चोपता में बर्फ की सफेद परत || Black ice में स्लिप हुई मेरी गाड़ी ||
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- Опубліковано 8 лют 2025
- चोपता में बर्फ की सफेद परत || Black ice में स्लिप हुई मेरी गाड़ी || #Laxmiputra
चोपता घूमने का सबसे अच्छा समय
चोपता की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय ग्रीष्मकाल (अप्रैल-जून) और सर्दियाँ (अक्टूबर-दिसंबर) है। बर्फबारी में रुचि रखने वाले या चोपता में बर्फ की ट्रैकिंग का अनुभव करना चाहते हैं तो जनवरी से मार्च के महीने सबसे अच्छे हैं।
नीलकंठ कैंप चोपता ऐसी जगह पर स्थित है जहाँ से आप चंद्रशिला, देवताला, रुद्रनाथ, अनुसूया माता, मदमहेश्वर, तुंगनाथ आसानी से जा सकते हैं। हर साल देश-विदेश से सैकड़ों पर्यटक हमारे कैंप में आते हैं, जो अपनी आँखों में एक यादगार पलो लेकर लौटते हैं।
चोपता का मौसम बहुत ठंडा और सुहाना है
चोपता घूमने का सबसे अच्छा समय
मार्च से मई तक तापमान 10 डिग्री सेल्सियस और 30 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। उसके बाद मानसून का मौसम आता है जो जुलाई से शुरू होकर अक्टूबर में खत्म होता है। चोपता में नवंबर से मार्च तक बर्फबारी होती है और तापमान न्यूनतम -15 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम 15 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। नवंबर के महीने में बर्फबारी शुरू होती है और दिन-ब-दिन काफी बढ़ जाती है। जनवरी तक यह बर्फबारी की 4 से 7 फुट मोटी परत बन जाती है। सर्दियों में यह पूरी तरह बर्फ से ढक जाता है और उसी दौरान चोपता जाने वाले कुछ मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं। चोपता के लिए एक वैकल्पिक मार्ग देवरिया ताल से है, जो देवरियल ताल से शुरू होकर 10-12 किमी का ट्रेक है।
देवरिया ताल तक सारी गांव से पहुंचा जा सकता है। इसे सर्दियों के मौसम में लिया जा सकता है। इसलिए, अगर ट्रेकर्स बर्फ के मैदान देखना चाहते हैं तो उन्हें सर्दियों के दौरान यहां आना चाहिए सभी चोटियाँ बादलों से ढकी होती हैं और दृश्य अस्पष्ट होता है। सर्दियों के दौरान, आकाश बिल्कुल साफ होता है और सभी पहाड़ स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। यह आश्चर्यजनक रूप से बर्फ से ढके पहाड़ों का 360 डिग्री का दृश्य प्रस्तुत करता है।
Tungnath उत्तराखण्ड के गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक पर्वत है। तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है तुंगनाथ मंदिर, जो 3640 मीटर की ऊँचाई पर बना हुआ है और पंच केदारों में सबसे ऊँचाई पर स्थित है। यह मंदिर १,००० वर्ष पुराना माना जाता है और यहाँ भगवान शिव की पंच केदारों में से एक के रूप में पूजा होती है। ऐसा माना जाता है की इस मंदिर का निर्माण पाण्डवों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया गया था, जो कुरुक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण पाण्डवों से रुष्ट थे। तुंगनाथ की चोटी तीन धाराओं का स्रोत है, जिनसे अक्षकामिनी नदी बनती है। मंदिर चोपता से ३ किलोमीटर दूर स्थित है। कहा जाता है कि पार्वती माता ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए यहां ब्याह से पहले तपस्या की थी ।
बारह से चौदह हजार फुट की ऊंचाई पर बसा ये क्षेत्र गढ़वाल हिमालय के सबसे सुंदर स्थानों में से एक है। जनवरी-फरवरी के महीनों में आमतौर पर बर्फ की चादर ओढ़े इस स्थान की सुंदरता जुलाई-अगस्त के महीनों में देखते ही बनती है। इन महीनों में यहां मीलों तक फैले मखमली घास के मैदान और उनमें खिले फूलों की सुंदरता देखने योग्य होती है। इसीलिए अनुभवी पर्यटक इसकी तुलना स्विट्जरलैंड से करने में भी नहीं हिचकते। सबसे विशेष बात ये है कि पूरे गढ़वाल क्षेत्र में ये अकेला क्षेत्र है जहां बस द्वारा बुग्यालों की दुनिया में सीधे प्रवेश किया जा सकता है। यानि यह असाधारण क्षेत्र श्रद्धालुओं और पर्यटकों की साधारण पहुंच में है।
मई से नवंबर तक यहां कि यात्रा की जा सकती है।[1] हालांकि यात्रा बाकी समय में भी की जा सकती है लेकिन बर्फ गिरी होने के कारण से वाहन की यात्रा कम और पैदल यात्रा अधिक होती है। जनवरी व फरवरी के महीने में भी यहां की बर्फ की मजा लेने जाया जा सकता है।
दो रास्तों में से किसी भी एक से यहाँ पहुँचा जा सकता है:-
ऋषिकेश से गोपेश्वर होकर। ऋषिकेश से गोपेश्वर की दूरी २१२ किलोमीटर है और फिर गोपेश्वर से चोपता चालीस किलोमीटर और आगे है, जो कि सड़क मार्ग से जुड़ा है।
ऋषिकेश से ऊखीमठ होकर। ऋषिकेश से उखीमठ की दूरी १७८ किलोमीटर है और फिर ऊखीमठ से आगे चोपता चौबीस किलोमीटर है, जो कि सड़क मार्ग से जुड़ा है।
ऋषिकेश से गोपेश्वर और ऊखीमठ के लिए बस सेवा उपलब्ध है। इन दोनों स्थानों से चोपता के लिए बस सेवा के अलावा टैक्सी और जीप भी बुक कराई जा सकती है।
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Ohhh teri 😱
Unexpected ending again 😂
Bhai agr snow jyada rha to ukhimath to chopta kya price rhega oer person
Bhai wo ukhimath union btaa skti h yll