बहुत ही बढ़िया विश्लेषण किया है।सिद्धी साधना से अदभुत क्षमता प्राप्त करके ऐसी स्थिति में स्थिति मानव अमरत्व प्राप्त करता है । भरतरी मीरा सूरदास रविदास कबीर नानक गोरखनाथ मछंदर नाथ ऐसे ही ऐसे ही अनेक लोग धरा पर देव तुल्य हैं
ये रचना दिल्ली के पालम गाँव में दादा देव मन्दिर पर तत्काल बनाकर पण्डित लखमीचन्द से सवाल पूछे थे पण्डित रामजीलाल जी ने सन 1938 में उस समय उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, पण्डित लखमीचन्द और मांगेराम कभी भी दक्षिणी हरियाणा में सांग करने नहीं आये क्योकिं यहाँ बड़े बड़े महान कवि जो तत्काल गाते थे सवाल जबाब में अच्छे अच्छों को लटका देते थे उस के चलते भवानी दादरी महेन्द्र गढ रिवाड़ी गुरुगाम मैं कभी सांग करने नहीं आते थे पं , रामजीलाल जी की रचना " टेक - कविराज सुनो चित लायके , कर जोड़ प्रश्न करता हूं । 1 - मोर मुकुट पीताम्बर कुण्डल कृष्ण कहां बनवाया जी शंख चक्र और गदा पदम ये कौन ठोर से लाया जी कस्तूरी कहां से पाई और कहां पे मृग चराया जी कितना मणियां वैजयन्ती मैं कहां से वो मंगवाया जी सौलह कला कौनसी होती ऊठ करो भरपाया जी है बात ज्ञान और मतलब की कोई आट पाट नहीं ढाया जी तोड़ - जंगल मैं मंगल गायके कदमों मैं सिर धरता हूं 2 - किसके घर भक्ती जन्मी और किसकी पुत्री माया जी निराकार का वास कहां किस जगह स्वांस ठहराया जी मृत्यु लोक का बाप बताओ काल कौन घर जाया जी जन्म पाछला हाड़ कौनसा हंस कहां से आया जी ये बोलन आला कौन शख्स है कितना तालीम सिखाया जी उस पार ब्रह्म का रुप किसा जल कौन ठिकाणै लाया जी है पृथ्वी का बीज कौनसा कौन कहां से लाया जी तोड़ - सब हाल कहो समझायके मैं बिना ज्ञान फिरता हूं 3 - अण्ड पिण्ड ब्रह्मण्ड खण्ड का भेद यथार्थ कहो सारा ओम सोम किस के घर जन्मे कितने मैं है विस्तारा चांद सूरज मैं कितना तेज है कितनी दूर तक उजियारा शुद्ध वेद में कितना भेद है कुणसा है हल्का भारा नर नारी मैं छोटा बड़ा कौन कर्ता कर्म को प्यारा कितना कोश ऊंचा आकाश है प्रलय काल से कुण न्यारा तोड़ - सर्व हाल कहो समझायकै गुरु द्रोही से डरता हूं 4 - प्रश्न आठ और बीस सही हैं लगा किसी का दाम नहीं यह बन्द लिफाफा पड़ा रहै खोलण का कोई काम नहीं कोई खोलण आला खोल सकै बिन जाणे कोई इल्जाम नहीं करे संत समागम बड़भागी यहां पामर का कोई काम नहीं सच्चे मन से गुरु मनावै भेद छोडन का ले नाम नहीं रामजीलाल रहै राम दीवाना ऐसा कोई आराम नहीं तोड़ - छन्द ताजा तुरंत बनायके नई नई रंगत भरता हूं कवि - रामजीलाल जी दादा गुरु गुनि सुखीराम जी मुकाम , पोष्ट - नालपुर तहसील - खेतड़ी जिला - झुंझुनूं राजस्थान शिष्य - श्री धनसी राम जी टीबा बसई
कोई कोई इसको पंडित नेतराम का भी बताते हैं और पंडित नेतराम भी लखमीचन्द से पहले हुए हैं। लखमीचन्द की छाप तो बहुत बाद में और भजनों की तरह इस पर लगा दी गई है।
कोई बात लिखने से पहले कुछ बताकर तथ्य पहले स्पष्ट करो शब्दों पर ध्यान रखकर प्रेषित करना विद्वानों की पहचान होती है।एक ही बात के कई अर्थ निकलते हैं। "🎂अश्वत्थामा मारा गया नरो या कुंजरो"
Jai ho guru ji
Main aapko guru bna liya hai
क्या बात है साहब बहुत ही शानदार अति सुंदर भजन बहुत-बहुत बधाई शुभकामनाएं आपको🚩👍❤👍🏻🌹🙏🙏🙏🙏🙏
Jai shree ram
बहुत ही बढ़िया विश्लेषण किया है।सिद्धी साधना से अदभुत क्षमता प्राप्त करके ऐसी स्थिति में स्थिति मानव अमरत्व प्राप्त करता है । भरतरी मीरा सूरदास रविदास कबीर नानक गोरखनाथ मछंदर नाथ ऐसे ही ऐसे ही अनेक लोग धरा पर देव तुल्य हैं
आप लोगों का अनन्य प्रेम शिरोधार्य जी मीणा जी... धन्यवाद जी
Ram Ram Ji
Bahut hi sundar bhajan hai Ji
🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति सा राठौड़ साहब
आपकी बात में दम लगता हा कोई पअगल हुनमान को कोई गणेश को बातबा हा
बहुत ही प्यारा भजन सा 👌👌👌👌🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जय हो
गजब रचना दी गजब लहजे में गायै है
Bahut accha prayas
Thanks ji
Vah sa, bhut hi achha description
Very very nice bhajan bhai sahab
Very nice ji
वेरी नाइस जी
बहुत गजब एवं सार की बात 👌👍
बहुत सुंदर अच्छी रचनाएं
Lajwab
जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि
Very nice song Ji
Mast
सरल सुबोद्ध सहायक स्वामी सच्चे सृजनहार ,
सगुण सनातन सुन्दर सृष्टा सब सृष्टी साकार ...टेक
सबल सुवेता सर्वव्यापक सामर्थ्य से संकटहारी,
सदा सुमंगल से सब सेवक सज्जन सन्त सुखारी,
साधन सुविधा सम्पती सारी सकल सुमति सार ...1)
सद्गुण सागर सर्वशिरोमणी सास्वत सरस सुधीर,
सन्तोषी सारंग धारी समदर्शी सबसे सीर,
स्वांस स्वरूप समीर सुधाकर सर्वत्र संचार ...2)
सच्चीदानन्द सुशील सुदर्शन सिंधू सदन स्थाई,
सहज समर्पण स्वंभू सेवा साधक सुलभ सहाई,
सन्नद सहित सशर्त सचाई साँई सर्वाधार ...3)
सम स्वरूप समाये सबसे सम्बन्ध सुगम सुहाणा,
सौम्य सुभाव सचेत सार्थक सद सन्देश सुणाणा,
सुखीराम स्याणा से स्याणा सिन्धू सुता सिंगार ...
टाइप कर्ता - कैलाश चन्द जांगिड़ खेतड़ी झुंझुनू राजस्थान
जानकारी हेतु धन्यवाद जी 🙏मैंने तो नाथूसिंह जी का गाया हुआ ही सुना है जी🙏 बहुत सुंदर सारगर्भित रचना के लिए भी आपका सादर आभार 🙏
बहुत शानदार सारगर्भित रचना हेतु कोटीश साधुवाद 🙏 और भी रचना होतो भैजना जी 🙏
ये रचना दिल्ली के पालम गाँव में दादा देव मन्दिर पर तत्काल बनाकर पण्डित लखमीचन्द से सवाल पूछे थे पण्डित रामजीलाल जी ने सन 1938 में उस समय उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, पण्डित लखमीचन्द और मांगेराम कभी भी दक्षिणी हरियाणा में सांग करने नहीं आये क्योकिं यहाँ बड़े बड़े महान कवि जो तत्काल गाते थे सवाल जबाब में अच्छे अच्छों को लटका देते थे उस के चलते भवानी दादरी महेन्द्र गढ रिवाड़ी गुरुगाम मैं कभी सांग करने नहीं आते थे
पं , रामजीलाल जी की रचना "
टेक - कविराज सुनो चित लायके , कर जोड़ प्रश्न करता हूं ।
1 - मोर मुकुट पीताम्बर कुण्डल कृष्ण कहां बनवाया जी
शंख चक्र और गदा पदम ये कौन ठोर से लाया जी
कस्तूरी कहां से पाई और कहां पे मृग चराया जी
कितना मणियां वैजयन्ती मैं कहां से वो मंगवाया जी
सौलह कला कौनसी होती ऊठ करो भरपाया जी
है बात ज्ञान और मतलब की कोई आट पाट नहीं ढाया जी
तोड़ - जंगल मैं मंगल गायके कदमों मैं सिर धरता हूं
2 - किसके घर भक्ती जन्मी और किसकी पुत्री माया जी
निराकार का वास कहां किस जगह स्वांस ठहराया जी
मृत्यु लोक का बाप बताओ काल कौन घर जाया जी
जन्म पाछला हाड़ कौनसा हंस कहां से आया जी
ये बोलन आला कौन शख्स है कितना तालीम सिखाया जी
उस पार ब्रह्म का रुप किसा जल कौन ठिकाणै लाया जी
है पृथ्वी का बीज कौनसा कौन कहां से लाया जी
तोड़ - सब हाल कहो समझायके मैं बिना ज्ञान फिरता हूं
3 - अण्ड पिण्ड ब्रह्मण्ड खण्ड का भेद यथार्थ कहो सारा
ओम सोम किस के घर जन्मे कितने मैं है विस्तारा
चांद सूरज मैं कितना तेज है कितनी दूर तक उजियारा
शुद्ध वेद में कितना भेद है कुणसा है हल्का भारा
नर नारी मैं छोटा बड़ा कौन कर्ता कर्म को प्यारा
कितना कोश ऊंचा आकाश है प्रलय काल से कुण न्यारा
तोड़ - सर्व हाल कहो समझायकै गुरु द्रोही से डरता हूं
4 - प्रश्न आठ और बीस सही हैं लगा किसी का दाम नहीं
यह बन्द लिफाफा पड़ा रहै खोलण का कोई काम नहीं
कोई खोलण आला खोल सकै बिन जाणे कोई इल्जाम नहीं
करे संत समागम बड़भागी यहां पामर का कोई काम नहीं सच्चे मन से गुरु मनावै भेद छोडन का ले नाम नहीं
रामजीलाल रहै राम दीवाना ऐसा कोई आराम नहीं
तोड़ - छन्द ताजा तुरंत बनायके नई नई रंगत भरता हूं
कवि - रामजीलाल जी दादा गुरु गुनि सुखीराम जी
मुकाम , पोष्ट - नालपुर
तहसील - खेतड़ी
जिला - झुंझुनूं राजस्थान
शिष्य - श्री धनसी राम जी टीबा बसई
एक विडियो में गणेश को बतानन हा
Very nice
Vijay nice
Very nice bhajan
ये भजन गुनि सुखीराम जी का है उस समय लखमीचन्द का जन्म भी नहीं हुआ था
कोई कोई इसको पंडित नेतराम का भी बताते हैं और पंडित नेतराम भी लखमीचन्द से पहले हुए हैं। लखमीचन्द की छाप तो बहुत बाद में और भजनों की तरह इस पर लगा दी गई है।
राजा पृथु जी ह ।।
राठौड़ जी,इसका आंसर विद्वान जन गणेश जी भी बताते है।
राठौड़ जी ,इसका आंसर विद्वान जन गणेश जी भी बताते है।
गणेश जी निर्जीव नहीं है जी
Ok ji
राठौर साहब आपका यह तुक सही नहींहै सही अर्थबताते तो अच्छा लगता इस भजन में बहुत कुछछुपा हुआ है
👌👌👍
Very.nice
नरसिंह भगवान के बारे
इस लङके का नाम भगवान् बालमुकुंद है ओर कोई उदाहरण देकर जनता को भ्रमित न करें ज्यादा जानकारी के लिए मद भागवत में मारकन्डे जी का अध्याय देख लेना धन्यवाद
धन्यवाद शर्मा जी लेकिन बुद्धि के घोड़े दौड़ाने का सबको जन्म सिद्ध अधिकार है।
MANOJ 👍👍👍 DANTIL
Yowan BHARDWAJ DANTIL
👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍
उसके थूक दे हुनमान के बता वाले के आपकी अर्थ ठीक हा
Us ladake ko dukh lagi tab peda Khan gayya bad ka
बकवास भजन का अर्थ सही नही है।
कोई बात लिखने से पहले कुछ बताकर तथ्य पहले स्पष्ट करो शब्दों पर ध्यान रखकर प्रेषित करना विद्वानों की पहचान होती है।एक ही बात के कई अर्थ निकलते हैं। "🎂अश्वत्थामा मारा गया नरो या कुंजरो"