Ghamzada Sakina Padh Rahi hai Nauha | Anjuman Sipah-e-Hussaini - Bhanauli Sadat 2019

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  • Опубліковано 8 лют 2025
  • Noha 2018-19
    Ghamzada Sakina Padh Rahi hai Noha
    ग़मज़दा सकीना पढ़ रही नौहा
    अंजुमन सिपाहे हुसैनी भनौली सादात
    ANJUMAN SIPAH-E-HUSSAINI| Bhanauli Sadat
    1 Safar 1441/2019
    Hussainia Nautameer, Amhat - Sultanpur
    Lyrics (Hindi)
    ग़मज़दा सकीना पढ़ रही है नाैहा हाए मेरी ग़ुरबत हाए मेरी ग़ुरबत
    इतने छोटे सिन में मैं हुई यतीमा हाए मेरी ग़ुरबत हाए मेरी ग़ुरबत
    1.
    कमसिनी में खा रही हुँ दरबदर की ठोकर
    मेरे अम्मूजान सो गए नहर पे जाकर
    मेरा क़ासिम न रहा मेरा अकबर न रहा
    कोई मोनिस न रहा कोई यावर न रहा
    शिम्र आ रहा है लेके ताज़ियाना
    हाए मेरी ग़ुरबत, हाए मेरी ग़ुरबत
    2.
    जो भी आ रहा है मारता है ताज़ियाने कौन
    है जो आएगा सकीना को बचाने
    मेरा क़ासिम न रहा मेरा अकबर न रहा
    कोई मोनिस न रहा कोई यावर न रहा
    जिस पे था भरोसा जब वही न आया
    हाए मेरी ग़ुरबत, हाए मेरी ग़ुरबत
    3.
    मेरा छे महीने वाला भाई बच न पाया
    हाए ज़ालिमों ने उसको मार डाला प्यासा
    मेरा क़ासिम न रहा मेरा अकबर न रहा
    कोई मोनिस न रहा कोई यावर न रहा
    किस तरह मै भूलूँ बेज़बाँ का चेहरा
    हाए मेरी ग़ुरबत, हाए मेरी ग़ुरबत
    4.
    मेरे बाप का गला कटा है मेरे आगे
    एक दिन में मेरा घर लुटा है मेरे आगे
    मेरा क़ासिम न रहा मेरा अकबर न रहा
    कोई मोनिस न रहा कोई यावर न रहा
    मुझको बदनसीबी ने ये दिन दिखाया
    हाए मेरी ग़ुरबत, हाए मेरी ग़ुरबत
    5.
    अये जहान वालो उसको चैन कैसे अये
    जिसका बाप रन में भूखा प्यासा मारा जाए
    मेरा क़ासिम न रहा मेरा अकबर न रहा
    कोई मोनिस न रहा कोई यावर न रहा
    फट रहा है ग़म से अब मेरा कलेजा
    हाए मेरी ग़ुरबत, हाए मेरी ग़ुरबत
    6.
    चादरें भी छीन कर के ले गए सितमगर
    आले मुस्तफा को मारे जा रहे हैं पत्थर
    मेरा क़ासिम न रहा मेरा अकबर न रहा
    कोई मोनिस न रहा कोई यावर न रहा
    खूं में तरबतर है आज मेरा कुनबा
    हाए मेरी ग़ुरबत, हाए मेरी ग़ुरबत
    7.
    आज भी सुनाई दे रही हैं वो कराहें
    दुखतरे हुसैन की वो दर्दनाक आहें
    मेरा क़ासिम न रहा मेरा अकबर न रहा
    कोई मोनिस न रहा कोई यावर न रहा
    गूंजता है वाएज़ आज भी वो नाैहा
    हाए मेरी ग़ुरबत, हाए मेरी ग़ुरबत
    WAIZ SULTANPURI
    Access-:
    Azadari
    Ghamzada Sakina Padh Rahi hai Noha
    Anjuman sipah-e-hussaini
    Bhanauli sadat nohay 2019
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