सतभक्ति न करने वाले या शास्त्रविरूद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाते हैं जबकि सतभक्ति करने वाला व्यक्ति परमात्मा के साथ विमान में बैठकर अविनाशी स्थान यानी सतलोक चला जाता है।
जगत उद्धारक संत रामपाल जी महाराज जी ने शास्त्रानुकूल भक्ति तथा शास्त्रविरुद्ध भक्ति का भेद बताया है। शास्त्र अनुकूल साधना करने से सुख व मोक्ष संभव है तथा शास्त्र विरुद्ध साधना करने से जीवन हानि तथा नर्क व चौरासी का अनुभव सदैव बना रहता है। (गीता अ.16, श्लोक 23-24)
💞वह कविर्देव(कबीर परमेश्वर)💞 💞🍁जो सर्वशक्तिमान,जगत् पिता, सर्व सृष्टि रचनहार,कुल मालिक तथा पाप विनाशकव काल की कारागार से छुटवाने वाला अर्थात् बंदी छोड़ है।🍁💞 🙏🙏Sat saheb ji 🙏🙏🙏🙏 Sat Saheb Ji 🙏🙏🙏🙏Sat Saheb Ji 🙏🙏🌹🌹🌹🌹
💠श्रीमद्भगवद गीता अध्याय 8 का श्लोक 3 में गीता ज्ञान दाता ब्रह्म भगवान ने कहा है कि वह परम अक्षर ‘ब्रह्म‘ है जो जीवात्मा के साथ सदा रहने वाला है। वह परम अक्षर ब्रह्म गीता ज्ञान दाता से अन्य है, वह कबीर परमात्मा हैं।
अथर्ववेद कांड नं. 4 अनुवाक नंबर 1 मंत्र नं 6 : परमेश्वर स्वयं सृष्टि रचना का ज्ञान प्रदान करते हैं और अपनी प्रिय आत्माओं को मोक्ष प्रदान करते हैं। नूनं तदस्य काव्यो हिनोति महो देवस्य पूव्र्यस्य धाम। एष जज्ञे बहुभिः साकमित्था पूर्वे अर्धे विषिते ससन् नु।।6।। भावार्थ:- वही पूर्ण परमेश्वर सत्य साधना करने वाले साधक को उसी पहले वाले स्थान (सत्यलोक) में ले जाता है, जहाँ से बिछुड़ कर आए थे। वहाँ उस वास्तविक सुखदाई प्रभु को प्राप्त करके खुशी से आत्म विभोर होकर मस्ती से स्तुति करता है कि हे परमात्मा असंख्य जन्मों के भूले-भटकों को वास्तविक ठिकाना मिल गया। इसी का प्रमाण पवित्र ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 90 मंत्र 16 में भी है।
पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब 🔸जगत उद्धारक संत रामपाल जी महाराज जी ने शास्त्रानुकूल भक्ति तथा शास्त्रविरुद्ध भक्ति का भेद बताया है। शास्त्र अनुकूल साधना करने से सुख व मोक्ष संभव है तथा शास्त्र विरुद्ध साधना करने से जीवन हानि तथा नर्क व चौरासी का अनुभव सदैव बना रहता है। (गीता अ.16, श्लोक 23-24)
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार जो साधक शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह न सिद्धि को प्राप्त होता है न उसे कोई सुख प्राप्त होता है, न उसकी गति यानि मुक्ति होती है अर्थात् शास्त्र के विपरीत भक्ति करना व्यर्थ है।
श्रीमद्भगवद गीता अध्याय 8 का श्लोक 3 में गीता ज्ञान दाता ब्रह्म भगवान ने कहा है कि वह परम अक्षर ‘ब्रह्म‘ है जो जीवात्मा के साथ सदा रहने वाला है। वह परम अक्षर ब्रह्म गीता ज्ञान दाता से अन्य है, वह कबीर परमात्मा हैं।
संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र ऐसे जगत उद्धारक संत हैं जिनके अनुयाई रिश्वतखोरी, चोरी, ठगी, दहेज लेना देना सभी बुराइयों से दूर रहते है। संत रामपाल जी महाराज जी के द्वारा बताए भक्ति मार्ग पर चलकर अनगिनत लोगों को नई जिंदगी मिली है और अनगिनत लोगों को आशा की किरण दिखाई दी है।
संत रामपाल जी महाराज के वचन में शक्ति है तथा वे जो भी ज्ञान तथा भक्ति बताते हैं वह पवित्र सद्ग्रन्थों (गीता, कुरान, वेद, पुराण, गुरुग्रंथ साहिब, बाइबल, कबीर सागर इत्यादि) से प्रमाणित करके बताते हैं। गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 के अनुसार शास्त्रविधि अनुसार भक्ति से ही लाभ (सुख, कार्यसिद्धि तथा मोक्ष) सम्भव है। शास्त्रविरुद्ध मनमाना आचरण व्यर्थ है।
संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग वचन सुनकर उनसे नाम उपदेश प्राप्त करके जुड़ने के बाद जीवन के सभी दुःख समाप्त हो जाऐंगे। सत्संग से मनुष्य को जीवन के मूल कर्त्तव्य का ज्ञान होता है, मनुष्य सारे विकार त्याग देता है। उसके जीवन में सुखों की बहार आ जाती है, किसी भी प्रकार का दुःख नहीं रहता।
परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है। - पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
आदि राम कबीर हिन्दू धर्म के अनुसार आदिपुरुष कौन है? चारों वेदों, ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद और सामवेद में वर्णित प्रमाण देख कर जानिए की क्या आदिपुरुष परमात्मा कविर्देव यानि कबीर साहेब जी हैं? पढ़िये वेदों से प्रमाण :
🔸सभी धर्मगुरू कहते है कि पाप कर्म तो भोगने से ही समाप्त होगा लेकिन जगत उद्धारक संत रामपाल जी महाराज जी ने वेदों से प्रमाणित करके बता दिया कि परमात्मा साधक के घोर पाप को भी समाप्त कर देता है। "देखिये प्रमाण 'यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13"।
तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है) यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3 पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब
पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर चारों युगों में अपनी प्यारी आत्माओं को पार करने आते हैं परमेश्वर कबीर जी परमात्मा कबीर जी सतयुग में सत सुकृत नाम से प्रकट हुए थे। उस समय अपनी एक प्यारी आत्मा सहते जी को अपना शिष्य बनाया और अमृत ज्ञान समझाकर सतलोक का वासी बनाया।
सभी धर्म के पवित्र धर्मग्रंथों ने प्रमाणित कर दिया है कि वेदों में कविर्देव जो कबीर साहेब है वोही पुर्ण परमात्मा है सत्यज्ञान के लिए अपने लोक सतलोक से सशरीर आते है, अपने दोहो केे माध्यम से सद्ज्ञान देते है।🙏🙏
जगत उद्धारक संत रामपाल जी महाराज जी ने वेदों से प्रमाणित करके बताया है कि कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा है। अथर्ववेद पवित्र अथर्ववेद काण्ड नं. 4 अनुवाक नं. 1 मंत्र 7 में प्रमाण है कि उस परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व की रचना की है।
आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन अवश्य देखें संत रामपाल जी महाराज जी के मंगल प्रवचन सुभारती टीवी रात 08 से 09 बजे जन तंत्र टीवी सुबह 05 से 06 बजे
बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की कृपा से 626 वें कबीर साहेब प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में विशाल भंडारा एवं स्वैच्छिक रक्तदान शिविर तथा दहेज मुक्त विवाह का आयोजन 2, 3, 4 जून को आयोजित किया जा रहा है। आप सभी इस कार्यक्रम में सादर आमंत्रित हैं।
Supreme God Kabir Understanding the spiritual knowledge being given by Sant Rampal Ji Maharaj, whoever took initiation from Sant Ji is today happy and healthy with wealth in body and mind.
जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं।
परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है) यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3 पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब
সর্বশক্তিমান পরমাত্মা হলেন কবীর সাহেব বেদে তে প্রমাণ আছে যে কবীর পরমাত্মা নিজের সাধকের সমস্ত সংকট এক মুহূর্তে দূর করে দিতে পারেন | सर्वशक्तिमान परमात्मा कबीर साहेब हैं वेदों में प्रमाण है कि कबीर परमात्मा अपने साधक के हर संकटों को एक क्षण में दूर कर सकता है।
LORD KABIR was present in Satlok even before the knowledge of Vedas was given and Himself descends in all four yugas to impart His True Spiritual knowledge. पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब
पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब गीता अध्याय 15 श्लोक 16-17 में भी प्रमाण है) जगत् गुरु, आत्माधार, जो पूर्ण मुक्त होकर सत्यलोक गए हैं उनको सतलोक ले जाने वाला, सर्व ब्रह्माण्डों का रचनहार, काल (ब्रह्म) की तरह धोखा न देने वाला ज्यों का त्यों वह स्वयं कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु है। यही परमेश्वर सर्व ब्रह्माण्डों व प्राणियों को अपनी शब्द शक्ति से उत्पन्न करने के कारण (जनिता) माता भी कहलाता है तथा (पित्तरम्) पिता तथा (बन्धु) भाई भी वास्तव में यही है तथा (देव) परमेश्वर भी यही है। इसलिए इसी कविर्देव (कबीर परमेश्वर) की स्तुति किया करते हैं। त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धु च सखा त्वमेव, त्वमेव विद्या च द्रविणंम त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम् देव देव। इसी परमेश्वर की महिमा का पवित्र ऋग्वेद मण्डल नं. 1 सूक्त नं. 24 में विस्तृत विवरण है।
कबीर परमेश्वर जी ने कहा है कि जो सच्चा गुरु होगा उसके 4 मुख्य लक्षण होते हैं। 1. सब वेद तथा शास्त्रों को वह ठीक से जानता है। 2. दूसरे वह स्वयं भी भक्ति मन कर्म वचन से करता है अर्थात उसकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होता। 3. तीसरा लक्षण यह है कि वह सर्व अनुयायियों से समान व्यवहार करता है भेदभाव नहीं रखता। 4. चौथा लक्षण यह है कि वह सर्व भक्ति कर्म वेदो ( चार वेद तो सब जानते हैं ऋग्वेद, यजुर्वेद ,सामवेद, अथर्ववेद तथा पांचवा वेद सूक्ष्म वेद सरवन वेदो) के अनुसार करता और कराता है।
गीता अध्याय 15 श्लोक 17 उत्तम पुरुष: तू अन्य:, परमात्मा इती उदाह्यत, यः लोकत्रयम आविश्य, विभर्ति अव्यय: ईश्वर:। गीता जी में उत्तम पुरुष को क्षर पुरुष व अक्षर पुरुष से अलग बताया गया है। जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सब धारण पोषण करता है वह वास्तव में अविनाशी अर्थात समर्थ प्रभु है। वह पुरुषोत्तम कबीर साहेब हैं।
सुख सागर परमात्मा ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3 में स्पष्ट है कि यदि रोगी की जीवन शक्ति नष्ट हो गई हो और रोगी मृत्यु के समीप पहुंच गया हो तो भी परमात्मा उसको सही करके सौ वर्ष की आयु प्रदान करता है। आज यही अनहोनी संत रामपाल जी महाराज द्वारा दी गयी सतभक्ति से हो रही है।
पूर्ण परमात्मा साकार है या निराकार? | पवित्र यजुर्वेद वेदों में लिखा है कि 'अग्ने: तनूर असि' - (पवित्र यजुर्वेद अध्याय 1 मंत्र 15) परमेश्वर सशरीर है तथा पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 1 में दो बार लिखा है कि 'अग्ने: तनूर असि विष्णवे त्वा सोमस्य तनूर असि'। - इस मंत्र में दो बार वेद गवाही दे रहा है कि सर्वव्यापक, सर्वपालन कर्ता सतपुरुष सशरीर है। पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 में कहा है कि (कविर मनिषी) जिस परमेश्वर की सर्व प्राणियों को चाह है, वह कविर अर्थात कबीर परमेश्वर पूर्ण विद्वान है। उसका शरीर बिना नाड़ी (अस्नाविरम) का है, (शुक्रम अकायम) वीर्य से बनी पांच तत्व से बनी भौतिक काया रहित है। वह सर्व का मालिक सर्वोपरि सत्यलोक में विराजमान है। उस परमेश्वर का तेजपुंज का (स्वर्ज्योति) स्वयं प्रकाशित शरीर है। जो शब्द रूप अर्थात अविनाशी है। वही कविर्देव (कबीर परमेश्वर) है जो सर्व ब्रह्मण्डों की रचना करने वाला (व्यदधाता) सर्व ब्रह्मण्डों का रचनहार (स्वयम्भूः) स्वयं प्रकट होने वाला (यथा तथ्यः अर्थान्) वास्तव में (शाश्वतिभः) अविनाशी है जिसके विषय में वेद वाणी द्वारा भी जाना जाता है कि परमात्मा साकार है तथा उसका नाम कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु है(गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में भी प्रमाण है।) भावार्थ है कि पूर्ण ब्रह्म का शरीर का नाम कबीर (कविर देव) है। उस परमेश्वर का शरीर नूर तत्व से बना है।
वेदों के अनुसार प्रकृति की रचना वेद पाँच हैं परन्तु भक्त समाज केवल चार से परिचित है क्योंकि प्रारम्भ में पाँच वेद परम अक्षर ब्रह्म/परमेश्वर कविर्देव ने भगवान काल/ज्योति निरंजन को दिये थे, जो इन 21 लोकों का स्वामी है। इस डर से कि यदि पाँचवें वेद को पढ़ेंगे तो आत्माओं के सामने उनकी वास्तविकता प्रकट हो जायेगी, उन्होंने उसे नष्ट कर दिया जिसमें ब्रह्मांड के निर्माण और सर्वोच्च ईश्वर और आत्माओं की मुक्ति की प्रक्रिया के बारे में जानकारी थी। फिर भी वर्तमान में भक्त समाज को उपलब्ध वेदों के तथ्य यह सिद्ध करते हैं कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ने ही समस्त सृष्टि की रचना की है और समय-समय पर विभिन्न रूपों में पृथ्वी पर अवतरित होकर सत्य आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार करते हैं जिसे सच्चिदानंदघन ब्रह्म की वाणी या सूक्ष्म भी कहा जाता है। वेद. मानव समाज की भलाई के लिए प्रदान किए गए वेदों में सबसे प्राचीन ऋग्वेद में वर्णित साक्ष्य भी उपरोक्त तथ्य को पूर्णतः सत्य सिद्ध करते हैं। इसी प्रकार सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद के साक्ष्य प्रकृति की रचना के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।
सतभक्ति करने से उजड़ा परिवार भी बस जाता है और पूरा परिवार सुख का जीवन जीता है। जीवन का सफर आसानी से तय हो जाता है क्योंकि जीवन का मार्ग साफ हो जाता है। Power Of True Worship
संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र ऐसे जगत उद्धारक संत हैं जिनके अनुयाई रिश्वतखोरी, चोरी, ठगी, दहेज लेना देना सभी बुराइयों से दूर रहते है। संत रामपाल जी महाराज जी के द्वारा बताए भक्ति मार्ग पर चलकर अनगिनत लोगों को नई जिंदगी मिली है और अनगिनत लोगों को आशा की किरण दिखाई दी है।
जब से हम सतलोक को छोड़कर इस काल के लोक में आए हैं तब से परमात्मा हमारे पीछे पीछे घूम रहे हैं हनको समझाते आ रहे हैं कि तुम दुखों के घर से निकलो और सुख के घर सतलोक को चलो वहां पर कोई दुख नहीं है
परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है। पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
सत्संग से ही मानव को उसके जीवन का वास्तविक उद्देश्य का ज्ञान होता है। जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।कबीरा साधु दर्शन राम के, मुख पर बसे सुहाग। दर्श उन्हीं के होते हैं, जिनके पूर्ण
संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग वचन सुनकर उनसे निःशुल्क जुड़ें ताकि हमारी तरह आप भी सुखी हों, उनसे जुड़ने के बाद शरीर के सभी प्रकार के रोग नष्ट होंगे। सभी प्रकार के नशे छूट जाऐंगे। जीवन यापन के लिए थोड़ी कमाई से ही काम चल जाएगा। निर्धनता खत्म हो जाएगी।
तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
🔸जगत उद्धारक संत रामपाल जी महाराज जिन्होंने अपने सत्यज्ञान और सत्यभक्ति से समाज में व्याप्त कुरीतियों को जड़ से उखाड़ फेंकने की समूल व्यवस्था कर दी है।
परमात्मा कहते हैं - पृथ्वी ऊपर पग जो धारे, करोड़ जीव एक दिन में मारे। ये काल का लोक है यहाँ पल भर में न जाने कितने पाप कराता है ये काल। जबकि सतलोक में कोई पाप/ जीव हिंसा नहीं होती। सतलोक सुख सागर है।
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेकर कबीर साहेब जी की भक्ति करने से सतलोक की प्राप्ति होती है। सतलोक अविनाशी लोक है। वहां जाने के बाद साधक जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है और पूर्ण मोक्ष प्राप्त करता है।
श्रीमद्भगवद गीता अध्याय 8 का श्लोक 3 में गीता ज्ञान दाता ब्रह्म भगवान ने कहा है कि वह परम अक्षर 'ब्रह्म' है जो जीवात्मा के साथ सदा रहने वाला है। वह परम अक्षर ब्रह्म गीता ज्ञान दाता से अन्य है, वह कबीर परमात्मा हैं।
सर्व शक्तिमान परमेश्वर कबीर" पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
जगत उद्धारक संत रामपाल जी महाराज जिन्होंने अपने सत्यज्ञान और सत्यभक्ति से अपने भक्तों को पूर्ण लाभ दे रहे है सच्चे मायने में संत रामपाल जी महाराज जी जगत के तारणहार संत है।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बन्धु च सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणम् त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम् देव देवं
🙇♀️🙇♀️🙏🙏💐💐🙏🙏🙇♀️💐💐💐💐💐
हम परमधाम सतलोक से आये हैं,सतगुरु से दीक्षा लेकर परमात्मा की सतभक्ति कर पुनः परमधाम सतलोक जायेंगे।
सतभक्ति न करने वाले या शास्त्रविरूद्ध भक्ति करने वाले को यम के दूत भुजा पकड़कर ले जाते हैं जबकि सतभक्ति करने वाला व्यक्ति परमात्मा के साथ विमान में बैठकर अविनाशी स्थान यानी सतलोक चला जाता है।
जगत उद्धारक संत रामपाल जी महाराज जी ने शास्त्रानुकूल भक्ति तथा शास्त्रविरुद्ध भक्ति का भेद बताया है।
शास्त्र अनुकूल साधना करने से सुख व मोक्ष संभव है तथा शास्त्र विरुद्ध साधना करने से जीवन हानि तथा नर्क व चौरासी का अनुभव सदैव बना रहता है। (गीता अ.16, श्लोक 23-24)
अध्यात्म ज्ञानं सतगुरु ही बताते हैं
💞वह कविर्देव(कबीर परमेश्वर)💞
💞🍁जो सर्वशक्तिमान,जगत् पिता, सर्व सृष्टि रचनहार,कुल मालिक तथा पाप विनाशकव काल की कारागार से छुटवाने वाला अर्थात् बंदी छोड़ है।🍁💞
🙏🙏Sat saheb ji 🙏🙏🙏🙏 Sat Saheb Ji 🙏🙏🙏🙏Sat Saheb Ji 🙏🙏🌹🌹🌹🌹
💠श्रीमद्भगवद गीता अध्याय 8 का श्लोक 3 में
गीता ज्ञान दाता ब्रह्म भगवान ने कहा है कि वह परम अक्षर ‘ब्रह्म‘ है जो जीवात्मा के साथ सदा रहने वाला है।
वह परम अक्षर ब्रह्म गीता ज्ञान दाता से अन्य है, वह कबीर परमात्मा हैं।
अथर्ववेद कांड नं. 4 अनुवाक नंबर 1 मंत्र नं 6 : परमेश्वर स्वयं सृष्टि रचना का ज्ञान प्रदान करते हैं और अपनी प्रिय आत्माओं को मोक्ष प्रदान करते हैं।
नूनं तदस्य काव्यो हिनोति महो देवस्य पूव्र्यस्य धाम।
एष जज्ञे बहुभिः साकमित्था पूर्वे अर्धे विषिते ससन् नु।।6।।
भावार्थ:- वही पूर्ण परमेश्वर सत्य साधना करने वाले साधक को उसी पहले वाले स्थान (सत्यलोक) में ले जाता है, जहाँ से बिछुड़ कर आए थे। वहाँ उस वास्तविक सुखदाई प्रभु को प्राप्त करके खुशी से आत्म विभोर होकर मस्ती से स्तुति करता है कि हे परमात्मा असंख्य जन्मों के भूले-भटकों को वास्तविक ठिकाना मिल गया। इसी का प्रमाण पवित्र ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 90 मंत्र 16 में भी है।
पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब
🔸जगत उद्धारक संत रामपाल जी महाराज जी ने शास्त्रानुकूल भक्ति तथा शास्त्रविरुद्ध भक्ति का भेद बताया है।
शास्त्र अनुकूल साधना करने से सुख व मोक्ष संभव है तथा शास्त्र विरुद्ध साधना करने से जीवन हानि तथा नर्क व चौरासी का अनुभव सदैव बना रहता है। (गीता अ.16, श्लोक 23-24)
गीता अध्याय 16 श्लोक 23 के अनुसार जो साधक शास्त्रविधि को त्यागकर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह न सिद्धि को प्राप्त होता है न उसे कोई सुख प्राप्त होता है, न उसकी गति यानि मुक्ति होती है अर्थात् शास्त्र के विपरीत भक्ति करना व्यर्थ है।
शास्त्र विधि अनुसार भक्ति करने वालों के परमात्मा साथ साथ रहता है
श्रीमद्भगवद गीता अध्याय 8 का श्लोक 3 में
गीता ज्ञान दाता ब्रह्म भगवान ने कहा है कि वह परम अक्षर ‘ब्रह्म‘ है जो जीवात्मा के साथ सदा रहने वाला है।
वह परम अक्षर ब्रह्म गीता ज्ञान दाता से अन्य है, वह कबीर परमात्मा हैं।
संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र ऐसे जगत उद्धारक संत हैं जिनके अनुयाई रिश्वतखोरी, चोरी, ठगी, दहेज लेना देना सभी बुराइयों से दूर रहते है।
❤❤ sat saheb ji parmatma ❤❤
SAT Sahib Ji 🌷🌹❤️🌺
संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र ऐसे जगत उद्धारक संत हैं जिनके अनुयाई रिश्वतखोरी, चोरी, ठगी, दहेज लेना देना सभी बुराइयों से दूर रहते है।
संत रामपाल जी महाराज जी के द्वारा बताए भक्ति मार्ग पर चलकर अनगिनत लोगों को नई जिंदगी मिली है और अनगिनत लोगों को आशा की किरण दिखाई दी है।
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज के चरणो मे कोटी कोटी दंडवत प्रणाम।😭🙏🏻🌹🙇🏻😭🙏🏻🌹🙇🏻
Sat sahib ji ❤️
Great saint rampal ji maharaj
❤❤❤ संत रामपाल जी महाराज के श्री चरणों में कोटि कोटि दंडवत प्रणाम आपके तत्वज्ञान ने आध्यात्मिक की आंखें खोल दी है
Great True Spiritual Knowledge in the world 🌍
संत रामपाल जी महाराज के वचन में शक्ति है तथा वे जो भी ज्ञान तथा भक्ति बताते हैं वह पवित्र सद्ग्रन्थों (गीता, कुरान, वेद, पुराण, गुरुग्रंथ साहिब, बाइबल, कबीर सागर इत्यादि) से प्रमाणित करके बताते हैं।
गीता अध्याय 16 श्लोक 23, 24 के अनुसार शास्त्रविधि अनुसार भक्ति से ही लाभ (सुख, कार्यसिद्धि तथा मोक्ष) सम्भव है। शास्त्रविरुद्ध मनमाना आचरण व्यर्थ है।
Kabir is supprim god.❤❤❤❤❤🎉
अनंत कोटि ब्रह्मांड का एक रत्ती नहीं भार।
सतगुरु पुरुष कबीर है कुल के सिरजनहार।।
Amazing knowledge
मैं रोऊं इस सृष्टि को ,सृष्टि रोए मोहे
गरीब दास इस वियोग को,समझ सके ना कोई। जय हो बंदी छोड़ के चरणों में कोटि कोटि दंडवत प्रणाम
अनंत कोटि ब्रम्हांड का एक रति नहीं भार सतगुरू पुरुष कवीर है कुल के सिरजन हार
सतगुरु पूर्ण ब्रह्म है, सतगुरु आप अलेख।
सतगुरु रमता राम हैं, यामे मीन न मेख।।
બન્દીછોડસતગુરૂરામપાલજીમહારાજકીજયહો
सतगुरु पूर्ण ब्रह्म है, सतगुरु आप अलेख। सतगुरु रमता राम है, यामे मीन न मेख।।
पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सतलोक में रहता है। - ऋग्वेद
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18❣️❣️❣️❣️❣️❣️❣️
Great knowledge
संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग वचन सुनकर उनसे नाम उपदेश प्राप्त करके जुड़ने के बाद जीवन के सभी दुःख समाप्त हो जाऐंगे। सत्संग से मनुष्य को जीवन के मूल कर्त्तव्य का ज्ञान होता है,
मनुष्य सारे विकार त्याग देता है। उसके जीवन में सुखों की बहार आ जाती है, किसी भी प्रकार का दुःख
नहीं रहता।
Very nice satsang
है परमात्मा दाता तुम्हें कोटि कोटि नमन
परमात्मा आपके पीछे पीछे फिर रहे है
परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
- पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
आदि राम कबीर
हिन्दू धर्म के अनुसार आदिपुरुष कौन है?
चारों वेदों, ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद और सामवेद में वर्णित प्रमाण देख कर जानिए की क्या आदिपुरुष परमात्मा कविर्देव यानि कबीर साहेब जी हैं? पढ़िये वेदों से प्रमाण :
🔸सभी धर्मगुरू कहते है कि पाप कर्म तो भोगने से ही समाप्त होगा लेकिन जगत उद्धारक संत रामपाल जी महाराज जी ने वेदों से प्रमाणित करके बता दिया कि परमात्मा साधक के घोर पाप को भी समाप्त कर देता है।
"देखिये प्रमाण 'यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13"।
KABIR IS GOD 👏🏻👏🏻🌱🌱
कबीर चारों युग में, संत पुकारे कूक कहया हम हैल रे।
हीरे माणिक मोती बरसे, यह जग चुगता ढ़ेल रे॥
तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब
कबीर, पीछे लाग्या जाऊ था, मै लोक वेद के साथ।
रास्ते में सतगुरू मिले, दीपक दे दिया हाथ।।
पूर्ण ब्रह्म कबीर परमेश्वर
चारों युगों में अपनी प्यारी आत्माओं को पार करने आते हैं परमेश्वर कबीर जी
परमात्मा कबीर जी सतयुग में सत सुकृत नाम से प्रकट हुए थे। उस समय अपनी एक प्यारी आत्मा सहते जी को अपना शिष्य बनाया और अमृत ज्ञान समझाकर सतलोक का वासी बनाया।
सभी धर्म के पवित्र धर्मग्रंथों ने प्रमाणित कर दिया है कि वेदों में कविर्देव जो कबीर साहेब है वोही पुर्ण परमात्मा है सत्यज्ञान के लिए अपने लोक सतलोक से सशरीर आते है, अपने दोहो केे माध्यम से सद्ज्ञान देते है।🙏🙏
जगत उद्धारक संत रामपाल जी महाराज जी ने वेदों से प्रमाणित करके बताया है कि कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा है। अथर्ववेद पवित्र अथर्ववेद काण्ड नं. 4 अनुवाक नं. 1 मंत्र 7 में प्रमाण है कि उस परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व की रचना की है।
पूर्ण परमात्मा कबीरदेव (कबीर परमेश्वर) तीसरे मुक्ति धाम अर्थात सतलोक में रहता है|-
ऋग्वेद मंडल 9 सुक्त 96 मंत्र 18
🌺🙏🌺🙏🌺🙏🌺
🔅पूर्ण सतगुरू से दीक्षा लेकर मर्यादा में रहकर भक्ति करने से शुभ संस्कारों में वृद्धि होने से दुःख का वक्त सुख में बदलने लग जाता है।
आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए
प्रतिदिन अवश्य देखें संत रामपाल जी महाराज जी के मंगल प्रवचन
सुभारती टीवी रात 08 से 09 बजे
जन तंत्र टीवी सुबह 05 से 06 बजे
पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब तीसरे मुक्ति धाम अर्थात सतलोक में रहता है। ऋग्वेद मंडल 8 सूक्त 96 मंत्र 18 मैं लिखा है। कबीर साहेब अजर अमर अविनाशी है
बंदीछोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी की कृपा से 626 वें कबीर साहेब प्रकट दिवस के उपलक्ष्य में विशाल भंडारा एवं स्वैच्छिक रक्तदान शिविर तथा दहेज मुक्त विवाह का आयोजन 2, 3, 4 जून को आयोजित किया जा रहा है। आप सभी इस कार्यक्रम में सादर आमंत्रित हैं।
Gajab gyaan ji 🙏🙏🙏🙏🙏👌👌👌
Supreme God Kabir
Understanding the spiritual knowledge being given by Sant Rampal Ji Maharaj, whoever took initiation from Sant Ji is today happy and healthy with wealth in body and mind.
जिस समय सर्व सन्त जन शास्त्र विधि त्यागकर मनमानी पूजा द्वारा भक्त समाज को मार्ग दर्शन कर रहे होते हैं। तब अपने तत्वज्ञान का संदेशवाहक बन कर स्वयं कबीर प्रभु ही आते हैं।
पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब
पूर्ण ब्रह्म रेट अविनाशी जो भजन करे निरधूंधरे भाव भक्ति जहां हीर्दे होई फिर क्या कर हैं सूर पती इंद्र रे,🙏🙏
परमात्मा साकार है व सहशरीर है (प्रभु राजा के समान दर्शनीय है)
यजुर्वेद अध्याय 5, मंत्र 1, 6, 8, यजुर्वेद अध्याय 1, मंत्र 15, यजुर्वेद अध्याय 7 मंत्र 39, ऋग्वेद मण्डल 1, सूक्त 31, मंत्र 17, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 86, मंत्र 26, 27, ऋग्वेद मण्डल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 - 3
पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब
সর্বশক্তিমান পরমাত্মা হলেন কবীর সাহেব
বেদে তে প্রমাণ আছে যে কবীর পরমাত্মা নিজের সাধকের সমস্ত সংকট এক মুহূর্তে দূর করে দিতে পারেন |
सर्वशक्तिमान परमात्मा कबीर साहेब हैं
वेदों में प्रमाण है कि कबीर परमात्मा अपने साधक के हर संकटों को एक क्षण में दूर कर सकता है।
LORD KABIR
was present in Satlok even before the knowledge of Vedas was given and Himself descends in all four yugas to impart His True Spiritual knowledge.
पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब
Jab bhi Satnam harde dharo bhayo paap ka nas jaise chingari agni ki pani purani ghash ❤❤❤❤❤❤❤❤❤
पूर्ण ब्रह्म कबीर साहेब
गीता अध्याय 15 श्लोक 16-17 में भी प्रमाण है) जगत् गुरु, आत्माधार, जो पूर्ण मुक्त होकर सत्यलोक गए हैं उनको सतलोक ले जाने वाला, सर्व ब्रह्माण्डों का रचनहार, काल (ब्रह्म) की तरह धोखा न देने वाला ज्यों का त्यों वह स्वयं कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु है। यही परमेश्वर सर्व ब्रह्माण्डों व प्राणियों को अपनी शब्द शक्ति से उत्पन्न करने के कारण (जनिता) माता भी कहलाता है तथा (पित्तरम्) पिता तथा (बन्धु) भाई भी वास्तव में यही है तथा (देव) परमेश्वर भी यही है। इसलिए इसी कविर्देव (कबीर परमेश्वर) की स्तुति किया करते हैं। त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बन्धु च सखा त्वमेव, त्वमेव विद्या च द्रविणंम त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम् देव देव। इसी परमेश्वर की महिमा का पवित्र ऋग्वेद मण्डल नं. 1 सूक्त नं. 24 में विस्तृत विवरण है।
कबीर परमेश्वर जी ने कहा है कि जो सच्चा गुरु होगा उसके 4 मुख्य लक्षण होते हैं।
1. सब वेद तथा शास्त्रों को वह ठीक से जानता है।
2. दूसरे वह स्वयं भी भक्ति मन कर्म वचन से करता है अर्थात उसकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होता।
3. तीसरा लक्षण यह है कि वह सर्व अनुयायियों से समान व्यवहार करता है भेदभाव नहीं रखता।
4. चौथा लक्षण यह है कि वह सर्व भक्ति कर्म वेदो ( चार वेद तो सब जानते हैं ऋग्वेद, यजुर्वेद ,सामवेद, अथर्ववेद तथा पांचवा वेद सूक्ष्म वेद सरवन वेदो) के अनुसार करता और कराता है।
गीता अध्याय 15 श्लोक 17
उत्तम पुरुष: तू अन्य:, परमात्मा इती उदाह्यत, यः लोकत्रयम आविश्य, विभर्ति अव्यय: ईश्वर:।
गीता जी में उत्तम पुरुष को क्षर पुरुष व अक्षर पुरुष से अलग बताया गया है। जो तीनों लोकों में प्रवेश करके सब धारण पोषण करता है वह वास्तव में अविनाशी अर्थात समर्थ प्रभु है।
वह पुरुषोत्तम कबीर साहेब हैं।
सुख सागर परमात्मा
ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3 में स्पष्ट है कि यदि रोगी की जीवन शक्ति नष्ट हो गई हो और रोगी मृत्यु के समीप पहुंच गया हो तो भी परमात्मा उसको सही करके सौ वर्ष की आयु प्रदान करता है। आज यही अनहोनी संत रामपाल जी महाराज द्वारा दी गयी सतभक्ति से हो रही है।
पूर्ण परमात्मा साकार है या निराकार? | पवित्र यजुर्वेद
वेदों में लिखा है कि
'अग्ने: तनूर असि' - (पवित्र यजुर्वेद अध्याय 1 मंत्र 15) परमेश्वर सशरीर है तथा पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 1 में दो बार लिखा है कि
'अग्ने: तनूर असि विष्णवे त्वा सोमस्य तनूर असि'। - इस मंत्र में दो बार वेद गवाही दे रहा है कि सर्वव्यापक, सर्वपालन कर्ता सतपुरुष सशरीर है।
पवित्र यजुर्वेद अध्याय 40 मंत्र 8 में कहा है कि (कविर मनिषी) जिस परमेश्वर की सर्व प्राणियों को चाह है, वह कविर अर्थात कबीर परमेश्वर पूर्ण विद्वान है। उसका शरीर बिना नाड़ी (अस्नाविरम) का है, (शुक्रम अकायम) वीर्य से बनी पांच तत्व से बनी भौतिक काया रहित है। वह सर्व का मालिक सर्वोपरि सत्यलोक में विराजमान है। उस परमेश्वर का तेजपुंज का (स्वर्ज्योति) स्वयं प्रकाशित शरीर है। जो शब्द रूप अर्थात अविनाशी है। वही कविर्देव (कबीर परमेश्वर) है जो सर्व ब्रह्मण्डों की रचना करने वाला (व्यदधाता) सर्व ब्रह्मण्डों का रचनहार (स्वयम्भूः) स्वयं प्रकट होने वाला (यथा तथ्यः अर्थान्) वास्तव में (शाश्वतिभः) अविनाशी है जिसके विषय में वेद वाणी द्वारा भी जाना जाता है कि परमात्मा साकार है तथा उसका नाम कविर्देव अर्थात् कबीर प्रभु है(गीता अध्याय 15 श्लोक 17 में भी प्रमाण है।) भावार्थ है कि पूर्ण ब्रह्म का शरीर का नाम कबीर (कविर देव) है। उस परमेश्वर का शरीर नूर तत्व से बना है।
parm pita parmatma ke charno dash ka koti koti dandawat parnam 🙏 🙏 🙏
वेदों के अनुसार प्रकृति की रचना
वेद पाँच हैं परन्तु भक्त समाज केवल चार से परिचित है क्योंकि प्रारम्भ में पाँच वेद परम अक्षर ब्रह्म/परमेश्वर कविर्देव ने भगवान काल/ज्योति निरंजन को दिये थे, जो इन 21 लोकों का स्वामी है। इस डर से कि यदि पाँचवें वेद को पढ़ेंगे तो आत्माओं के सामने उनकी वास्तविकता प्रकट हो जायेगी, उन्होंने उसे नष्ट कर दिया जिसमें ब्रह्मांड के निर्माण और सर्वोच्च ईश्वर और आत्माओं की मुक्ति की प्रक्रिया के बारे में जानकारी थी। फिर भी वर्तमान में भक्त समाज को उपलब्ध वेदों के तथ्य यह सिद्ध करते हैं कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ने ही समस्त सृष्टि की रचना की है और समय-समय पर विभिन्न रूपों में पृथ्वी पर अवतरित होकर सत्य आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार करते हैं जिसे सच्चिदानंदघन ब्रह्म की वाणी या सूक्ष्म भी कहा जाता है। वेद. मानव समाज की भलाई के लिए प्रदान किए गए वेदों में सबसे प्राचीन ऋग्वेद में वर्णित साक्ष्य भी उपरोक्त तथ्य को पूर्णतः सत्य सिद्ध करते हैं। इसी प्रकार सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद के साक्ष्य प्रकृति की रचना के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।
Sarbauttam giyan hai Parmatma ji 🙇♂️🙇♂️🙇♂️🙇♂️🙇♂️🙇♂️🙇♂️
🙏🌹🙏🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏
बंदी छोड़ जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी का बहुत अच्छा ज्ञान सुनने को मिला satsaheb ji❤❤
सतभक्ति करने से उजड़ा परिवार भी बस जाता है और पूरा परिवार सुख का जीवन जीता है। जीवन का सफर आसानी से तय हो जाता है क्योंकि जीवन का मार्ग साफ हो जाता है।
Power Of True Worship
ऐसा निर्मल ज्ञान है, निर्मल करे शरीर। और ज्ञान मंडलीक है, चकवे ज्ञान कबीर।।
सतगुरु पूर्ण ब्रह्म है सतगुरु आप आलेख सतगुरु रमता राम है यामे मीन न मेख
🙏🙏बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी🌹🌹 महाराज के चरणों में इस नीच दास का कोटि कोटि दंडवत प्रणाम🙇♂️🌹🙏
❤❤ anmol vani sat saheb ji parmatma ❤❤
Param Sant Shiromani Jagatguru Tavtdarshi Sant Rampal Ji Bhagavan Ji Ki Jay Ho 🙏
गुरु बड़े गोविंद से मन में देख विचार।
हरी सुमरे सो रह गए गुरु सुमरे हुए पार।।
परमेश्वर उतरे हैं भाई संत रामपाल जी महाराज
आज मोहे दर्शन दियो जी कबीर।।
सत्यलोक से चल कर आए, काटन जम की जंजीर।
पिछे लाग्य जाऊं था मैं लोक वेद के साथ।
रस्ते में सतगुरु मिलें दिपक दे दिया हाथ।।
संत रामपाल जी महाराज ही एकमात्र ऐसे जगत उद्धारक संत हैं जिनके अनुयाई रिश्वतखोरी, चोरी, ठगी, दहेज लेना देना सभी बुराइयों से दूर रहते है।
संत रामपाल जी महाराज जी के द्वारा बताए भक्ति मार्ग पर चलकर अनगिनत लोगों को नई जिंदगी मिली है और अनगिनत लोगों को आशा की किरण दिखाई दी है।
जब से हम सतलोक को छोड़कर इस काल के लोक में आए हैं तब से परमात्मा हमारे पीछे पीछे घूम रहे हैं हनको समझाते आ रहे हैं कि तुम दुखों के घर से निकलो और सुख के घर सतलोक को चलो वहां पर कोई दुख नहीं है
परमेश्वर का नाम कविर्देव अर्थात् कबीर परमेश्वर है, जिसने सर्व रचना की है। जो परमेश्वर अचल अर्थात् वास्तव में अविनाशी है।
पवित्र अथर्ववेद काण्ड 4 अनुवाक 1 मंत्र 7
सत्संग से ही मानव को उसके जीवन का वास्तविक उद्देश्य का ज्ञान होता है।
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।कबीरा साधु दर्शन राम के, मुख पर बसे सुहाग।
दर्श उन्हीं के होते हैं, जिनके पूर्ण
सत साहेब सतगुरु देव राम पाल जी महाराज
Anmol vaani❤❤
जो जन मेंरी शरणं है ता का हूं मैं दास गेल गले लागे रहूं जब तक धरती आकाश।
🌿✳️पूर्ण परमात्मा कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तीसरे मुक्ति धाम अर्थात् सतलोक में रहता है। - ऋग्वेद
ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18🌸✳️🌸✳️🌸
पूर्ण परमात्मा कबीर देव जी तीसरी मुक्तिधाम में रहता है सतलोक में रहता है।
ऋग्वेद मंडल9 सूक्ष्म 96सूक्ष्म मंत्र 18 में
पूर्ण परमात्मा का नाम कबीर देव है वह तीसरे मुक्तिधाम में रहता है।
संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग वचन सुनकर उनसे निःशुल्क जुड़ें ताकि हमारी तरह आप भी सुखी हों, उनसे जुड़ने के बाद शरीर के सभी प्रकार के रोग नष्ट होंगे। सभी प्रकार के नशे छूट जाऐंगे। जीवन यापन के लिए थोड़ी कमाई से ही काम चल जाएगा। निर्धनता खत्म हो जाएगी।
बोलो सतगुरुदेव की🙇♂️🙇♂️
तत्वदर्शी संत (गीता अ-4 श्लोक-34) से दीक्षा लेकर शास्त्रविधि अनुसार सतभक्ति करने वाले परमधाम सतलोक को प्राप्त होते हैं जहाँ जन्म-मरण, दुख, कष्ट व रोग नहीं होता है।
कबीर परमात्मा के दरबार में कमी काहे कि ना ,ये तो लक्षण भक्ति कि चूक चाकरी मा ।।
जो जान मेरी शरण है ताका हूं में दास गेल गेल। लगाये फिरूँ जाब तक है धरती आकाश।।
🔸जगत उद्धारक संत रामपाल जी महाराज जिन्होंने अपने सत्यज्ञान और सत्यभक्ति से समाज में व्याप्त कुरीतियों को जड़ से उखाड़ फेंकने की समूल व्यवस्था कर दी है।
Nice video for god Sant Rampal Ji maharaj
परमात्मा कहते हैं -
पृथ्वी ऊपर पग जो धारे, करोड़ जीव एक दिन में मारे।
ये काल का लोक है यहाँ पल भर में न जाने कितने पाप कराता है ये काल।
जबकि सतलोक में कोई पाप/ जीव हिंसा नहीं होती। सतलोक सुख सागर है।
तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से उपदेश लेकर कबीर साहेब जी की भक्ति करने से सतलोक की प्राप्ति होती है।
सतलोक अविनाशी लोक है। वहां जाने के बाद साधक जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है और पूर्ण मोक्ष प्राप्त करता है।
पूर्ण ब्रह्म कविर्देव
श्रीमद्भगवद गीता अध्याय 8 का श्लोक 3 में गीता ज्ञान दाता ब्रह्म भगवान ने कहा है कि वह परम अक्षर 'ब्रह्म' है जो जीवात्मा के साथ सदा रहने वाला है। वह परम अक्षर ब्रह्म गीता ज्ञान दाता से अन्य है, वह कबीर परमात्मा हैं।
सर्व शक्तिमान परमेश्वर कबीर"
पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
sat saheb ji 🙏❤️
क्या मांगू कुछ थिर न रहाई देखत नैन चला जाग जाई।
एक लाख पुत सवा लाख नाती उस रावण के दीवा ना बाती।।
Bandi chhod jagat guru Rampal Ji Maharaj ki Jai Hho🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹❤Sat Saheb All of you to🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹❤
जगत उद्धारक संत रामपाल जी महाराज जिन्होंने अपने सत्यज्ञान और सत्यभक्ति से अपने भक्तों को पूर्ण लाभ दे रहे है
सच्चे मायने में संत रामपाल जी महाराज जी जगत के तारणहार संत है।
जय हो बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज अपनी दया बनाए रखना मलिक कोटि कोटि दंडवत प्रणाम
सतगुरु देव जी की जाय l बन्दी छोड़ जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी भगवान जी की जाय 😂😂😂😂😂😂😂
Sant rampal ji maharaj ka true knowledge
बहुत ही अनमोल सत्संग संत रामपाल जी महाराज द्वारा अमृतवाणी
वेदों में प्रमाण है कबीर साहेब भगवान् है
लख भर सुरा जुजहि, लख भर सावंत देह।
लख भर यती जहान में, तव सतगुरु शरणा लेह।।
सर्वशक्तिमान परमात्मा क़बीर साहिब जी हैं।
सतगुरु पूर्ण ब्रह्म है, सतगुरु आप आलेख!सतगुरु रमता राम है, यामे मीन न मेख!!