Param Saadhna (परम साधना) | Taatvik Satsang | Sant Shri Asaram Bapu Ji

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  • Опубліковано 5 вер 2024
  • Sant Shri Asaram Bapu Ji Ekant Taatvik Satsang,
    Rajokari Ashram (New Delhi), Apr-2008
    Endearingly called 'Bapu ji'(Asaram Bapu Ji), His Holiness is a Self-Realized Saint from India. Pujya Asaram Bapu ji preaches the existence of One Supreme Conscious in every human being; be it Hindu, Muslim, Christian, Sikh or anyone else. For more information, please visit -
    www.ashram.org (Official Website)
    www.rishiprasad.org
    www.rishidarshan.org
    www.hariomgroup.org
    www.hariomlive.org
    सत्संग के कुछ मुख्य अंश:
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    गुरु के सम्मुख जाय के,
    सहे कसौटी दुःख |
    कह कबीर वा दुःख पर,
    कोटि वारूँ सुख ||
    धन, मान, यश मिलेगा तो शरीर को, हम को क्या मिला?
    जो हम नहीं हैं, उसको मिला और छूट गया, हमारा तो समय खराब होगा...
    जो हम नहीं हैं, उसी का अपमान हुआ तो हम दुखी हो रहे हैं, मान मिला तो हम अहंकारी हो रहे हैं...
    धोखे में ही मारे जा रहे हैं....
    निरा धोखा है....ये मान-अपमान, सुख-दुःख निरा धोखा है...
    निर्द्वन्द्वो....मान-अपमान द्वंद्व है, सुख-दुःख द्वंद्व है...
    ये आ-आ के चले जाते हैं, फिर भी जो नहीं जाता है, वो कौन है?
    वो ही आत्मदेव है...इतना नज़दीक है....
    इतने साथ में, इतने पास में....
    वहम घुस गया ऐसा करेंगे, ऐसा करेंगे, तो कहीं मिलेगा...
    सो साहिब सद सदा हजुरे |
    अंधा जानत ताको दुरे ||
    जिसको कभी न छोड़ सके, वही आत्मा-परमात्मा है...इतना आसान है...
    उसको पाने की तड़प हो, प्रीति हो...
    जप करके उसी में चुप रहो, शांत रहो....
    ज्ञानेश्वरजी कहते हैं: हे श्रद्धा माँ! आप मेरे ह्रदय में सदा निवास करना...
    श्रद्धा के बिना मनुष्य जीवन नीरस हो जायेगा...
    श्रद्धापूर्वाः सर्वधर्मा मनोरथ फल प्रदाः।
    श्रद्धया साध्यते सर्व श्रद्धया तुष्यते हरिः।।
    [सनक जी कहते हैं - नारद ! श्रद्धापूर्वक आचरण में लाए हुए सब धर्म मनोवांछित फल देने वाले होते हैं।
    श्रद्धा से सब कुछ सिद्ध होता है, और श्रद्धा से ही भगवान श्री हरि संतुष्ट होते हैं।
    (नारदपुराणः 4.1)]
    श्रद्धालु गुरु का दर्शन करके रोमांचित हो जाता है, आनंदित हो जाता है....
    कीर्तन करके फिर आराम से बैठना चाहिये...कुछ न करें...
    कीर्तन करना माना भगवद रस की गाड़ी में बैठने के लिये दौड़ना...
    बैठ गए तो फिर चुप...
    इच्छा ही मनुष्य को तुच्छ बनाती है...
    जितनी संसारी इच्छायें ज्यादा, उतना आदमी छोटा...
    जितना चाह नहीं, उतना आदमी ईश्वर के साथ एकाकार...
    कठिन नहीं है ईश्वर प्राप्ति, लेकिन जिनको कठिन नहीं लगती, ऐसे गुरुओं का मिलना कठिन है...
    और परमात्म प्राप्ति की भूख पैदा करना कठिन है...
    गुरु नानक देव जी कहते हैं:
    करनु हतो सो ना कियो, पड़्यो मोह के फंद |
    कह नानक समय राम गयो, अब क्या रोवत अंध ||
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