I have visited manikaran & kasol in this February 2023. I have seen the camp & hotels just beside the river Parvati. It is too dangerous when I see all the videos from Himachal. I am glad to hear that all the people are safe. Thank's to God.
I have been to Chalaal recently after 2015. Being Himachali i was very disheartened to see the garbage trails beside the river bank.even picked up some to dispose off but never found the site. and thought of never coming back here again. Guess what ? mother nature has its own plans. Respect and u will be respected.
हिमालय जैसे संवेदनशील और भूकंप छेत्र मैं ऐसी तबाई का मुख्य कारण अननेसेसरी जरूरत से ज्यादा चौड़े हाईवे रोड, डैम, टनल, की वजह से हो रहा। हर जगह तबाही ही तबाही है। हिमाचल हो या उत्तराखंड। हिमालय मैं ना रेल चाहिए ना ही 4 लेन रोड। 10 मीटर रोड बहुत है। पैदल मार्ग एक ऑल्टरनेटिव रूट बनाना जरूरी है। और हिमालय छेत्र मैं हाईवे बनाके पहाड़ों को कमजोर किया जा रहा। और जब से रोड डबल कटिंग हो रही हैवी डबल होल रेड डायनामाइट का यूज, कुछ ज्यादा ही हो रहा। बड़े बड़े रॉक्स बोल्डर नदी मैं डाले जा रहे। पानी जगह जगह रुक रहा और भूगर्भ जल अंदर ही अंदर न जाने कितने मार्ग बना रहा होगा और लैंडस्लाइड हो रहे। बड़े बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट से आस पास का पूरा मौसम बदल गया है। बादल फटना क्या होता हमारे पुरखों ने कभी नही सुना था। हर छोटे बड़े नदी नाले उफान मार रहे। और 20-22 साल से ही हो रहा ये सब जब धारचूला, पिथौरागढ़ Dist. मैं 280 MW का डैम बना है। पूरे 50 km के रेंज मैं दिक्कत हो रही। और मानसून मैं ही डैम की Silt (मलबा) साफ करने के लिए फ्लड गेट्स ओपन करते हैं 😳😳 हाल ही मैं 10 -11जुलाई की बात है डैम के फ्लड गेट खोलते ही नदी10 गुना बड गई भाई। और 2 घर बह गए धारचूला मैं। सुबह के 5 से रात के 8 बजे तक। छोड़ा था पानी। It's a weapon of mass Destruction..Time bomb hai.. Elephant in the room.. no body seeing it..👀 और दोष प्रकृति को दे दो। भगवान को दे दो। 🫤 देवता भी कह रहे होंगे, बड़े बड़े डैम तुम लोग बनवाने दो। ठीक बारिश के टाइम पे ही डैम का पानी छोड़ो। और दोष हम को दो। होना यही हैं। मैन स्ट्रीम मीडिया से दूर रहो। TV देखना बंद करो। न्यूज चैनल्स का एजेंडा समझो। ध्यान देने वाली बात है। प्रकृति है तो हम है हमसे प्रकृति नही। हमे उनकी जरूरत है उन्हे हमारी नही। ये विकास नही विनाश है। अपना हिमालय, अपने जल जंगल, जमीन बचा लो पहाड़ियों। 🏔️🌎
हिमालय जैसे संवेदनशील और भूकंप छेत्र मैं ऐसी तबाई का मुख्य कारण अननेसेसरी जरूरत से ज्यादा चौड़े हाईवे रोड, डैम, टनल, की वजह से हो रहा। हर जगह तबाही ही तबाही है। हिमाचल हो या उत्तराखंड। हिमालय मैं ना रेल चाहिए ना ही 4 लेन रोड। 10 मीटर रोड बहुत है। पैदल मार्ग एक ऑल्टरनेटिव रूट बनाना जरूरी है। और हिमालय छेत्र मैं हाईवे बनाके पहाड़ों को कमजोर किया जा रहा। और जब से रोड डबल कटिंग हो रही हैवी डबल होल रेड डायनामाइट का यूज, कुछ ज्यादा ही हो रहा। बड़े बड़े रॉक्स बोल्डर नदी मैं डाले जा रहे। पानी जगह जगह रुक रहा और भूगर्भ जल अंदर ही अंदर न जाने कितने मार्ग बना रहा होगा और लैंडस्लाइड हो रहे। बड़े बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट से आस पास का पूरा मौसम बदल गया है। बादल फटना क्या होता हमारे पुरखों ने कभी नही सुना था। हर छोटे बड़े नदी नाले उफान मार रहे। और 20-22 साल से ही हो रहा ये सब जब धारचूला, पिथौरागढ़ Dist. मैं 280 MW का डैम बना है। पूरे 50 km के रेंज मैं दिक्कत हो रही। और मानसून मैं ही डैम की Silt (मलबा) साफ करने के लिए फ्लड गेट्स ओपन करते हैं 😳😳 हाल ही मैं 10 -11जुलाई की बात है डैम के फ्लड गेट खोलते ही नदी10 गुना बड गई भाई। और 2 घर बह गए धारचूला मैं। सुबह के 5 से रात के 8 बजे तक। छोड़ा था पानी। It's a weapon of mass Destruction..Time bomb hai.. Elephant in the room.. no body seeing it..👀 और दोष प्रकृति को दे दो। भगवान को दे दो। 🫤 देवता भी कह रहे होंगे, बड़े बड़े डैम तुम लोग बनवाने दो। ठीक बारिश के टाइम पे ही डैम का पानी छोड़ो। और दोष हम को दो। होना यही हैं। मैन स्ट्रीम मीडिया से दूर रहो। TV देखना बंद करो। न्यूज चैनल्स का एजेंडा समझो। ध्यान देने वाली बात है। प्रकृति है तो हम है हमसे प्रकृति नही। हमे उनकी जरूरत है उन्हे हमारी नही। ये विकास नही विनाश है। अपना हिमालय, अपने जल जंगल, जमीन बचा लो पहाड़ियों। 🏔️🌎
The construction should be made little far beyond river bank.when you have built everything close to our river banks then it is inevitable. I live in Nadaun and there is no haphazard construction cis and trans Bias river bank therefore nothing happened due to very high water flow covering almost entire river bed.
हिमालय जैसे संवेदनशील और भूकंप छेत्र मैं ऐसी तबाई का मुख्य कारण अननेसेसरी जरूरत से ज्यादा चौड़े हाईवे रोड, डैम, टनल, की वजह से हो रहा। हर जगह तबाही ही तबाही है। हिमाचल हो या उत्तराखंड। हिमालय मैं ना रेल चाहिए ना ही 4 लेन रोड। 10 मीटर रोड बहुत है। पैदल मार्ग एक ऑल्टरनेटिव रूट बनाना जरूरी है। और हिमालय छेत्र मैं हाईवे बनाके पहाड़ों को कमजोर किया जा रहा। और जब से रोड डबल कटिंग हो रही हैवी डबल होल रेड डायनामाइट का यूज, कुछ ज्यादा ही हो रहा। बड़े बड़े रॉक्स बोल्डर नदी मैं डाले जा रहे। पानी जगह जगह रुक रहा और भूगर्भ जल अंदर ही अंदर न जाने कितने मार्ग बना रहा होगा और लैंडस्लाइड हो रहे। बड़े बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट से आस पास का पूरा मौसम बदल गया है। बादल फटना क्या होता हमारे पुरखों ने कभी नही सुना था। हर छोटे बड़े नदी नाले उफान मार रहे। और 20-22 साल से ही हो रहा ये सब जब धारचूला, पिथौरागढ़ Dist. मैं 280 MW का डैम बना है। पूरे 50 km के रेंज मैं दिक्कत हो रही। और मानसून मैं ही डैम की Silt (मलबा) साफ करने के लिए फ्लड गेट्स ओपन करते हैं 😳😳 हाल ही मैं 10 -11जुलाई की बात है डैम के फ्लड गेट खोलते ही नदी10 गुना बड गई भाई। और 2 घर बह गए धारचूला मैं। सुबह के 5 से रात के 8 बजे तक। छोड़ा था पानी। It's a weapon of mass Destruction..Time bomb hai.. Elephant in the room.. no body seeing it..👀 और दोष प्रकृति को दे दो। भगवान को दे दो। 🫤 देवता भी कह रहे होंगे, बड़े बड़े डैम तुम लोग बनवाने दो। ठीक बारिश के टाइम पे ही डैम का पानी छोड़ो। और दोष हम को दो। होना यही हैं। मैन स्ट्रीम मीडिया से दूर रहो। TV देखना बंद करो। न्यूज चैनल्स का एजेंडा समझो। ध्यान देने वाली बात है। प्रकृति है तो हम है हमसे प्रकृति नही। हमे उनकी जरूरत है उन्हे हमारी नही। ये विकास नही विनाश है। अपना हिमालय, अपने जल जंगल, जमीन बचा लो पहाड़ियों। 🏔️🌎
River bed, river banks, areas along river sab encroach Kar liya hai. Ab river to apna area paimash Kar rahi hai. Mat khilwad karo jal,vayu aur aag say.
Main reason of damages to hotels is due to encroachment of river land.I think there are many hotels which are not having proper permission from the government.
Kudrat k sath sher shar krogey ese hi hoga jaise pahr kat kr tunnel banaye gaye us ka badla liya kudrt ne or agey k.liyw chitavni di hai kudrt k sath glt matt kro nai to sab kuch tbha kr degi kudrt
Manali mein tourist bahut jyada pahunch rahe the isliye bahut sare hotels banaye gaye tourists ke liye itne sare logon ke liye ye jagah nahi bani hai limited logon ko jana chahiye
I think its only himachali people who evacuate tourist first and then they exit and even our cm sahb continousely working day and night for three days.people of all india and tourist should respect and remember these things
हिमालय जैसे संवेदनशील और भूकंप छेत्र मैं ऐसी तबाई का मुख्य कारण अननेसेसरी जरूरत से ज्यादा चौड़े हाईवे रोड, डैम, टनल, की वजह से हो रहा। हर जगह तबाही ही तबाही है। हिमाचल हो या उत्तराखंड। हिमालय मैं ना रेल चाहिए ना ही 4 लेन रोड। 10 मीटर रोड बहुत है। पैदल मार्ग एक ऑल्टरनेटिव रूट बनाना जरूरी है। और हिमालय छेत्र मैं हाईवे बनाके पहाड़ों को कमजोर किया जा रहा। और जब से रोड डबल कटिंग हो रही हैवी डबल होल रेड डायनामाइट का यूज, कुछ ज्यादा ही हो रहा। बड़े बड़े रॉक्स बोल्डर नदी मैं डाले जा रहे। पानी जगह जगह रुक रहा और भूगर्भ जल अंदर ही अंदर न जाने कितने मार्ग बना रहा होगा और लैंडस्लाइड हो रहे। बड़े बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट से आस पास का पूरा मौसम बदल गया है। बादल फटना क्या होता हमारे पुरखों ने कभी नही सुना था। हर छोटे बड़े नदी नाले उफान मार रहे। और 20-22 साल से ही हो रहा ये सब जब धारचूला, पिथौरागढ़ Dist. मैं 280 MW का डैम बना है। पूरे 50 km के रेंज मैं दिक्कत हो रही। और मानसून मैं ही डैम की Silt (मलबा) साफ करने के लिए फ्लड गेट्स ओपन करते हैं 😳😳 हाल ही मैं 10 -11जुलाई की बात है डैम के फ्लड गेट खोलते ही नदी10 गुना बड गई भाई। और 2 घर बह गए धारचूला मैं। सुबह के 5 से रात के 8 बजे तक। छोड़ा था पानी। It's a weapon of mass Destruction..Time bomb hai.. Elephant in the room.. no body seeing it..👀 और दोष प्रकृति को दे दो। भगवान को दे दो। 🫤 देवता भी कह रहे होंगे, बड़े बड़े डैम तुम लोग बनवाने दो। ठीक बारिश के टाइम पे ही डैम का पानी छोड़ो। और दोष हम को दो। होना यही हैं। मैन स्ट्रीम मीडिया से दूर रहो। TV देखना बंद करो। न्यूज चैनल्स का एजेंडा समझो। ध्यान देने वाली बात है। प्रकृति है तो हम है हमसे प्रकृति नही। हमे उनकी जरूरत है उन्हे हमारी नही। ये विकास नही विनाश है। अपना हिमालय, अपने जल जंगल, जमीन बचा लो पहाड़ियों। 🏔️🌎
हिमालय जैसे संवेदनशील और भूकंप छेत्र मैं ऐसी तबाई का मुख्य कारण अननेसेसरी जरूरत से ज्यादा चौड़े हाईवे रोड, डैम, टनल, की वजह से हो रहा। हर जगह तबाही ही तबाही है। हिमाचल हो या उत्तराखंड। हिमालय मैं ना रेल चाहिए ना ही 4 लेन रोड। 10 मीटर रोड बहुत है। पैदल मार्ग एक ऑल्टरनेटिव रूट बनाना जरूरी है। और हिमालय छेत्र मैं हाईवे बनाके पहाड़ों को कमजोर किया जा रहा। और जब से रोड डबल कटिंग हो रही हैवी डबल होल रेड डायनामाइट का यूज, कुछ ज्यादा ही हो रहा। बड़े बड़े रॉक्स बोल्डर नदी मैं डाले जा रहे। पानी जगह जगह रुक रहा और भूगर्भ जल अंदर ही अंदर न जाने कितने मार्ग बना रहा होगा और लैंडस्लाइड हो रहे। बड़े बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट से आस पास का पूरा मौसम बदल गया है। बादल फटना क्या होता हमारे पुरखों ने कभी नही सुना था। हर छोटे बड़े नदी नाले उफान मार रहे। और 20-22 साल से ही हो रहा ये सब जब धारचूला, पिथौरागढ़ Dist. मैं 280 MW का डैम बना है। पूरे 50 km के रेंज मैं दिक्कत हो रही। और मानसून मैं ही डैम की Silt (मलबा) साफ करने के लिए फ्लड गेट्स ओपन करते हैं 😳😳 हाल ही मैं 10 -11जुलाई की बात है डैम के फ्लड गेट खोलते ही नदी10 गुना बड गई भाई। और 2 घर बह गए धारचूला मैं। सुबह के 5 से रात के 8 बजे तक। छोड़ा था पानी। It's a weapon of mass Destruction..Time bomb hai.. Elephant in the room.. no body seeing it..👀 और दोष प्रकृति को दे दो। भगवान को दे दो। 🫤 देवता भी कह रहे होंगे, बड़े बड़े डैम तुम लोग बनवाने दो। ठीक बारिश के टाइम पे ही डैम का पानी छोड़ो। और दोष हम को दो। होना यही हैं। मैन स्ट्रीम मीडिया से दूर रहो। TV देखना बंद करो। न्यूज चैनल्स का एजेंडा समझो। ध्यान देने वाली बात है। प्रकृति है तो हम है हमसे प्रकृति नही। हमे उनकी जरूरत है उन्हे हमारी नही। ये विकास नही विनाश है। अपना हिमालय, अपने जल जंगल, जमीन बचा लो पहाड़ियों। 🏔️🌎
River k kinare sir logon nejmeen ko lutna suru kr diya h or govt ki jgh ko b gher liya h or hotal m b lutna suru kr diya h bhai pani ki botal ka rate 40 rupee kr diya h
ye kudrat ka insaaf hai logo ne kudrat se khilwAD AKRNA SHURU KARDIYA THA NADI NEHER KI JAGAH KO ROK K CONSTRUCTION KARNE LAGE THE AUR BAHUT MAHNGE RATE PE ROOM DE RAHE THE SAB SAMAAN ITNA MEHNGA KAR DIYA ME BHI KUCH TIME PEHLE HI WAPIS AYA THA 10 RS KI CHEEJ 40-50 KI ROOM 1500 KA 3-4-5 TAK EK FAMILY SHAM KO WAHA LATE POHNCHI WAHA UNKA 5 SAAL KA BETA THA ROOM K LIYE BHATAK RAHA THA WO KOI ROOM KA 4 KOI 5 MANG RAHA THA USNE MUJHE KHUD BATAYA BAKI YE PAANI JAHAN SE GUZRA HAI YE USKA RASTA THA BAHUT WARSHO SE ISPE INROACMENTS HUMNE KI USNE APNA WAPIS LE LIYA. NUKSAN BAHUT HUYA BHOLENATH KI KIRPA SE LOG JAAN BACHA PAYE JAI BHOLE KI
Pahado k pair kaat diye nadi k kinare k area par kabja kar liya aur kah rahe camp site thi resort thi, sab barbaad ho gaya, Bhai jab kabja hi galat kiya to nature aur nadi ne vapas le liya aur sudhar jao nahi to aage aur khatarnak halaat honge,
Nadiyo key kinare construction gandgi plastic yeah sab kaaran hai nadiyo ka vikral roop dharney key plastic should be totally banned in Himachal tourist sabsay jyaada gandgi aur plastic failatey hai aur bhed bakriyon ki tarah log in sensitive jagaho per jaate hai only for fun and entertainment shaayad kudrat ko in bhed bakriyon ki tarah logo ka aana pasand nahi local people should raise voice against this
There are 2 main problems created by people themselves: 1. Firstly, why are so many property built on flood plains. 2. Secondly, why are so many tourists going during rainy seasons. 10 years ago we as a local also wouldn’t travel during rainy season. It is very very dangerous in rainy season as situation changes in just 15 minutes.
But, interesting part is that administration is allowing temporary or permanent construction on the river side. Where locals as well outsiders are involved in such constructions in the name of toursium. We have seen tusnami in 2004 & kedar nath tragedy in 2013 & not learned any lesson.
हिमालय जैसे संवेदनशील और भूकंप छेत्र मैं ऐसी तबाई का मुख्य कारण अननेसेसरी जरूरत से ज्यादा चौड़े हाईवे रोड, डैम, टनल, की वजह से हो रहा। हर जगह तबाही ही तबाही है। हिमाचल हो या उत्तराखंड। हिमालय मैं ना रेल चाहिए ना ही 4 लेन रोड। 10 मीटर रोड बहुत है। पैदल मार्ग एक ऑल्टरनेटिव रूट बनाना जरूरी है। और हिमालय छेत्र मैं हाईवे बनाके पहाड़ों को कमजोर किया जा रहा। और जब से रोड डबल कटिंग हो रही हैवी डबल होल रेड डायनामाइट का यूज, कुछ ज्यादा ही हो रहा। बड़े बड़े रॉक्स बोल्डर नदी मैं डाले जा रहे। पानी जगह जगह रुक रहा और भूगर्भ जल अंदर ही अंदर न जाने कितने मार्ग बना रहा होगा और लैंडस्लाइड हो रहे। बड़े बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट से आस पास का पूरा मौसम बदल गया है। बादल फटना क्या होता हमारे पुरखों ने कभी नही सुना था। हर छोटे बड़े नदी नाले उफान मार रहे। और 20-22 साल से ही हो रहा ये सब जब धारचूला, पिथौरागढ़ Dist. मैं 280 MW का डैम बना है। पूरे 50 km के रेंज मैं दिक्कत हो रही। और मानसून मैं ही डैम की Silt (मलबा) साफ करने के लिए फ्लड गेट्स ओपन करते हैं 😳😳 हाल ही मैं 10 -11जुलाई की बात है डैम के फ्लड गेट खोलते ही नदी10 गुना बड गई भाई। और 2 घर बह गए धारचूला मैं। सुबह के 5 से रात के 8 बजे तक। छोड़ा था पानी। It's a weapon of mass Destruction..Time bomb hai.. Elephant in the room.. no body seeing it..👀 और दोष प्रकृति को दे दो। भगवान को दे दो। 🫤 देवता भी कह रहे होंगे, बड़े बड़े डैम तुम लोग बनवाने दो। ठीक बारिश के टाइम पे ही डैम का पानी छोड़ो। और दोष हम को दो। होना यही हैं। मैन स्ट्रीम मीडिया से दूर रहो। TV देखना बंद करो। न्यूज चैनल्स का एजेंडा समझो। ध्यान देने वाली बात है। प्रकृति है तो हम है हमसे प्रकृति नही। हमे उनकी जरूरत है उन्हे हमारी नही। ये विकास नही विनाश है। अपना हिमालय, अपने जल जंगल, जमीन बचा लो पहाड़ियों। 🏔️🌎
Yah tabahi near by river ke paas basane se ho raha hain hamesha nadi se 300 mtr distance rakna chahiye yah insano ka kudrat ke atikarmana ka natija hain
Kudrat k sath sher shar krogey ese hi hoga jaise pahr kat kr tunnel banaye gaye us ka badla liya kudrt ne or agey k.liyw chitavni di hai kudrt k sath glt matt kro nai to sab kuch tbha kr degi kudrt
God bless you beta ❣️ I am from Pali mana
I have visited manikaran & kasol in this February 2023. I have seen the camp & hotels just beside the river Parvati. It is too dangerous when I see all the videos from Himachal. I am glad to hear that all the people are safe. Thank's to God.
🕉eveeything will Heal acc. to Him..😊
Last month was in kasol & kalga weather was absolutely beautiful . Now I am seeing other side of nature 🌿🍃 .
प्रकृति अपनी जगह जरूर लेंगी, हम गंगा की जगह लेने की कोशिश karate हैं गंगा महादेव के जटा पर विराजमान हैं
Very deeply explained nahi toh jinka nuksan hota hai woh rouu rou kay dukhi ho jatay hai parmatma yeh DIN kisi ko naa dikay.
I have been to Chalaal recently after 2015. Being Himachali i was very disheartened to see the garbage trails beside the river bank.even picked up some to dispose off but never found the site. and thought of never coming back here again.
Guess what ? mother nature has its own plans.
Respect and u will be respected.
Nadi ke kinare mat banana kuch bhi...wo jagah uski hai
Insaan paise k liye Kuch bhi karega
Stay safe and stay strong
Jai Shri Krishna 🙏
Apna Naveen bhai ..
Woh raaste humaare buzurgo'n ne bahut soch samajhkar bnaaye the. . hume unko safe rkhna chahiye . .
kaash aaj kelog ye samjh paane .humare purvajo ko pta tha ki prakriti ka sammaan kitna jaruri hai .
पैदल रास्ते कभी धोखा नही देते
हिमालय जैसे संवेदनशील और भूकंप छेत्र मैं ऐसी तबाई का मुख्य कारण अननेसेसरी जरूरत से ज्यादा चौड़े हाईवे रोड, डैम, टनल, की वजह से हो रहा। हर जगह तबाही ही तबाही है। हिमाचल हो या उत्तराखंड।
हिमालय मैं ना रेल चाहिए ना ही 4 लेन रोड। 10 मीटर रोड बहुत है।
पैदल मार्ग एक ऑल्टरनेटिव रूट बनाना जरूरी है। और हिमालय छेत्र मैं हाईवे बनाके पहाड़ों को कमजोर किया जा रहा। और जब से रोड डबल कटिंग हो रही हैवी डबल होल रेड डायनामाइट का यूज, कुछ ज्यादा ही हो रहा। बड़े बड़े रॉक्स बोल्डर नदी मैं डाले जा रहे। पानी जगह जगह रुक रहा और भूगर्भ जल अंदर ही अंदर न जाने कितने मार्ग बना रहा होगा और लैंडस्लाइड हो रहे।
बड़े बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट से आस पास का पूरा मौसम बदल गया है। बादल फटना क्या होता हमारे पुरखों ने कभी नही सुना था। हर छोटे बड़े नदी नाले उफान मार रहे। और 20-22 साल से ही हो रहा ये सब जब धारचूला, पिथौरागढ़ Dist. मैं 280 MW का डैम बना है। पूरे 50 km के रेंज मैं दिक्कत हो रही।
और मानसून मैं ही डैम की Silt (मलबा) साफ करने के लिए फ्लड गेट्स ओपन करते हैं 😳😳
हाल ही मैं 10 -11जुलाई की बात है डैम के फ्लड गेट खोलते ही नदी10 गुना बड गई भाई। और 2 घर बह गए धारचूला मैं।
सुबह के 5 से रात के 8 बजे तक। छोड़ा था पानी।
It's a weapon of mass Destruction..Time bomb hai.. Elephant in the room.. no body seeing it..👀
और दोष प्रकृति को दे दो। भगवान को दे दो। 🫤
देवता भी कह रहे होंगे, बड़े बड़े डैम तुम लोग बनवाने दो। ठीक बारिश के टाइम पे ही डैम का पानी छोड़ो। और दोष हम को दो।
होना यही हैं। मैन स्ट्रीम मीडिया से दूर रहो। TV देखना बंद करो। न्यूज चैनल्स का एजेंडा समझो।
ध्यान देने वाली बात है। प्रकृति है तो हम है हमसे प्रकृति नही।
हमे उनकी जरूरत है उन्हे हमारी नही।
ये विकास नही विनाश है।
अपना हिमालय, अपने जल जंगल, जमीन बचा लो पहाड़ियों। 🏔️🌎
Plz bro,sainj k kartah m aana,yhn Jo trasdi hui b,vo hm dekh ni pa r h,plz yhn ki kbr v de
Nice
Shree maa Nirmala ki kripa hai.sab Bach gae .maa se group me pary ki gae. my son is there in choj .Home stay Dog n Hill.
Kudrat ki kher h bhaiya koi kiya kr sakta h
Aa gya aaai singal
हिमालय जैसे संवेदनशील और भूकंप छेत्र मैं ऐसी तबाई का मुख्य कारण अननेसेसरी जरूरत से ज्यादा चौड़े हाईवे रोड, डैम, टनल, की वजह से हो रहा। हर जगह तबाही ही तबाही है। हिमाचल हो या उत्तराखंड।
हिमालय मैं ना रेल चाहिए ना ही 4 लेन रोड। 10 मीटर रोड बहुत है।
पैदल मार्ग एक ऑल्टरनेटिव रूट बनाना जरूरी है। और हिमालय छेत्र मैं हाईवे बनाके पहाड़ों को कमजोर किया जा रहा। और जब से रोड डबल कटिंग हो रही हैवी डबल होल रेड डायनामाइट का यूज, कुछ ज्यादा ही हो रहा। बड़े बड़े रॉक्स बोल्डर नदी मैं डाले जा रहे। पानी जगह जगह रुक रहा और भूगर्भ जल अंदर ही अंदर न जाने कितने मार्ग बना रहा होगा और लैंडस्लाइड हो रहे।
बड़े बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट से आस पास का पूरा मौसम बदल गया है। बादल फटना क्या होता हमारे पुरखों ने कभी नही सुना था। हर छोटे बड़े नदी नाले उफान मार रहे। और 20-22 साल से ही हो रहा ये सब जब धारचूला, पिथौरागढ़ Dist. मैं 280 MW का डैम बना है। पूरे 50 km के रेंज मैं दिक्कत हो रही।
और मानसून मैं ही डैम की Silt (मलबा) साफ करने के लिए फ्लड गेट्स ओपन करते हैं 😳😳
हाल ही मैं 10 -11जुलाई की बात है डैम के फ्लड गेट खोलते ही नदी10 गुना बड गई भाई। और 2 घर बह गए धारचूला मैं।
सुबह के 5 से रात के 8 बजे तक। छोड़ा था पानी।
It's a weapon of mass Destruction..Time bomb hai.. Elephant in the room.. no body seeing it..👀
और दोष प्रकृति को दे दो। भगवान को दे दो। 🫤
देवता भी कह रहे होंगे, बड़े बड़े डैम तुम लोग बनवाने दो। ठीक बारिश के टाइम पे ही डैम का पानी छोड़ो। और दोष हम को दो।
होना यही हैं। मैन स्ट्रीम मीडिया से दूर रहो। TV देखना बंद करो। न्यूज चैनल्स का एजेंडा समझो।
ध्यान देने वाली बात है। प्रकृति है तो हम है हमसे प्रकृति नही।
हमे उनकी जरूरत है उन्हे हमारी नही।
ये विकास नही विनाश है।
अपना हिमालय, अपने जल जंगल, जमीन बचा लो पहाड़ियों। 🏔️🌎
The construction should be made little far beyond river bank.when you have built everything close to our river banks then it is inevitable. I live in Nadaun and there is no haphazard construction cis and trans Bias river bank therefore nothing happened due to very high water flow covering almost entire river bed.
हां तो लालची और मूर्ख का नाश ऐसे ही होता है उसमे रोने वाली क्या बात है ?? क्यों साले जमीन की लूट मचा रहे हो
Kya ise hm natural disaster hi bol skte hai kya
It could be man-made.. please find out the real cause
डैम के पानी छोड़े गए है। Elephant in the Room no boday is seeing। 🧐👀☠️
हिमालय जैसे संवेदनशील और भूकंप छेत्र मैं ऐसी तबाई का मुख्य कारण अननेसेसरी जरूरत से ज्यादा चौड़े हाईवे रोड, डैम, टनल, की वजह से हो रहा। हर जगह तबाही ही तबाही है। हिमाचल हो या उत्तराखंड।
हिमालय मैं ना रेल चाहिए ना ही 4 लेन रोड। 10 मीटर रोड बहुत है।
पैदल मार्ग एक ऑल्टरनेटिव रूट बनाना जरूरी है। और हिमालय छेत्र मैं हाईवे बनाके पहाड़ों को कमजोर किया जा रहा। और जब से रोड डबल कटिंग हो रही हैवी डबल होल रेड डायनामाइट का यूज, कुछ ज्यादा ही हो रहा। बड़े बड़े रॉक्स बोल्डर नदी मैं डाले जा रहे। पानी जगह जगह रुक रहा और भूगर्भ जल अंदर ही अंदर न जाने कितने मार्ग बना रहा होगा और लैंडस्लाइड हो रहे।
बड़े बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट से आस पास का पूरा मौसम बदल गया है। बादल फटना क्या होता हमारे पुरखों ने कभी नही सुना था। हर छोटे बड़े नदी नाले उफान मार रहे। और 20-22 साल से ही हो रहा ये सब जब धारचूला, पिथौरागढ़ Dist. मैं 280 MW का डैम बना है। पूरे 50 km के रेंज मैं दिक्कत हो रही।
और मानसून मैं ही डैम की Silt (मलबा) साफ करने के लिए फ्लड गेट्स ओपन करते हैं 😳😳
हाल ही मैं 10 -11जुलाई की बात है डैम के फ्लड गेट खोलते ही नदी10 गुना बड गई भाई। और 2 घर बह गए धारचूला मैं।
सुबह के 5 से रात के 8 बजे तक। छोड़ा था पानी।
It's a weapon of mass Destruction..Time bomb hai.. Elephant in the room.. no body seeing it..👀
और दोष प्रकृति को दे दो। भगवान को दे दो। 🫤
देवता भी कह रहे होंगे, बड़े बड़े डैम तुम लोग बनवाने दो। ठीक बारिश के टाइम पे ही डैम का पानी छोड़ो। और दोष हम को दो।
होना यही हैं। मैन स्ट्रीम मीडिया से दूर रहो। TV देखना बंद करो। न्यूज चैनल्स का एजेंडा समझो।
ध्यान देने वाली बात है। प्रकृति है तो हम है हमसे प्रकृति नही।
हमे उनकी जरूरत है उन्हे हमारी नही।
ये विकास नही विनाश है।
अपना हिमालय, अपने जल जंगल, जमीन बचा लो पहाड़ियों। 🏔️🌎
@@MounttKailashwoh har barsaat mein chhote hain badal bahut phate hain kinnaur tak mein baarish ho rahi hai
River bed, river banks, areas along river sab encroach Kar liya hai.
Ab river to apna area paimash Kar rahi hai.
Mat khilwad karo jal,vayu aur aag say.
Main reason of damages to hotels is due to encroachment of river land.I think there are many hotels which are not having proper permission from the government.
Kudrat k sath sher shar krogey ese hi hoga jaise pahr kat kr tunnel banaye gaye us ka badla liya kudrt ne or agey k.liyw chitavni di hai kudrt k sath glt matt kro nai to sab kuch tbha kr degi kudrt
Manali mein tourist bahut jyada pahunch rahe the isliye bahut sare hotels banaye gaye tourists ke liye itne sare logon ke liye ye jagah nahi bani hai limited logon ko jana chahiye
I think its only himachali people who evacuate tourist first and then they exit and even our cm sahb continousely working day and night for three days.people of all india and tourist should respect and remember these things
हिमालय जैसे संवेदनशील और भूकंप छेत्र मैं ऐसी तबाई का मुख्य कारण अननेसेसरी जरूरत से ज्यादा चौड़े हाईवे रोड, डैम, टनल, की वजह से हो रहा। हर जगह तबाही ही तबाही है। हिमाचल हो या उत्तराखंड।
हिमालय मैं ना रेल चाहिए ना ही 4 लेन रोड। 10 मीटर रोड बहुत है।
पैदल मार्ग एक ऑल्टरनेटिव रूट बनाना जरूरी है। और हिमालय छेत्र मैं हाईवे बनाके पहाड़ों को कमजोर किया जा रहा। और जब से रोड डबल कटिंग हो रही हैवी डबल होल रेड डायनामाइट का यूज, कुछ ज्यादा ही हो रहा। बड़े बड़े रॉक्स बोल्डर नदी मैं डाले जा रहे। पानी जगह जगह रुक रहा और भूगर्भ जल अंदर ही अंदर न जाने कितने मार्ग बना रहा होगा और लैंडस्लाइड हो रहे।
बड़े बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट से आस पास का पूरा मौसम बदल गया है। बादल फटना क्या होता हमारे पुरखों ने कभी नही सुना था। हर छोटे बड़े नदी नाले उफान मार रहे। और 20-22 साल से ही हो रहा ये सब जब धारचूला, पिथौरागढ़ Dist. मैं 280 MW का डैम बना है। पूरे 50 km के रेंज मैं दिक्कत हो रही।
और मानसून मैं ही डैम की Silt (मलबा) साफ करने के लिए फ्लड गेट्स ओपन करते हैं 😳😳
हाल ही मैं 10 -11जुलाई की बात है डैम के फ्लड गेट खोलते ही नदी10 गुना बड गई भाई। और 2 घर बह गए धारचूला मैं।
सुबह के 5 से रात के 8 बजे तक। छोड़ा था पानी।
It's a weapon of mass Destruction..Time bomb hai.. Elephant in the room.. no body seeing it..👀
और दोष प्रकृति को दे दो। भगवान को दे दो। 🫤
देवता भी कह रहे होंगे, बड़े बड़े डैम तुम लोग बनवाने दो। ठीक बारिश के टाइम पे ही डैम का पानी छोड़ो। और दोष हम को दो।
होना यही हैं। मैन स्ट्रीम मीडिया से दूर रहो। TV देखना बंद करो। न्यूज चैनल्स का एजेंडा समझो।
ध्यान देने वाली बात है। प्रकृति है तो हम है हमसे प्रकृति नही।
हमे उनकी जरूरत है उन्हे हमारी नही।
ये विकास नही विनाश है।
अपना हिमालय, अपने जल जंगल, जमीन बचा लो पहाड़ियों। 🏔️🌎
I am from उत्तरांचल
Driver ke Bad dua shilma Manali Bahut Good Hua Hotala Owner Very Bed AB to
Avoid tourist agr apna himachal bachana chahte hai hm to kyu ki un logo ne bahut gandh macha dia hai all himachal
हिमालय जैसे संवेदनशील और भूकंप छेत्र मैं ऐसी तबाई का मुख्य कारण अननेसेसरी जरूरत से ज्यादा चौड़े हाईवे रोड, डैम, टनल, की वजह से हो रहा। हर जगह तबाही ही तबाही है। हिमाचल हो या उत्तराखंड।
हिमालय मैं ना रेल चाहिए ना ही 4 लेन रोड। 10 मीटर रोड बहुत है।
पैदल मार्ग एक ऑल्टरनेटिव रूट बनाना जरूरी है। और हिमालय छेत्र मैं हाईवे बनाके पहाड़ों को कमजोर किया जा रहा। और जब से रोड डबल कटिंग हो रही हैवी डबल होल रेड डायनामाइट का यूज, कुछ ज्यादा ही हो रहा। बड़े बड़े रॉक्स बोल्डर नदी मैं डाले जा रहे। पानी जगह जगह रुक रहा और भूगर्भ जल अंदर ही अंदर न जाने कितने मार्ग बना रहा होगा और लैंडस्लाइड हो रहे।
बड़े बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट से आस पास का पूरा मौसम बदल गया है। बादल फटना क्या होता हमारे पुरखों ने कभी नही सुना था। हर छोटे बड़े नदी नाले उफान मार रहे। और 20-22 साल से ही हो रहा ये सब जब धारचूला, पिथौरागढ़ Dist. मैं 280 MW का डैम बना है। पूरे 50 km के रेंज मैं दिक्कत हो रही।
और मानसून मैं ही डैम की Silt (मलबा) साफ करने के लिए फ्लड गेट्स ओपन करते हैं 😳😳
हाल ही मैं 10 -11जुलाई की बात है डैम के फ्लड गेट खोलते ही नदी10 गुना बड गई भाई। और 2 घर बह गए धारचूला मैं।
सुबह के 5 से रात के 8 बजे तक। छोड़ा था पानी।
It's a weapon of mass Destruction..Time bomb hai.. Elephant in the room.. no body seeing it..👀
और दोष प्रकृति को दे दो। भगवान को दे दो। 🫤
देवता भी कह रहे होंगे, बड़े बड़े डैम तुम लोग बनवाने दो। ठीक बारिश के टाइम पे ही डैम का पानी छोड़ो। और दोष हम को दो।
होना यही हैं। मैन स्ट्रीम मीडिया से दूर रहो। TV देखना बंद करो। न्यूज चैनल्स का एजेंडा समझो।
ध्यान देने वाली बात है। प्रकृति है तो हम है हमसे प्रकृति नही।
हमे उनकी जरूरत है उन्हे हमारी नही।
ये विकास नही विनाश है।
अपना हिमालय, अपने जल जंगल, जमीन बचा लो पहाड़ियों। 🏔️🌎
River k kinare sir logon nejmeen ko lutna suru kr diya h or govt ki jgh ko b gher liya h or hotal m b lutna suru kr diya h bhai pani ki botal ka rate 40 rupee kr diya h
Acha hua hai ...parvati nadi nae apni jagha leylehai ...aap logo ney dev bhomi paiso key liye barbad ke hai ....
ye kudrat ka insaaf hai logo ne kudrat se khilwAD AKRNA SHURU KARDIYA THA NADI NEHER KI JAGAH KO ROK K CONSTRUCTION KARNE LAGE THE AUR BAHUT MAHNGE RATE PE ROOM DE RAHE THE SAB SAMAAN ITNA MEHNGA KAR DIYA ME BHI KUCH TIME PEHLE HI WAPIS AYA THA 10 RS KI CHEEJ 40-50 KI ROOM 1500 KA 3-4-5 TAK EK FAMILY SHAM KO WAHA LATE POHNCHI WAHA UNKA 5 SAAL KA BETA THA ROOM K LIYE BHATAK RAHA THA WO KOI ROOM KA 4 KOI 5 MANG RAHA THA USNE MUJHE KHUD BATAYA BAKI YE PAANI JAHAN SE GUZRA HAI YE USKA RASTA THA BAHUT WARSHO SE ISPE INROACMENTS HUMNE KI USNE APNA WAPIS LE LIYA. NUKSAN BAHUT HUYA BHOLENATH KI KIRPA SE LOG JAAN BACHA PAYE JAI BHOLE KI
Pahado k pair kaat diye nadi k kinare k area par kabja kar liya aur kah rahe camp site thi resort thi, sab barbaad ho gaya,
Bhai jab kabja hi galat kiya to nature aur nadi ne vapas le liya aur sudhar jao nahi to aage aur khatarnak halaat honge,
Nadiyo key kinare construction gandgi plastic yeah sab kaaran hai nadiyo ka vikral roop dharney key plastic should be totally banned in Himachal tourist sabsay jyaada gandgi aur plastic failatey hai aur bhed bakriyon ki tarah log in sensitive jagaho per jaate hai only for fun and entertainment shaayad kudrat ko in bhed bakriyon ki tarah logo ka aana pasand nahi local people should raise voice against this
Kisi dharmik sathan kavhi jao to man me aastha lekr jao hawas le k mt jao
There are 2 main problems created by people themselves:
1. Firstly, why are so many property built on flood plains.
2. Secondly, why are so many tourists going during rainy seasons. 10 years ago we as a local also wouldn’t travel during rainy season. It is very very dangerous in rainy season as situation changes in just 15 minutes.
But, interesting part is that administration is allowing temporary or permanent construction on the river side.
Where locals as well outsiders are involved in such constructions in the name of toursium.
We have seen tusnami in 2004 & kedar nath tragedy in 2013 & not learned any lesson.
हिमालय जैसे संवेदनशील और भूकंप छेत्र मैं ऐसी तबाई का मुख्य कारण अननेसेसरी जरूरत से ज्यादा चौड़े हाईवे रोड, डैम, टनल, की वजह से हो रहा। हर जगह तबाही ही तबाही है। हिमाचल हो या उत्तराखंड।
हिमालय मैं ना रेल चाहिए ना ही 4 लेन रोड। 10 मीटर रोड बहुत है।
पैदल मार्ग एक ऑल्टरनेटिव रूट बनाना जरूरी है। और हिमालय छेत्र मैं हाईवे बनाके पहाड़ों को कमजोर किया जा रहा। और जब से रोड डबल कटिंग हो रही हैवी डबल होल रेड डायनामाइट का यूज, कुछ ज्यादा ही हो रहा। बड़े बड़े रॉक्स बोल्डर नदी मैं डाले जा रहे। पानी जगह जगह रुक रहा और भूगर्भ जल अंदर ही अंदर न जाने कितने मार्ग बना रहा होगा और लैंडस्लाइड हो रहे।
बड़े बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट से आस पास का पूरा मौसम बदल गया है। बादल फटना क्या होता हमारे पुरखों ने कभी नही सुना था। हर छोटे बड़े नदी नाले उफान मार रहे। और 20-22 साल से ही हो रहा ये सब जब धारचूला, पिथौरागढ़ Dist. मैं 280 MW का डैम बना है। पूरे 50 km के रेंज मैं दिक्कत हो रही।
और मानसून मैं ही डैम की Silt (मलबा) साफ करने के लिए फ्लड गेट्स ओपन करते हैं 😳😳
हाल ही मैं 10 -11जुलाई की बात है डैम के फ्लड गेट खोलते ही नदी10 गुना बड गई भाई। और 2 घर बह गए धारचूला मैं।
सुबह के 5 से रात के 8 बजे तक। छोड़ा था पानी।
It's a weapon of mass Destruction..Time bomb hai.. Elephant in the room.. no body seeing it..👀
और दोष प्रकृति को दे दो। भगवान को दे दो। 🫤
देवता भी कह रहे होंगे, बड़े बड़े डैम तुम लोग बनवाने दो। ठीक बारिश के टाइम पे ही डैम का पानी छोड़ो। और दोष हम को दो।
होना यही हैं। मैन स्ट्रीम मीडिया से दूर रहो। TV देखना बंद करो। न्यूज चैनल्स का एजेंडा समझो।
ध्यान देने वाली बात है। प्रकृति है तो हम है हमसे प्रकृति नही।
हमे उनकी जरूरत है उन्हे हमारी नही।
ये विकास नही विनाश है।
अपना हिमालय, अपने जल जंगल, जमीन बचा लो पहाड़ियों। 🏔️🌎
यार 8 तारीख से नेटवर्क शाजिश कर्ता ने बंद किया और 9तारीख को एक्स न कर दिया, अनुराग ठाकुर मंत्री है। वह भी शामिल है।
Bjp ka ek neta Muslimo ko nikalne ke lea 30 din ka time de rha tha .kudrat ne kya dikha diya.
Turkey aur syria mein kisne kaha tha bahar jaane ko?
Yah tabahi near by river ke paas basane se ho raha hain hamesha nadi se 300 mtr distance rakna chahiye yah insano ka kudrat ke atikarmana ka natija hain
Kudrat k sath sher shar krogey ese hi hoga jaise pahr kat kr tunnel banaye gaye us ka badla liya kudrt ne or agey k.liyw chitavni di hai kudrt k sath glt matt kro nai to sab kuch tbha kr degi kudrt