Bpsc teacher मे 70% बाहर के लोगो को नौकरी दिया नितीश ने Aur वोट बिहार के लोग से मांग रहा है इसलिए हम बिहारी केवल लाठी खाने और नितीश को वोट देने के लिए नही है सबक भी सिखाने के लिए बने हैं
जो भी छात्रों को हित चाहते हैं हम उनके साथ हैं रमांशु सर और pk सर...हमे दोनों का साथ चाहिए PK हमारे लिए आमरण अनशन पर बैठे हैं, PK सर के कारण पूरे देश की नजर bpsc आंदोलन पर पड़ी है। मीडिया ने दिखाना शुरू किया है,इसीलिए हम उनके आभारी हैं। PK के बिना कोई हमें दिखा ही नहीं रहा था,हल राजनीति से ही निकलेगा या अदालत से...अरे चुप रह कर शांतिपूर्ण आंदोलन से कुछ नहीं होगा। याद रखो.... बच्चा जब रोता है तभी उसकी माँ उसे दूध पिलाती है...बहरों को जगाने के लिए चिल्लाना पड़ता है
रामांशू सर आप के जज्बे को सलाम है...मगर आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि जो भी व्यक्ति...चाहे वो राजनीतिक दल का हो या फिर कोचिंग शिक्षक...अगर छात्रों का साथ देने आता है तो सबका स्वागत होना चाहिए। छींटाकशी से बचिए और सबके सहयोग को स्वीकार कीजिए।🙏🙏
आज का एग्जाम देनेवालों का रोल नो नोट कर के रखा जाना चाहिए और फाइनल रिलल्ट से उसका मिलान किया जाना चाहिए और उसके अनुपात को कुल सफल लोगों में से जारी किया जाना चाहिए।
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
Bhai PK bhi is aandolan ko Dhar Diya hai….PK k wajah se hi National level pr log Jane hai….wrna koi ni puch ra tha…Ramanshu Sir ko….this movement needs political support
Bilkul sahi...inko kisi ne bheja hai..gandhi maidan sw bacho ko khich ne k liye...ye bahut bari baat hai..Kal tak police ne kaha dharna nai jana hai aaj achanak agye
Lekin jab lathi khane ka time tha tab ramanshu sir the aur pk bhag gya tha sabko chhod kar...aur uske anshan se bhi kuch nhi hoga....10 days me agar uski tabiyat kharab hogi to usko hospital me admit kar diya jayega lekin students ko kuch milega nhi....
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@ sahi bat bhai….lekin Gardanibag se kya hoga…But yahi ki sabke aane se Court-tak ja skte hai….Bade logo ka sath mail skta hai….Election bhi hai to ab kuch Politics student ko bhi krna padega apne hq ke liye…History me yad kro Azadi ke liye Gandhi, Bose, Bhagat, Tilak, JP sabka tareeka alag tha lekin GOAL ek tha…..Abhi bhi time hai…..
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
अब रमांशु सर राजनीती कर रहे है। PK के पास बैठने में क्या प्रॉब्लम है ? 13 दिन बैठे थे तब कौन पूछ रहा था ? सिर्फ सत्याग्रह का नाम रख लेने से सफलता नहीं मिलेगा। Plan of action क्या है ? PK के पास सबकुछ है, उसको मजबूती प्रदान करें तो शायद कुछ हो स्टूडेंट के फेवर में।
Rahmansu uss rat v rajniti kr diya jis rat lathi chali.. agr ye uth jata aur students ka delegation ko baat krne k liye bol deta to kisi k uper lathi nhi chalti ... Yahi baitha rha janbujhkar jis wjh students ko lga waha se nhi htna hai
Ramanshu sir or sabhi sathiyon ko namskar, sir mera ek sujhav h ki satyagraha ke sath sath students bhai apna study v suru kr de taki aap apna gyanarjan v hota rahe
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
तीन प्रश्न तो सीधे 13 dec से उठा के डाला हैं। साहित्य सिटी कोझीकोड, gdp मे क्षेत्रीय योगदान, 91th संबिधान संसोधन etc जिस exam मे decimal अंतर से परीक्षार्थी का भविष्य तय होता है उस exam मे 3 या 4 marks फ्री मे बाटना कहा तक उचित हैं।
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है। लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है। PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है। रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
हम तो सोचे अब नहीं जायेंगे गर्दनीबाग ,लेकिन रामांशु सर को देखकर फिर से जाना पड़ेगा,क्योंकि मैं इनको अकेला नहीं छोड़ सकते।
Aayo bhai aur sath me dusro ko bhi le aayo
Bhai mar ke ya ji ke BPSC Re exam karana hi hoga .... please 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
यह आंदोलन अब विकराल रूप लेगा छात्र एकता जिंदाबाद इंकलाब जिंदाबाद......🤬🤬😡😡
Ab aandolan 3 lakh student wale aao yar ab ni to kb bologe
दिल जीतने का काम किया है रमांशु सर आपने। वाणी का तप है मौन,,,,,, 😷
Sir ab bahut bara andolan ka rup dene ki ab aavashyakta hai
Students ekta zindabad
बिल्कुल अब उग्र आंदोलन की जरूरत है दोस्तों
Ramanshu sir is back 200% energy ke sath🤗🤗❤❤
Re exam for all....
Thanku sir .आपको पुनः देखकर अच्छा लगा।
सही बोल रहें हैरमांशु सर सर 🚩🚩🥰🥰🙏🙏🙏🙏🙏
एकलौता सर जोहार नहीं माने 🙏🙏🙏🙏
Kya kiye ye 12 din me khud ka vikas krne ke alawa... Isko kvl neta bnna tha bn gya
सच्चे हृदय से सिर्फ रहमांशु सर अभ्यर्थियों का साथ दिए हैं...❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Re exam for all
I love you ramanshu sir
Luv u ramashu sir full support 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼
दोस्तों अब तो आना ही पड़ेगा। सरकार को अपनी ताकत दिखाना पड़ेगा। सारे लोग जमा हो जाओ और इतिहास बना दो। कल से आ रही हूं मैं।
अब रमानंशू सर के नेतृत्व में परिवर्तन होगा बिहार में,,छात्र उलगुलान
शेर जग गया रामांशु सर ❤
सर खान गैंग से bpsc को आप ही बचा सकते हैं आप लॉ के भी जानकार हैं।
Love you Ramanshu sir ❤❤❤❤❤🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Bpsc teacher मे 70% बाहर के लोगो को नौकरी दिया नितीश ने
Aur वोट बिहार के लोग से मांग रहा है
इसलिए हम बिहारी केवल लाठी खाने और नितीश को वोट देने के लिए नही है सबक भी सिखाने के लिए बने हैं
Bahut sundar hai sir❤
Salute hai sir❤
जो भी छात्रों को हित चाहते हैं हम उनके साथ हैं
रमांशु सर और pk सर...हमे दोनों का साथ चाहिए
PK हमारे लिए आमरण अनशन पर बैठे हैं,
PK सर के कारण पूरे देश की नजर bpsc आंदोलन पर पड़ी है। मीडिया ने दिखाना शुरू किया है,इसीलिए हम उनके आभारी हैं।
PK के बिना कोई हमें दिखा ही नहीं रहा था,हल राजनीति से ही निकलेगा या अदालत से...अरे चुप रह कर शांतिपूर्ण आंदोलन से कुछ नहीं होगा।
याद रखो....
बच्चा जब रोता है तभी उसकी माँ उसे दूध पिलाती है...बहरों को जगाने के लिए चिल्लाना पड़ता है
Luv u sir
Great
रामांशू सर आप के जज्बे को सलाम है...मगर आपसे हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि जो भी व्यक्ति...चाहे वो राजनीतिक दल का हो या फिर कोचिंग शिक्षक...अगर छात्रों का साथ देने आता है तो सबका स्वागत होना चाहिए। छींटाकशी से बचिए और सबके सहयोग को स्वीकार कीजिए।🙏🙏
आज का एग्जाम देनेवालों का रोल नो नोट कर के रखा जाना चाहिए और फाइनल रिलल्ट से उसका मिलान किया जाना चाहिए और उसके अनुपात को कुल सफल लोगों में से जारी किया जाना चाहिए।
Love you sir ❤❤❤❤
Extremely positive sir real Teacher love u so Much Ramashu sir .. Aap dil se teacher hai mere sir ..
Sir herooo h❤
Ramanshu sir deserve 💕💕❤❤❤❤❤❤
Thank you sir aapko wapas dekh kar khushi hui hai ❤
राहमंशु सर शेर है अकेला सभी पर भारी है गुरु जी को हमारा सलाम है
Pk karn hi national mudda bna pk ko sb dhoka de rha h
BPSC के मूर्खो,up-pcs का लेवल देख लो😢😢😢😢😢
Sir apko dekh kr hi himmat milti h...❤
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है।
लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है।
PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं।
रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है।
रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
Love you sir
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है।
लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है।
PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं।
रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है।
रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
Bhai PK bhi is aandolan ko Dhar Diya hai….PK k wajah se hi National level pr log Jane hai….wrna koi ni puch ra tha…Ramanshu Sir ko….this movement needs political support
You are right. Itne dino se isko koi puch nhi rha tha
Bilkul sahi...inko kisi ne bheja hai..gandhi maidan sw bacho ko khich ne k liye...ye bahut bari baat hai..Kal tak police ne kaha dharna nai jana hai aaj achanak agye
Lekin jab lathi khane ka time tha tab ramanshu sir the aur pk bhag gya tha sabko chhod kar...aur uske anshan se bhi kuch nhi hoga....10 days me agar uski tabiyat kharab hogi to usko hospital me admit kar diya jayega lekin students ko kuch milega nhi....
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है।
लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है।
PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं।
रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है।
रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
@ sahi bat bhai….lekin Gardanibag se kya hoga…But yahi ki sabke aane se Court-tak ja skte hai….Bade logo ka sath mail skta hai….Election bhi hai to ab kuch Politics student ko bhi krna padega apne hq ke liye…History me yad kro Azadi ke liye Gandhi, Bose, Bhagat, Tilak, JP sabka tareeka alag tha lekin GOAL ek tha…..Abhi bhi time hai…..
Salute sir 🫡🫡🫡
जीत और हार तो अलग बात है लेकिन वहां इतने जुल्म के बाद भी सभी भाई बहन और गुरुजन डटे हुए हैं। वो सबसे बड़ी बात है।
Thanks sir
Hm sab apke sath hai
Tiger is back.....
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है।
लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है।
PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं।
रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है।
रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
अब क्या ही होगा?😢 अब तो सिर्फ कोर्ट से उम्मीद बची है।।🙏
Bahut kuch hoga, tmhare ghar me baithne se to pakka nhi hoga. Uske liye Ghar se bahar aana hoga.
I salute 🙏🙏 sir
I stand with pk ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Love u sir
कह नहीं सकते कितना गर्व हो रहा है
Ur great Ramansu sir.Ur like Gandhi for Students
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है।
लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है।
PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं।
रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है।
रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
बहुत अच्छा सर
अब बैठने का टाइम नहीं है सर अब अपने तरकश से दूसरा तीर निकालिए नहीं तो BPSC 25 जनवरी तक रिजल्ट भी निकाल देगा
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है।
लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है।
PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं।
रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है।
रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
सर आप great ho 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
रामांशु सर❤
Sir अब आपको भरोसा है ❤❤
Ramanshu Sir is totally innocent and an honest Satyagrahi
Thanku sir🙏🙏🙏🙏
Love you ramanshu sir❤❤❤❤
जीत हार तो होती रहती है पर sir आपने स्टूडेंट का दिल जीत लिए sir love u sir
Ramanshu sir ❤❤
Ramanshu sir Rohit sir Deepak sir Sunami sir ko dil se pranam
Full support sir
आंदोलन अब भयावह होना चाहिए
Bhai bolo ni ab plz aajao patna hm 3 lakh walo k sath dhokha kia h bpsc
अब हुंकार होना चाहिए
खान सर से भी ज्यादा रहमानसु सर महान है ♥️
Pranam sir❤❤❤
Ramanshu sir is great 🙏🙏🙏
अब रमांशु सर राजनीती कर रहे है। PK के पास बैठने में क्या प्रॉब्लम है ? 13 दिन बैठे थे तब कौन पूछ रहा था ? सिर्फ सत्याग्रह का नाम रख लेने से सफलता नहीं मिलेगा। Plan of action क्या है ? PK के पास सबकुछ है, उसको मजबूती प्रदान करें तो शायद कुछ हो स्टूडेंट के फेवर में।
Rahmansu uss rat v rajniti kr diya jis rat lathi chali.. agr ye uth jata aur students ka delegation ko baat krne k liye bol deta to kisi k uper lathi nhi chalti ... Yahi baitha rha janbujhkar jis wjh students ko lga waha se nhi htna hai
Ramanshu Sir jinda baad
भ्रष्टाचार की सीमा पार BPSC करें बार बार।।
Tiger is back
Salut hai sar aapko
Ramanshu sir or sabhi sathiyon ko namskar, sir mera ek sujhav h ki satyagraha ke sath sath students bhai apna study v suru kr de taki aap apna gyanarjan v hota rahe
पुरे बिहार में सर ही एक अकेला इंसान हैं जो निःस्वार्थ छात्रों के साथ। चरण स्पर्श गुरूवर।
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है।
लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है।
PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं।
रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है।
रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
Brave teacher hai hatss of to you sir
Ab sirf Supreme Court se hi sare ummid hai😢😢😢
अब छात्र/ छात्राओं का साथ अभिभावकों का मिलना चाहिए।
प्रशांत किशोर ने re exam student के लिए भूख हड़ताल किया है साथ देने चाहिए गांधी मैदान जाओ भाइयों
Love you Ramanshu sir
Ab Upadarab kya hota hai wo dikhao is chor sarkaar ko
Jai Bihar Jai Jansuraj
Yahi hain sacha andolan..... Baki log politics kr rahe hain
Support pk, you all should join him he is genuine and honest
I support re exam for all.....
जीयो मेरे गुरूदेव
Right
Group D vala nahi balki group F vala question tha 😂😂😂 best line
Nice to see Ramanshu Sir once Again
Jio hamare sher❤❤❤❤😊😊😊🙏🙏🙏🙏🙏
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है।
लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है।
PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं।
रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है।
रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
13 December se v low tha😢
Ramanshu gandhi 😊😊😊😊
आज का पेपर का लेवल देख कर शर्म आता है, सारा सीट बिक चुका है 12 th पास करके भी 120 no la सकता है।
Tum la rha hai 120??
@@KaranKumar-us4lx I qualified 3 times upsc csat so u don't judge me
@@AbhishekKumar-uy5dsupsc cset kya hota hain? Pehli bar suna hu.
@AMITKUMAR-bv7qm CSAT babu typing error
Ramansu sir ko pk se jln horahi h ... Sara sreyy apne uprr lena chaate h ... Gjb haal h ye sb ka .. itae din gandhi ji bn gaye ky mila apko .....
Bilkul pk karn hi national mudda bna h
Re exam hona chahiye
Hm sabhi log phr s aa rahe hai sir.....sarkar ar aayog hm students ko srf bewkuf bnane ka kaam kiya hai....😢😢
Wah गुरुजी 😅
Ramashu sir 🙏🙏
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है।
लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है।
PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं।
रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है।
रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
U r great teacher 😢😢
Sir great aapko dekh kr bahut khushi hui 🙌
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है।
लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है।
PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं।
रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है।
रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
Ramanshu Sir is the real hero of this Education Satyagraha...
बिल्कुल सही सर
Sahi sahi bole sir
Thanks so much sir
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है।
लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है।
PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं।
रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है।
रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
तीन प्रश्न तो सीधे 13 dec से उठा के डाला हैं।
साहित्य सिटी कोझीकोड, gdp मे क्षेत्रीय योगदान, 91th संबिधान संसोधन etc
जिस exam मे decimal अंतर से परीक्षार्थी का भविष्य तय होता है उस exam मे 3 या 4 marks फ्री मे बाटना कहा तक उचित हैं।
Happy new year🎉 2025🎉
रामांशु सर
Welcome back sir 🙏
Ramanshu sir ji koti koti naman karta hu
Love you so much sirrr🎉🎉
Great leader remanshu sir
Huge Respect Sir
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है।
लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है।
PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं।
रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है।
रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।
प्रशांत किशोर के योगदान का धन्यवाद करना चाहिए
😅😅😅
@@Poetry_khansir आ गया खान का दल्ला
Pk ki wjh se hi iss satyagrah ko limelight mila... Warna 15 din koi puch nhi rha tha
Bilkul sahi bole h sir
Thanks Ramansu sir
गांधी मैदान में PK ने बच्चों के साथ मिलकर एक ऐतिहासिक अनशन शुरू किया है। वह पूरी ईमानदारी और दृढ़ता के साथ बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय मंच पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयासों की वजह से राष्ट्रीय मीडिया इस मुद्दे को कवर कर रही है और बच्चों की आवाज़ को पहचान मिल रही है। PK की उपस्थिति ने इस आंदोलन को ताकत और दिशा दी है, जिससे यह एक व्यापक जनांदोलन बनता जा रहा है।
लेकिन इस बीच, रामांशु गर्दनीबाग में अपना धरना शुरू कर दिया। उसका मकसद साफ है-बच्चों को बांटकर गांधी मैदान के अनशन को कमजोर करना। रामांशु का इतिहास बताता है कि वह शुरू से ही राजनीतिक पार्टियों से फंड प्राप्त करता रहा है। वह खुद को बच्चों का संरक्षक और शिक्षक बताता है, लेकिन जब पुलिस ने एक मामूली आदेश दिया, तो वह डरकर मैदान छोड़कर भाग गया था। अब वह अचानक वापस लौट आया है, लेकिन उसका उद्देश्य बच्चों की मदद करना नहीं, बल्कि अपनी कोचिंग के प्रचार के लिए इस आंदोलन का इस्तेमाल करना है। पटना के बाहर शायद ही कोई रामांशु को जानता था, और अब वह इस आंदोलन के जरिए अपनी पहचान बनाने की कोशिश कर रहा है।
PK, भले ही एक राजनीतिक पृष्ठभूमि से आते हों, लेकिन उन्होंने बच्चों के समर्थन में खड़े होकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। वह पूरी तरह से बच्चों के अधिकारों और उनकी मांगों के लिए लड़ रहे हैं। उनके आंदोलन को देखते हुए एक सवाल उठता है कि आखिर अन्य विपक्षी पार्टियां क्यों बच्चों के साथ खड़ी नहीं हो रहीं? जहां PK ने अपनी भूमिका को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत किया है, वहीं रामांशु जैसे लोग इस आंदोलन को कमजोर करने और अपने निजी स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं।
रामांशु को केवल अपनी पब्लिसिटी की फिक्र है। बच्चों की मांगों से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने गर्दनीबाग में धरना शुरू करके यह साबित कर दिया कि उनका इरादा केवल PK के आंदोलन को कमजोर करने का है। गांधी मैदान में जो एकजुटता और ताकत दिखाई दे रही थी, उसे तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। रामांशु कोचिंग व्यवसाय से जुड़े हैं, और यह साफ दिखता है कि वह इस आंदोलन को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं।
वहीं, PK का दृष्टिकोण स्पष्ट और सकारात्मक है। वह बच्चों की मांगों को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उनका आंदोलन न केवल बच्चों के अधिकारों के लिए लड़ाई है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक उदाहरण है जो समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान इस आंदोलन पर होने से यह स्पष्ट हो गया है कि PK ने जो कदम उठाया है, वह सही दिशा में है।
रामांशु जैसे लोगों का उद्देश्य केवल इस आंदोलन को भटकाना है। ऐसे समय में जब बच्चों के भविष्य की बात हो रही है, हमें PK जैसे नेताओं का समर्थन करना चाहिए जो ईमानदारी से उनकी मांगों को आगे बढ़ा रहे हैं। PK का आंदोलन न केवल बच्चों के लिए, बल्कि समाज के लिए एक बड़ी उम्मीद है। गांधी मैदान से उठी यह आवाज़ हर उस अन्याय के खिलाफ खड़ी हो रही है, जो बच्चों के अधिकारों को छीनने की कोशिश करता है।