मैंने अपने भाग्यवश तथा ब्रह्मा की आज्ञा मानकर, अपनी कन्या का विवाह शिव
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- Опубліковано 15 вер 2024
- ब्रह्माजी बोले- "हे नारद ! जब हमने दक्ष प्रजापति का अभिषेक कर उसको सब प्रजापतियों के अधिकार प्रदान किये तो वह अहंकार में लीन हो गया, जिसके कारण उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो गयी। उस समय दक्ष ने सम्पूर्ण सामग्री एकत्र कर, प्रजापति यज्ञ करने की इच्छा प्रकट की। यही इच्छा लेकर वह कनखल तीर्थ गया। वहाँ उसने सब मुनियों को बुलाया। व्यास, ककुभ, गौतम, भारद्वाज, कश्यप, अंगिरा, वशिष्ठ, वामदेव, जमिनि, पिप्पल, पराशर, भृगु,दधीचि, नारद आदि को बुलाया। इनके अतिरिक्त संसार भर के समस्त देवता तथा ब्राह्मण आकर वहाँ उपस्थित हुए। अग्नि भी अपने#mahashivpuran #mahashivpuran Katha #
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