हिंदी साहित्य | संपूर्ण साहित्य -30 | RPSC 1st & 2nd ग्रेड, Ass.Prof. DSSSB | UP(TGT,PGT)

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  • Опубліковано 13 тра 2024
  • हिंदी साहित्य | संपूर्ण साहित्य -29 | RPSC 1st & 2nd ग्रेड, Ass.Prof. DSSSB | UP(TGT,PGT) #sumanlata #rpsc #हिंदी #sumanlata #mcq
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КОМЕНТАРІ • 15

  • @studyinvedbhavan3190
    @studyinvedbhavan3190 28 днів тому +2

    7.हिंदी नाटक और रंगमंच के प्रवर्तक
    मौलिक और अनूदित मिला कर कुल सत्रह नाटकों की रचना की।
    8.घनानंद मूलतः प्रेम की पीड़ा के कवि हैं। वियोग वर्णन में उनका मन अधिक रमा है। रीतिकाल के रीतिमुक्त या स्वच्छंद काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं।
    9.⁠शिवाजी और छत्रसाल की वीरता के वर्णनों को कोई कवियों की झूठी खुशामद नहीं कह सकता।शुक्ल जी भूषण हजारा अलंकारी ग्रंथ,
    11. भाषा भूषण एक अलंकारी ग्रंथ है..

  • @studyinvedbhavan3190
    @studyinvedbhavan3190 28 днів тому +1

    24. शत हम, नाम जले, ट्रिक
    25. प्रभु जी मेरे अवगुण चित न धरो,,,, सूरदास
    26. जायसी प्रेमाश्रयी काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि

  • @VidhyaMewal
    @VidhyaMewal 28 днів тому

    C

  • @VidhyaMewal
    @VidhyaMewal 27 днів тому

    16a

  • @pavankumarmeena4649
    @pavankumarmeena4649 28 днів тому

    Good afternoon ji mam

  • @studyinvedbhavan3190
    @studyinvedbhavan3190 28 днів тому +2

    12.अष्टछाप की स्थापना 1565 ई० में हुई थी। कुम्भनदास,सूरदास, परमानन्ददास, व कृष्णदास, जबकि विट्ठलनाथ के शिष्योें में, गोविन्ददास, छीतस्वामी चथरभुज, नन्ददास शामिल हैं
    13. दशश्लोकी - निंबार्क संप्रदाय, निम्बार्काचार्य पीठ सलेमाबाद (अजमेर) में स्थित है। राधा कृष्ण के युगल जोड़ी
    14. शब्दानुशासन एक व्याकरण ग्रंथ है जिसे जैन आचार्य हेमचंद्राचार्य ने लिखा था। इस पुस्तक में सात अध्याय हैं, तथा छह प्रकृति भाषाएं शामिल है।
    15.ढोला नरवर के राजा नल का पुत्र था। उमर 3 वर्ष,
    बीकानेर के पूंगल नामक पंवार राजा पिंगल की पुत्री मारवणी के साथ हुआ था ।उम्र - डेढ़ वर्ष थी।

  • @user-kw9gy8gi5o
    @user-kw9gy8gi5o 28 днів тому

    2

  • @studyinvedbhavan3190
    @studyinvedbhavan3190 28 днів тому +1

    16.उक्ति-व्यक्ति-प्रकरण दामोदर शर्मा द्वारा रचित एक व्याकरण ग्रंथ है।
    17.आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने 12 ग्रंथों (विजयपाल रासो, हम्मीर रासो, कीर्तिलता, कीर्तिपताका, खुमान रासो, बीसलदेव रासो, पृथ्वीराज रासो, जयचंद प्रकाश, जयमयंक-जस-चंद्रिका, परमाल रासो, खुसरो की पहेलियाँ और विद्यापति पदावली) के आधार पर इस काल को वीरगाथा काल नाम दिया था। आरंभिक 4 ग्रंथो की भाषा अपभ्रंश है
    18.दूसरा ग्रन्थ जीवदयारास की रचना आगसु कवि ने संवत् 1257 वि. में की थी
    19. रुक्मणी मंगल-रहीम और मीरा जी,नन्द दास,
    21.मदुमालती - मंजन,1545 अन्तिम रचना,

  • @studyinvedbhavan3190
    @studyinvedbhavan3190 28 днів тому +2

    1. जयशंकर प्रसाद, ऐतिहासिक नाटककार,स्कंदगुप्त
    चंद्रगुप्त,ध्रुवस्वामिनी,जन्मेजय का नाग,राज्यश्री,कामना,एक घुट
    2. रसवादी आलोचक, कबीर पर कलम कम चलाई , प्रिय कवि तुलसीदास12रचनाए मानी , हिंदी साहित्य इतिहास 1929,
    3. पोती पढी -पढी जग भैया, पंडित भया न कोई, कबीर की उलटवासिया, एक अचंबा देखा रे भाई, थाड़ा सिंह चराए गाई।
    कबीर की साखी के 59 अंग है, निर्गुण मार्ग के प्रतिनिधि कवि।
    4.साकेत महाकवि' मैथिलीशरण गुप्त का लिखा महाकाव्य है जो 12 सर्गों में लिखा गया है।निबंध-काव्य : भारत-भारती (1912), हिंदू (1927), राजा-प्रजा (1956), विजय पर्व (1963)
    6. प्रदीप पत्रिका के संपादक, शुक्ला जी ने इसके निबंधों को लेकर स्टील कहा, प्रताप नारायण को एडिशन, प्रताप नारायण की पत्रिका ब्राह्मण

  • @bishnoiji407
    @bishnoiji407 28 днів тому

    1 question glt huwa h mem

  • @aashitaparashar9651
    @aashitaparashar9651 27 днів тому

    Mam se call pr baat kue nhi hoti h

  • @VidhyaMewal
    @VidhyaMewal 28 днів тому

    C

  • @VidhyaMewal
    @VidhyaMewal 27 днів тому

    15a

  • @VidhyaMewal
    @VidhyaMewal 27 днів тому

    C