दादा आपणे बहोत अच्छी तर्हसे बात बता दी है. इसीलिये मै मानता हू के तुम्हारे जैसे 10000 आदिवासी कार्यकर्ता तयार हो जायेंगे तो ये भारतवर्ष बुद्ध का भारत होने मे देर नाहीं लाग शकती.आज हमारा आदिवासी भाई हिंदू धर्म की दल दल मे फासा है वो विज्ञानवादी धम्म की राह पर आयेगा.जो मुस्लिम धर्म मे गये है वो आज् भि पिछ्दे है जो क्रिश्चन धर्म मे गये है वो तो शिक्षां मे आज बडे है.और जो इन सभी को नाही मानते वो नक्सलवादी बन जाते है तो आपका प्रयास अच्छा है.🙏🙏🙏🙏
जिस इलाकों में सक्वा वृक्ष होता है उसे इलाकों में ज्यादा वर्षा पड़ती है 🤔और 🤔सक्वा की लकड़ी से घर बनाया जाता है ,✍️ और सुखवा के दो ✍️राल✍️ निकल जाती है उस पूजा की जाती है, ✍️ आज तक का पेड़ का फल खाकर आदिवासी जिंदा रहते थे,✍️ (((((सखुआ वृक्ष))) के पत्ते पर खाना खाया जाता था उसे शादी त्यौहार में प्रयोग किया जाता है ✍️ इसलिए ✍️✍️✍️सखुआ वृक्ष ,✍🏻✍🏻का महत्व ✍️अभी और तक रखते हैं ✍🏻 और प्राकृतिक पूजा करते हैं क्योंकि जंगल झाड़ से ही जीवन के रक्षा रहती है ✍🏻✍🏻✍🏻
गोंडवाना भूभाग मे जन्म लेने वाले लोगो को गोंड कहा गया,गोंड आदिवासी समुदाय ही प्राचीन है,इंसेही मानव जीवन का निर्माण हुआ,गोंडवाना भूभाग पर गोंड राजाओ ने राज्य किया, बाहरी आक्रमणकारी आणे से पहले,बुद्धा भी माडिया गोंड आदिवासी समुदाय के राजा के पुत्र थे. Sc, obc समुदाय भी आदिवासी समुदायो का ही विस्तारित रूप है,पर sc, obc गुलामी स्वीकार करके जाती प्रथा को अपणाया
दादा इतने सारी जानकारी देने के लिए आपको कोटि कोटि प्रणाम,साथ ही दादा आप हमे बताए की कोन वो आदिवासी दादा है जो इस विषय पर अध्यन कर है जो इतिहासकार नही है और ना ही साहित्यकार है,वो कोन है, अंत में आपको पुनः हूल जोहर।
पहिले,चार वंश थे,, शाक्य, कोलिय, लीच्छिवी, गोंड,❤ उसे गण कहते थे, उन्का प्रमुख को पती,,यांनी गनो का प्रमुख ,गणपती, हुआ,❤ बहुत बहुत धन्यवाद❤ नमो बुद्ध य,,जय मूलनिवासी ❤💙🙏💙
बहुत सुंदर प्रयास। ऐसे ही प्रयास से इतिहास का पता चलेगा।मै भी २५साल से इतिहास पर शोध कर रहा हूं। मैंने शोध के आधार पर खुद अपनी यादव जाति(यदुवंशी/अहिर/आभीर )को आदिम जनजाति मानता हूं। मेरे पुरखे संभु कृष्ण की भेष-भूषा खुद आदिवासियों जैसी ही है।तो फिर हम आदिम जनजाति क्यों नहीं है?
आदिवासी आज भी अपने जीवन में सरल सिद्धांतों को अमल में लाते हैं आपने पेड़ और फूल महामाया माता का खोज करके उल्लेख किया यह बहुत काबिले तारीफ है आपको बहुत बहुत धन्यवाद है इसी तरह आप आगे का वीडियो प्रस्तुत करें जिससे लोगों में जागृति उत्पन्न होगी धन्यवाद
जय भीम जय जोहार आपने यह जो वीडियो बनाई है कोल समाज के लिए बहुत ही अच्छी जानकारी है कोल समाज अपने पुराने इतिहास को जानकर संस्कृति को पहचान कर मूल धर्म को पहचान कर आने वाली पीढ़ी के लिए यह एक अच्छा मार्ग होगा आपको बहुत बहुत साधुवाद हम आपसे आशा करते हैं ऐसी वीडियो और बनाएं बहुत बहुत धन्यवाद
सिद्धार्थ बुद्ध के पिता शुद्धोधन राजा नही बल्कि गणराज्य प्रमुख थे ......ये व्यवस्था आदिवासियों में होती थी।गोंड,गोंडी, गण, गंड, गोंदोला,गुड़ी, गायता,गंड राज्य,गण प्रमुख ,गण मान्य.....
भाई अपने को,अहीर कहते हैं फिर भी, अपने को आदिवासी मानते हैं पहले आदिवासी धर्म संस्कृति रीति रिवाज मानिये मूर्ति पूजा छोड़िये मनुवादियों की,गुलामी से,बाहर आइये हिंदु धर्म के, अनुसार आप शूद्र हैं सेवक हैं आदिवासी गुलामी स्वीकार न,करने से मनुवादियों के,चारों वरण से,बाहर हैं ,,रावन मोहन मसराम आदिवासी जबलपुर मनुवादी लेखक पत्रकार आदिवासीयों के,विषय में कभी सच नहीं लिखेंगे
@muharsinghambadi1375 महोदय जी! Thanks for Watching. 'हिंदी' आदिवासियों की मातृभाषा नहीं रही है। इसलिए हिंदी के स्केल में असुविधा होती है। हिंदी ने अपनी भाषा को समृद्ध करने के लिए आदिवासियों की कई शब्दों को अपनी शब्दकोश में जगह दिया हुआ है।
आदिवासी कोई जाति नहीं है महोदय जी , जो पहले से भारत भूमि मे रहते आये है उन्हे आदिवासी या मूलनिवासी कहते है, ,,,,और ये आदिवासी समाज क्या लगा रखे है , तथागत बुध्द के समय मे कोई जातिवाद या जाति व्यवस्था नहीं थी ,,, धीरे धीरे पुरा भारत बुद्ध के अनुयाई बने और सम्राट अशोक के समय में पुरा भारत बौद्धमय था ,,,
Are bhai Ashok adivasi ya bought nhi the bich me undone bought dhrm shikari ir ant me jain dhrm Diksha li ye apko sb pta hai bhir bhi agyanvsh bat krke Andheri me rhnaa Uchitel nhi mahatma budh huve gyani orachrn ke bl pr budh Jat nhi vuve .Bharti me Kary ke nirbhr Jat pdi.vaise hi din me char vrn many Anita hai.or ye sb swarthy hai
आदिवासी समाज को किसी सबुत कि जरूरत नहीं आदिवासी गोंड समाज अपने आप मे ही सबुत भारत के सबसे पहले मुलनिवास होने का मोहोदोजडो का इतिहास पढो जयसेवा जय जोहार जय गोंडवाना
Sir very good topic and very good presentation… I hope Adiwasi samaj which is completely absorbed into brahmanwad and calling themselves as hindus will understand at least your point.. thank you 🙏🏻🎉🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻😊😊😊😊
भगवान बिरसा मुंडा जी के माता पिता ने भी उनका नाम इसीलिए बिरसा रखा था, क्योंकि उनका जन्म बिरस्पतिवार के दिन हुआ था, इसके कोई दो राय नहीं है । लेकिन 15 नवंबर सन 1875 ई० का दिन बृहस्पतिवार कदापि नहीं था, वल्कि सोमवार का दिन था । विश्वास नहीं हो तो गूगल पर सर्च करके पता कर सकते हैं । 15 / 11/ 1875 ई० का दिन सोमवार ही निकलेगा ।
@@mangalsoy3304 Birsa Munda to real then na sir , DOB to school admission ke dakhileke samaya master ji hi baithae honge na pehle eise hi to chalta tha
Exactly. Jharkhand must be a part of ancient gondwana land. That's why many of the statues of the Lord Buddha have the face resembling the cheerful faces of Jharkhand people today!
Aap sahi hain Srimaa mata Mahamaya koli vansh ki thi Aur aaj ke ST aur SC mool roop se Therwadi Buddhist the isliye so called brahmano ne hame varn system se bahar rakha tha Thankyou sir bahut gyaan vardhak jankaari✍️🙏🙏🙏
राजा सुद्धोदन का विवाह ही कोल वंशज के कन्या महामाया थी । कोल वंशज - कोल आदिवासी समाज को बर्तमान " हो " जन जाति हैं । सचमुच भगवान बुद्ध का रिश्ता होने का प्रमाण से कहा सकते हैं । आदिवासी थे ।
dada bahut hee purani aur mahtwapurn jankari par us mahan pardada ne kis pustak se jankari batai hai unka nam batayein .mera link samyak prakasan se hai.maiun kitabong ko kal mangaunga.yeh radh mukharjeeaur,raghunath singh ke kitab kahan milenge.mere kheyal se buddh sambandhi kitab (samyak prakashan delhi ke alawa kahin nahin mil sakta.)
बहुत सटीक विश्लेषण है।हम तो एससी हैं मगर पहले से ही ऐसा सोच रहे थे। अच्छा हुआ आदिवासी लोग शोध का प्रयास कर रहे हैं
धन्यवाद आपको। मेरे 38 वर्ष के अध्यन के आधार पर कहता हूं,आपकी बात 100 प्रतिशत सही है।
सम्पादक आपको कोल वंश का गौरव पूर्ण इतिहास बताने के लिए दिल से सेवा जोहार
भगवान बुद्ध के बारे में बहुत ही तार्किक और सटीक जवाब एवं आदिवासी का बुद्ध से गहरा संबंध को आपने बहुत ही सुन्दर ढंग से बताया है। धन्यवाद।
आप की खोज सच है आप बहुजन समाज की सच से अवगत कराते रहिए ।❤❤❤❤❤❤🎉🎉🎉🎉🎉🎉
गौतम वौदध साल पेड़ के छांव में जन्म लिया था। साल पेड़ के नीचे संताल,हो भुमिज, मुंडा जाति के लोग पूजा करते हैं।
तब तो ऐसा भी मान लेंगे गौतम बुद्ध आदिवासी के मुंडा जाति के है
@@satya1425पीपल का पेड छायादार होता है, ग्यान पेड के कारण नहीं, अंदर की चेतना जागृत होने से हुआ😮
दादा आपणे बहोत अच्छी तर्हसे बात बता दी है. इसीलिये मै मानता हू के तुम्हारे जैसे 10000 आदिवासी कार्यकर्ता तयार हो जायेंगे तो ये भारतवर्ष बुद्ध का भारत होने मे देर नाहीं लाग शकती.आज हमारा आदिवासी भाई हिंदू धर्म की दल दल मे फासा है वो विज्ञानवादी धम्म की राह पर आयेगा.जो मुस्लिम धर्म मे गये है वो आज् भि पिछ्दे है जो क्रिश्चन धर्म मे गये है वो तो शिक्षां मे आज बडे है.और जो इन सभी को नाही मानते वो नक्सलवादी बन जाते है तो आपका प्रयास अच्छा है.🙏🙏🙏🙏
जितना पिछे जाओगे अंत में आदिवासी ही मिलेगे जिसे आदिमानव कहते हैं.
कोई भी व्यक्ति जितना रिसर्च करेगा लास्ट में आदिवासी ही मिलेगा ।
ऐंसे ही आप आदिवासी जनजाती के समाज सेवक के जानकारी देते रहे और आदिवासी तक पहचे धन्यवाद . जय जोहार जय आदिवासी .🙏
शोध द्वारा प्राप्त जानकारी जनमाना के सामने रखने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद।
बीलकुल सही जा रहे है सर.
मुंडा जाती बौद्ध थी.बूक है
वंदामी बोधीवृक्ष बूक है
सभी आदिवासी लोग/ समाज ने गौतम बुद्ध का धम्म अपनाना चाहिए ! पाखंडवाद चमत्कार और गुलामीसे मुक्त होंगे और नया स्व: विश्वास और जीवन मिलेगा
Aadiwasiyo ka khud ka prakrtik dharm hain, aur aadiwasi samudai hain jisme Kai janjatiya aati hain, aur unke bhi dharm hote hain
ओ भाई साहब आप हमे पाखण्डवाद या चमत्कार मे विश्वास करने वाले न समझे हम प्रकृति के सिध्दांतों पर चलने वाले लोगहै । हमारी नजर मे इससे अच्छा धर्म नही है।
O ansur pujhe hai 😠😠😠 tumlog budh ko jati me divide kr diye
जो भी इतिहास के पुराने नाम है वो आदिवासी है इसके लिए कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है,,, जय आदिवासी ❤❤❤❤❤🏹🏹🏹🏹🏹🏹
जिस इलाकों में सक्वा वृक्ष होता है उसे इलाकों में ज्यादा वर्षा पड़ती है 🤔और 🤔सक्वा की लकड़ी से घर बनाया जाता है ,✍️ और सुखवा के दो ✍️राल✍️ निकल जाती है उस पूजा की जाती है, ✍️ आज तक का पेड़ का फल खाकर आदिवासी जिंदा रहते थे,✍️ (((((सखुआ वृक्ष))) के पत्ते पर खाना खाया जाता था उसे शादी त्यौहार में प्रयोग किया जाता है ✍️ इसलिए ✍️✍️✍️सखुआ वृक्ष ,✍🏻✍🏻का महत्व ✍️अभी और तक रखते हैं ✍🏻 और प्राकृतिक पूजा करते हैं क्योंकि जंगल झाड़ से ही जीवन के रक्षा रहती है ✍🏻✍🏻✍🏻
बहुत बहुत साधुवाद और नमो बुद्धाय जय भीम,जय भारत जय संविधान
बात तो ठीक बोल रहे हैं पर ज्ञान तो पीपल के वृक्ष के नीचे मिला महात्मा बुद्ध को।
जय भीम सर,
बहुत सुन्दर,
ये इतिहास हमें पहले पता नहीं था 👌
आदिवासी बुद्ध धम्मीय थे यह सिद्धांत वास्तव और सामाजिक है । यह आपका कहना सत्य है। जय मूलनिवासी . नमोबुद्धाय
जय जोहार बहुजन आदिवासी भारत के मुलनिवासी बुद्धिस्त लोग हैं और श्रमन संस्कृती के पलान्हार थे
Sarna ved se liya gaya hai kiya?
@@IgnatiusTudu-zi4xj No Vedic culture is a different social religious practices
गोंडवाना भूभाग मे जन्म लेने वाले लोगो को गोंड कहा गया,गोंड आदिवासी समुदाय ही प्राचीन है,इंसेही मानव जीवन का निर्माण हुआ,गोंडवाना भूभाग पर गोंड राजाओ ने राज्य किया, बाहरी आक्रमणकारी आणे से पहले,बुद्धा भी माडिया गोंड आदिवासी समुदाय के राजा के पुत्र थे. Sc, obc समुदाय भी आदिवासी समुदायो का ही विस्तारित रूप है,पर sc, obc गुलामी स्वीकार करके जाती प्रथा को अपणाया
Bilkul Shahi ka
Hii Jay seva johar ji Jay aadivasi Jay badadev 🌄❤️🔥💐🤳🌏💐🎶🆗❤️🔥💞
नागवंशी थे
ये 100% सत्य है जो अपनी आदिम संस्कृति छोड़ेगा और विदेशी आर्य धर्म इस्लाम धर्म ईसाई धर्म अपनाएगा वोह कतई भी आदिवासी नहीं कहलाएगा ।
वा re अंधभक्त
आज भारत के जितने भी SC, ST और OBC है वो सभी भारतीय मूलनिवासी है ,,,और ये सभी सभी बौदिस्ट थे ,,,और यहा आप जैसे महोदय जी केवल आदिवासी से जोड़ रहे है
साले मुस्लिम और ईसाई मे कंवेर्ट हो रहे उनकी कुछ उखाड़ ले।
सालों तुम भी एक दिन कंवेर्ट होकर देश मे बॉम्ब ही फोड़ोगे।
Aapka kahana kya hai bhai sirf St sc he bharat ke mulnivasi hai baki vedeshi me bhi sc se hu par ye bat galat hai hum mulnivasi baki vedeshi
वो तो बौद्ध से ही जोड़ रहे हैं कहां से सुनते हैं आप काध से या नाक से
Budhdh ke samay me jati nahi thi sab mulnivasi the tumhe abhi manuvad ka bhut lag gaya he is liye jati me batne chale ho
@@SunilJeswal-uw2uh to iska hal kese nikala jaye mar kat se kya ...DNA test karao sab 1seced me pata chalega ...kya jarurat h missiel chalana
Mein aadivasi samaj se hun aur buddha ☸️se bahut prabhaavit hun
Namo buddhay jay bhim jay johar
आपने जो इतिहास बताया है वह 100% सत्य है...
नमोबुद्धाय जय जोहार.....🙏🙏🙏
सचाई कभी नही छुपती
अपने मूल को ढूंढ़ने का
प्रयास सराहनीय कार्य है ।
धन्यवाद ❤
दादा इतने सारी जानकारी देने के लिए आपको कोटि कोटि प्रणाम,साथ ही दादा आप हमे बताए की कोन वो आदिवासी दादा है जो इस विषय पर अध्यन कर है जो इतिहासकार नही है और ना ही साहित्यकार है,वो कोन है, अंत में आपको पुनः हूल जोहर।
मेरी मन की बात कही है, जय जोहार जय आदि वासी
Good मालुमात थँक्यु
बहुत ही सटीक शोध खोज हैं, हमें भी यकीन हैं आदिवासी से ही शुरुआत हुआ हैं. 🖊️👍💐
पहिले,चार वंश थे,, शाक्य, कोलिय, लीच्छिवी, गोंड,❤ उसे गण कहते थे, उन्का प्रमुख को पती,,यांनी गनो का प्रमुख ,गणपती, हुआ,❤
बहुत बहुत धन्यवाद❤ नमो बुद्ध य,,जय मूलनिवासी ❤💙🙏💙
बहुत सुंदर प्रयास। ऐसे ही प्रयास से इतिहास का पता चलेगा।मै भी २५साल से इतिहास पर शोध कर रहा हूं। मैंने शोध के आधार पर खुद अपनी यादव जाति(यदुवंशी/अहिर/आभीर )को आदिम जनजाति मानता हूं। मेरे पुरखे संभु कृष्ण की भेष-भूषा खुद आदिवासियों जैसी ही है।तो फिर हम आदिम जनजाति क्यों नहीं है?
आदिवासी आज भी अपने जीवन में सरल सिद्धांतों को अमल में लाते हैं आपने पेड़ और फूल महामाया माता का खोज करके उल्लेख किया यह बहुत काबिले तारीफ है आपको बहुत बहुत धन्यवाद है इसी तरह आप आगे का वीडियो प्रस्तुत करें जिससे लोगों में जागृति उत्पन्न होगी धन्यवाद
जय भीम जय जोहार आपने यह जो वीडियो बनाई है कोल समाज के लिए बहुत ही अच्छी जानकारी है कोल समाज अपने पुराने इतिहास को जानकर संस्कृति को पहचान कर मूल धर्म को पहचान कर आने वाली पीढ़ी के लिए यह एक अच्छा मार्ग होगा आपको बहुत बहुत साधुवाद हम आपसे आशा करते हैं ऐसी वीडियो और बनाएं बहुत बहुत धन्यवाद
बहुत ही अच्छी जानकारी देने के धन्यवाद धीरे धीरे आदिवासी समाज के लोगो को समझ आना चाहिए पाखंडवाद से निकलना होगा
सिद्धार्थ बुद्ध के पिता शुद्धोधन राजा नही बल्कि गणराज्य प्रमुख थे ......ये व्यवस्था आदिवासियों में होती थी।गोंड,गोंडी, गण, गंड, गोंदोला,गुड़ी, गायता,गंड राज्य,गण प्रमुख ,गण मान्य.....
Sahi kaha apne
जय मूलनिवासी
जय भीम 🙏🏻 जय विरसा 🙏🏻जय भारत 🙏🏻 जय संविधान 🙏🏻
इस कार्यक्रम को बहुत समर्थन करते हैं जय भीम जय भारत छ ग,
भाई अपने को,अहीर कहते हैं फिर भी,
अपने को आदिवासी मानते हैं
पहले आदिवासी धर्म संस्कृति रीति रिवाज मानिये मूर्ति पूजा छोड़िये
मनुवादियों की,गुलामी से,बाहर आइये
हिंदु धर्म के, अनुसार आप शूद्र हैं सेवक हैं आदिवासी गुलामी स्वीकार न,करने से
मनुवादियों के,चारों वरण से,बाहर हैं
,,रावन मोहन मसराम आदिवासी जबलपुर
मनुवादी लेखक पत्रकार आदिवासीयों के,विषय में कभी सच नहीं लिखेंगे
कोल, कोली और मुण्डा लोग आस्ट्रिक भाषा परिवार से है। शाक्य, मौर्य और उराँव लोग द्रविड भाषा परिवार से है
kol se koliya koliya se koli koli se kori hua he ab log gotra m bant rahe he
Mai aapki bato se sahmat hoo,
जाति ना पुछो साधु कि पुछ लिजिए ज्ञान!
मोल करो तलवार का पडी रहने दो म्यान!
संत कबीर.
बुध्द ने बताए हुए राहपर चलो ना!
आदिवासी जाति नहीं है, आदि काल से रहने वाले को आदि वासी कहते हैं,
अच्छा है पर दोहराव ज्यादा कर रहे हैं इसका कारण हिंदी का कम अध्ययन भी है।
@muharsinghambadi1375
महोदय जी! Thanks for Watching. 'हिंदी' आदिवासियों की मातृभाषा नहीं रही है। इसलिए हिंदी के स्केल में असुविधा होती है। हिंदी ने अपनी भाषा को समृद्ध करने के लिए आदिवासियों की कई शब्दों को अपनी शब्दकोश में जगह दिया हुआ है।
जय भीम जय जोहार जय सेवा जय आदिवासी आपने मेरे मन की बात कह दी नमो बुद्धाय🙏🙏🙏👌👌👌👌👍💯✅️
आदिवासी कोई जाति नहीं है महोदय जी , जो पहले से भारत भूमि मे रहते आये है उन्हे आदिवासी या मूलनिवासी कहते है, ,,,,और ये आदिवासी समाज क्या लगा रखे है , तथागत बुध्द के समय मे कोई जातिवाद या जाति व्यवस्था नहीं थी ,,,
धीरे धीरे पुरा भारत बुद्ध के अनुयाई बने और सम्राट अशोक के समय में पुरा भारत बौद्धमय था ,,,
पर वर्ण व्यवस्था था सर जी बुद्ध के समय से पहले भी
Are bhai Ashok adivasi ya bought nhi the bich me undone bought dhrm shikari ir ant me jain dhrm Diksha li ye apko sb pta hai bhir bhi agyanvsh bat krke Andheri me rhnaa Uchitel nhi mahatma budh huve gyani orachrn ke bl pr budh Jat nhi vuve .Bharti me Kary ke nirbhr Jat pdi.vaise hi din me char vrn many Anita hai.or ye sb swarthy hai
जागो और जगाओ
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है भाई साहब जी जय भीम जय मूलनिवासी जय भारत
नमो बुद्ध जय बिरसा जय भीम
आदिवासी समाज को किसी सबुत कि जरूरत नहीं आदिवासी गोंड समाज अपने आप मे ही सबुत भारत के सबसे पहले मुलनिवास होने का मोहोदोजडो का इतिहास पढो जयसेवा जय जोहार जय गोंडवाना
नमो बुद्धाय जय भीम जय जोहार जय संविधान
सर " टोटम" का ब्यवथा किस महामानव ने आदिवासी समाज को दिया , पहले उस महामानव को खोजिये तब सबका मूल ( जड़) का पता चल जायेगा ?
पहांदी पारी कुपार लिंगो पेन 🙏💯
आधी मुठवापोय पाहांदी पारी कूपार लींगो..जय जोहार जय गोंडवाना
बहुत अच्छी जानकारी भाई हम लोग तो जानते हैं कि आदिवासी बौद्ध है लेकिन आप क्लीयर कर दिये बहुत बहुत धन्यवाद जय भीम नमो बुद्धाय
आदिवासी बौध्द नहीं . बौध्द आदिवासी है
खींचा तानी क्यों कर रहे हो यार🤣 सबके हैं
St community people must watch this vedio also read literature and should stat to live as Buddhist, because it is our tradition and culture.
Kolkat se Kol tribal mirror ke bhai ko 🙏 johar dhanyavaad bahut achha researchers ka presentation kiyen.. Intezaar rahega next episode ke liye 👍
Alinga baba nutumoge budu nutum... Jay joar esu esu bitiyem..
जैसे धम्म ,धर्म नही है।वैसे ही गोंडो का पूनेम भी धर्म नही है.. संस्कृति है।
बहुत ही सटीक जानकारी दी आपने
भाई साहब आपने बहुत बढ़िया वीडियो बनाया है आपको जय भीम जय जोहार जय भारत नमो बुद्धाय
Sir , उस आदिवासी दादा का नाम जरूर बताएं ताकि यह बात ऑथेंटिक हो सके
Dr raghunath singh
Namo Buddhay Jai Bhim Jai Johar Seva 🙏🏻🙏🏻🙏🏻
नमो बुद्धाय जय भीम
सखुवा और महुआ फूल को सरहुल बाहा पर्व में पूजा में उपयोग और प्रयोग किया जाता है।
❤🎉🎉शानदार विश्लेषण, सेवा-जोहार
आदिवासी अपने ईष्ट देव बुढा देव को मानते है क्या ये budhdh देव है
Jha tak mein janta hu sabhi tribals kai alag bhagwan hote hai.
बुद्ध विष्णु के अवतार हैं
@@mangalsoy3304 आप कहा थे ज्ञानी बाबा 😀😀
बिलकुल है। ये तो प्रमाणित हो गया छत्तीसगढ़ में
@@mangalsoy3304bishnu kon hai?
🎉❤🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉 जय भीम नमो बुद्धाय जय चक्रवर्ती सम्राट जय जोहार जय आदिवासी जय मूलनिवासी
Mere mann me uthne wale sawaalo ka jawaab mil raha hai ! Bahut bahut dhanyavaad
बहूत हि सराहानीय प्रेरणादायी सटिक विश्लेषण दिया सर 🙏🙏जय जोहार जय सेवा नमो बूध्दाय जय भीम जय संविधान सर
नमो बुध्याय जय सेवा
Sir very good topic and very good presentation… I hope Adiwasi samaj which is completely absorbed into brahmanwad and calling themselves as hindus will understand at least your point.. thank you 🙏🏻🎉🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻😊😊😊😊
Hinduism 🕉️ means mix culture in single cultural way of life ok 🙂 Hinduism 🕉️ is first adivasi dharm ok 😉
Buddha is kshatriya aryan
Bhuddh samay me kshetriy tha kiya ?
जय मूलनिवासी जय सतनाम
जय भीम जय संविधान
नमो वुद्धाय
भगवान बुद्ध ने ध्यान करने की सीख लोगों को दी थी लेकिन कितने Adivasi ध्यान करते है ? कैसे Adivasi ध्यान करना बुद्ध से नहीं सीख सके?
Jyan ,dhyan dene walo ne Pura jivan de Diya , per unko samjh na paye, badi murkhata rahi ham me,
अब समझ में आया कि आदिवासी लोग अपने बच्चों के नाम बुधू या बुधुवा क्यों रखते हैं । दरअसल ये बुद्ध भी आदिवासी ही थे ।
Adivashi samaj me Jis date me janam hota tha ùsdin ka hi naam Rakha jaata tha. Ok. Sir.
भगवान बिरसा मुंडा जी के माता पिता ने भी उनका नाम इसीलिए बिरसा रखा था, क्योंकि उनका जन्म बिरस्पतिवार के दिन हुआ था, इसके कोई दो राय नहीं है । लेकिन 15 नवंबर सन 1875 ई० का दिन बृहस्पतिवार कदापि नहीं था, वल्कि सोमवार का दिन था । विश्वास नहीं हो तो गूगल पर सर्च करके पता कर सकते हैं । 15 / 11/ 1875 ई० का दिन सोमवार ही निकलेगा ।
@@mangalsoy3304 Birsa Munda to real then na sir , DOB to school admission ke dakhileke samaya master ji hi baithae honge na pehle eise hi to chalta tha
@@adivasimulnivasi464आपने सही कहा, इसीलिये उनका नाम भी डेविड लिख दिया था ।
Buddu ka matlav padha likha nahi hota hai usko bola jata hai.
Thanks for sharing good information
Exactly. Jharkhand must be a part of ancient gondwana land. That's why many of the statues of the Lord Buddha have the face resembling the cheerful faces of Jharkhand people today!
पूर्णिमा के दिन हमारे एससी समाज में जीतनी भी उपजाती हैं वो दान मागने जाते है.
सर सखुआ फूल को अंग्रेजी में क्या कहते हैं बताइये, और भारत का जातीय फूल पद्म अंग्रेजी में lotus जो है,
बढ़िया! इस तरह का शोध कार्य के अध्ययन को ले के विडिओ बनाते रहिए। धन्यवाद
Budh chahe kisi bhi jati ya bans ke the prantu ye saty bat hai vo ek mahamanav the.🙏
जय भीम जय संविधान 🙏🙏💐💐
नमो बुद्धाय सादर जोहार 🙏🙏💐💐
बहुत सुंदर बहुत बधाई।
जय जोहार बहुत ही अच्छी जानकारी दी सर आपने।
कुरूख लोग उरांव में सरहुल को ख़दी कहते हैं जिसका मतलब बच्चे का जन्म हैं और उस दिन साल वृक्ष महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और कहानी भी सुनाते हैं है
Johar sir jai aadivasi
Johar
आदिवासी बुद का इतिहार आगे लाने लिए वहुत वहुत ❤ थनयवाद ा
हो सके तो संबंधित मोबाइल नं दी जाएं ताकि विशेष रूप से बात हो सकें।
जय मुलनिवासी भाई
आपका और शोधकर्ता का नाम और मो.नं.भेजीये.
बहुत महत्वपूर्ण ऐतिहासिक जानकारी है.
Very knowledgefull information.
Very nice information
Bahut achaa laga vdio Dada johar
जय जोहार! जय भीम!!
अच्छा काम कर रहे हैं।
Right sir थेरवाद वाले प्रतीक चिह्न पेड़ और पद चिह्न और स्तूप पूजा की पूजा करते हैं
सरना धर्म थेरवाद से ही है 🙏✨
Aap sahi hain Srimaa mata Mahamaya koli vansh ki thi Aur aaj ke ST aur SC mool roop se Therwadi Buddhist the isliye so called brahmano ne hame varn system se bahar rakha tha Thankyou sir bahut gyaan vardhak jankaari✍️🙏🙏🙏
जय आदिवासीं l नमो बुद्ध l नमो नमः ll 🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳🇮🇳
Me bhi yahi video banana chahta tha ❤ nomoh Budha
संथाल समाज मे भी बुधु,बुधन नाम बहुत देखने को मिलते हैं!
Budhu budhan का जन्म का दिन बुधवार है. 🙏
बुद्ध से टोटम यह शब्द . उनके वंश से जुका है तो वह आदिवासी हि है।
धन्यवाद दादा
Aadivasis ke Aadi Dharma ko aapko bahut achha se Samjhba hoga ...
धन्यवाद जानकारी देने के लिए 🙏🙏🙏
राजा सुद्धोदन का विवाह ही कोल वंशज के कन्या महामाया थी । कोल वंशज - कोल आदिवासी समाज को बर्तमान " हो " जन जाति हैं । सचमुच भगवान बुद्ध का रिश्ता होने का प्रमाण से कहा सकते हैं । आदिवासी थे ।
kol se koliya koliya se koli koli se kori hua he ab log gotra m bant rahe he
जय जोहार❤❤❤❤❤❤सर जी thanks🌹🌹🌹❤❤🌹
सटीक विश्लेषण साजा करणे के लिये धन्यवाद आपको ।
Meri jankari pahle se hai mai bahujan samaj party se hoon is liye bodhaya jata rahta hoon aap achha kiye
Exllent.
Please read Ancient Indian Culture
By
K.C.Chakravarty M. A.
डोब्अ जोहार sir Ji
Book or Writer ka nam ek sath me likh dijiye
जोहार सायोब
Description दिया हुआ है।
आदिवासी पूर्व के बौद्ध हैं
जय जोहार 💯
सही है इसलिए आदिवासियों के लोगों का नामों में बुद्ध/ बुद्धराम मिलता है
बुद्ध के गुरु का नाम अलार् कलाम था।जो आदिवासी थे।जय आदिवासी, जय बिरसा,जय जोहार,🙏
dada bahut hee purani aur mahtwapurn jankari par us mahan pardada ne kis pustak se jankari batai hai unka nam batayein .mera link samyak prakasan se hai.maiun kitabong ko kal mangaunga.yeh radh mukharjeeaur,raghunath singh ke kitab kahan milenge.mere kheyal se buddh sambandhi kitab (samyak prakashan delhi ke alawa kahin nahin mil sakta.)