Goljyu Mahima || Kumaoni bhajan || Puran Danu || Mehta film production.

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  • Опубліковано 8 лют 2025
  • Mehta Film Productions Presents Super Hit Kumaoni Devotional song 2018 . __________________________________________
    ------------------------------------------------------------------------Title :-GOLJYU MAHIMA
    (KUMAONI BHAJAN)
    SINGER :- PURAN DANU
    MUSIC/RECORDING :- SANJEEV DADA
    EDITING: - VIPIN DEV
    PRODUCER :- RAJENDRA MEHTA
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    THANKS FOR WATCHING
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    गोलू देवता की कहानी
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    आप, हम और हम जैसे कई और लोग हैं जिनको Almora के निकट स्थित गोलू देवता के मंदिर मे समय व्यतीत करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है.
    हमारे पहाड़ मे इस मंदिर और गोलू देवता के लिए काफ़ी आस्था है. इस कामना पूर्ति मंदिर मे आकर सिर्फ़ पहाड़ी लोगों को ही नही अपितु देश विदेश के लोगों को उनका मनचाहा वरदान मिला है. और शायद यही वजह है की इसकी प्रसिद्धि रोज़ बढ़ती ही जा रही है.
    आप और हम जानते ही है की गोलू देवता को न्याय का देवता कहा जाता है. पर क्या आप जानते हैं की ऐसा क्यों है ?
    आज हम आप सभी के लिए गोलू देवता की यही दिलचस्प कहानी लेके आए हैं:
    कहा जाता है की कत्युरि वंश के राजा झल राय की सात रानियाँ थी. सातों रानियों मे से किसी की भी संतान नही थी. राजा इस बात से काफ़ी परेशान रहा करते थे. एक दिन वे जंगल मे शिकार करने के लिए गये हुए थे जहाँ उनकी मुलाक़ात रानी कलिंका से हुई(रानी कलिंका को देवी का एक अंश माना जाता है). राजा झल राय, रानी को देखकर मंत्रमुग्ध हो गये और उन्होने उनसे शादी कर ली.
    कुछ समय बाद रानी गर्भवती हो गयीं. यह देख सातों रानियों को ईर्ष्या होने लगी. सभी रानियों ने दाई माँ के साथ मिलकर एक साजिश रची. जब रानी कलिंका ने बच्चे को जन्म दिया, तब उन्होंने बच्चे को हटा कर उसकी जगह एक सिल बट्‍टे का प्त्थर रख दिया. बच्चे को उन्होने एक टोकरे मे रख कर नदी मे बहा दिया.
    वह बच्चा बहता हुआ मछुआरो के पास आ गया. उन्होंने उसे पाल पोसकर बड़ा किया. जब बालक आठ वर्ष का हुआ तो उसने उसने पिता से राजधानी चंपावत जाने की ज़िद की. पिता के यह पूछने पर की वह चंपावत कैसे जाएगा बालक ने कहा की आप मुझे बस एक घोड़ा दे दीजिए. पिता ने इसे मज़ाक समझकर उसे एक लकड़ी का घोड़ा लाकर दे दिया.
    लेकिन बालक तो साक्षात भगवान ही थे. वो उसी घोड़े को लेकर चंपावत आ गये. वहाँ एक तालाब मे राजा की सात रानियाँ स्नान कर रही थी. बालक वहाँ अपने घोड़े को पानी पिलाने लगा. यह देख सारी रानियाँ उसपर हस्ने लगीं और बोलीं- “मूर्ख बालक लकड़ी का घोड़ा भी कभी पानी पीता है?”. बालक ने तुरंत जवाब दिया की अगर रानी कलिंका एक पत्थर को जन्म दे सकतीं हैं तो क्या लकड़ी का घोड़ा पानी नही पी सकता… यह सुन सारी रानियाँ स्तब्ध रह गयीं. शीघ्र ही यह खबर पूरे राज्य में फैल गयी… राजा की खुशियाँ लौट आईं. उन्होने सातों रानियों को दंड दिया और नन्हे गोलू को राजा घोषित कर दिया.
    तब से ही कुमायूँ मे उन्हे न्याय का देवता माना जाने लगा. धीरे धीरे उनके न्याय की ख़बरे सब जगह फैलने लगी. उनके जाने के बाद भी, जब भी किसी के साथ कोई अन्याय होता तो वह एक चिट्ठी लिखके उनके मंदिर मे टाँग देता और शीघ्र ही उन्हे न्याय मिल जाता. इसी लिए सिर्फ़ कुमायूँ मे ही नही बल्कि पूरे विश्व मे उन्हे कामना पूर्ति भी माना जाता है…
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    -Being part of the Indo-Aryan dialect continuum Kumauni shares its grammar with other Indo-Aryan languages, especially Nepali, Hindi, Rajasthani languages, Kashmiriand Gujarati. It shares much of its grammar with the other languages of the Central Pahari like Garhwali and Jaunsari. The peculiarities of grammar in Kumaoni and other Central Pahari languages exist due to the influence of the now extinct language of the Khasas, the first inhabitants of the region. In Kumauni the verb substantive is formed from the root ach, as in both Rajasthani and Kashmiri. In Rajasthani its present tense, being derived from the Sanskrit present rcchami, I go, does not change for gender. But in Pahari and Kashmiri it must be derived from the rare Sanskrit particle *rcchitas, gone, for in these languages it is a participial tense and does change according to the gender of the subject. Thus, in the singular we have: - Here we have a relic of the old Khasa language, which, as has been said, seems to have been related to Kashmiri. Other relics of Khasa, again agreeing with north-western India, are the tendency to shorten long vowels, the practice of epenthesis, or the modification of a vowel by the one which follows in the next syllable, and the frequent occurrence of disaspiration. Thus, Khas siknu, Kumauni sikhno, but Hindi sikhna, to learn; Kumauni yeso, plural yasa, of this kind.
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