संसारी गुरु काम नआवे,वाको दुर ही ते तज देवे, जोगी, जंगम, सेवडा, संन्याशी,कमॅकांडी, दरवेश। कहत कबीर सुन धमॅन, ये सबी कालके भेष।। बहुत गुरु है अस जग माहि,हरे द्रव्य दुःख को नाही सदगुरु तो ऐक साहिब कबीर छे बाकी बधा बानावटी सदगुरु बनीने बेठा छे अने भोला, भाळा जीवोने पोत पोताना पंथ मा बांधी राखवानु काम करे छे
आ जे साखी कागज की लेखी है तो कागज लेखी साखी केम बोलो छो तमे जो शुन्यमा गया होय तो थोडु वणॅन करो ने साहेबजी शुन्य मे काल महाकाल का बासा, अज्ञानी नर गहे विश्वासा।। कबीर साहिब जोईने किधु, मसि कागज सुओ नही कलम गहो नही हाथ। असंख्य युग की महात्मा कबीर मौखिक जनाई बात।। ज्ञान भुमिका के बिचमे चलती है ऊलटी श्र्वासा।। कहे कबीर वहां भूख लगे न प्यासा।।
Jay guru Maharaj vala santo ne 🙏🙏🙏
જય ગુરુમહારાજ
જય ગુરુ મહારાજ 🙏👍🌹
જય હો જય હો બાપુ જય હો જય ગુરુ મહારાજ
વાહ ભાઈ સરસ.
જય ગુરૂ મહારાજ ....
જય ગુરુદેવ સાહેબ
જયગુરૂમાહારાજ
🙏 જય ગુરૂ મહારાજ 🙏
🙏
Vaah babu vaah jay ho Jay ho
ગોરધનરામ મહારાજ નો જય હો
આપના ચરણોમાં કોટી કોટી પ્રણામ
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🙏 Jay 🙏 guru 🙏 Maharaj 🙏 vala 🙏 santo 🙏 ne 🙏🙏
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Jay sachidanad 🙏
Jay ho guru dev Jay ho
Jai gurumaharaj
Jay gurudev
Jaygurumaharaj
પ્રથમ સદગુરૂ ના વચને રહેવું, રહેણીકરણી ભક્તિ પ્રથમ પગથિયું છે
तमे कहो छो केअमे अमारी प्रणालिका आमारा शब्द थि धारा चलावीये छी ये,
कबीर कहे छे कागज लेखी ,कागज लेखी थी काय नो थाय,
तो तमे कबीर वाणी केम वापरो छो
तमे साखी शब्द पण तमारी अनुभवेली वाणी वापरो ने , कबीर साहिब नी वाणी नो ऊपयोग ना करो ने
विश्वमां सौप्रथम नामना भेद नो संदेशो सदगुरु कबीर साहिबे लाव्या छे कबीर नी अजबो साखी शब्द रमैनी आ बधा ग्रंथो पोतानी पासे राखी तेनो ऊपयोग करी पोतानो पंथ चलावा नी अने पोते पूजावानो आ किमी यो करायो छे।
संसारी गुरु काम नआवे,वाको दुर ही ते तज देवे,
जोगी, जंगम, सेवडा, संन्याशी,कमॅकांडी, दरवेश।
कहत कबीर सुन धमॅन, ये सबी कालके भेष।।
बहुत गुरु है अस जग माहि,हरे द्रव्य दुःख को नाही
सदगुरु तो ऐक साहिब कबीर छे बाकी बधा
बानावटी सदगुरु बनीने बेठा छे अने भोला, भाळा जीवोने पोत पोताना पंथ मा बांधी राखवानु काम करे छे
जय निरात पंथ
Aakhu Brahmand samjhave dihu vaah guru mukhi
ગોરધન રામ મહારાજ નો મોબાઈલ નંબર આપી શકશો જય ગુરુ મહારાજ
आ जे साखी कागज की लेखी है तो कागज लेखी साखी केम बोलो छो
तमे जो शुन्यमा गया होय तो थोडु वणॅन करो ने साहेबजी
शुन्य मे काल महाकाल का बासा, अज्ञानी नर गहे विश्वासा।।
कबीर साहिब जोईने किधु,
मसि कागज सुओ नही कलम गहो नही हाथ।
असंख्य युग की महात्मा कबीर मौखिक जनाई बात।।
ज्ञान भुमिका के बिचमे चलती है ऊलटी श्र्वासा।।
कहे कबीर वहां भूख लगे न प्यासा।।
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Jay gurudev
જય ગુરુ મહારાજ