"अब है तो है" - मेरी मनपसंद रचना (manpasand rachna)
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- Опубліковано 15 жов 2024
- SearchTag- मनपसंद रचना, Manpasand rachna
हर आदमी की अपनी फितरत होती है, आप उसे बदल नहीं सकते। इसी पृष्ठभूमि में है मेरी आज की ये रचना। आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
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वाक़ई खूबसूरत रचना👌👌
बहुत सुंदर रचना सर। स्वाभिमान से जीने वालों का मन चंदन वन जैसा ही है, जो सर्पों से लिपटा हुआ भी सदा सर्वदा महकता है।
धन्यवाद ज्योत्सना। आपने कविता के मर्म को पकड़ लिया है।
क्या बात, अब है तो है.......बेहतरीन रचना और प्रस्तुति "अब है तो है"
Very beautiful poem in simple words
सच की शख्सियत मर न जाए!!
बहुत सुंदर रचना सर जी 👍👍👍👍👍
बहुत बढिय़ा सर
Bahut sundar
आदरणीय आपकी रचनाओं को देख सुनकर ऐसा प्रतीत होता है कि सत्य अभी जीवित है । भावनाओं को शब्दों में बहुत ही सुन्दर तरीके से प्रस्तुत किया है । आपको साधुवाद ।
धन्यवाद इरा जीआपकी टिप्पणियां बहुत मार्मिक हैं।
राजेश लगता है दिल से लिखी गई कविता है। मुझे काफी अच्छी लगी। मेरे दिल को भी छू गई
बहुत बहुत धन्यवाद सर। आपकी प्रशंसा के ये शब्द मेरे लिए बहुत अमूल्य हैं।
एक अच्छी कविता वही है जो दिल के तारों को झंकृत कर दे, मन के भाव को जगा दे। आपकी कविता का असर कुछ ऐसा ही है। कविता के प्रवाह में एक लहर मेरी ओर से भी..…..
"एक तरफ तो रोकती हैं बन्दिशें,
और एक तरफ बेताब है उड़ने को दिल,
तोड़ देना चाहता है सारे बंधन...
एक तरफ तो ये एकाकीपन,
और उस पर चोट खाया मन..
अब है तो है, अब है तो है....।"☺️💐
वाह क्या कहने विकास जी, बड़ी अच्छी पंक्तियाँ हैं। मेरे दिमाग में पहले से ऐसा कुछ गूँजता तो शायद इन्हें कविता में शामिल कर चुका होता। धन्यवाद।
एक और बहुत सुंदर रचना...👌👌👌 'अब है तो है' .........जैसे व्यक्तित्व विरले ही देखने को मिलते हैं.......इन आदर्श और दृढ़-निश्चय वाले व्यक्तित्वों को किस तरह आज के नाटकीय परिवेश में जूझना पड़ता हैं...... उनकी तकलीफ का बख़ूबी चित्रण किया है.....👍👍
इस सुंदर रचना के लिए बधाई...💐💐🙏
बहुत बहुत धन्यवाद शुक्ला जी।
जो है जैसा है शुभ है सुंदर है मंगल है है तो है 👍👍
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया। आपकी संक्षिप्त टिप्पणी मेरे लिए अनमोल है।
चोट खाए मन का एकाकीपन भी बड़ा विशिष्ट होता है.उस पर कवि का यह स्वाभाविक रूप से स्वीकार कर लेना कि जो है सो है इस बात की पुष्टि भी करता है कि वह इस एकाकीपन से हताश और निराश नहीं है अपितु वह उल्टे चेतावनी देता है कि ये हिमाकत जिसने की देर तक वह बचता नहीं और कवि का चोट खाया मन अंततः चंदन वन की भांति है...सुंदर कविता बहुत-बहुत बधाई🙏🙏🌹🌹🙏🙏
आपकी प्रतिक्रिया कविता के मर्म और उसकी गहराई तक पहुंचने की सच्ची अभिव्यक्ति है। बहुत-बहुत धन्यवाद गणेश जी।