PARMATMA MAHIMA || परमात्मा महिमा || AKAH ANAM
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- Опубліковано 3 лис 2024
- PARMATMA MAHIMA || परमात्मा महिमा || AKAH ANAM
निम्न विषय पर विस्तार से जानिए निचे लिंक पर :
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काल कौन?
काल का दूत कौन?
आकाशातीत और शुण्यातीत साधना क्या है ?
आत्मा परमात्मा में क्या भेद है ?
क्या ऊर्जा भगवान है?
हम कहा से आये ?
हमारा असली मुक्तिदाता कौन ?
धर्म के नाम पर बाबाओ को पैसा देना महापाप
कर्म और धर्म का विज्ञान
स्वसंचालित गुलामी
कर्मयोग केवल एक उलझन
सुरतातीत निशब्द योग
आत्मा और परमात्मा एक
हम कहा से आये ?
औघट घाट साधना निरर्थक ?
आत्मा प्राप्ति मार्ग रीढ़ से होकर नहीं जाता
गुरु अतीत साधना ?
आकर निराकार से परे
सर्गुण निर्गुण से परे
क्षर अक्षर निरक्षर क्या है ?
बावन अक्षर से परे की साधना निरर्थक ?
मन मरता है ?
ग्रंथो और वाणिया एक जाल
प्रार्थना और सहजता
सहजता ही पात्रता है
धर्म अधर्म से परे है आत्मा
गुरुद्रोही शब्द अपने आप में एक पाखंड
सत्य और असत्य ज्ञान की परख के दस बिंदु
साकार निराकार मुक्ति एक छलावा
स्वार्थ ही सर्व धर्म और पंथो की जननी
संत महंत को गुरु मानना आत्महत्या
अनुभव से परे
संत निंदा हानिकारक या नहीं ?
मन का अनुभव और आत्मा अनुभव
चौथा और पांचवा राम कौन है ?
सभी राम से परे कोनसा राम है ?
देहि और विदेही
शुन्य की साधना से मुक्ति नहीं
सृष्टि रचना और प्रलय से परे है आत्मा
जो सृष्टि में और प्रलय में भाग लेता है वो मुक्त नहीं हो सकता
कर्म योग एक उलझन
मन को ना ही बिगाड़ना है
ना ही सुधारना है
केवल आत्मा की सहजता से जोड़ना है
चमत्कार केवल आत्मा से ही संभव
आत्मा खौजी कैसे बने?
आत्मा ज्ञान क्या है
सच्चा गुरु हर पल आपके साथ अपने असली स्वरुप में रहता है
ना की निराकार या छद्म स्वरुप में
सत्य किसी संत पंथ और पंथाचार्यो की बपौती नहीं है
निहकर्म साधना एक अमर साधना
अहम् ब्रह्मास्मि
एक अहंकार की साधना
निशब्द साधना
सतोगुण रजोगुण तमोगुण का मुक्ति से कोई सम्बन्ध नहीं है
निरआनंद
आत्मिक प्रेम
अलख सर्व समर्थ
मुक्ति में मन का क्या सहयोग होता है?
समयातीत साधना
क्रियायोग दुखदायी
आत्मा से आत्मा की साधना का क्या मतलब है
आप इसी पल से मुक्त हो
प्रयासरहित प्रयास और प्रयासरहित होने में अंतर
आत्मिक प्रकृति
जीव किसे कहते है ?
कल्पवृक्ष और कामधेनु का सच
शब्द सहजता और निशब्द सहजता
शब्द सहजता अमर सहजता नहीं होती इसका विनाश होता है और ये मुक्ति में सहयोगी नहीं है
परम पूर्ण सहजता केवल निशब्द सहजता ही है और निशब्द से ही प्राप्य है
अकह अनाम
आत्मा / परमात्मा कृपा प्रधान है न की साधना प्रधान
तत्त्व धारा और नितत्व धारा
दो अख्खर का भेद
३३ अरब ज्ञान का सच
बिचलि पीढ़ी का सच
क्षर अक्षर निरक्षर का सच
\शब्द समाना शब्द में
सुरति समाना शब्द में
इनका क्या अर्थ है
जाप मरे अजपा मरे अनहद भी मर जाये
सूरत समानी शब्द में ताहे काल न खाये
इस साखी का अर्थ जानिए साधना के पर्याय से
सुरति और शब्द दोनों काल के दायरे में ही है
इस विधि से मुक्ति असंभव है
ध्यान मत
शब्द मत / संत मत
निशब्द मत / आत्मा मत
सभी मतों में antar
ध्यान मत से श्रेष्ठ शब्द मत है
और निशब्द मत सर्वश्रेष्ठ है
क्या विदेही कभी देह में आता है
क्या देह में आने वाला मुक्त होता है
अवतारवाद मुक्ति मार्ग देता है क्या
विरह मुक्ति में बाधक है न की सहयोगी
विरह वेदना एक बंधन ही है
अजन्मा और स्वयंभू में गहरा भेद है
जानिए दोनों के बीच का अंतर
निद्रष्टा और निसाक्षी
समस्त साक्षी और द्रष्टाओ से परे
साक्षी की साधना से मुक्ति नहीं
द्रष्टा केवल मन ही है
आत्मिक सहजता
अनंत की साधना
मन से पार कैसे जाये
सत्संग क्या है ?
आप जो कर रहे हो वो केवल सुसंग और कुसंग है
सत्संग नहीं
निशब्द और मौन
मौन निशब्द नहीं है
निशब्द अमृत है और मौन पानी है
संतो का निशब्द
शब्द में शब्द समाना है
और आत्मा निशब्द
इससे परे है