आचार्य जी अंकित बेटा आपका संस्कृत का उच्चारण इतना अच्छी तरह से और शुद्ध और मीठी वाणी में प्रस्तुति देते हैं आपका एक एक शब्द बहुत ही अच्छी तरह से समझ आ जाती है आप बेटा बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहे हैं आप भी हनुमान जी कीतरहसेही भाषा का प्रयोग करतें हैं धन्यवाद
जैन रामायण में हनुमान सुग्रीव आदि को और रावण आदि को विद्याधर मनुष्य जाति का वताया गया है किष्किन्धा के आपस वानरों अत्यधिक तादाद थी और वानर वंशीय विधधरथे रावण राक्षस वंशीय विद्याधर थे , राक्षस का अर्थ है रक्षा करने वाला, विद्याधर जिनके पास जादुई शक्तियां होती थीं।
हनुमान जी का यह वानर रूप हमारे मंदिरों में और ग्रन्थो में कहां से आ गई। हम सबके मानस में छप गई । मिलावट है यह मानते हैं तो उसे रोका नहीं गया और अभी भी नहीं रोका जा रहा है।
@@nirmalarathore5936 bander likha he nhi hai purano main vanar likha hai jis vanar se hum log insaan bane hai vanar aur bander main difference hota hai
@@KopramVerma सत्यार्थ प्रकाश जिसने लिखा है उनका नारा था कि वेदों की ओर लौटो। जिससे भाव उत्पन्न होता है कि हमें चारों वेदों को समझना चाहिए अर्थात् चारों वेद ही सत्य है। यह विचार हमें सीमित करता है। लेकिन यदि वह कहते कि वेद की ओर लौटो क्योंकि वेद असीमित है अनंत है। वेदों की सहायता से वेद को समझो। अज्ञान को छोड़ों और सत्य को समझने का प्रयास करें।
हनुमान जी बंदर नहीं थे, वे धुरंधर विद्वान, कूटनीतिज्ञ, स्वामीभक्त, परम बलशाली, परम बुद्धिमान, अखंड ब्रह्मचारी पूर्णरूप से श्रेष्ठ मानव थे, वेवानर जाति से थे जो किष्किंधा (वर्तमान कर्नाटक) प्रदेश में अपने राजा सुग्रीव के शासन के तहत आता था। वानर जाति ऐसे ही थी जैसे नागा जाति! जैसे नागा साधु नाग (सर्प) नहीं होते वैसे ही वानर जाति बंदर नहीं थी। अपने वास्तविक इतिहास को समझने की आवश्यकता है तभी हम उन्नति के पथ पर अग्रसर होंगे।
बहुत सुन्दर व्याख्या की है आपने, किसी व्यक्ति के नाम के साथ सिंह शब्द होने पर क्या वह व्यक्ति सिंह अर्थात शेर नामक जंगली पशु तो नही होते?,,,,जय श्रीराम ❤❤
कहीं ऐसा तो नही कि जो वर्ण व्यवस्था में चौथे वर्ण में सेवक रूप में पशुतुल्य माने गए थे । ये लोग वे ही तो नही जिन्हे पशु पक्षी, किडे मकोडे घोषित किए हुए थे । लेकिन हनुमान जी जनैऊ पहनाया है । और गोरे रंग से दिखाया है । जबकि शिव व कृष्ण को जनैऊ मुक्त निले रंग में दिखा है । डार्विन सही हैं ।
बन में विचरण करने वाले नर को बानर कहा जाता रहा होगा। जैसे बन में निवास करने वालों को बनवासी कहा जाता है। धर्म नीति, राजनीति, विचारनीत जैसे महत्वपूर्ण विषयों का ज्ञान मनुष्य के अतिरिक्त किसी बंदर प्रजापति को नहीं हो सकती है।
HANUMAN sach me BHAGWAN hai. BHAGWAN hone ke nate sabkuchh sambhab hai .lsliye BHAGWAN jab chahe BANDER ya to koi kisi ka vi rup dharan kar sakte hai. Isliye ye ascharya ki bat hi nahi hai.
दो साल पहले हिमाचल प्रदेश में दो मानव पूँछ वाले देखे गये थे जिसके पूँछ थी बन्दर नहीं थे हनुमानजी मानव ही थे क्योंकि बन्दर ज्ञानी नहीं हुआ है बात नहीं कर सकता है साहेब बंदगी साहेब राम राम राम जी
जनेऊ से कभी सत्य बोलने की उम्मीद भी नही करनी चाहिए एक बात और इस रामायण को बालमीकि ने लिखा है तो प्रसन यह भी है कि बालमीकि कहां बैठा सब कुछ देख रहा था या घर पर बैठे बैठे रामायण को लिख दिया
bandar ko kapi kaha jaata hai kintu Hanumanji toh Vanar they. Vanar matlab Van ke nar. Jo nar van mein rehtein ho unhein Vanar kaha jaayega. Van mein rehte rehte Hanumanji ki mitrata anek kapiyon se ho gayi isliye unko kapiraj bhi kehte hain.
Sir, aapke pichhe bahut sare kitabein dikh raha hai malum nahi kaun sa kitabein hai, kya Ram ka jab mata pita dada pardada they aur aaj ke manusya jaisa baat chit karte they, kya Ram bander, bhalu, gidh, gilhari jntu janwar se baat kis bhasa me baat karte they ye sab man garnth baat hai aastha ke naam par log maan ke chalte hain jantu jnwar bilkul nahi they ye sab 😊😊😊😊🙏
Kuchh nhi hai duniya mein Na god hota na bhagwaan Na brahma Manushya jo sochta hai wahi kaheta hai isise ye pata chalta hai Jo socha wohi kaha Ramayan ko balmiki nehi lekha? Kyun ki printing press nehi tha treta yug mein. Ved ko kisne lekha??
बच्चा, त्रेता युग कई लाख वर्ष पहले की बात है उस समय मानव और बंदर एक ही थे, आज जो देख रहे हों जो जंगल में ही रह गए वह आज भी बंदर ही है जो जंगल से बाहर निकले वह आज के मानव है ये सब प्रकृति के अलग अलग जगह में रहने के प्रभाव का फर्क है जैसे यूरोप में गोरे होते हैं और Asia में काले सांवले हर हर महादेव सनातन
वक्ता जी जब आप नास्तिक है, तो आपको सनातन धर्म पर बोलना ही नही चाहिए l फिर भी यदि आपकी टिप्पणी करने की आदत है, तो अन्य धर्मो की पुस्तको पर आप टिप्पणी आप क्यों नही करते है l ईश्वर और धर्म का समबन्ध श्रद्धा और विश्वास से होता है l जिसे आप ठेस पहुंचा रहे हैं l
नमस्ते आचार्य जी।जैसे जैसे कथा आगे बढ़ रही है,असली और नकली का पता चल रहा है।धन्यवाद
आचार्य जी अंकित बेटा आपका संस्कृत का उच्चारण इतना अच्छी तरह से और शुद्ध और मीठी वाणी में प्रस्तुति देते हैं आपका एक एक शब्द बहुत ही अच्छी तरह से समझ आ जाती है आप बेटा बहुत ही सराहनीय कार्य कर रहे हैं आप भी हनुमान जी कीतरहसेही भाषा का प्रयोग करतें हैं धन्यवाद
🎉 namaste ji
कोटि कोटि नमन।
हार्दिक धन्यवाद शुभकामनाएं आयुष्मान भव ओ३म् 🙏🏼🚩 कृण्वनतो विश्वमार्यम 🚩 चरैवेति चरैवेति...। जय आर्य जय आर्यव्रत भरतखण्ड 🚩
आपके मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद.
जैन रामायण में हनुमान सुग्रीव आदि को और रावण आदि को विद्याधर मनुष्य जाति का वताया गया है किष्किन्धा के आपस वानरों अत्यधिक तादाद थी और वानर वंशीय विधधरथे रावण राक्षस वंशीय विद्याधर थे , राक्षस का अर्थ है रक्षा करने वाला, विद्याधर जिनके पास जादुई शक्तियां होती थीं।
नमस्ते आचार्य जी। आपको कोटि कोटि नमन
हनुमान जी का यह वानर रूप हमारे मंदिरों में और ग्रन्थो में कहां से आ गई। हम सबके मानस में छप गई । मिलावट है यह मानते हैं तो उसे रोका नहीं गया और अभी भी नहीं रोका जा रहा है।
कारण तुलसीदास की प्रसिद्धि है।
@@nirmalarathore5936 bander likha he nhi hai purano main vanar likha hai jis vanar se hum log insaan bane hai vanar aur bander main difference hota hai
Uttam tark.
धन्यवाद।
Theek bishleshan
बहुत ही अच्छा विश्लेषण किया आपने कोटि कोटि धन्यवाद
मैंने तो कभी भी हनुमान जी को बंदर नहीं माना वेदों का ज्ञान बंदरों को नहीं हो सकता
मनुष्य की उत्पत्ति किससे हुई। गजब का प्रश्न है। इसका उत्तर न तो वैज्ञानिकों के पास है और न ही धार्मिक ग्रन्थों की व्याख्या करने वालों के पास है।
सत्यार्थ प्रकाश पढ़े
इसका उत्तर बड़ा ही सरल है।
@@Readwithdigvijayarya वेदों को या सत्यार्थ प्रकाश को। मैं तो बस वेद को जानता हूं। और इस प्रश्न का उत्तर मेरे पास है।
सत्यासत्य को जानने तथा निर्णय करने के लिए सत्यार्थ प्रकाश पढ़ें ।
@@KopramVerma सत्यार्थ प्रकाश जिसने लिखा है उनका नारा था कि वेदों की ओर लौटो। जिससे भाव उत्पन्न होता है कि हमें चारों वेदों को समझना चाहिए अर्थात् चारों वेद ही सत्य है। यह विचार हमें सीमित करता है। लेकिन यदि वह कहते कि वेद की ओर लौटो क्योंकि वेद असीमित है अनंत है। वेदों की सहायता से वेद को समझो। अज्ञान को छोड़ों और सत्य को समझने का प्रयास करें।
Jai bajrangbali.
Very well explained. You are quite a learned man .
🙏🙏
❤
सही कहा आचार्य जी आपने
बहुतही सुंदर वर्णन
हनुमान जी बंदर नहीं थे, वे धुरंधर विद्वान, कूटनीतिज्ञ, स्वामीभक्त, परम बलशाली, परम बुद्धिमान, अखंड ब्रह्मचारी पूर्णरूप से श्रेष्ठ मानव थे, वेवानर जाति से थे जो किष्किंधा (वर्तमान कर्नाटक) प्रदेश में अपने राजा सुग्रीव के शासन के तहत आता था। वानर जाति ऐसे ही थी जैसे नागा जाति! जैसे नागा साधु नाग (सर्प) नहीं होते वैसे ही वानर जाति बंदर नहीं थी। अपने वास्तविक इतिहास को समझने की आवश्यकता है तभी हम उन्नति के पथ पर अग्रसर होंगे।
Atisundar Vanar Van ban jangal Nar manaw Insaan manw Jangal me rahene wale manushya 🕺🙈🙉🙊✍️👌👌👍❤👍
कोटि कोटि नमन प्रणाम बाबू जी
bon nor
Ekdam sahi kaha aapane. Bilkul we manav hi the, asim balshali aur vidvan.
प्रणाम गुरुजी 🙏 बहुत सुंदर विवरण. गुरुजी क्या अबिभी पक्षी और पशुंओके वंशज मिलते है.
धन्यवाद आपका
बहुत सुन्दर व्याख्या की है आपने, किसी व्यक्ति के नाम के साथ सिंह शब्द होने पर क्या वह व्यक्ति सिंह अर्थात शेर नामक जंगली पशु तो नही होते?,,,,जय श्रीराम ❤❤
वज्र का तात्पर्य हीरा है । देखिए युद्ध काण्ड में लक्ष्मण अतिकाय युद्ध ।
Shriman Hanuman ji ka Mukhta Gulabi varan kanchnanusar Devta Haein Amriland Mein parwat Par Mein Murti Bani Huee Haein
गुरुवर आचार्य जि ! सादर नमस्ते !
क्या वानर शब्द संस्कृत है या हिन्दी ?
ओ३म् नमस्ते जी 🙏🏻🍹🙏🏻🎉🎉🎉
જય શ્રી હનુમાનજી
Saty mev jayte
🙏🙏🎉
कहीं ऐसा तो नही कि जो वर्ण व्यवस्था में चौथे वर्ण में सेवक रूप में पशुतुल्य माने गए थे । ये लोग वे ही तो नही जिन्हे पशु पक्षी, किडे मकोडे घोषित किए हुए थे । लेकिन हनुमान जी जनैऊ पहनाया है । और गोरे रंग से दिखाया है । जबकि शिव व कृष्ण को जनैऊ मुक्त निले रंग में दिखा है । डार्विन सही हैं ।
👌
नमस्कार आचार्य जी।
Acharya ji namaste
Jaishreeram
डार्विन थ्योरी को आग लगा दो ।
🙏🙏🙏🙏🙏🕉🕉🕉🕉🕉🚩🚩🚩
😢क्या आज का मानव मुर्ख है जो वनो को काट डाले
Ankit ji,sabne,aapko,sunna,chayiye
Namshtey🎉acharya जी
Acharya ji Sadr namaste 🙏🙏❤🎉
Sahi baat ab pta chali
Dhanyavaad...sahi disha batayi hanumanji vaanar nahi hai mai bhi yahi maanti hun
सादर नमस्ते आचार्य जी।
Meghnath ka parichay batayiye wo kaun tha
चाणक्य और चन्द्रगुप्त के बारे मे कभी विडिओ बनाना ऐसी आपसे विनंति है
Achary ji Namaste
Kya aapki ye class zoom per chalti hai kya....?
Namste ji
इस मिलावट की छटनी करदेनी चाहिये
Us samay Banar ki bhasha me bartalap karte the. Ramayan par S Court ke faisle ne kalpanik granth kaha hai. 1976 me.
Shriman Hanuman Manav the Jinka Mukhra Nank ke Niche Munkh se Jabra ta phula Hua Haein Is Trah ke Manaw kishkandha ke Arnya Me Mil Jata Haein
मारीच का हिरन बनाना नोट posible by science
Jai bahjrang bali
बन में विचरण करने वाले नर को बानर कहा जाता रहा होगा। जैसे बन में निवास करने वालों को बनवासी कहा जाता है। धर्म नीति, राजनीति, विचारनीत जैसे महत्वपूर्ण विषयों का ज्ञान मनुष्य के अतिरिक्त किसी बंदर प्रजापति को नहीं हो सकती है।
वीर हनुमान झारखंड का था,यानी झारखंडी था।
धर्म नाम का शब्द अब नफरत और हिंसा का पर्यायवाची शब्द बन गया है
वास्तविक धर्म से आम लोग छोड़ो धर्म के ठेकेदार भी अनजान हैं
Hi
BANDAR hi tha par uska khana tha SURAJ,,,Aaj b junglo m Bandar suraj khakar hi Jivit hai🐵🐵🐵😚
HANUMAN sach me BHAGWAN hai. BHAGWAN
hone ke nate sabkuchh sambhab hai .lsliye BHAGWAN jab chahe BANDER ya to koi kisi ka vi
rup dharan kar sakte hai. Isliye ye ascharya ki bat hi nahi hai.
लंका में हनुमान जी ने छोटा रुप बनाया विशाल रुप भी बनाया वो कैसे,? समुद्र को लांगते समय भी विशाल रुप बनाया। तो फिर ये सब क्या है ?
बन के निवासी नर ही वानर कहे गए,but, मारीच हिरन बनाना,पशु पंछी से मानव की किस भाषा में बात करते थे,
दो साल पहले हिमाचल प्रदेश में दो मानव पूँछ वाले देखे गये थे जिसके पूँछ थी बन्दर नहीं थे हनुमानजी मानव ही थे क्योंकि बन्दर ज्ञानी नहीं हुआ है बात नहीं कर सकता है साहेब बंदगी साहेब राम राम राम जी
फिर उन पूँछ वाले मानवों का पता नहीं लगा?
Pranam achara ji
महोदय हनुमान जी की एक पुछ भी थी। इसका निवारण
Pura video suniye usme bataya gya h Acharya ji ke dwara mahodaya
Baat sunte nhi h puchhne pahle aa jate h
Hanumaan ji van me rehne wale nar
Lanka.me.kis.poonch.se.aag.lagayi.
Immagiary
आप बंदर या मानव को छोड़िए आप ये बताए इनकी साधना कैसे की जाय
हम ऋषियों की संतान हैं
जनेऊ से कभी सत्य बोलने की उम्मीद भी नही करनी चाहिए
एक बात और इस रामायण को बालमीकि ने लिखा है तो प्रसन यह भी है कि बालमीकि कहां बैठा सब कुछ देख रहा था
या घर पर बैठे बैठे रामायण को लिख दिया
संत मसकीन जी उनको वन मानव कहा है
पूँछ है तो बन्दर है।
Hindu dharam ke anusar Treta yug mein bandhar chidiya vruksh sab bolte rehthe hai
bandar ko kapi kaha jaata hai kintu Hanumanji toh Vanar they. Vanar matlab Van ke nar. Jo nar van mein rehtein ho unhein Vanar kaha jaayega. Van mein rehte rehte Hanumanji ki mitrata anek kapiyon se ho gayi isliye unko kapiraj bhi kehte hain.
Ram lachman ka vikas ho gya tha,baki bandar hi thy?
Hanuman Bandar nahi the
Bandar Air me flying nahi kar sakte. Ve mahaveer aur aatmgyani the.
Hanumajl vanar jati se rajput Raja the. Jai shree ram
Sir, aapke pichhe bahut sare kitabein dikh raha hai malum nahi kaun sa kitabein hai, kya Ram ka jab mata pita dada pardada they aur aaj ke manusya jaisa baat chit karte they, kya Ram bander, bhalu, gidh, gilhari jntu janwar se baat kis bhasa me baat karte they ye sab man garnth baat hai aastha ke naam par log maan ke chalte hain jantu jnwar bilkul nahi they ye sab 😊😊😊😊🙏
Koi bhai mp guna se kya
अब sc st obc पड़ लिख गया है ओ समझने लगा है काहे ज्ञान दे रहे हो सर
हनुमान यदि मनुष्य है तो सीरियल मे उनमे पूछ क्या दिखाई जाती है और लंका मे रावण ने किस पूछ मे अग लगवाई थी
अरे महा बुद्धिमान सारे के सारे बंदर देवता हैं वानर रूपधारण किए हैं वानर रूप धरहुमहिहरिपद सेवहुजाई
काल्पनिक किताबों के किरदार भी काल्पनिक ही होते हैं , उनका कोई भी वजूद नहीं होता । इसलिए हनुमान बंदर थे या आदमी , अनावश्यक अनर्थक बहस है ।
Ram ydi bhagavan thay to unko pata kyo nahi chala sita ke bare me
Hanuman Jee insan the. Buddhi vivek veerta ke prernasrot hai.
Sorry,no one had seen him.none but only maharishi balmiki can say. Thanks.
हनुमान बंदर नही वानर थे वानर का मतलब वन मे रहने वाले नर थे वा+नर= वानर इटावा से
आरे भाई यह हम ७० साल से यही सून रहे हैं.आप नया कूच सूनाव कूच वईज्ञानीक बाते करो जो की ग्यांन मे सब की वरुधी हो.
दमयां ही काल्पनिक है। अब जन्म होना क्यों बन्द हो गए।खूब गपोड़ा है।
हनुमान के साथ सुग्रीव का सम्वाद कर रहे हैं आप क गई बार बालि बालि कह रहे हैं
अपने गली मे कूता बनदर को दोडाता है लासट मे भोकता रह जाता हैऐ
Kuchh nhi hai duniya mein
Na god hota na bhagwaan
Na brahma
Manushya jo sochta hai wahi kaheta hai isise ye pata chalta hai
Jo socha wohi kaha
Ramayan ko balmiki nehi lekha? Kyun ki printing press nehi tha treta yug mein.
Ved ko kisne lekha??
झूठ बोलकर पोपट का खाना शुरू से रहा है भारत के इतिहास का समाचार क्या है केवल झूठ
अगर हिम्मत है तो अन्य धर्म पर सच बोल कर दिखाओ।
Pahle apne aap ko. Dekho ooske bad dusre jiv aama par tark dena
बच्चा,
त्रेता युग कई लाख वर्ष पहले की बात है उस समय मानव और बंदर एक ही थे,
आज जो देख रहे हों जो जंगल में ही रह गए वह आज भी बंदर ही है जो जंगल से बाहर निकले वह आज के मानव है ये सब प्रकृति के अलग अलग जगह में रहने के प्रभाव का फर्क है जैसे यूरोप में गोरे होते हैं और Asia में काले सांवले
हर हर महादेव सनातन
आप झूठ फैला रहे हैं एक ही पहलू के दो अर्थ होते हैं आपके समझने का फेर है अभी अधूरा ज्ञान है जी
Vo jhuthe nhi h
Lekin jo Satya ko jante huye bhi galat ko manta h vo Papi jarur hota h
Jaise ki tum
Unka charitra ,yogyata nahi dekhi .. seva bhakti nahi padi ....
Bakvas shiru ,sharm karo
रामायण पढ़ ठीक से
वक्ता जी जब आप नास्तिक है, तो आपको सनातन धर्म पर बोलना ही नही चाहिए l फिर भी यदि आपकी टिप्पणी करने की आदत है, तो अन्य धर्मो की पुस्तको पर आप टिप्पणी आप क्यों नही करते है l ईश्वर और धर्म का समबन्ध श्रद्धा और विश्वास से होता है l जिसे आप ठेस पहुंचा रहे हैं l
Aur tm bevkoof
Jb kisi ko jante nhi ho to bolte kyo ho bhai