hidden truth of our ancient scriptures for the first time through your fascinating voice. Thanks 🙏
Video bahut Sundar bahut achha laga
❤❤❤❤❤❤❤❤❤NICE VIDEO VAI DILL KHUSH HO GAYA MIND BLOWING VIDEO VAI.....
ATI sunder aaur bahut hi khoobsoorat
Matches excellent beyond comments salute to the religious story teller
बहुत रोचक कहानी है। धन्यवाद एवं आभार।
अति सुन्दर कथा है जी
आपका बहुत बहुत धन्यवाद ❤
ऊं जय गुरुदेव निखिलेश्वरानंदाय सदगुरुदेवाय नमो नमः।
बहुत बहुत धन्यवाद आपकों सत्य कथाएं कह कर अछा लगता है
Wah bahut khub sukanya ne apne pati dharm ki raksha bhi ki aur apne pati ko bilkul Jawan aur khub Surat bhi aswani Kumari se. Theek Kara liya, aisi pati warta nari ko ram ji ka asirwad,♥️
❤ଭାରତ ଉପନିଷଦ ପୌରାଣିକ ଆଖ୍ୟାନ ଉତ୍ସାହ ଗର୍ଭକ ଅଦ୍ୱିତୀୟ ସାହିତ୍ୟ ବିଶ୍ଵ ବିଖ୍ୟାତ ତାତ୍ତ୍ୱିକ ଜ୍ଞାନ ପ୍ରଦାୟକ କଥା ଶୁଣି ଅଭିଭୂତ ଜୟ ମହର୍ଷି ଚ୍ୟବନ ଜୟ ଜଗନ୍ନାଥ
वेद पुराणों शास्त्रों के ज्ञान के प्रकाश से आप जनसामान्य को अभिभूत कर रहे हैं। आपका आभार एवं आपको नमन्....
सनातन पौराणिक कथाओं को पवित्र साधक ही सार्थक अर्थ कर सकते हैं जो सदाचार और उच्च शब्दज्ञान भाव से युक्त हों!लौकिक संसारी कदाचारी इन पौराणिक कथाओं का मर्म निरर्थक ही निकालैगे।
Your story is very interesting or spiritual. This story to learn to follow his religion.
शिक्षा प्रद एवम ज्ञान वर्धक कहानी।
यह कैसी तपस्या है जो अपनी वासना पर नियंत्रण न रख सके.
उत्तम पद इंद्र का होता अगर ये जो ग्वुत्तम ऋषि की पत्नी आल्या पर मोहित हो जाते है चंद्र आप ने गुरुपत्नी पर मोहित हो जाते है खुद भोलेनाथ मोहनि रूप पर मोहित होता है तो क्या एक तपस्वी कोय स्त्री पर मोहित नही होता केसा भी तपस्वी हो कोय स्त्री को जीत नही पाते है ये हिंदू धर्म की ज्ञानमय कथा है जो विधर्मी को समझ नहीं आता
सारी पौराणिक गाथाये ऐसे ही साहित्यिक शब्दों के लेप से वासनाओं के खेल से भरी हुई है,,
हरे कृष्णा, सही ज्ञान के लिए आप अपने धर्मशास्त्रों को खुद पढ़ेंगे, और जब संदेह हो तो किसी ज्ञानी गुरुजन से प्रश्न करके उत्तर ले...ये मिश्रित कहानी है आधा ज्ञान, सही कहानी को ज्यादा view देने के लिए, कहानीकार जी झूठ परोस रहे है,
कृपा श्रीमद्भागवत जी में ये कहानी खुद पड़े...और नादान लोगों की भाँति व्यवहार नहीं करे, आपके पास इतना भी समय नहीं की अपने शास्त्रों को पढ़ें ,तो उन पर संदेह करने का भी हक नहीं, जब तक पूरी बात पता नहीं हो कुछ भी मत टाइप कर दो।
इन्हें सुनो और अपने संदेह खुद दूर karo...खुद शास्त्र पढ़ कर अपने गुरुजनों से पूछ कर। 🙏🏻
@@umeshsihote4498 कृपा खुद श्रीमद्भागवत पड़े उसमें ये कथा दी हुई है, भाई साहब कुछ भटक गए है, ऋषि च्यवन को खुद कन्या दी थी अपनी राजा ने, ...ये बॉलीवुड का तड़का लगा रहे हैं, भगवान इनको सद्बुद्धि दे।
यह कहानी मेरे ही क्षेत्र की है, यह नारनौल, हरियाणा में ढोसी नमक तीर्थ है। मैं इस कहानी को अच्छी तरह जानता हूं, श्रीमद् भागवत महा पुराण में भी इसका वर्णन आता है। परंतु शब्दों को मर्यादित रखकर भी इन्हें समझा जा सकता है। सत्यं परमं दी मही।
Per amarjada kaha hua??
@@rafalodeaogo3032 दोबारा बताइए आप क्या कहना चाहते है?
Excellent religious story and depicted in goodness
Yes very good news about India 🇮🇳 😊
❤bahut hi gyanbardhak kahani hai
पतिव्रता धर्म द्वारा हमारे सनातन धर्म की महिलाएं देवता दानव यमराज पर भारी पड़ती हुई अपनी हर चाहत की पूर्ति की हैं। जैसे अनुसुइया माता के द्वारा ब्रह्मा ,विष्णु, महेश क़ो बालक बनाकर स्तनपान कराना , सावित्री द्वारा सत्यवान का आयु जीत लेना आदि। यही सुकन्या के द्वारा यहां भी हुआ है़। यही सनातन धर्म की खूबसूरती है़। जय सनातन धर्म।
भारतीय अध्यात्म,धर्म और संस्कृति महानतम है।
अद्भुत....
बहुत ही सुन्दर पौराणिक कथा प्रस्तुति आपको धन्यवाद
बहुत अच्छी लगी 🙏🙏 wonder thankyou
कृपया कहानी को पूरा सुन कर ही अपने विचार व्यक्त करें ❤
महर्षि ऋषि च वन महामुनी धोखे से सुकन्या के द्वारा जब आंखें फूट जाती है तब बुढ़ापे के सहारे की रूप में शादी ही एकमात्र रास्ता था जब गलती हुई है सेवा तो करना ही पड़ेगा सेवन की पूरी कहानी और इतिहास पढ़ने पर सब समझ में आ सकता है समझ में आएगा महर्षि बहुत महान थे
Dhanyavad Bhaee
Devi Sukanya jaisi Pativrata Sadhvi ko Kiti Koti Pranam!
Jay shree swami Narayan.
टॉप 🙏🙏
हिन्दुस्तान की नई सुबह का इंतजार 🇮🇳🇮🇳🙏जय हिंद जय भारत 🇮🇳🇮🇳🙏
सनातन धर्म सत्य है
शाश्वत है।
बाकी सब धर्म बकबकाने में दक्ष है।
Excellent..
Ati sundar gyanpurn prachin kahani sunane Dhanyvad
भारतीय नारी को शत शत प्रणाम!
Sataymev.jaytev
बहुत ही सुन्दर कथा आपको साधुवाद एवं नमन
Beautiful story 🙏🙏🙏🙏🙏💐💐💐💐💐💐💐💯💯💯💯💯💯💯
बिलकुल ठीक लिखा है यह मन गर्न्थ कहानी है
28:41
Bhog, waasana se koi nahi mukt ho sakata hai.
Gujar jaana hi mukti hai.
Sukanya ne apani tyaag, tapasya ka samman kiya hai.
Dhanyavaad
च्यवन ऋषि ने ही च्यवनप्राश बनाया जिसको खा कर एक वृद्ध भी काम सुख को भोग सकता है।
कथाओं को कथा ही मानना चाहिए, उसे सत्य कथा की तरह प्रस्तुत नही करना चाहिए। इससे धार्मिकता और अध्यात्मिकता आहत होती है
इतनी तपस्या करने के बाद भी काम पर विजय नहीं ।
वासना से भरपूर पुरुष 90%.
वैसे ऋषि माने Scientist, Scholar, Academicians, Researchers इन सबके लिए लिए इस्तेमाल किया गया शब्द था। और तपस्या सिर्फ ध्यान में बैठने को नही, कठोर, लगनशील, परिश्रम को भी कहते हैं।
वैसे पुरुषों की uncontrolled वासना दुनिया भर में सिर्फ समस्या भी पैदा करती आई है।
पुरुष सत्तात्मक समाज का कुपरिणाम। एक में तो सारे लंपटों को इकट्ठा करके मजहब हो बना लिया।
मातृसत्तात्मक समाज होता तो ऐसे पुरूष कंट्रोल में रहते, और दुनिया में शांति।
बहुत रोचक और ज्ञान वर्धक कथा,सुंदर प्रस्तुति..❤
बहुत अच्छे ❤
बढिया
Nice massage 👌👌
Life me itni hi loyalty honi chahiye
Kahani sunane Ko dhanyvad
Bahut hi gyanvardhak kahani hai bahut bahut dhanyvad.
मैं यह पौराणिक कथा पढ़ चुका हूं कहीं पर भी च्यवन ऋषि ने राजकुमारी से प्रेम नहीं किया था। बल्कि राजकुमारी पतिव्रता थी उसने वृद्ध पति च्यवन ऋषि को खुद चुना था क्योंकि राजकुमारी से अंजाने में ऋषि की आंख फूट गई थी इसलिए वह ऋषि के जीवन में एक पत्नी बनकर सहायता करना चाहती थी। इसमें संभोग शब्द कहीं नहीं आया है यह गलत बात है। लेकिन अश्विनी कुमारों ने राजकुमारी की सतीत्व की परीक्षा लेने के लिए दोनों में से एक को पति बनाने का प्रस्ताव रखा था । उसके पति व्रत धर्म से प्रसन्न होकर ही उन्होंने ऋषि च्यवन को फिर से युवा बना दिया था। आप धार्मिक कहानियों में अश्लीलता डालकर हिंदू ग्रंथों को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हो। अगर ऐसा कहीं लिखा भी है तो धर्म ग्रंथों के साथ छेड़छाड़ किया गया है। लेकिन मैंने इस तरह की कहानियां में ऐसी मर्यादा हीनता न देखा है और न ही पढ़ा है तो आप कहां से ले आते हो ऐसी मनघड़ंत गंदगी और वह भी सनातन के धर्म ग्रंथों के ऊपर।
आप जैसे लोगों को सनातन धर्म के बारे में नहीं बोलना चाहिए
बिलकुल सही कहा
Bilkul sahi kaha aapne..iss magapaapi ne devi ahilya, panchdevi me se ek h jo unko bhi bahut bura bola ki unhone khud ki marzi se inder dev se relation bnaya!
बिलकुल सही है, भागवत पुराण
सनातन धर्म को समझ पाना साधारण व्यक्ति के लिए अति कठिन है। पहले अपनी बुद्धि को शुद्ध करना पड़ेगा।
Thank you very much.
❤❤❤
हमने complete कथा पढी है । ऋषि च्यवन नेआसक्ति के कारण सुकन्या को नहीं माँगा था । अंधे होने के कारण वे बिना किसी की सहायता / सेवा के जीवन सुचारु रूप से नहीं चला सकते थे ।
और - तपस्वी महात्मा ऐसे ही किसी से सेवा नहीं लेते । सुकन्या ने ही उनकी आँखें फोड़ी थी , इसलिए सेवा करने का कर्तव्य भी उसका ही था ।
जब पत्नी स्वीकार कर लिया तो उसकी प्रसन्नता की जिम्मेदारी भी महऋषी की ही थी । इसलिए उन्होंने अश्विनीकुमारों का यौवन देने का प्रस्ताव स्वीकार किया था - वासना के कारण नहीं ।
🎉🎉jai ho
Jai shree Radha Krishna ji🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏😇😇😇😇😇😇😇😇😇🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯💯
राजा ने स्वयं अपनी इच्छा से अपनी इच्छा से ऋषि की सेवा के लिए दिया था न की चमन ऋषि ने जबरदस्ती से मांगा था नाजायज फायदा उठाया या उनसे संभोग करने के लिए दबाव बनाया इस कथा के बारे में मैं नजदीक से जानता हूं
Dharm jahn badnam hone lagta hai wahan tum log jese log kahani ko galt batane lagten hai 😂😂😂😂
बहुत सुंदर बहुतज्ञानवर्धक
वासना से भरपूर ऋषि , काहे का ऋषि
वासना से भरपूर पुरुष 90%.
वैसे ऋषि माने Scientist, Scholar, Academicians, Researchers इन सबके लिए लिए इस्तेमाल किया गया शब्द था।
🎉बहूत सुंदर
Wow.. 🙌🏾🙌🏾
Super
Jay shree ram
सुन्दर कथा🙏🙏
सिर्फ नीचता की वजह से च्यवन ने सुकन्या को अपने साथ रखा था।अगर उसे सेवा की जरूरत थी तो राजा कोई भी इंतजाम करवा सकता था।मगर ऋषि ने नीचता और कामना से वश होकर सुकन्या को मांगा था।ये नीचता की पराकाष्ठा है।
Very nice video.
Very nice.❤😮❤.jgd
Bahut achi lagi
हर हर महादेव
आप ग़लत ज्ञान दे रहें हैं, आपकी कहानियाँ मै सुनता हूँ, वह बहुत अच्छी होतीं है पौराणिक के नाम प़र कृपा गलत गलत मत बोलों...ईश्वर आपकों सद्बुद्धि दे।
मैंने बताया तो है कि मैं यह कहानी गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित श्रीमद् देवी भागवत महापुराण से पढ़ी है। पुराण गलत बोलते हैं?
Kya apka doosra Utube channel b hai kya Science Journey k naam se ? @@kahaniyonkichaupal
@@kahaniyonkichaupal मेरे पास भी गीता प्रेस की है...उसमें ऐसा नहीं लिखा। 🙏🏻
@@divineganga9353 mail ID send kijiye, screen shot bhej deta hun
@@kahaniyonkichaupal
नवम स्कंध में तीसरा अध्याय है 'महर्षि च्यवन और सुकन्या का चरित्र, राजा शराति (sharyaati) का वश । 488 पेज पर है मेरे श्री भागवत में 🙏🏻
आपका अवश्य नया संस्करण होगा , सनातन धर्म को बदनाम करने व युवाओं को भटकाने के लिए काफी इतिहास बदला है, मैंने आपको दोष नहीं दिया आप तो अच्छा काम ही कर रहे है, पर इस बार आपसे थोड़ी चूक हो गई। 🙏🏻 कृपा शास्त्रों को पढ़ कर, अपने गुरु से उसका सन्दर्भ को समझे।
Nice video
सत्य बोलने की इजाजत नहीं है।जो पौराणिक कथाएं हैं। यह भी विडम्बना है।
Thank you, very good
परन्तु पुराण अनुसार च्यवन ऋषिने सुकन्याको बिवाहा करनेके लिए कभी दवाब नही दिया था।
🙏🙏🙏🙏🙏
Ati sundar kahani hai ttha Shiksha prad hai mai labhannit hua.
👌👌🙏🙏👍
Achhi lagi
Ati sundar bekhya snn ke mn ko Shanti Mila
Nice aur Sahi story.rishi Muni ki Kahani hamesha shikshprad rehti hain.aap to aur video dalein.kuch log hain unki mansiktra kharab aur Gandi hai UN par dhyan mat dein.very nice story.
Jai,hoo
Good & knowledgeable
Thanks 👍👍👍
यह कथा हमारे घर की है, महर्षि हमारे पूर्वज हैं। दरअसल अश्वनि कुमारों ने एक पेस्ट (प्राश) तैयार किया है जिसे खाकर महर्षि को यौवन मिला। फिर बाद में इसी पराश के नाम पर चिर युवा रहने के लिए च्यवनप्राश बना। जो आज भी लोग खाते हैं।
च्यवन ऋषि आश्रम गोण्डा यूपी में आप सभी का स्वागत है।
सोम रस और मदिरा में क्या अंतर है इस पर भी एक विडियो अपलोड कीजिए ।
सोमरस एकघास की जड़ या कंद है शराब कृत्रिम रुप से बनाया हुआ पदार्थ है
Shi khe
सोमपान करने से उम्र नही बढ़ती है
Kahani acchi hai
बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी दी धन्यवाद।
Very good sir
हिन्दू भोग शब्द तो है ही साथ ही आज यदि यह तथाकथित ऋषि कुमारों होते तोइन्हैभँड कह जाता । आज एसा तोगैरकानूनी है। पतिकीबात माने काअर्थ पितृसत्तातमक है आज के क़ानून केआधारमे ख़त्म
शराबी सोमरसी
स्रोत की सूचना :- यह कहानी श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के द्वितीय खण्ड के प्रथम भाग में वर्णित है।
Edit :- 1. यदि आपको लगता है कि यहां वासना से संबंधित कहानियां ही पेश की जाती हैं तो इसका एक कारण यह हो सकता है कि आप सिर्फ इन कहानियों पर ही ध्यान दे रहे हों, क्योंकि पिछली 20 कहानियों में मात्र 7 कहानियां ही ऐसी हैं जो वासना विषय से संबंध रखती हैं; उनमें भी एक कहानी पिछली दो कहानियों का संग्रह ही है अतः इफेक्टिव आंकड़ा 6 ही हुआ!
2. च्यवन ऋषि ने दबाव बनाया या नहीं तो इस विषय में इतना ही कहना है कि एक तपस्वी और अनुभवी ऋषि जब एक कम वय की लड़की के बेध्यानी में गलती करने पर उसे निःशर्त क्षमा नहीं कर के उसके पिता से यह प्रस्ताव रख रहें हैं कि आपकी बेटी से विवाह होने पर ही आपकी जान बचेगी, क्योंकि मैं उसपर मोहित हूं, तो यह एक तरह का दबाव ही लगता है।
3. ये कहानियां पुराणों में वर्णित हैं और निश्चित तौर पर पुराण लिखने वाले विद्वान ऋषि मुनि सनातन को बदनाम तो नहीं ही करना चाहते होंगे, फिर उनके लिखे को आपके सामने पढ़ने मात्र से सनातन धर्म की बदनामी कैसे हो जाती है? यदि ये बाद की मिलावटें हैं तो हमारे आज के धर्माचार्य और गीताप्रेस जैसे प्रकाशन संस्थान इसे खारिज क्यों नहीं करते हैं?
वास्तव में सनातन धर्म की कहानियां उसे बदनाम नहीं करतीं बल्कि उन कहानियों को सुनकर आपका मन जो छवि गढ़ता और समझता है वह सही या गलत होता है। परम् पूज्य महाकवि तुलसीदास जी लिखते हैं :-
जाकर रही भावना जैसी।
प्रभु मूरत तिन्ह देखी तैसी।।....🙏
Achhi
बिल्कुल सही
You are distorting the facts and befooling the people, although you might have quoted the right source.
Chawanrashi Aurbeda ke manab jate ke rego me amaar joyti hi.jay Shire Ram
Good Aand Knowledge able. Thanks
Dhanya thee Sukanya
जजजय।अश्विना
बहुत अछी बात है भाई
सत्य बुद्धि में द्रुत बुद्धि नहीं द्रुत बुद्धि में सत्य बुद्धि नहीं
बुद्धि का निर्णय कर निष्कर्ष देने का कार्य है । लेकिन यह पूर्वाग्रह से ग्रसित रहती है ।लेकिन जब सत्य का बोध हो जाय तो यहीं सत्य का ही निर्णय करता हैं ।
Priye bhai is sunder prastuti ke liye aapko bahut 2 pyar aur dhanya wad pranam