रोबिनहुड ठाकुर स्वरूप सिंह भाटी बईया री बात | late thakur swroop singh baiya ri baat ।mugre khan se

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  • Опубліковано 12 вер 2024
  • स्वरूप सिंह भाटी बईया[1]
    आज आपको एक छुपी हुई कहानी के बारे मैं बताना चाहता हूँ मैं चाहता हूँ कि इसको पूरा पढ़कर आप इसे पहचान दे ताकि इनका जीवन सार्थक हो सके
    यह कहानी हैं राजस्थान की राजपूत रियासत जैसलमेर की जँहा के लोगो को "उत्तर भाड़ किवाड़ (उत्तर के रक्षक)" की संज्ञा दी जाती हैं
    पृथ्वी पर सबसे सरलता से उपलब्ध होने वाली चीज पानी हैं यँहा के लोगों ने पानी के लिए संघर्ष किया है इससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि वे लोग कितने संघर्षशील[2] रहे होंगे
    राजस्थान के रेगिस्तान की एक कहावत हैं
    "खेजड़ी रा छोडा खा न, काल सु भिड़ जावता
    ओ आपरा ही बडेरा हा"
    मतलब खेजड़ी वृक्ष के सूखे फल खाकर अकाल में भी जीवित रहते थे वो अपने ही पूर्वज थे
    रेगिस्तान में चंबल की तरह डाकूओ का डेरा था जैसलमेर का बसिया क्षेत्र डाकूओ का प्रमुख ठिकाना था यह क्षेत्र बॉर्डर के नजदीक था इसी कारण से भारत पाकिस्तान बॉर्डर पर खुली तस्करी होति थी वहां से सोना,चांदी आदि का अवैध कारोबार चलता था
    यहाँ के डाकू चंबल से बिलकुल अलग थे चम्बल में डाकू अपने पर हो रहे अत्याचार के कारण बाघी हो जाते थे परंतु यँहा खेती बिल्कुल न होने के कारण आजीविका का कोई साधन नही था
    इन्हें मजबूरन डकैती का रास्ता अपनाना पड़ता था डकैती में जो मिलता उसी से आसपास के गाँवो का जीवन चलता था
    एक बात समान थी चंबल ओर रेगिस्तान के डाकूओ की उनके उसूल स्त्री की रक्षा उनका परमो धर्म था
    थार की वैष्णोदेवी माँ तनोट राय उनकी आराध्य देवी हैं 71 के युद्ध मे जब पाकिस्तान ने भारत पर बम बरसाए थे तब देवी के चमत्कार से मंदिर परिसर में गिरने वाले बम अभी तक वही है
    ये लोग उनकी पूजा के बिना डकैती करने नही जाते थे पाकिस्तान के सिंध प्रांत में इनका दबदबा था और अब एक व्यक्तित्व की कहानी
    ये कहानी हैं उस व्यक्तित्व की है जिसने जीवन के हर पहलू पर अपनी छाप छोड़ी हैं राजनीति को छोड़कर
    जैसलमेर के 100 km दूर एक गांव बईया हैं यंही पर रेगिस्तान के रॉबिनहुड का जन्म राजपूत परिवार में हुआ जिसका नाम स्वरूप सिंह भाटी रखा गया
    स्वरुप सिंह ,उनकी गैंग के डाकूओ और police के बीच कई मुठभेड़ हुई मुठभेड़ में उनके 1 साथी वही वीरगति को प्राप्त हो गए
    उनका ठिकाना रेगिस्तान के धोरे थे जून के महीने में भी वे लोग जमीन में खडा खोदकर रहते थे
    गुजरात राजस्थान पंजाब और पाकिस्तान की पुलिस में स्वरूप सिंह को डकैत से ज्यादा रॉबिनहुड के रूप से जाना जाता था
    उनकी कहानी ने मोड़ दो बार लिया
    1 बॉर्डर पर मुसलमान लोग हिंदू बेटियों की तस्करी karte थे
    भारत से हिन्दू बेटियो को पाकिस्तान ले जाकर उनसे वैश्यावृत्ति करवाई जाती थी इस बात का स्वरुप सिंह को तब पता चला जब एक मुखबिर ने स्वरुप सिंह को उस मुस्लिम तस्कर के बारे में बताया उस समय वह तस्कर 2 बेटियों को बॉर्डर पार करवा रहा था उस दिन उन बेटियों को सुरक्षित किया गया था और बेटियो के अखबार में छपे interview में उन्होंने स्वरुप सिंह को "रेगिस्तान का राजा " कहा
    उसी दिन से उन्होंने इस तस्करी को जड़ से उखाड़ने की ठान ली और 6 साल तक भारतीय सेना के साथ मिलकर इसी काम को करते हुए। कई गुप्त रास्तो की जानकारी सेना को दी जिसके फलस्वरूप 71 के युद्ध मे सेना को चौकियां नष्ट करने में मदत मिली
    उन्ही दिनों उन्होंने पाकिस्तान और हिंदुस्तान के बॉर्डर सटे गाँवो में कहलवा दिया कि
    "अगर किसी ने इस क्षेत्र की एक भी बेटी के साथ कोई प्रकार की गंदी हरकत की तो उसे पहले स्वरूप की गोली से सामना करना होगा। और आज तक इस बोंडी (बंदूक)से कोई चूक नही हुई हैं
    2 90 के दशक में उन्होंने मुख्यमंत्री भेरू सिंह शेखावत की समझाइश पर अपने साथियों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया उन्हें बाड़मेर जेल में रखा गया। जैल में इनके लिए एक अलग बेरक की व्यवस्था थी जिसमे गीता और तनोट माँ की तस्वीर रखी थी
    3- उसके बाद उन्होंने समाजसेवा का जिम्मा उठाया और उस किरदार को उन्होंने बखूबी निभाया
    4 सरकारी न्याय प्रक्रिया में देरी होने के कारण और अधिक खर्च भी होने के कारण। उन्होंने "राजीपा"(सलाह मशवरा ) द्वारा न्याय प्रक्रिया कई लोगो को न्याय दिया
    उस क्षेत्र के लोगो के लिये स्वरुप सिंह आज भी आइकॉन हैं ऐसा अद्भुत जीवन छिपा न रहे इस वजह से में आपको यह जीवनी भेज रहा हु इसे व्यर्थ न जाने दे। इससे समन्धित में आपको अन्य सामग्री भी भेज रहा हु कृपया करके इसे भी पड़ लीजियेगा
    आपका छोटा भाई
    लोकेन्द्र सिंह भाटी
    ठिकाना बईया
    ऐसे महान नायक को शत शत नमन। स्वरूप नाम सुहावणो, सिंह तणी दकाल,
    भूप भलोहि जलमियो, बसिया रे रिण ताल ।।
    शत् शत् नमन
    भाभोसा स्व. श्री ठा. स्वरूप सिंह बईयाभलो जन्मयो भुप वसिया धरा बढावण मान
    रयियत मन रीझणो आज जाये वसयों वैकुंठ धाम
    बशिया के जाबांज शेर स्वरुपसिंह बईया को अंतिम विदाई शत् शत् नमन
    शेर ऐ जैशान
    स्वरूप सिंह जी भाटी बईया बैकुंठ यात्राबसिया क्षेत्र के स्व. स्वरूप सिंह भाटी बईया व सोढाण क्षेत्र के स्व.भगवान सिंह जी सोढा दोनो साथ में पाकिस्तान से ही डकैती डाला करते थे। आपने डकैत रहते भी कभी ग़रीबो को परेशान नहीं किया। करते थे। कारगिल युद्ध में भी भारतीय सेना की राह आसान करने में इन महान देशभक्तो का अविस्मरणीय योगदान रहा था निस्वार्थ भाव से जीवनभर राष्ट्र को समर्पित रहे ऐसे महान व्यक्तियों के हम सब ऋणी है आर्मी के साथ रहकर राष्ट्र की सेवा के लिये तत्पर रहते थे। भैरों सिंह जी की सरकार में 1995 में पूरी गैंग के साथ आत्मसमर्पण कर बरी हो गये थे। दोनो ग़रीबों के लिये सदा तत्पर रहते थे।
    हिंद सिंध में आप दोनो को हमेशा याद किया जाएगा।
    🙇 थार के बाहुबली व बहादुरो को नमन 🙇!..
    लेखक--
    लोकेन्द्र सिंह भाटी
    बईया

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