पुस्तक भाई बाले वाली जन्म साखी के पृष्ठ 189 में नानक जी की काज़ी रुकनदीन से कहा था: खालक आदम सिरजिया आलम बड़ा कबीर। काईम दाइम कुदरती सिर पीरा दे पीर। सजदे करे खुदाई नु, आलम बड़ा कबीर। अर्थात जिस परमेश्वर ने सारी दुनिया और आदम को उत्पन्न किया। वह बड़ा परमात्मा कबीर है। वह सब गुरुओं का गुरु अर्थात् जगत् गुरु है। उस सबसे बड़े परमात्मा कबीर जी का सजदा (भक्ति) करो।
ੴ (एक ओअंकार) : अकाल पुरख केवल एक है, उस जैसा और कोई नहीं तथा वह हर जगह एक रस व्यापक है। सतिनामु: उसका नाम स्थायी अस्तित्व वाला व सदा के लिए अटल है । करता: वह सब कुछ बनाने वाला है। पुरखु: वह सब कुछ बनाकर उसमें एक रस व्यापक है। निरभउ: उसे किसी का भी भय नहीं है। निरवैरु: उसका किसी से भी वैर नहीं है। अकाल मूरति: वह काल रहित है, उसकी कोई मूर्ति नहीं, वह समय के प्रभाव से मुक्त है। अजूनी: वह योनियों में नहीं आता, वह न जन्म लेता है व न ही मरता है। सैभं: उसे किसी ने नहीं बनाया, उसका प्रकाश अपने आप से है। गुर प्रसादि: ऐसा अकाल पुरख गुरू की कृपा द्वारा मिलता है।
भगवती श्रीमति राधारानी ही परम प्रसन्नता का स्त्रोत हैं । श्रीमती राधारानी एक ऐसा तत्व हैं जिनको श्री कृष्ण भी नही समझ पाते।उनके प्रेम के आगे श्री कृष्ण जी भी सिर झुका लेते हैं। राधारानी ही श्री कृष्ण की परम शक्ति हैं। जय श्री राधेश्याम🙏🙏🙏🙏
@@laxmansahu7990 Kabir ji doha Kabira kabira kya keht hai ja jamuna ke teer ek Gopi ke prem me beh gai koti Kabir 😂😂 Rampal ke chale kya nashe me padte h.sab😂😂😂
भाई गुरु नानक देव जी और कबीर दास जी दोनों एक ही है पूर्ण परमात्मा के ही रूप हैं दोनों सतगुरु हैं जो ज्ञान देता है वह गुरु बन जाता है और ज्ञान पाने वाला चेला बन जाता है यह दोनों बाजीगर हैं अच्छे-अच्छे ज्ञानियों को भ्रम जाल में डाल देते हैं यह दोनों पूर्ण परमात्मा रूप हैं आप सभी भाइयों को हाथ जोड़ कर राम-राम जी
परमात्मा की प्यारी आत्मा आप जीने नानक देव जी और कबीर जी के दोहो का लेख तो सही लिखा है लेकिन उनका अर्थ आप भी नहीं समझ पाए आप नानक जी को पूर्ण परमात्मा मानते हैं और युगों युगों से आकर ज्ञान का प्रकाश कराने वाला मानते हैं साधांतगत निश्चित रूप से यह बात प्रमाणित होती है के परमात्मा जब शरीर रूप में आते हैं तो चकित करने वाली क्रियाएं अपने कार्यों के द्वारा प्रदर्शित करते हैं और कभी भी उसके बाद सामान्य मनुष्य के रूप में प्रकट नहीं होते मगर नानक जी का यह दाग( धर्म देवदास) प्रत्यक्ष साक्षात्कार का साक्षी इसी जीवन में आज से लगभग 35 साल पहले का साक्षी हूं और दो बार 2 जन्मों का साक्षी हूं इस बात से यही सिद्ध होता है नानक जी पूर्ण परमात्मा ना होकर उच्च कोटि के आत्मा स्वरूप थे जो आज भी मानव शरीर में विद्यमान हैं इसका निराकरण आप जी खुद ही करके देखें राम राम राधे राम सत साहिब जय बंदी छोड़ की परवरदिगार
'साखी कंधार देश की चली', जन्म साखी के पृष्ठ 470-471 पर एक मुगल पठान ने पूछा कि आपका गुरू कौन है? श्री नानक जी ने उत्तर दिया कि जिन्दा पीर है। वह परमेश्वर ही गुरू रूप में आया था। उसका शिष्य सारा जहाँ है। फिर ‘‘साखी रूकनदीन काज़ी के साथ होई’’ जन्म साखी के पृष्ठ 189 पर नानक जी ने रुकनदीन काज़ी को जबाब देते हुए कहा:- नानके आखे रूकनदीन सच्चा सुणहू जवाब। खालक आदम सिरजिया आलम बड़ा कबीर। कायम दायम कुदरती सिर पिरां दे पीर। सजदे करे खुदाई नू आलम बड़ा कबीर।।
@@GitaVedPuran कबीर, मूर्ख (कलियुगी ब्राम्हण) के समझावते, ज्ञान गाँठी (पूर्ण संत) का जाय | कोयला (कलियुगी ब्राम्हण) कबहू न उज्ज्वल होई, चाहे सौ मन साबून लगाय || श्री देवी पुराण, छठा स्कंद, कलियुगी ब्राम्हणों के लक्षण जन्मेजय जी ने पूछा महाभाग! व्यास जी किस युग में कैसा धर्म का स्वरूप है एवं कलियुग में कौन ब्राम्हण होगा मुझे यह जानने की विशेष ईच्छा हो रही है वेदव्यास जी बोलें राजन! सतयुग में धर्म चार पाँव पर, त्रेता में तीन पाँव पर, द्वापर में दो पाँव पर और कलियुग में एक पाँव पर तथा घोर कलियुग में पाँव रहित अर्थात पूर्ण रूप से धर्म रहित हो जाता है | राजन्! सतयुग, त्रेता एवं द्वापर में जो राक्षस समझे जाते थें वे ही कलियुग में ब्राम्हण होंगे क्योंकि वे कलियुग में उत्पनं ब्राम्हण प्राय: पाखण्ड करना, दूसरों को ठगना झूठ बोलना, पूर्ण संतों का विरोध करना, वैदिक धर्म-कर्म से दूर रहना, शास्त्रों के विपरित साधना करना आदि उन कलियुगी ब्राम्हणों का स्वभाव होगा | कबीर, तारामंडल बैठ कर, चाँद बड़ाई खात | उदय हुआ जब सूर्य का, स्यों तारा प्रभात् || जब तक हम अशिक्षित थें और पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर जी का ज्ञान नहीं था तब तक तुम नकली कलियुगी ब्राम्हणों ने हमें खूब मूर्ख बनाया, हमें लूटा, गलत साधना कराकर नर्क में डलवा दिया, हमारे पूर्वजों को भूत बनवा दिया तथा चौरासी लाख योनियों में डलवा दिया | पर अब पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर जी का अब हमको ज्ञान हो गया है अब हम शिक्षित हो गयें हैं अब हम पूर्ण परमात्मा को पहचान चुके हैं पूर्ण संत की परिभाषा से परिचित हो चुकें हैं अब तुम हमें मूर्ख नहीं बना सकते | जब तक जगतगुरू तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जेल धाम में नहीं गये थें तब तक किसी नकली धर्मगुरू, पंडित आदि को हिम्मत नहीं थी कि अध्यात्मिक ज्ञान चर्चा करले जबकि जगतगुरू तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ने विश्व के सभी धर्म गुरूओं को अध्यात्मिक ज्ञान चर्चा के लिए आमंत्रित किया था परंतु किसी की भी हिम्मत नहीं हुई | तुम कलियुगी ब्राम्हण अर्थात् राक्षसों ने अपनी सच्चाई तो बताई ही नहीं श्री देवी भागवत महा पुराण में स्पष्ट किया है भगवान विष्णु जी, ब्रम्हा जी, शिव जी ने स्वयं स्वीकार कर कहा है कि हमारी जन्म व मृत्यु होती है, हम केवल नियमानुसार ही कार्य कर सकते हैं | दुर्गा इनकी माँ हैं और काल रूपी ब्रम्ह इनके पिता हैं | तथा श्री दुर्गा जी कहती हैं सर्वश्रेष्ठ ब्रम्ह उसका प्रणव(ॐ) मंत्र वह ब्रम्ह लोक रूपी दिव्य आकाश में रहता है | केवल एकमात्र उसी की भक्ति करो | वह ब्रम्ह गीता जी में स्पष्ट किया कि मेरी भक्ति करनी है तो ॐ मंत्र का जाप करो मुझे प्राप्त हो जाओगे परंतु ब्रम्ह लोक से लेकर सर्व लोक नाशवान है | मेरी भी जन्म व मृत्यु होती है | यदि पूर्ण मोक्ष चाहिए तो उत्तम पुरूष अर्थात् सच्चिदानंद घन ब्रम्ह अर्थात पूर्ण परमात्मा की भक्ति करो | उसकी ॐ, तत्, सत् ऐसे तीन प्रकार के मंत्र हैं संकेत दिया है | वह शांत ब्रम्ह है, निर्विकार है | वह अपने ज्ञान को अर्थात् पाने की विधि को स्वयं बताता है जिसे सच्चिदानंद घन ब्रम्ह की वाणी तथा तत्त्वज्ञान कहते हैं | उसके बारे में केवल तत्त्वदर्शी संत जानते हैं वे ही बताएंगे | तत्त्वदर्शी संत की पहचान में बताया कि उल्टे लटके हुए संसार रूपी अविनाशी पीपल के वृक्ष को जो संत बता देगा वह वेदके तात्पर्य को जानने वाला है अर्थात् वह तत्त्वदर्शी संत है | इस संसार रूपी वृक्ष स्वरूप जैसा कहा जाता है मैं भी नहीं जानता | तत्त्वदर्शी संत मिल जाने के पश्चात् पूर्ण परमात्मा के उस परम पद की खोज करनी चाहिए जहाँ जाने के पश्चात् साधक लौटकर इस संसार में अर्थात् जन्म - मृत्यु में वापस नहीं आता | तुम राक्षसों ने हमसे गलत साधना करायी शास्त्रों के विपरित साधना कराकर नर्क में तथा चौरासी लाख प्रकार की योनियों में भूत प्रेत आदि बनवा दिए फिर भी तूम्हें संतुष्टि नहीं मिल रही | गीता जी तथा वेदों में स्पष्ट किया है कि भूतों को पूजने वाले, पिण्ड दान आदि करने वाले, श्राद्ध निकालने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं, पित्र पूजने वाले पित्रों को और देवताओं को पूजने वाले देवताओं को तथा मेरी पूजा करने वाले मुझे प्राप्त होते हैं | परंतु जो तत्त्वदर्शी संत के माध्यम से उस अविनाशी परमात्मा की भक्ति करते हैं वे उस शांत परमात्मा को प्राप्त होते हैं |
जा का ठाकुर तुही सारिंग धर मोहि नाम कबीरा जा-जिस का ठाकुर सारंग धर का अर्थ होता है धनुष धारी जहां पर कबीर जी क्या कह रहे हैं और तुम क्या कह रहे हो 😁😁😁😁हद हो गई मूर्खता की भी
Hey ram itni galat vyakhya kaise or kahan se sikhte ho bhai agar sgpc ke samne jake ye bologe na to tera gala kaat denge usi time vo or punjabi ke headmaster ke samne bologe to vo khudkushi kr lega muzhe tha apne sirf sanakrit me chercharh kri hai apne to granth sahib tak ko nahi baksha.
देवेन्द्र शर्मा छोटे वीर बहुत धन्यवाद बहुत मेहनत कर रहे हैं आप रामपाल ने भ्रम जाल को ध्वस्त करने के लिए गुरु नानक कृपा बनाए रखे ये ही अरदास करतें हैं दिल से 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
@@yashpatel4050 क्या हुआ भाई ग़लत बोल रहे हो वो भी बिना किसी प्रमाण के प्रुफ करो जैसे हमनें रामू के अज्ञान को नंगा किया है आंखें खोलो ध्यान से देख कर बतायो क्या ग़लत दिखाया है विडियो में
कबीर, मूर्ख (कलियुगी ब्राम्हण) के समझावते, ज्ञान गाँठी (पूर्ण संत) का जाय | कोयला (कलियुगी ब्राम्हण) कबहू न उज्ज्वल होई, चाहे सौ मन साबून लगाय || श्री देवी पुराण, छठा स्कंद, कलियुगी ब्राम्हणों के लक्षण जन्मेजय जी ने पूछा महाभाग! व्यास जी किस युग में कैसा धर्म का स्वरूप है एवं कलियुग में कौन ब्राम्हण होगा मुझे यह जानने की विशेष ईच्छा हो रही है वेदव्यास जी बोलें राजन! सतयुग में धर्म चार पाँव पर, त्रेता में तीन पाँव पर, द्वापर में दो पाँव पर और कलियुग में एक पाँव पर तथा घोर कलियुग में पाँव रहित अर्थात पूर्ण रूप से धर्म रहित हो जाता है | राजन्! सतयुग, त्रेता एवं द्वापर में जो राक्षस समझे जाते थें वे ही कलियुग में ब्राम्हण होंगे क्योंकि वे कलियुग में उत्पनं ब्राम्हण प्राय: पाखण्ड करना, दूसरों को ठगना झूठ बोलना, पूर्ण संतों का विरोध करना, वैदिक धर्म-कर्म से दूर रहना, शास्त्रों के विपरित साधना करना आदि उन कलियुगी ब्राम्हणों का स्वभाव होगा | कबीर, तारामंडल बैठ कर, चाँद बड़ाई खात | उदय हुआ जब सूर्य का, स्यों तारा प्रभात् || जब तक हम अशिक्षित थें और पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर जी का ज्ञान नहीं था तब तक तुम नकली कलियुगी ब्राम्हणों ने हमें खूब मूर्ख बनाया, हमें लूटा, गलत साधना कराकर नर्क में डलवा दिया, हमारे पूर्वजों को भूत बनवा दिया तथा चौरासी लाख योनियों में डलवा दिया | पर अब पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर जी का अब हमको ज्ञान हो गया है अब हम शिक्षित हो गयें हैं अब हम पूर्ण परमात्मा को पहचान चुके हैं पूर्ण संत की परिभाषा से परिचित हो चुकें हैं अब तुम हमें मूर्ख नहीं बना सकते | जब तक जगतगुरू तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जेल धाम में नहीं गये थें तब तक किसी नकली धर्मगुरू, पंडित आदि को हिम्मत नहीं थी कि अध्यात्मिक ज्ञान चर्चा करले जबकि जगतगुरू तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ने विश्व के सभी धर्म गुरूओं को अध्यात्मिक ज्ञान चर्चा के लिए आमंत्रित किया था परंतु किसी की भी हिम्मत नहीं हुई | तुम कलियुगी ब्राम्हण अर्थात् राक्षसों ने अपनी सच्चाई तो बताई ही नहीं श्री देवी भागवत महा पुराण में स्पष्ट किया है भगवान विष्णु जी, ब्रम्हा जी, शिव जी ने स्वयं स्वीकार कर कहा है कि हमारी जन्म व मृत्यु होती है, हम केवल नियमानुसार ही कार्य कर सकते हैं | दुर्गा इनकी माँ हैं और काल रूपी ब्रम्ह इनके पिता हैं | तथा श्री दुर्गा जी कहती हैं सर्वश्रेष्ठ ब्रम्ह उसका प्रणव(ॐ) मंत्र वह ब्रम्ह लोक रूपी दिव्य आकाश में रहता है | केवल एकमात्र उसी की भक्ति करो | वह ब्रम्ह गीता जी में स्पष्ट किया कि मेरी भक्ति करनी है तो ॐ मंत्र का जाप करो मुझे प्राप्त हो जाओगे परंतु ब्रम्ह लोक से लेकर सर्व लोक नाशवान है | मेरी भी जन्म व मृत्यु होती है | यदि पूर्ण मोक्ष चाहिए तो उत्तम पुरूष अर्थात् सच्चिदानंद घन ब्रम्ह अर्थात पूर्ण परमात्मा की भक्ति करो | उसकी ॐ, तत्, सत् ऐसे तीन प्रकार के मंत्र हैं संकेत दिया है | वह शांत ब्रम्ह है, निर्विकार है | वह अपने ज्ञान को अर्थात् पाने की विधि को स्वयं बताता है जिसे सच्चिदानंद घन ब्रम्ह की वाणी तथा तत्त्वज्ञान कहते हैं | उसके बारे में केवल तत्त्वदर्शी संत जानते हैं वे ही बताएंगे | तत्त्वदर्शी संत की पहचान में बताया कि उल्टे लटके हुए संसार रूपी अविनाशी पीपल के वृक्ष को जो संत बता देगा वह वेदके तात्पर्य को जानने वाला है अर्थात् वह तत्त्वदर्शी संत है | इस संसार रूपी वृक्ष स्वरूप जैसा कहा जाता है मैं भी नहीं जानता | तत्त्वदर्शी संत मिल जाने के पश्चात् पूर्ण परमात्मा के उस परम पद की खोज करनी चाहिए जहाँ जाने के पश्चात् साधक लौटकर इस संसार में अर्थात् जन्म - मृत्यु में वापस नहीं आता | तुम राक्षसों ने हमसे गलत साधना करायी शास्त्रों के विपरित साधना कराकर नर्क में तथा चौरासी लाख प्रकार की योनियों में भूत प्रेत आदि बनवा दिए फिर भी तूम्हें संतुष्टि नहीं मिल रही | गीता जी तथा वेदों में स्पष्ट किया है कि भूतों को पूजने वाले, पिण्ड दान आदि करने वाले, श्राद्ध निकालने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं, पित्र पूजने वाले पित्रों को और देवताओं को पूजने वाले देवताओं को तथा मेरी पूजा करने वाले मुझे प्राप्त होते हैं | परंतु जो तत्त्वदर्शी संत के माध्यम से उस अविनाशी परमात्मा की भक्ति करते हैं वे उस शांत परमात्मा को प्राप्त होते हैं |
जब उन्होंने कबीर दास को ब्रह्मा विष्णु महेश सभी को बता दिया तो गुरु नानक तो बहुत छोटे हैं रामपाल रामपाल कबीर दास के भी गुरु भगवान इस भारत के अंध भक्तों को सद्बुद्धि दे
_हमारी गीता कहती हैं जब-जब धर्म की हानि होती है अधर्म की वृद्धि होती है तब-तब भगवान कृष्ण अपने साकार स्वरूप को धारण करते हैं कभी राम रूप तो कभी कृष्ण रुप_ 👇🏻👇🏻👇🏻 _तीनों लोकों में मैं कहीं चला जाऊं मेरा किसी भी लॉक में जन्म हो जाए मेरा जो गुरु रहेगा वह ईश्वर ही रहेगा उसके अनंत स्वरूप हैं वह किसी एक रूप में मेरा गुरु होगा_
@@GitaVedPuran sir phle me apka bht dhanyawad Krna chahunga apki wajah se hi rampal ki manghadant bato se nikla hu men bhi bachpan me usse namdann bhi liya tha pr ab samaj me aaaya vo frod tha
Bahi ya tab ki bhat ha jab kabeer sahi. Nanak jii visnu bhgwan ke pujari thi tab kabeer sab na Lila ki aur ek Bhgat ban kar nanak jii ko parnam kiya ap log age dekhna
Do you really think there was dwaapar yuga? Read guru Granth sahib. Study it you will understand what atma parmatma yuga avtar sant etc means? 1430 ang( pages hai) unme se roj ek pdo to v 3 saal approximately lgege to tumhe gyan hoga
गुरुग्रंथ साहिब के 721 पृष्ठ पर लिखा है पूर्ण परमात्मा का नाम यक अर्ज गुफ्तम पेस तो दर कून करतार हल्का कबीर करीम तू एब परवरदिगार ।। नानक जी फिर महला 1 पृष्ठ 29 वाणी नं 24 में के रहे है फाई सूरत मलुक्की वेश एह ठगवाडा ठगी देश खरा सिआना बहूता भार वो धाणक रूप रहा करतार परमात्मा कबीर जी अपने आप को बड़ा कही भी नहीं बताते वो आज से 600 वर्ष पहले इसलिए आए थे हमे सिख देने के लिए की अगर इस काल की दुनिया से मोक्ष पाना है तो आपको एक दास बन कर रहना होगा अभिमानी व्यक्ति के निकट भी भगवान नहीं आते पर वो भी तो परमात्मा की ही संतान परमात्मा को कितने कष्ट दिए थे पर उन्होंने किसी को बददुआ नही दी क्यू सारे ही उसके बच्चे 🙇🙇 आप अपने सतग्रंथो को सही से पड़ो
First nanak worship lord Ram after that when HE MEET THE LORD KABIR IN THE BANK OF RIVER -after that HE CHANTING SATNAAM WAHE GURU and Lord kabir self playing Guru nanak role. MANTAR . GREATEST HINTS SORRY AND THANK YOU
हक्का कबीर करीम तू इसमें कबीर के साथ करीम भी hai तो क्या हम आतंकवादी करीम टुंडा को भी परमात्मा मन ले कबीर का अर्थ बड़ा करीम का अर्थ दयालु अर्थ परमात्मा तो बड़ा दयालु है
Sanjay Patel, Sach Bat Yeah Hai Ki Rampal Duniya Ka Aek Bahut Bada Dhoort Aur Makkar Aadami Hai. Aap Rampal Ki Dhoorthta Aur Makkari Dekhiye ---- (1) Rampal Aur Rampal Ke Saathi Aur Shishy ( Chele) Rampal Ko Paramatma Sabit (Prove) Karane Ke Liye Hee, Rampal Ke Jail me Band Hone Ke Pahale Ke Banaye Hue Bahut se Jhunthe Videos Dikhate Rahate Hain. Aaise Sabhi Jhunthe Videos me Rampal Ke Dwara Paise Dekar Ke Vidios me Dikhaye Gaye Aaise Sabhi Logon ne Rampal Ko Paramatma Kabir Sabit ( Prove ) Karane Ka Pura Prayash ( Koshish) Kiya Hai. ( 2 ) Rampal Apane Pure Jivan me Bhi Kishi Bhi Sanskrit Bhasha Ke School Ya College me Padha Likha Hua Nahi Hai, Bulki Aek Bilkul Hee Sadharan Padha Likha Hua Aadami Hai. Parantu Phir Bhi Rampal ne Bharat Desh Ke Sabhi Sanskrit Bhasha Ke Bade Bade Aur Mahan Vidwano Ke Sanskrit Bhasha Ke Gyan Ko Challenge Kar Ke, Aaise Sabhi Vidwano Dwara Bataye Hue Geeta Ke Shlokon Ke Arth ( Matalab, Meaning ) Ko Jhuntha Aur Galat Bataya ( Kaha) Hai, Jab Ki Sabhi Sanskrit Bhasha Ke Vidwano ne Puri Geeta Ko Padh ( Reading ) Kar Ke, Yeah Bat Kahi ( Batayi ) Hai Ki Geeta Ke Shlokon Ke Arth (Matalab, Meaning ) Ke Anushar, Kewal Bhagwan Shri Krishna Hee Purn Paramatma Hain. Parantu Sanskrit Bhasha Ka Bilkul Bhi Gyan Nahi Hone Par Bhi, Bharat Desh Ke Aek Matra Manushy Rampal ne, Jo Puri Geeta Ko Nahi Padhata Hai, Bulki Kewal Matra Aek Ya Do ( 1 Ya 2 ) Shlokon Ko Hee Padh Kar Ke, Swanya Khud Ki Apani Man Marzi se Hee Geeta Ke Shlokon Ka Jhuntha Aur Galat Arth Matalab Karata Hai Aur Swanya Khud Ko Hee Purn Paramatma Kabir Sabit Prove ( Karane ) Ki Puri Koshish Karata Rahata Hai. Geeta me Kishi Bhi Sthan ( Jagah ) Par Kabir Das Ji Ko Paramatma Nahi Bataya Aur Kaha Gaya Hai, Kewal Bhagwan Shri Krishna Ko Hee Purn Paramatma Kaha Gaya Hai. ( 3 ) Rampal Hamesha Aur Lagatar Bharat Desh Ke Sabhi Dharmo Aur Sampradayon Ke Sacche Aur Mahan Santo, Mahatmaon, Dharm Guruo, Aur Purn Parmatma Ke Purn Awatar Ram, Kraishna, Shiv Ji Ki, Tatha Hindu Dharm Ke Sabhi Devi Aur Dewataon Ki Ninda, Burai Aur Alochona Karata Rahata Hai. Very Important Note --- Rampal Ke Dwara Lagatar Aur Hamesha Hee Aaise Sabhi Pap Karmo Ko Karane Ke Karan Hee Rampal Ka Pap Karmo Ka Ghada ( Mataka ) Bahut Jaldi Hee Pura Bhar Gaya tha, isileye Hee Purn Paramatma Kraishna Ji ne Rampal Ke Pap Karmo Ka Dand ( Saja ) De Kar Ke, Rampal Ko Puri Jindagi Ke Liye Hee Jail me Band Karawa Diya Hai. Yani Ki Papi Rampal Ki Jaisi Karani Vaisi Hee Bharani.
@@baimukundsharma7668 are bhai Tum pandit hona isiliye tumhari fat rahi hai duniya ke dedh karor murkh nahin ho sakthe rampal ji main kuchh to quality hai tabhi to logon se Jude hue hain abhi bhi
@@studywithsanjay5566 koi quality nahi ha uss pakhndi ke pass, glt arth kr ke loka nu murakh bnonda, max lok julaha caste wale ne ohde followers, murakh bnonda oh loka nu
सबसे पहले मैं ये बता दूँ कि मैंने रामपाल जी से दीक्षा नहीं लिया है लेकिन इस वीडियो के टॉपिक पर बहुत कुछ समझने की कोशिश किया है। अगर कोई बात गुरु ग्रंथ साहेब में लिखी है और प्राण संगली में उसके उल्टा कुछ लिखा हो तो गुरु ग्रंथ साहेब में लिखी बात को ही प्रामाणिक माना जायेगा। वीडियो के शुरू में गुरु नानक जी के द्वारा गुरु ग्रंथ साहेब में उनका गुरु कौन है इस बारे में बताया गया है कि उनका गुरु परमात्मा है। अब परमात्मा कौन है इस बारे में भी गुरुनानक देव जी ने गुरुग्रंथ साहेब में ही लिख दिया है :- (गुरु ग्रंथ साहेब, पृष्ठ 721,महला-1,राग तिलंग में अंकित) यक अर्ज गुफ़तम पेश, तोदर कून करतार हक्का कबीर करीम तू, बेऐब परवरदिगार स्पष्ट है कि गुरुनानक देव जी कबीर साहेब को करीम और परवरदिगार यानी परमात्मा बता रहे हैं। गुरु नानक देव जी की वाणी जनम सखी - भाई बाले वाली में लिखी है :- (अध्याय - मुलाकात काजी रुकनदिन सूरा) खालक आदम सिरजेया, आलम बडा कबीर सजदे करो खुदाई नूं, आलम बडा कबीर स्पष्ट है कि गुरुनानक देव जी कबीर साहेब को परमात्मा बता रहे हैं और उनका सजदा करने अर्थात भक्ति करने के लिए भी कहते हैं। दो - दो ग्रंथों में प्रमाण उपलब्ध हैं। अगर जनम साखी में प्रमाण नहीं भी होता तो भी गुरुनानक देव जी के बारे में गुरुग्रंथ साहेब के प्रमाण को ही सबसे ऊपर माना जायेगा। आप अपना ज्ञान ठीक कर लीजिए और अपना doubt दूर कीजिये।
वीडियो में जो प्राण संगली में जो गुरुनानक देव जी और कबीर साहेब जी के बीच की वार्ता का जिक्र है वो उस समय का है जब गुरुनानक देव जी को कबीर साहेब जी ने ज्ञान देने के लिए सही पात्र के रूप में चुना और उनको पता था कि गुरुनानकदेव जी रोज बेई नदी के किनारे जाते थे,इसलिए एक दिन जब गुरुनानक देव जी बेई नदी के किनारे जाकर बैठे हुए थे तो कबीर साहेब जी वहां पहुँच गए और अपने आप को ज्ञानहीन होने का स्वांग करते हुए और गुरुनानकदेव जी को ज्ञानी कह कर गुरु के तौर पर संबोधित किया क्योंकि गुरुनानकदेव जी के प्रथम गुरु श्री बृजलाल पांडे जी थे जिनसे गुरुनानक देव जी ने वेद,पुराण, गीता आदि का पारंपरिक शास्त्र ज्ञान सीखा था और अपने को ज्ञानी समझते थे और इसलिए उन्होंने भी कबीर साहेब जी को चेला कह कर संबोधित किया।बाद में गुरुनानकदेव जी को कबीर साहेब जी ने अपना असली स्वरूप दिखाया तो उन्होंने कबीर साहेब जी को परमात्मा और अपना गुरु मान लिया। इसी कारण से गुरुग्रंथ साहेब में गुरुनानक देव जी परमात्मा को अपना गुरु बताते हैं और फिर कबीर साहेब जी को ही परमात्मा बताते है। अपने ज्ञान को सुधार लीजिये।
बहुत अच्छा उत्तर दिया आपने... आपकी बात सत्य और प्रमाणित है गुरु नानक जी पहले ओंकार की भक्ति करते थे और कुछ शक्तियाँ थी उनमे योगी थे वो... साहेब ऐसे लोगों को ढूंढते हैं जैसे हनुमान जी को भी... जो भक्ति करते हैं.. फिर मजा लेते हैं पहले उनसे जब मजा ले लेते हैं तब अंत मे असली रूप दिखाते हैं...
Video portion 6:23/11:41 ke pran sanghli mein : "Mdji shri babyeji ka sishya(disciple) hoya ta Kabirji phoolpaan lke babye ka darshn krne aaye.Aaye kartar kartar kri(sarvjeevatman tatha sarv brahmand ke srijanhar, KABIR SAHEB) baith gye.Ta babye kha.Sshro BHAGAT KABIR(chele ke kirdaar nibhate hue) kushal(chatur,prabeen) h.Ta Kabir khe tere darshdithe sakhs kushal hoi h.pr ji maine(babyeji) suniya h Shri Ramanand ji ka sanshay(raam rahim alag shabd ek prmeshwar ke pukarne ka dhani ka shanshay) aap(Kabir Saheb) ne nibaran kiya h.Tate mere(babyeji) ke shanshay ko chedan kro.Tum(KABIR SAHEB) tou jagat biye Guru suryaprakash bhay ho, sava jagat ke klyaan nmit tumhara avatar h.Ta babye kha tussi(Kabir saheb) bhi bachan kro. Esse suspasth hota ki PURNPARMATMA KABIR SAHEB chela(disciple) ki kirdar paln kiye the.Abe Devend bhukha kutta achha se bhonk 😂🤣
Pran Sanghli(archive.org/details/PranSangliPartIII/page/n19/mode/2up) Guru Nanak ji ke jiban prichay pristh no. 17 mein Guru Nanak ji ke GURU SATYAPURUSH(KABIR SAHEB) they jo use SACHKHAND(SATLOK) leke SATYANAM ke khullamkhulla updesh diye. Dekh kya likha hua h 17 pristh mein:"Sanbt 1554 mein GuruNanak ek din niyamanusar phr raat rhe sebak ke saath beyi ndi pr snan ko gye tou whan ek Sadhu se bhent hui jisne chetaya ki baba Nanak ji kis kaam kliye es sansar mein bheje gye uske liye Sachhedarbar(Satlok,Sachhkhand) se kya agya h aur weh kr kya rhe h.Tab Guruji us Sadhu ke saath bei ndi m ghuskr 3 din tk gupt rhe.Log apne samkshanusar koi kht dub gye aur kuch anuman krte the parantu bastav mein guruji apne sharir ko yogbal se samadhi ki dasha mein ndi mein sthapit krke SATYAPURUSH ke charno mein SATYANAAM ka khullamkhulla updesh krne ki agyaa kliye SACHKHAND(SATLOK) gye"
Tho is video ma bhi tho saaf saaf likha hai, ki kabir Nanak ji ko guru bol rahe hai, aur Nanak ji Brahma ko apna guru bata rahe hai. Fir aap log kaise bolte ho ki kabir guru hai Nanak ji ka
Ye batao ki jab kaal apna bhed kisi ko batana nahi chahata. Durga ko bhi mana kar diya. Fir usne arjun ko kyun dikhaya apna roop aur Kyun bola ki purn prabhu ko prapt karne k liye tatva darshi sant se pucho batao. Koi bhi rampal ka bhakt nahi bata paaya
Tum log bolte ho bhagvan ne 7 days ma srishti banai. Aur dusri jagah fir bolte kaal ne 84 lakh yoni banai prithvi par. is hisab se dekhe tho kaal ne 7 din ma Sab banaya tho kya isme tum log kaal ko bhagwan bol rahe ho. Agar nahi tho fir tumhare hisaab se kabir 84 lakh yoni kyun banaenge batao.
रामू के चेले तो सशरीर सतलोक घूमकर आ जाते हैं ,वहां ना जाने क्या क्या देख आते हैं😂😂😂😂😂 उन मूर्खों को कौन समझाये। रामपाल के क ई चेले अब कृष्ण भक्ति कर रहे हैं जबसे उन्होंने सच को जाना
Apne galat bola Devendra ji apne bola jagat ka jo parmatma hai vo guru nanak ke guru hai par vha pr gopala likha hai Gopala mtlb samjhjayie jagat ka parmatma gopal h Or vo mera guru esa matlab hoga agar me shi ho toh
*गुरु नानक देव का कोई गुरु नहीं था उन्होंने ईश्वर को ही अपना गुरु माना था यहां पर जो गोपाल शब्द यूज में ईश्वर के लिए हुआ है जैसा कि गुरु ग्रंथ साहिब के एक्सपर्ट ने गॉड शब्द का इस्तेमाल हुआ है उसी हिसाब से मैंने अनुवाद किया है* 👇🏻👇🏻👇🏻 *जो गोपाल हैं वह कृष्ण हैं जो जो कृष्ण है ईश्वर है* आगे नानक जी कहते हैं "ब्रह्मा विष्णु महेश एक मुहूर्त आपे करता कारी 12" _जो ईश्वर है वह ब्रह्मा विष्णु महेश 3 रूप धारण करता है और वही सब कुछ करने वाला है_ _यही हमारी गीता जी कहती है अध्याय 13 श्लोक नंबर 16 जो जाने योग्य परमात्मा है वह ब्रह्मा रूप से सबकी सृष्टि करता है विष्णु स्वरूप से सब का पालन करता है और रुद्र रूप से सब का संघार करने वाला है_ 👇🏻👇🏻 *जो गुरु नानक देव थे वह ईश्वर के निराकार स्वरूप को मानते थे जो हमारे भगवान कृष्ण हैं वह निराकार भी हैं साकार भी है मतलब गुरु नानक देव के गुरु भगवान है और भगवान कृष्ण हैं*
@@GitaVedPuran tysm Devendra ji Apne ye confusion dur kr di meri Pa bht se sikh kehte hai ram matlab Ramya hua h.or krishna ji ko bhagwan nhi mana h.guru nanak ji ne ye bhi confusion dur kr dijiye ek guru bankar plz🙏🙏🙏🙏
@@parasparmar9793 _We are trying to come live on UA-cam on next videos if you want to help us please join on video and help us to clear doubts of other_
@@GitaVedPuran ohk Devendra ji jesa ap boliye plz ap is topic pr video banaiye Mera sath or support apke sath hi hai Aap u tube pr video banana bnd mt kriye Or bhi bht sare brantiya felli rampal se bhi badi badi Kuchh logo ka manna hai ram ji or krishna ji ek mahapurush hai puran sab fake hai Radha Rani kalpanik hai Luv kush kabhi peda nhi hue Ye sab bhi bhrantiya or jhoothi akfah feli hai ap in sab ka bhi khandan kijiye hamre dharma ki raksha ap jese log hi kr skte h..baki ne to sanatan dharam ka majak bna diya hai or apse ek rqst hai ap video banana bnd mt kijiye or bhi bhrantiyo ka khandan kijiye plz🙏🙏🙏🙏
कौन गुरु अथवा कौन चेला। कौन पर मातमा।,ए।सब आपके समझ में नहीं आएगा इतना ही ज्ञानी थे तो इतना दिन सो रहे आज संत रामपाल जी का नकल कर रहे हो पत्थर के मूर्तियों में दान।चढ़ाकर अपना थैलाभररहेहो् कहे दुनिया को गुमराह किए हुए थे जो भक्त कबीर ने जो भक्त गुरु नानक ने कर रहे थे वह भक्ति क्यों नहीं बता रहे थे भगवान को क्यों नदी नाले पहाड़ पत्थरों में बता रहे ऐसा तो कबीर नानक ने नहीं कहा था वह तो अपने इस शरीर रुपया मंदिर में परमात्मा को बताया नाम जाप करने को वास्तविक भक्ति बताया मेरे भाई अभी समझ जाओ अब आपका नहीं चलने वाला परमात्मा इस धरती पर आ चुके हैं सच्चा ज्ञान बांटने के लिए
भाई जी आपको पता नहीं है या फिर आप जान कर भी अंजान है बाबा रामपाल जी सन 2014 से आजीवन कारावास में चले गए हैं उन्हें जेल से बाहर आने की इजाजत नहीं है भला जो व्यक्ति जेल के अंदर है वह क्या ज्ञान चर्चा करेगा बाकी मैं हर चैनल पर आने के लिए तैयार हूं चैनल बुक कराएं
Kabir ji ne ye bhi kaha h ki sai itna dijiyo jaa m kutum samaye m bhi bhukha na rahu saadhu bhi na bhukha jaaye to yaha wo apne se alag kis parmatma se ye sb maan rahe hai
इससे आगे भी पढिये सब साफ साफ मिलेगा Rigved मंडल no.09 सूक्त no 86 मंत्र no 26 me परमात्मा का नाम दिया है आप हम सभी के परमात्मा एक ही है कृपया समाज को सही दिशा दे
Guru Nanak Dev Ji ke Guru Kabir Dev Ji hue hain Kabir Sagar Mein yah varnit vo likha hua hai vah Parmatma Hai Allah Ram hai isliye Guru Nanak Dev Ji Ne an Parmeshwar ko Apna Guru Kaha Tha vah vahan Guru govind Guru Kabir vahan Guru pura hai
Oh Rampal ki भेड़ बकरी , galat affva na faila, saleyo kyo badnami kronde o, nam de agge Singh laya, kam thude gadara wale, apni jameer tuc loka ne ohoh pakhndi rampal nu veche hoe a, shrm kro yr shrm
@@davindersingh4167 bhai sahab Guru Granth Sahib Nu padh kar Dekho vah De Vich likha hai Guru Nanak Ne Kabir Sagar padh kar Dekho vah De Vich likhe Huye Kabir sahab Guru Nanak Dev Ji Nu Jad Milaya ji Sachkhand
@@satgurukabirparmeshwarpant2994 eh rampal ne tadde budhi bharist kr dete ha, bai Guru Granth Sahib ji vich kite v nai likhya jo eh pakhndi baba knda ha, eh Gurbani de galt arth kr ke tanu loka nu murakh bnonda ha। Je ma galt nahi te, tuc jarur Julaha caste cho howo gy, max Julaha caste wale befkuf bnn jande ne vichare, eh baba tanu bhagat kabir ji de naam de arrh ch bevkuf bna reha ha, tuc pelle bhagat kabir ji de bani nu smjo, oh te app us akal purak parmatma de bhagti krde rahe ne
hahahhahahah geeta main slok toh kafi h jinka matlab bhgwan ne baad main bataya h aur tum 37 slok pakad k baithe hue ho hahaha bade hi durlab mind wale lagte ho
हम सूलतानी नानक तारे दादू को उपदेश दिया जात जूलाहा भेद नहीं पाया कासी माये कबीर हूआ जेहो बन्दी छोड़ की
फाही सुरति मलूकी वेसु ॥ हउ ठगवाड़ा ठगी देसु ॥ खरा सिआणा बहुता भारु ॥ धाणक रूपि रहा करतार ॥३॥
पुस्तक भाई बाले वाली जन्म साखी के पृष्ठ 189 में नानक जी की काज़ी रुकनदीन से कहा था:
खालक आदम सिरजिया आलम बड़ा कबीर।
काईम दाइम कुदरती सिर पीरा दे पीर।
सजदे करे खुदाई नु, आलम बड़ा कबीर।
अर्थात जिस परमेश्वर ने सारी दुनिया और आदम को उत्पन्न किया। वह बड़ा परमात्मा कबीर है। वह सब गुरुओं का गुरु अर्थात् जगत् गुरु है। उस सबसे बड़े परमात्मा कबीर जी का सजदा (भक्ति) करो।
Sat sahab
ਮੂਲ ਮੰਤਰ ਅਤੇ ਆਦਿ ਮੰਤਰ॥
੧ਓ ਸਤਿਨਾਮੁ ਕਰਤੁ ਪੁਰਖੁ ਨਿਰਭਉ ਨਿਰਵੈਰੁ ਅਕਾਲ ਮੂਰਤਿ ਅਜੂਨੀ ਸੈਭੰ ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ।॥
॥ਜਪੁ॥
ਆਦਿ ਸਚੁ ਜੁਗਾਦਿ ਸਚੁ ਹੈ ਭੀ ਸਚੁ ਨਾਨਕੁ ਹੋਸੀ ਭੀ ਸਚੁ।੧॥
ਸਬਦ ਅਰਥ
੧-ਪਰਮਾਤਮਾ ਇਕ ਹੈ॥ ਓ- ਓਅੰਕਾਰ, ਉਕਾਰਸ, ਸਾਕਾਰ॥ ਸਤਿਨਾਮੁ- ਸਚਾ, ਯਥਾਰਥਿਕ॥ ਕਰਤੁ-ਸਿਰਜਣਹਾਰ॥ ਪੁਰਖੁ-ਉਤਮ ਪੁਰਸ਼, ਨੇਕ ਪੁਰਸ਼, ਸ੍ਰੇਸ਼ਟ ਪੁਰਸ਼॥ ਨਿਰਭਉ-ਡਰ ਰਹਿਤ॥ ਨਿਰਵੈਰੁ-ਵੈਰ ਰਹਿਤ॥ਅਕਾਲ-ਸਮੇ ਤੋ ਰਹਿਤ॥ ਮੂਰਤਿ-ਸਰੂਪ, ਸੂਰਤ, ਸਕਲ॥ ਅਜੂਨੀ-ਜੂਨਾ ਤੋ ਰਹਿਤ॥ਸੈਭੰ-ਖੁਦ ਵਿਦਮਾਨ॥ ਗੁਰ-ਪਰਮਾਤਮਾ, ਗਿਆਾਨ ਦਾਤਾ, ਗਿਆਨਵੰਤ, ਗੁਣ ਭਰਪੂਰ॥ ਪ੍ਰਸਾਦਿ-ਬਖਸ਼ਸ਼, ਕਿਰਪਾ, ਮਿਹਰ॥ ਜਪੁ-ਬਾਣੀ ਦਾ ਸਿਰਲੇਖ॥ ਆਦਿ-ਸੁੰਨ ਸਮਾਧਿ॥ ਸਚੁ-ਅਟਲ ਸਚਾਈ ਹੈ॥ ਜੁਗਾਦਿ-ਚਾਰੇ ਯੁਗ॥ ਹੈ ਭੀ-ਵਰਤਮਾਨ ॥ ਹੋਸੀ ਭੀ-ਸਦਾ ਹੀ॥
ਟੀਕਾ॥
ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਇਸ ਪਾਵਨ ਮੂਲ ਮੰਤਰ ਰਾਹੀ ਫੁਰਮਾ ਰਹੇ ਹਨ ਕਿ ਪਰਮਾਤਮਾ ਇਕ ਅਤੇ ਸਾਕਾਰ ਹੈ ਅਰਥਾਤ ਉਸਦਾ ਦਾ ਸਰੂਪ ਹੈ॥ ਉਹ ਸਚਾ ਸਿਰਜਣਹਾਰਾ ਸ੍ਰੇਸ਼ਟ ਪੁਰਸ਼ ਹੈ॥ ਉਹ ਭੈਅ, ਡਰ, ਸਮੇ ਤੋ ਰਹਿਤ ਅਤੇ ਸੁਧ ਸਰੂਪ ਹੈ॥ ਪਰਮਾਤਮਾ ਜੂੰਨਾ ਤੋ ਰਹਿਤ ਹੈ, ਅਰਥਾਤ ਜਨਮ ਨਹੀ ਲੈਦਾ ਅਤੇ ਖੁਦ ਹੀ ਵਿਦਮਾਨ ਹੁੰਦਾ ਹੈ॥ ਗਿਆਨਦਾਤਾ ਅਰਥਾਤ ਪ੍ਰਭੂ ਦਾਤਾ ਬਖਸ਼ਣ ਵਾਲਾ ਹੈ॥
॥ਜਪੁ ॥
ਬਾਣੀ ਦਾ ਸਿਰਲੇਖ ਹੈ॥
ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਅਗੇ ਫੁਰਮਾ ਰਹੇ ਹਨ ਕਿ ਇਹ ਅਟਲ ਸਚਾਈ ਹੈ ਕਿ ਪਰਮਾਤਮਾ ਸੁੰਨ ਸਮਾਧਿ ਤੋ ਅਤੇ ਚਾਰੇ ਯੁਗਾ ਵਿਚ ਸੁਭਾਇਮਾਨ ਸੀ ਹੁਣ ਵੀ ਹੈ ਅਤੇ ਸਦਾ ਹੀ ਰਹੇਗਾ॥੧॥
ਟੀਕਾਕਾਰ :- ਗੁਰਨਾਮ ਸਿੰਘ॥
||Principal and Primal Holy Hymn||
God is one, possess form, trueness, creator, virtuous, fearless, no enmity, timeless, have an image, unborn, self exists, enlightened and bestower.
Jap:- Name of Gurbani.
This is inevitable truth that God is exists from emptiness, through four ages, now and always be exists in future.
Translator:- Gurnam Singh
+61481781769
मूर्ख प्राणी गुरबाणी के अर्थ गलत क्यों कर रहा है।
इतना भी अदब नहीं रहा कया इतने बड़े मूर्ख बन गये हो
काल पंथी बनकर
ੴ (एक ओअंकार) : अकाल पुरख केवल एक है, उस जैसा और कोई नहीं तथा वह हर जगह एक रस व्यापक है।
सतिनामु: उसका नाम स्थायी अस्तित्व वाला व सदा के लिए अटल है ।
करता: वह सब कुछ बनाने वाला है।
पुरखु: वह सब कुछ बनाकर उसमें एक रस व्यापक है।
निरभउ: उसे किसी का भी भय नहीं है।
निरवैरु: उसका किसी से भी वैर नहीं है।
अकाल मूरति: वह काल रहित है, उसकी कोई मूर्ति नहीं, वह समय के प्रभाव से मुक्त है।
अजूनी: वह योनियों में नहीं आता, वह न जन्म लेता है व न ही मरता है।
सैभं: उसे किसी ने नहीं बनाया, उसका प्रकाश अपने आप से है।
गुर प्रसादि: ऐसा अकाल पुरख गुरू की कृपा द्वारा मिलता है।
ੴ ਸਤਿ ਨਾਮੁ ਕਰਤਾ ਪੁਰਖੁ ਨਿਰਭਉ ਨਿਰਵੈਰੁ ਅਕਾਲ ਮੂਰਤਿ ਅਜੂਨੀ ਸੈਭੰ ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ ॥
ੴ (ਇੱਕ ਓਅੰਕਾਰ) : ਅਕਾਲ ਪੁਰਖ ਕੇਵਲ ਇੱਕ ਹੈ, ਉਸ ਵਰਗਾ ਹੋਰ ਕੋਈ ਨਹੀਂ ਅਤੇ ਉਹ ਹਰ ਜਗ੍ਹਾ ਇੱਕ ਰਸ ਵਿਆਪਕ ਹੈ।
ਸਤਿਨਾਮੁ : ਉਸਦਾ ਨਾਮ ਸਥਾਈ ਅਸਤੀਤਵ ਵਾਲਾ ਅਤੇ ਹਮੇਸ਼ਾ ਲਈ ਅਟਲ ਹੈ।
ਕਰਤਾ : ਉਹ ਸਭ ਕੁੱਝ ਬਣਾਉਣ ਵਾਲਾ ਹੈ।
ਪੁਰਖੁ : ਉਹ ਸਭ ਕੁੱਝ ਬਣਾ ਕੇ ਉਸ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਰਸ ਵਿਆਪਕ ਹੈ।
ਨਿਰਭਉ : ਉਸਨੂੰ ਕਿਸੇ ਦਾ ਵੀ ਡਰ ਨਹੀਂ ਹੈ।
ਨਿਰਵੈਰੁ : ਉਸਦੀ ਕਿਸੇ ਵਲੋਂ ਵੀ ਦੁਸ਼ਮਣੀ ਨਹੀਂ ਹੈ।
ਅਕਾਲ ਮੂਰਤਿ : ਉਹ ਕਾਲ ਰਹਿਤ ਹੈ, ਉਸਦੀ ਕੋਈ ਮੂਰਤੀ ਨਹੀਂ, ਉਹ ਸਮਾਂ ਦੇ ਪ੍ਰਭਾਵ ਵਲੋਂ ਅਜ਼ਾਦ ਹੈ।
ਅਜੂਨੀ : ਉਹ ਯੋਨੀਆਂ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਆਉਂਦਾ, ਉਹ ਨਾਹੀਂ ਜਨਮ ਲੈਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਨਾਹੀਂ ਮਰਦਾ ਹੈ।
ਸੈਭੰ : ਉਸਨੂੰ ਕਿਸੇ ਨੇ ਨਹੀਂ ਬਣਾਇਆ, ਉਸਦਾ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਆਪਣੇ ਆਪ ਤੋਂ ਹੈ।
ਗੁਰ ਪ੍ਰਸਾਦਿ : ਅਜਿਹਾ ਅਕਾਲ ਪੁਰਖ ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਗੁਰੂ ਦੀ ਕ੍ਰਿਪਾ ਦੁਆਰਾ ਮਿਲਦਾ ਹੈ।
भगवती श्रीमति राधारानी ही परम प्रसन्नता का स्त्रोत हैं । श्रीमती राधारानी एक ऐसा तत्व हैं जिनको श्री कृष्ण भी नही समझ पाते।उनके प्रेम के आगे श्री कृष्ण जी भी सिर झुका लेते हैं।
राधारानी ही श्री कृष्ण की परम शक्ति हैं।
जय श्री राधेश्याम🙏🙏🙏🙏
Lord Krishna and Radha Raani mean Lela aur majnu mean Ek rajhna ek rajhni -male and female romio july not God.
Hints
Sorry and thank you
@@laxmansahu7990 Kabir ji doha
Kabira kabira kya keht hai ja jamuna ke teer ek Gopi ke prem me beh gai koti Kabir
😂😂 Rampal ke chale kya nashe me padte h.sab😂😂😂
जो तू बोल रहा है पहले तो तू ये पता कर लेना ,ये कबीर दोहा नहीं है
गपोड मत पेल प्रमाणित बात कर
Purn parmatma satguru Rampal ji maharaj ji ki jai hoo- my god🙏🙏🙏👣👣👣🙇♂️🙇♂️🙇♂️🤲🤲🤲
भाई गुरु नानक देव जी और कबीर दास जी दोनों एक ही है पूर्ण परमात्मा के ही रूप हैं दोनों सतगुरु हैं जो ज्ञान देता है वह गुरु बन जाता है और ज्ञान पाने वाला चेला बन जाता है यह दोनों बाजीगर हैं अच्छे-अच्छे ज्ञानियों को भ्रम जाल में डाल देते हैं यह दोनों पूर्ण परमात्मा रूप हैं आप सभी भाइयों को हाथ जोड़ कर राम-राम जी
परमात्मा की प्यारी आत्मा आप जीने नानक देव जी और कबीर जी के दोहो का लेख तो सही लिखा है लेकिन उनका अर्थ आप भी नहीं समझ पाए आप नानक जी को पूर्ण परमात्मा मानते हैं और युगों युगों से आकर ज्ञान का प्रकाश कराने वाला मानते हैं साधांतगत निश्चित रूप से यह बात प्रमाणित होती है के परमात्मा जब शरीर रूप में आते हैं तो चकित करने वाली क्रियाएं अपने कार्यों के द्वारा प्रदर्शित करते हैं और कभी भी उसके बाद सामान्य मनुष्य के रूप में प्रकट नहीं होते मगर नानक जी का यह दाग( धर्म देवदास) प्रत्यक्ष साक्षात्कार का साक्षी इसी जीवन में आज से लगभग 35 साल पहले का साक्षी हूं और दो बार 2 जन्मों का साक्षी हूं इस बात से यही सिद्ध होता है नानक जी पूर्ण परमात्मा ना होकर उच्च कोटि के आत्मा स्वरूप थे जो आज भी मानव शरीर में विद्यमान हैं इसका निराकरण आप जी खुद ही करके देखें राम राम राधे राम सत साहिब जय बंदी छोड़ की परवरदिगार
झांकी देख कबीर कि नानक किती वाह
Guru Nanak ji satyug me unki aatma kya thi
सब्द ही सबका गुरु है यानि सब्द स्वरूपी परमात्मा ही परम गुरु है....
Sat guru rampal ji maharaj ki jai ho
'साखी कंधार देश की चली', जन्म साखी के पृष्ठ 470-471 पर एक मुगल पठान ने पूछा कि आपका गुरू कौन है? श्री नानक जी ने उत्तर दिया कि जिन्दा पीर है। वह परमेश्वर ही गुरू रूप में आया था। उसका शिष्य सारा जहाँ है। फिर ‘‘साखी रूकनदीन काज़ी के साथ होई’’ जन्म साखी के पृष्ठ 189 पर नानक जी ने रुकनदीन काज़ी को जबाब देते हुए कहा:-
नानके आखे रूकनदीन सच्चा सुणहू जवाब।
खालक आदम सिरजिया आलम बड़ा कबीर।
कायम दायम कुदरती सिर पिरां दे पीर।
सजदे करे खुदाई नू आलम बड़ा कबीर।।
Thankyou thankyou thankyou bhaiya Jankari dene ke liye
*Please share to them who are folowers of rampal by they can come on right way*
@@GitaVedPuran
कबीर, मूर्ख (कलियुगी ब्राम्हण) के समझावते, ज्ञान गाँठी (पूर्ण संत) का जाय | कोयला (कलियुगी ब्राम्हण) कबहू न उज्ज्वल होई, चाहे सौ मन साबून लगाय ||
श्री देवी पुराण, छठा स्कंद, कलियुगी ब्राम्हणों के लक्षण
जन्मेजय जी ने पूछा महाभाग! व्यास जी किस युग में कैसा धर्म का स्वरूप है एवं कलियुग में कौन ब्राम्हण होगा मुझे यह जानने की विशेष ईच्छा हो रही है
वेदव्यास जी बोलें राजन! सतयुग में धर्म चार पाँव पर, त्रेता में तीन पाँव पर, द्वापर में दो पाँव पर और कलियुग में एक पाँव पर तथा घोर कलियुग में पाँव रहित अर्थात पूर्ण रूप से धर्म रहित हो जाता है |
राजन्! सतयुग, त्रेता एवं द्वापर में जो राक्षस समझे जाते थें वे ही कलियुग में ब्राम्हण होंगे क्योंकि वे कलियुग में उत्पनं ब्राम्हण प्राय: पाखण्ड करना, दूसरों को ठगना झूठ बोलना, पूर्ण संतों का विरोध करना, वैदिक धर्म-कर्म से दूर रहना, शास्त्रों के विपरित साधना करना आदि उन कलियुगी ब्राम्हणों का स्वभाव होगा |
कबीर, तारामंडल बैठ कर, चाँद बड़ाई खात | उदय हुआ जब सूर्य का, स्यों तारा प्रभात् ||
जब तक हम अशिक्षित थें और पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर जी का ज्ञान नहीं था तब तक तुम नकली कलियुगी ब्राम्हणों ने हमें खूब मूर्ख बनाया, हमें लूटा, गलत साधना कराकर नर्क में डलवा दिया, हमारे पूर्वजों को भूत बनवा दिया तथा चौरासी लाख योनियों में डलवा दिया | पर अब पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर जी का अब हमको ज्ञान हो गया है अब हम शिक्षित हो गयें हैं अब हम पूर्ण परमात्मा को पहचान चुके हैं पूर्ण संत की परिभाषा से परिचित हो चुकें हैं अब तुम हमें मूर्ख नहीं बना सकते |
जब तक जगतगुरू तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जेल धाम में नहीं गये थें तब तक किसी नकली धर्मगुरू, पंडित आदि को हिम्मत नहीं थी कि अध्यात्मिक ज्ञान चर्चा करले जबकि जगतगुरू तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ने विश्व के सभी धर्म गुरूओं को अध्यात्मिक ज्ञान चर्चा के लिए आमंत्रित किया था परंतु किसी की भी हिम्मत नहीं हुई |
तुम कलियुगी ब्राम्हण अर्थात् राक्षसों ने अपनी सच्चाई तो बताई ही नहीं
श्री देवी भागवत महा पुराण में स्पष्ट किया है भगवान विष्णु जी, ब्रम्हा जी, शिव जी ने स्वयं स्वीकार कर कहा है कि हमारी जन्म व मृत्यु होती है, हम केवल नियमानुसार ही कार्य कर सकते हैं | दुर्गा इनकी माँ हैं और काल रूपी ब्रम्ह इनके पिता हैं |
तथा श्री दुर्गा जी कहती हैं सर्वश्रेष्ठ ब्रम्ह उसका प्रणव(ॐ) मंत्र वह ब्रम्ह लोक रूपी दिव्य आकाश में रहता है | केवल एकमात्र उसी की भक्ति करो |
वह ब्रम्ह गीता जी में स्पष्ट किया कि मेरी भक्ति करनी है तो ॐ मंत्र का जाप करो मुझे प्राप्त हो जाओगे परंतु ब्रम्ह लोक से लेकर सर्व लोक नाशवान है | मेरी भी जन्म व मृत्यु होती है | यदि पूर्ण मोक्ष चाहिए तो उत्तम पुरूष अर्थात् सच्चिदानंद घन ब्रम्ह अर्थात पूर्ण परमात्मा की भक्ति करो | उसकी ॐ, तत्, सत् ऐसे तीन प्रकार के मंत्र हैं संकेत दिया है | वह शांत ब्रम्ह है, निर्विकार है | वह अपने ज्ञान को अर्थात् पाने की विधि को स्वयं बताता है जिसे सच्चिदानंद घन ब्रम्ह की वाणी तथा तत्त्वज्ञान कहते हैं | उसके बारे में केवल तत्त्वदर्शी संत जानते हैं वे ही बताएंगे |
तत्त्वदर्शी संत की पहचान में बताया कि उल्टे लटके हुए संसार रूपी अविनाशी पीपल के वृक्ष को जो संत बता देगा वह वेदके तात्पर्य को जानने वाला है अर्थात् वह तत्त्वदर्शी संत है | इस संसार रूपी वृक्ष स्वरूप जैसा कहा जाता है मैं भी नहीं जानता | तत्त्वदर्शी संत मिल जाने के पश्चात् पूर्ण परमात्मा के उस परम पद की खोज करनी चाहिए जहाँ जाने के पश्चात् साधक लौटकर इस संसार में अर्थात् जन्म - मृत्यु में वापस नहीं आता |
तुम राक्षसों ने हमसे गलत साधना करायी शास्त्रों के विपरित साधना कराकर नर्क में तथा चौरासी लाख प्रकार की योनियों में भूत प्रेत आदि बनवा दिए फिर भी तूम्हें संतुष्टि नहीं मिल रही |
गीता जी तथा वेदों में स्पष्ट किया है कि भूतों को पूजने वाले, पिण्ड दान आदि करने वाले, श्राद्ध निकालने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं, पित्र पूजने वाले पित्रों को और देवताओं को पूजने वाले देवताओं को तथा मेरी पूजा करने वाले मुझे प्राप्त होते हैं | परंतु जो तत्त्वदर्शी संत के माध्यम से उस अविनाशी परमात्मा की भक्ति करते हैं वे उस शांत परमात्मा को प्राप्त होते हैं |
Satguru kavir
Brahma ki puja kuin nahi hoti dharti pe
Niranjan kaun hai
Kalyug me Nanak ji kinki bhakti karte the
Kabir is god
ਅੰਗ 338.
ਬਿੰਦ੍ਰਾਬਨ ਮਨ ਹਰਨ ਮਨੋਹਰ ਕਿ੍ਰਸਨ ਚਰਾਵਤ ਗਾਊ ਰੇ॥ ਜਾ ਕਾ ਠਾਕੁਰੁ ਤੁਹੀ ਸਾਰਿੰਗਧਰ ਮੋਹਿ ਕਬੀਰਾ ਨਾਉ ਰੇ॥ ੨।੨।੧੫।੬੬॥
ਟੀਕਾ :- ਕਬੀਰ ਸਾਹਿਬ ਜੀ ਇਸ ਪਵਿੱਤਰ ਸਲੋਕ ਰਾਹੀ ਫੁਰਮਾ ਰਹੇ ਹਨ ਕਿ ਬਿ੍ਰੰਦਾ( ਤੁਲਸੀ ) ਦੇ ਮਨ ਮੋਹਣੇ ਜੰਗਲਾਂ ਵਿੱਚ ਸਜੀਲਾ ਕਿ੍ਰਸ਼ਨ ਗਾਂਵਾ ਚਰਾਉਦਾ ਸੀ। ਜਿਸ ਮਾਲਕ ਪ੍ਰਭੂ ਖੁਦ ਆਪ ਹੀ ਹਾ ਅਤੇ ਮੇਰਾ ਨਾਮ ਕਬੀਰ ਹੈ।
ਸਬਦ ਅਰਥ :-
ਬਿ੍ਰੰਦਾਬਨ - ਤੁਲਸੀ ਦੇ ਜੰਗਲ। ਮਨ ਹਰਨ - ਮਨ ਚੁਰਾਨ ਵਾਲੇ। ਮਨੋਹਰ - ਦਿਲਕਸ਼ । ਚਰਾਵਤ - ਚਰਾਉਦਾ । ਗਾਊ - ਗਾਂਵਾ । ਰੇ - ਹੇ। ਜਾ - ਜਿਸ। ਕਾ - ਦਾ । ਠਾਕੁਰੁ - ਮਾਲਕ । ਤੁਹੀ - ਤੂੰ ਹੀ । ਸਾਰਿੰਗਧਰ - ਪ੍ਰਭੂ । ਮੋਹਿ - ਮੇਰਾ। ਕਬੀਰਾ - ਕਬੀਰ ਸਾਹਿਬ ਜੀ॥ ਨਾਉ - ਨਾਮ । ਰੇ - ਹੇ।
Teeka by Gurnam Singh.
जा का ठाकुर तुही सारिंग धर मोहि नाम कबीरा
जा-जिस
का ठाकुर
सारंग धर का अर्थ होता है धनुष धारी
जहां पर कबीर जी क्या कह रहे हैं और तुम क्या कह रहे हो 😁😁😁😁हद हो गई मूर्खता की भी
Hey ram itni galat vyakhya kaise or kahan se sikhte ho bhai agar sgpc ke samne jake ye bologe na to tera gala kaat denge usi time vo or punjabi ke headmaster ke samne bologe to vo khudkushi kr lega muzhe tha apne sirf sanakrit me chercharh kri hai apne to granth sahib tak ko nahi baksha.
Ase hi video bana logo babkuf bana rha guru Granth Sahib galat arth kr ke
Apne slok to Sahi bola magar arth ko glt bola hai Kabir is god
॥ ਅੰਗ 943 ॥
ਸਬਦੁ ਗੁਰੂ ਸੁਰਤਿ ਧੁਨਿ ਚੇਲਾ॥ ਅਕਥ ਕਥਾ ਲੇ ਰਹਉ ਨਿਰਾਲਾ॥ ਨਾਨਕ ਜੁਗਿ ਜੁਗਿ ਗੁਰ ਗੋਪਾਲਾ ॥ ਏਕੁ ਸਬਦੁ ਜਿਤੁ ਕਥਾ ਵਿਚਾਰੀ ॥ ਗੁਰਮੁਖਿ ਹਉਮੈ ਅਗਨਿ ਨਿਵਾਰੀ ॥
॥ ਸਬਦ ਅਰਥ ॥
ਸਬਦੁ - ਨਾਮ ॥ ਗੁਰੂ - ਅਧਿਆਮਕ ਸਿਖਿਆਦਾਤਾ। ਸੁਰਤਿ - ਬਿ੍ਰਤੀ ॥ ਧੁਨਿ - ਲਗਨ ॥ ਚੇਲਾ - ਸਗਿਰਦ, ਸ਼ਿਸ਼ , ਸੇਵਕ॥ ਅਕਥ - ਨ ਵਰਨਣ ਯੋਗ। ਕਥਾ - ਵਾਰਤਾਲਾਪ॥ ਲੇ - ਪਰਾਪਤ ਕਰਕੇ। ਰਹਉ - ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਨਿਰਾਲਾ - ਵਿਲੱਖਣ ॥ ਗੁਰ - ਪਰਮਾਤਮਾ, ਗੁਣਵਾਨ ॥ਜੁਗਿ ਜੁਗਿ - ਚਾਰੇ ਜੁਗ ॥ ਗੋਪਾਲਾ - ਪਾਲਣਹਾਰਾ। ਏਕੁ - ਇੱਕ । ਸਬਦੁ - ਨਾਮ। ਜਿਤੁ - ਜਿਸ ਰਾਹੀ । ਕਥਾ - ਵਾਰਤਾਲਾਪ ॥ ਵਿਚਾਰੀ - ਅੰਤਰ ਬੋਧ ਕਰਨਾ। ਗੁਰਮੁਖਿ - ਪ੍ਰਭੂ ਪਿਆਰੇ । ਹਉਮੈ - ਅਹੰਕਾਰ । ਅਗਨਿ - ਤ੍ਰਿਸ਼ਨਾ । ਨਿਵਾਰੀ - ਨਾਸ਼ ਕਰਨਾ।।
ਟੀਕਾ :-
ਜਦੋ ਸੁਰਤ ਗੁਰੂ(ਸਿਖਿਆਦਾਤੇ )ਦੇ ਨਾਮ ਦੇ ਸੁਰ ਦੀ ਦਾਸੀ ਬਣ ਜਾਦੀ ਹੈ। ਫਿਰ ਸੁਰਤ ਅਕਹਿ ਵਾਰਤਾਲਾਪ ਪਰਾਪਤ ਕਰਕੇ ਵੀ ਵਿਲੱਖਣ ਰਹਿੰਦੀ ਹੈ। ਹੇ ਨਾਨਕ ਚੌਹਾ ਜੁਗਾ ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਭੂ ਹੀ ਪਾਲਣਹਾਰਾ ਹੈ। ਇੱਕ ਨਾਮ ਰਾਹੀ ਜਿਸਨੇ ਰੱਬੀ ਗਿਆਨ ਨੂੰ ਹਿਰਦੇ ਅੰਦਰ ਗ੍ਰਹਿਣ ਕਰ ਲਿਆ। ਉਸ ਪ੍ਰਭੂ ਪਿਆਰੇ ਦਾ ਅੰਹਕਾਰ ਤੇ ਤ੍ਰਿਸ਼ਨਾ ਮਿਟ ਗਈ।
ਟੀਕਾ - ਗੁਰਨਾਮ ਸਿੰਘ।।
क्या हुआ दास आप तो बिना लड़ें ही हार गए
क्या होगा रामू एक महाझूठा गुरु बनाया आपने सबकुछ जानते हुए भी
मानसिक गुलाम बन गये 😁 कमाल है मूर्खता की भी
@@gurvindersingh.khalsa6164 sahi gal a khalsa ji, pakhandi rampal ne ehna nu murakh bnaya hoya, Gurbani de glt arth kr ke dsda ehna nu
@@davindersingh4167 हां जी वीर जी रामपाल ने तो करे सो करे
गुरनाम दास चगल उससे भी आगे निकल गया
@@gurvindersingh.khalsa6164 koi nai ji ehda v number lwa dena wa SGPC kol tuc mnu 9876761239 te whatsapp kro
@@davindersingh4167 paaji m toh khud bhi Rampal k ashram m jaa chuka hu Barwala wale m wha dekha h maine Iska pop pakhand
Kabir ji aaye the 1398 me
देवेन्द्र शर्मा छोटे वीर बहुत धन्यवाद बहुत मेहनत कर रहे हैं आप रामपाल ने भ्रम जाल को ध्वस्त करने के लिए गुरु नानक कृपा बनाए रखे ये ही अरदास
करतें हैं दिल से 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Kaal ke dooto ne yahi kaam karna hai
@@achryabhupendra1737 कौन है काल के दूत
*बाबा रामपाल काल का दूत है*
*सभी दासों को नरक भैजने का contract साइन किया है*
@@gurvindersingh.khalsa6164 sbse bda Kaal yhi chor Rampal baba h apne bhakto k liye
@@vikashpant1983 Jo kaal kaal kare vahi kal ka Chela re kah kabir kalyug ma rampal hi kaal ka Cheka re ram bhakt ko banaye bhagwan koi bhed na Jana.
Ye bataou durga ji ke pati kaun hain
Shiv ji
Pakhandi Rampal ka parda pass karne ke liye bahut bahut dhanyvad Sharma ji
जय जय श्री राम🙏🚩🚩
शर्मा जी श्रीमद्देवी भागवत को वी पढ़िए जिसमे लिखा हे सतयुग के राक्षस कलयुग के ब्रामण हे
Main bhi tumhe praman dikhaunga geeta me ved me Yajurveda Rigveda me kuran me and suksham ved me ,
बिल्कुल सत्य का आईना दिखाया है रामपाल के चेलों को समझ लेना चाहिए और अपनी मूर्खता छोड़ कर सत्य को अपनाना चाहिए
@@yashpatel4050 क्या हुआ भाई ग़लत बोल रहे हो वो भी बिना किसी प्रमाण के
प्रुफ करो जैसे हमनें रामू के अज्ञान को नंगा किया है
आंखें खोलो ध्यान से देख कर बतायो क्या ग़लत दिखाया है विडियो में
@@yashpatel4050 मिर्ची तो लगेंगी ही सत्य को देखकर हज़म नहीं कर पा रहे रामपाल के चेले
@@yashpatel4050 रामपाल क्या कर रहा निंदा ही निंदा
@@gurvindersingh.khalsa6164 यही काम है उसका लोगों के दिल में विरोध भरना
@@yashpatel4050 रुप म रंग न रेख किछ त्रै गुण ते परभ भिन्न तिसे बुझाए नानका जिस होवे सुपरसन
इसका अर्थ क्या है आप नहीं बता पाए
Khalk aadm sirjia aalm bdda kveer sjde kro khudai nu sir peera de peer aalm bda kveer parman ke lie bhai bale bali jnm sakhi sidha naal gosti pej no 171 phir aankhe khul jaengi aapki
सत साहेब
कबीर, मूर्ख (कलियुगी ब्राम्हण) के समझावते, ज्ञान गाँठी (पूर्ण संत) का जाय | कोयला (कलियुगी ब्राम्हण) कबहू न उज्ज्वल होई, चाहे सौ मन साबून लगाय ||
श्री देवी पुराण, छठा स्कंद, कलियुगी ब्राम्हणों के लक्षण
जन्मेजय जी ने पूछा महाभाग! व्यास जी किस युग में कैसा धर्म का स्वरूप है एवं कलियुग में कौन ब्राम्हण होगा मुझे यह जानने की विशेष ईच्छा हो रही है
वेदव्यास जी बोलें राजन! सतयुग में धर्म चार पाँव पर, त्रेता में तीन पाँव पर, द्वापर में दो पाँव पर और कलियुग में एक पाँव पर तथा घोर कलियुग में पाँव रहित अर्थात पूर्ण रूप से धर्म रहित हो जाता है |
राजन्! सतयुग, त्रेता एवं द्वापर में जो राक्षस समझे जाते थें वे ही कलियुग में ब्राम्हण होंगे क्योंकि वे कलियुग में उत्पनं ब्राम्हण प्राय: पाखण्ड करना, दूसरों को ठगना झूठ बोलना, पूर्ण संतों का विरोध करना, वैदिक धर्म-कर्म से दूर रहना, शास्त्रों के विपरित साधना करना आदि उन कलियुगी ब्राम्हणों का स्वभाव होगा |
कबीर, तारामंडल बैठ कर, चाँद बड़ाई खात | उदय हुआ जब सूर्य का, स्यों तारा प्रभात् ||
जब तक हम अशिक्षित थें और पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर जी का ज्ञान नहीं था तब तक तुम नकली कलियुगी ब्राम्हणों ने हमें खूब मूर्ख बनाया, हमें लूटा, गलत साधना कराकर नर्क में डलवा दिया, हमारे पूर्वजों को भूत बनवा दिया तथा चौरासी लाख योनियों में डलवा दिया | पर अब पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर जी का अब हमको ज्ञान हो गया है अब हम शिक्षित हो गयें हैं अब हम पूर्ण परमात्मा को पहचान चुके हैं पूर्ण संत की परिभाषा से परिचित हो चुकें हैं अब तुम हमें मूर्ख नहीं बना सकते |
जब तक जगतगुरू तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जेल धाम में नहीं गये थें तब तक किसी नकली धर्मगुरू, पंडित आदि को हिम्मत नहीं थी कि अध्यात्मिक ज्ञान चर्चा करले जबकि जगतगुरू तत्त्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ने विश्व के सभी धर्म गुरूओं को अध्यात्मिक ज्ञान चर्चा के लिए आमंत्रित किया था परंतु किसी की भी हिम्मत नहीं हुई |
तुम कलियुगी ब्राम्हण अर्थात् राक्षसों ने अपनी सच्चाई तो बताई ही नहीं
श्री देवी भागवत महा पुराण में स्पष्ट किया है भगवान विष्णु जी, ब्रम्हा जी, शिव जी ने स्वयं स्वीकार कर कहा है कि हमारी जन्म व मृत्यु होती है, हम केवल नियमानुसार ही कार्य कर सकते हैं | दुर्गा इनकी माँ हैं और काल रूपी ब्रम्ह इनके पिता हैं |
तथा श्री दुर्गा जी कहती हैं सर्वश्रेष्ठ ब्रम्ह उसका प्रणव(ॐ) मंत्र वह ब्रम्ह लोक रूपी दिव्य आकाश में रहता है | केवल एकमात्र उसी की भक्ति करो |
वह ब्रम्ह गीता जी में स्पष्ट किया कि मेरी भक्ति करनी है तो ॐ मंत्र का जाप करो मुझे प्राप्त हो जाओगे परंतु ब्रम्ह लोक से लेकर सर्व लोक नाशवान है | मेरी भी जन्म व मृत्यु होती है | यदि पूर्ण मोक्ष चाहिए तो उत्तम पुरूष अर्थात् सच्चिदानंद घन ब्रम्ह अर्थात पूर्ण परमात्मा की भक्ति करो | उसकी ॐ, तत्, सत् ऐसे तीन प्रकार के मंत्र हैं संकेत दिया है | वह शांत ब्रम्ह है, निर्विकार है | वह अपने ज्ञान को अर्थात् पाने की विधि को स्वयं बताता है जिसे सच्चिदानंद घन ब्रम्ह की वाणी तथा तत्त्वज्ञान कहते हैं | उसके बारे में केवल तत्त्वदर्शी संत जानते हैं वे ही बताएंगे |
तत्त्वदर्शी संत की पहचान में बताया कि उल्टे लटके हुए संसार रूपी अविनाशी पीपल के वृक्ष को जो संत बता देगा वह वेदके तात्पर्य को जानने वाला है अर्थात् वह तत्त्वदर्शी संत है | इस संसार रूपी वृक्ष स्वरूप जैसा कहा जाता है मैं भी नहीं जानता | तत्त्वदर्शी संत मिल जाने के पश्चात् पूर्ण परमात्मा के उस परम पद की खोज करनी चाहिए जहाँ जाने के पश्चात् साधक लौटकर इस संसार में अर्थात् जन्म - मृत्यु में वापस नहीं आता |
तुम राक्षसों ने हमसे गलत साधना करायी शास्त्रों के विपरित साधना कराकर नर्क में तथा चौरासी लाख प्रकार की योनियों में भूत प्रेत आदि बनवा दिए फिर भी तूम्हें संतुष्टि नहीं मिल रही |
गीता जी तथा वेदों में स्पष्ट किया है कि भूतों को पूजने वाले, पिण्ड दान आदि करने वाले, श्राद्ध निकालने वाले भूतों को प्राप्त होते हैं, पित्र पूजने वाले पित्रों को और देवताओं को पूजने वाले देवताओं को तथा मेरी पूजा करने वाले मुझे प्राप्त होते हैं | परंतु जो तत्त्वदर्शी संत के माध्यम से उस अविनाशी परमात्मा की भक्ति करते हैं वे उस शांत परमात्मा को प्राप्त होते हैं |
🙏🙏🙏 मेरा आपसे निवेदन है है कि मुझे प्रानसंगली का पीडीएफ लिंक मिल सकता है
*लिंक प्राण संगली*
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archive.org/details/PranSangliPartIII/page/n13/mode/2up
जब उन्होंने कबीर दास को ब्रह्मा विष्णु महेश सभी को बता दिया तो गुरु नानक तो बहुत छोटे हैं रामपाल रामपाल कबीर दास के भी गुरु भगवान इस भारत के अंध भक्तों को सद्बुद्धि दे
Kisine bhi notice Kiya guru gopala
Fir vapis teeno log me h gopal
Iska matlab kya h.devendra ji jawab do
_हमारी गीता कहती हैं जब-जब धर्म की हानि होती है अधर्म की वृद्धि होती है तब-तब भगवान कृष्ण अपने साकार स्वरूप को धारण करते हैं कभी राम रूप तो कभी कृष्ण रुप_
👇🏻👇🏻👇🏻
_तीनों लोकों में मैं कहीं चला जाऊं मेरा किसी भी लॉक में जन्म हो जाए मेरा जो गुरु रहेगा वह ईश्वर ही रहेगा उसके अनंत स्वरूप हैं वह किसी एक रूप में मेरा गुरु होगा_
*Paras Parmar जी*
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_Please explain briefly if anything for me_
@@GitaVedPuran sir phle me apka bht dhanyawad Krna chahunga apki wajah se hi rampal ki manghadant bato se nikla hu men bhi bachpan me usse namdann bhi liya tha pr ab samaj me aaaya vo frod tha
@@GitaVedPuran ha Devendra ji ye sahi hai bhagwan krishna hi nirakar or sakar roop me hai
Bahi ya tab ki bhat ha jab kabeer sahi. Nanak jii visnu bhgwan ke pujari thi tab kabeer sab na Lila ki aur ek Bhgat ban kar nanak jii ko parnam kiya ap log age dekhna
Dwapar me Nanak ji ka aatma kya bana tha
Do you really think there was dwaapar yuga? Read guru Granth sahib. Study it you will understand what atma parmatma yuga avtar sant etc means? 1430 ang( pages hai) unme se roj ek pdo to v 3 saal approximately lgege to tumhe gyan hoga
गुरुग्रंथ साहिब के 721 पृष्ठ पर लिखा है
पूर्ण परमात्मा का नाम
यक अर्ज गुफ्तम पेस तो दर कून करतार
हल्का कबीर करीम तू एब परवरदिगार ।।
नानक जी फिर महला 1 पृष्ठ 29 वाणी नं 24 में के रहे है
फाई सूरत मलुक्की वेश एह ठगवाडा ठगी देश
खरा सिआना बहूता भार वो धाणक रूप रहा करतार
परमात्मा कबीर जी अपने आप को बड़ा कही भी नहीं बताते वो आज से 600 वर्ष पहले इसलिए आए थे हमे सिख देने के लिए की अगर इस काल की दुनिया से मोक्ष पाना है तो आपको एक दास बन कर रहना होगा अभिमानी व्यक्ति के निकट भी भगवान नहीं आते पर वो भी तो परमात्मा की ही संतान परमात्मा को कितने कष्ट दिए थे पर उन्होंने किसी को बददुआ नही दी क्यू सारे ही उसके बच्चे 🙇🙇 आप अपने सतग्रंथो को सही से पड़ो
तेरी माँ तेरी अकल पर मातम करे, तुम विष्णुद्रोहियों कुत्ते की मौत मरोगे, तेरा गुरु हरमपाल उम्रकैद के लिए जेल में है जा उस रंडवे के चूतड़ चाट
First nanak worship lord Ram after that when HE MEET THE LORD KABIR IN THE BANK OF RIVER -after that HE CHANTING SATNAAM WAHE GURU and Lord kabir self playing Guru nanak role.
MANTAR .
GREATEST HINTS
SORRY AND THANK YOU
First nanak worship ram.then he.met chaitanya mahaprabhu and he start worship gopal govind madhav
Rampal bas bakwas karta h koi proof nhi h aur Inke chele bhi bharosa kar k apna time barbad karte h. Inko khood puchna chaiye ki proof kya hai.
Bilkul galat , Kabirdev guru the guru Nanak ji ke guruji
To fir naanak ji ne ye kyu Kahan:--हक्का कबीर करीम तू बेयाब परवरदिगार
हक्का कबीर करीम तू
इसमें कबीर के साथ करीम भी hai
तो क्या हम आतंकवादी करीम टुंडा को भी परमात्मा मन ले
कबीर का अर्थ बड़ा
करीम का अर्थ दयालु
अर्थ परमात्मा तो बड़ा दयालु है
Sanjay Patel, Sach Bat Yeah Hai Ki Rampal Duniya Ka Aek Bahut Bada Dhoort Aur Makkar Aadami Hai. Aap Rampal Ki Dhoorthta Aur Makkari Dekhiye ---- (1) Rampal Aur Rampal Ke Saathi Aur Shishy ( Chele) Rampal Ko Paramatma Sabit (Prove) Karane Ke Liye Hee, Rampal Ke Jail me Band Hone Ke Pahale Ke Banaye Hue Bahut se Jhunthe Videos Dikhate Rahate Hain. Aaise Sabhi Jhunthe Videos me Rampal Ke Dwara Paise Dekar Ke Vidios me Dikhaye Gaye Aaise Sabhi Logon ne Rampal Ko Paramatma Kabir Sabit ( Prove ) Karane Ka Pura Prayash ( Koshish) Kiya Hai. ( 2 ) Rampal Apane Pure Jivan me Bhi Kishi Bhi Sanskrit Bhasha Ke School Ya College me Padha Likha Hua Nahi Hai, Bulki Aek Bilkul Hee Sadharan Padha Likha Hua Aadami Hai. Parantu Phir Bhi Rampal ne Bharat Desh Ke Sabhi Sanskrit Bhasha Ke Bade Bade Aur Mahan Vidwano Ke Sanskrit Bhasha Ke Gyan Ko Challenge Kar Ke, Aaise Sabhi Vidwano Dwara Bataye Hue Geeta Ke Shlokon Ke Arth ( Matalab, Meaning ) Ko Jhuntha Aur Galat Bataya ( Kaha) Hai, Jab Ki Sabhi Sanskrit Bhasha Ke Vidwano ne Puri Geeta Ko Padh ( Reading ) Kar Ke, Yeah Bat Kahi ( Batayi ) Hai Ki Geeta Ke Shlokon Ke Arth (Matalab, Meaning ) Ke Anushar, Kewal Bhagwan Shri Krishna Hee Purn Paramatma Hain. Parantu Sanskrit Bhasha Ka Bilkul Bhi Gyan Nahi Hone Par Bhi, Bharat Desh Ke Aek Matra Manushy Rampal ne, Jo Puri Geeta Ko Nahi Padhata Hai, Bulki Kewal Matra Aek Ya Do ( 1 Ya 2 ) Shlokon Ko Hee Padh Kar Ke, Swanya Khud Ki Apani Man Marzi se Hee Geeta Ke Shlokon Ka Jhuntha Aur Galat Arth Matalab Karata Hai Aur Swanya Khud Ko Hee Purn Paramatma Kabir Sabit Prove ( Karane ) Ki Puri Koshish Karata Rahata Hai. Geeta me Kishi Bhi Sthan ( Jagah ) Par Kabir Das Ji Ko Paramatma Nahi Bataya Aur Kaha Gaya Hai, Kewal Bhagwan Shri Krishna Ko Hee Purn Paramatma Kaha Gaya Hai. ( 3 ) Rampal Hamesha Aur Lagatar Bharat Desh Ke Sabhi Dharmo Aur Sampradayon Ke Sacche Aur Mahan Santo, Mahatmaon, Dharm Guruo, Aur Purn Parmatma Ke Purn Awatar Ram, Kraishna, Shiv Ji Ki, Tatha Hindu Dharm Ke Sabhi Devi Aur Dewataon Ki Ninda, Burai Aur Alochona Karata Rahata Hai. Very Important Note --- Rampal Ke Dwara Lagatar Aur Hamesha Hee Aaise Sabhi Pap Karmo Ko Karane Ke Karan Hee Rampal Ka Pap Karmo Ka Ghada ( Mataka ) Bahut Jaldi Hee Pura Bhar Gaya tha, isileye Hee Purn Paramatma Kraishna Ji ne Rampal Ke Pap Karmo Ka Dand ( Saja ) De Kar Ke, Rampal Ko Puri Jindagi Ke Liye Hee Jail me Band Karawa Diya Hai. Yani Ki Papi Rampal Ki Jaisi Karani Vaisi Hee Bharani.
@@baimukundsharma7668 are bhai Tum pandit hona isiliye tumhari fat rahi hai duniya ke dedh karor murkh nahin ho sakthe rampal ji main kuchh to quality hai tabhi to logon se Jude hue hain abhi bhi
@mayank mayank ये लोग मानसिक गुलाम है
काल्पनिक दुनिया में जी रहे हैं
@@studywithsanjay5566 koi quality nahi ha uss pakhndi ke pass, glt arth kr ke loka nu murakh bnonda, max lok julaha caste wale ne ohde followers, murakh bnonda oh loka nu
सबसे पहले मैं ये बता दूँ कि मैंने रामपाल जी से दीक्षा नहीं लिया है लेकिन इस वीडियो के टॉपिक पर बहुत कुछ समझने की कोशिश किया है। अगर कोई बात गुरु ग्रंथ साहेब में लिखी है और प्राण संगली में उसके उल्टा कुछ लिखा हो तो गुरु ग्रंथ साहेब में लिखी बात को ही प्रामाणिक माना जायेगा।
वीडियो के शुरू में गुरु नानक जी के द्वारा गुरु ग्रंथ साहेब में उनका गुरु कौन है इस बारे में बताया गया है कि उनका गुरु परमात्मा है। अब परमात्मा कौन है इस बारे में भी गुरुनानक देव जी ने गुरुग्रंथ साहेब में ही लिख दिया है :-
(गुरु ग्रंथ साहेब, पृष्ठ 721,महला-1,राग तिलंग में अंकित)
यक अर्ज गुफ़तम पेश, तोदर कून करतार
हक्का कबीर करीम तू, बेऐब परवरदिगार
स्पष्ट है कि गुरुनानक देव जी कबीर साहेब को करीम और परवरदिगार यानी परमात्मा बता रहे हैं।
गुरु नानक देव जी की वाणी जनम सखी - भाई बाले वाली में लिखी है :-
(अध्याय - मुलाकात काजी रुकनदिन सूरा)
खालक आदम सिरजेया, आलम बडा कबीर
सजदे करो खुदाई नूं, आलम बडा कबीर
स्पष्ट है कि गुरुनानक देव जी कबीर साहेब को परमात्मा बता रहे हैं और उनका सजदा करने अर्थात भक्ति करने के लिए भी कहते हैं।
दो - दो ग्रंथों में प्रमाण उपलब्ध हैं। अगर जनम साखी में प्रमाण नहीं भी होता तो भी गुरुनानक देव जी के बारे में गुरुग्रंथ साहेब के प्रमाण को ही सबसे ऊपर माना जायेगा।
आप अपना ज्ञान ठीक कर लीजिए और अपना doubt दूर कीजिये।
वीडियो में जो प्राण संगली में जो गुरुनानक देव जी और कबीर साहेब जी के बीच की वार्ता का जिक्र है वो उस समय का है जब गुरुनानक देव जी को कबीर साहेब जी ने ज्ञान देने के लिए सही पात्र के रूप में चुना और उनको पता था कि गुरुनानकदेव जी रोज बेई नदी के किनारे जाते थे,इसलिए एक दिन जब गुरुनानक देव जी बेई नदी के किनारे जाकर बैठे हुए थे तो कबीर साहेब जी वहां पहुँच गए और अपने आप को ज्ञानहीन होने का स्वांग करते हुए और गुरुनानकदेव जी को ज्ञानी कह कर गुरु के तौर पर संबोधित किया क्योंकि गुरुनानकदेव जी के प्रथम गुरु श्री बृजलाल पांडे जी थे जिनसे गुरुनानक देव जी ने वेद,पुराण, गीता आदि का पारंपरिक शास्त्र ज्ञान सीखा था और अपने को ज्ञानी समझते थे और इसलिए उन्होंने भी कबीर साहेब जी को चेला कह कर संबोधित किया।बाद में गुरुनानकदेव जी को कबीर साहेब जी ने अपना असली स्वरूप दिखाया तो उन्होंने कबीर साहेब जी को परमात्मा और अपना गुरु मान लिया। इसी कारण से गुरुग्रंथ साहेब में गुरुनानक देव जी परमात्मा को अपना गुरु बताते हैं और फिर कबीर साहेब जी को ही परमात्मा बताते है। अपने ज्ञान को सुधार लीजिये।
बहुत अच्छा उत्तर दिया आपने... आपकी बात सत्य और प्रमाणित है गुरु नानक जी पहले ओंकार की भक्ति करते थे और कुछ शक्तियाँ थी उनमे योगी थे वो... साहेब ऐसे लोगों को ढूंढते हैं जैसे हनुमान जी को भी... जो भक्ति करते हैं.. फिर मजा लेते हैं पहले उनसे जब मजा ले लेते हैं तब अंत मे असली रूप दिखाते हैं...
🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🧐🧐🧐🧐🥺🥺🥺🥺😣😣😣😣😣😣😞😞😞😩😩😩😩💔💔💔💔💔🙏🙏🙏🙇🙇👈👆👆👆👆👆👆👆👆🙆🙆🙆🤷🤷🤷🤷🤷💆💆
😊 abhi vi hum logo ko ye log hum logo ko parisan karte hai aur bhejia,,
Video portion 6:23/11:41 ke pran sanghli mein : "Mdji shri babyeji ka sishya(disciple) hoya ta Kabirji phoolpaan lke babye ka darshn krne aaye.Aaye kartar kartar kri(sarvjeevatman tatha sarv brahmand ke srijanhar, KABIR SAHEB) baith gye.Ta babye kha.Sshro BHAGAT KABIR(chele ke kirdaar nibhate hue) kushal(chatur,prabeen) h.Ta Kabir khe tere darshdithe sakhs kushal hoi h.pr ji maine(babyeji) suniya h Shri Ramanand ji ka sanshay(raam rahim alag shabd ek prmeshwar ke pukarne ka dhani ka shanshay) aap(Kabir Saheb) ne nibaran kiya h.Tate mere(babyeji) ke shanshay ko chedan kro.Tum(KABIR SAHEB) tou jagat biye Guru suryaprakash bhay ho, sava jagat ke klyaan nmit tumhara avatar h.Ta babye kha tussi(Kabir saheb) bhi bachan kro.
Esse suspasth hota ki PURNPARMATMA KABIR SAHEB chela(disciple) ki kirdar paln kiye the.Abe Devend bhukha kutta achha se bhonk 😂🤣
Sahi bataya ji💯
*वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह !!*
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की जय हो
Niranjan kya bhojan karta hai
To Kaise guru hue Nanak ji Kabir ji ke
Treta me unki aatma kya bana tha
Kveer ji to jan hi jan hen lekin unone aeda banke peda khana sikaya he shik sko to shikh lo barna bad me pachtaoge
Aap ke chanel me aana se kafi agyan dur ho gaye bhai ji dhanywaad.
प्रमाणित ज्ञान है सब
रामपाल की तरह नहीं कि एक लाईन कहीं से उठा ली एक कहीं से
और आगे अपनी कहानी सुना देता है
जो व्यक्ति थोड़ी सी भी अक्ल का इस्तेमाल करेगा वो सत्य तक पहुंच ही जाता है
आपने कोशिश की धन्यवाद दिल से
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jay Shri Ram subah Narayan
1400 se 1700 ke beech me gyan me tod mador kiya gya bahi tumaharre haath laga h parmatma ke rah me toda na Bano
Pran Sanghli(archive.org/details/PranSangliPartIII/page/n19/mode/2up) Guru Nanak ji ke jiban prichay pristh no. 17 mein Guru Nanak ji ke GURU SATYAPURUSH(KABIR SAHEB) they jo use SACHKHAND(SATLOK) leke SATYANAM ke khullamkhulla updesh diye.
Dekh kya likha hua h 17 pristh mein:"Sanbt 1554 mein GuruNanak ek din niyamanusar phr raat rhe sebak ke saath beyi ndi pr snan ko gye tou whan ek Sadhu se bhent hui jisne chetaya ki baba Nanak ji kis kaam kliye es sansar mein bheje gye uske liye Sachhedarbar(Satlok,Sachhkhand) se kya agya h aur weh kr kya rhe h.Tab Guruji us Sadhu ke saath bei ndi m ghuskr 3 din tk gupt rhe.Log apne samkshanusar koi kht dub gye aur kuch anuman krte the parantu bastav mein guruji apne sharir ko yogbal se samadhi ki dasha mein ndi mein sthapit krke SATYAPURUSH ke charno mein SATYANAAM ka khullamkhulla updesh krne ki agyaa kliye SACHKHAND(SATLOK) gye"
Beyin river me Kabirdev le kar gye Nanak ji ko
बंदी छोड़ कबीर महाराज की जय 🙏🙏
🙏🙏जय बंदी छोड़ की 🙏🙏 kbir is god
Kabir is God
Kabir ji 1398 me aaye
Puran parmatma koun h sir
जय गुरु नानक देव जी की
Aapki jankari adhuri h ji
पहली बात तो यह है कि तुमको यह पता नहीं कि परमात्मा है कौन
Shabd kya h surti kya h?
Main rampal ji ka chela Hun itna study hamne bhi ved geeta And ved kuran ka kiya jisme saf saf pata chalta h bo parmatma Kabir hain ,,
Tho is video ma bhi tho saaf saaf likha hai, ki kabir Nanak ji ko guru bol rahe hai, aur Nanak ji Brahma ko apna guru bata rahe hai. Fir aap log kaise bolte ho ki kabir guru hai Nanak ji ka
Ye batao ki jab kaal apna bhed kisi ko batana nahi chahata. Durga ko bhi mana kar diya. Fir usne arjun ko kyun dikhaya apna roop aur Kyun bola ki purn prabhu ko prapt karne k liye tatva darshi sant se pucho batao. Koi bhi rampal ka bhakt nahi bata paaya
Tum log bolte ho bhagvan ne 7 days ma srishti banai. Aur dusri jagah fir bolte kaal ne 84 lakh yoni banai prithvi par. is hisab se dekhe tho kaal ne 7 din ma Sab banaya tho kya isme tum log kaal ko bhagwan bol rahe ho. Agar nahi tho fir tumhare hisaab se kabir 84 lakh yoni kyun banaenge batao.
Aap bolte ho ki kabir ka Sharir panch tatva se nahi bana hai fir wo kaise boodhe ho Gaye. Agar wo amar hote tho budhe kyun hue. Batao
Jawab deke dikhao kisi ne bhi abhi tak De nahi Paaya. Dekhte hai kitna gyan hai
Narak me jayega
रामू के चेले तो सशरीर सतलोक घूमकर आ जाते हैं ,वहां ना जाने क्या क्या देख आते हैं😂😂😂😂😂
उन मूर्खों को कौन समझाये।
रामपाल के क ई चेले अब कृष्ण भक्ति कर रहे हैं जबसे उन्होंने सच को जाना
very good
जय श्री राम, जय माता जी , आप इसी तरह पाखंडी बाबा रामपाल का पर्दाफाश करते रहीये।
Than garu nanak
हरे कृष्णा
Aap ne pran sangli adhuri pri hai,aap ko isliye gyan nahi hai
Padha likha jeeta jagta Anpadh
Aap kosant rampalji maharaj ke gyan ko theek se samajhana chahiye
अज्ञान के चश्मे उतारने के बाद ही ज्ञान समझ में आ सकता है इसलिए रामु के अज्ञान के चश्मे उतार दो
जय श्री कृष्ण
Aur study karo bhai
Puran guru Sant rampal ji maharaj he
बिल्कुल सत्य भैया है
Grenth sahab main Jada vania kis ki hain pahele ye jaan lo baderprush ji
Pansangl milavti h Nanak ji oar Kabir saheb dono mahatma sant h
यह बात रामपाल जी को क्यों नहीं समझाया प्राण सांगली को खोलकर क्यों दिखाएं
मतलब रामपाल जी दिखाए तो सही है हम दिखाए तो गलत है
हा हा हा
Apne galat bola Devendra ji apne bola jagat ka jo parmatma hai vo guru nanak ke guru hai par vha pr gopala likha hai
Gopala mtlb samjhjayie jagat ka parmatma gopal h
Or vo mera guru esa matlab hoga agar me shi ho toh
Reply dijiye Devendra ji plz me kya samjhu gopala ka mtlb
*गुरु नानक देव का कोई गुरु नहीं था उन्होंने ईश्वर को ही अपना गुरु माना था यहां पर जो गोपाल शब्द यूज में ईश्वर के लिए हुआ है जैसा कि गुरु ग्रंथ साहिब के एक्सपर्ट ने गॉड शब्द का इस्तेमाल हुआ है उसी हिसाब से मैंने अनुवाद किया है*
👇🏻👇🏻👇🏻
*जो गोपाल हैं वह कृष्ण हैं जो जो कृष्ण है ईश्वर है*
आगे नानक जी कहते हैं "ब्रह्मा विष्णु महेश एक मुहूर्त आपे करता कारी 12"
_जो ईश्वर है वह ब्रह्मा विष्णु महेश 3 रूप धारण करता है और वही सब कुछ करने वाला है_
_यही हमारी गीता जी कहती है अध्याय 13 श्लोक नंबर 16 जो जाने योग्य परमात्मा है वह ब्रह्मा रूप से सबकी सृष्टि करता है विष्णु स्वरूप से सब का पालन करता है और रुद्र रूप से सब का संघार करने वाला है_
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*जो गुरु नानक देव थे वह ईश्वर के निराकार स्वरूप को मानते थे जो हमारे भगवान कृष्ण हैं वह निराकार भी हैं साकार भी है मतलब गुरु नानक देव के गुरु भगवान है और भगवान कृष्ण हैं*
@@GitaVedPuran tysm Devendra ji
Apne ye confusion dur kr di meri
Pa bht se sikh kehte hai ram matlab Ramya hua h.or krishna ji ko bhagwan nhi mana h.guru nanak ji ne ye bhi confusion dur kr dijiye ek guru bankar plz🙏🙏🙏🙏
@@parasparmar9793
_We are trying to come live on UA-cam on next videos if you want to help us please join on video and help us to clear doubts of other_
@@GitaVedPuran ohk Devendra ji jesa ap boliye plz ap is topic pr video banaiye Mera sath or support apke sath hi hai
Aap u tube pr video banana bnd mt kriye
Or bhi bht sare brantiya felli rampal se bhi badi badi
Kuchh logo ka manna hai ram ji or krishna ji ek mahapurush hai puran sab fake hai
Radha Rani kalpanik hai
Luv kush kabhi peda nhi hue
Ye sab bhi bhrantiya or jhoothi akfah feli hai ap in sab ka bhi khandan kijiye hamre dharma ki raksha ap jese log hi kr skte h..baki ne to sanatan dharam ka majak bna diya hai or apse ek rqst hai ap video banana bnd mt kijiye or bhi bhrantiyo ka khandan kijiye plz🙏🙏🙏🙏
कौन गुरु अथवा कौन चेला। कौन पर मातमा।,ए।सब आपके समझ में नहीं आएगा इतना ही ज्ञानी थे तो इतना दिन सो रहे आज संत रामपाल जी का नकल कर रहे हो पत्थर के मूर्तियों में दान।चढ़ाकर अपना थैलाभररहेहो् कहे दुनिया को गुमराह किए हुए थे जो भक्त कबीर ने जो भक्त गुरु नानक ने कर रहे थे वह भक्ति क्यों नहीं बता रहे थे भगवान को क्यों नदी नाले पहाड़ पत्थरों में बता रहे ऐसा तो कबीर नानक ने नहीं कहा था वह तो अपने इस शरीर रुपया मंदिर में परमात्मा को बताया नाम जाप करने को वास्तविक भक्ति बताया मेरे भाई अभी समझ जाओ अब आपका नहीं चलने वाला परमात्मा इस धरती पर आ चुके हैं सच्चा ज्ञान बांटने के लिए
Kbhi to in murkho ki budhi jagegi
दूसरा आपकों ग्यान है तो chenal book karaiye और सतगुरु रामपाल महाराज जी से सत्संग करे और समाज को सही दिशा दे
भाई जी आपको पता नहीं है या फिर आप जान कर भी अंजान है बाबा रामपाल जी सन 2014 से आजीवन कारावास में चले गए हैं उन्हें जेल से बाहर आने की इजाजत नहीं है भला जो व्यक्ति जेल के अंदर है वह क्या ज्ञान चर्चा करेगा बाकी मैं हर चैनल पर आने के लिए तैयार हूं चैनल बुक कराएं
Kabi ji ka janam kaise hua
क्या प्रत्यक्ष रूप से बात करने में शर्मा रहे हो😂😂😂😂😂😅😅😅😅😅
जय श्री हरी जय गोपाल
संत रामपाल जी महाराज ने जो भी बताया शास्त्र प्रमाणित बताया है इस पूरे विश्व में संत रामपाल जी महाराज के अलावा कोई पूर्ण गुरु नहीं है
फिर कबीर साहेब कोन है
Murkh aadmi Pahle study karo ache se GRANTHO ko
वेद पढ़े पर भेद ना जाने बाचे पुराण १८ क्या खाक बहस करोगे जनता सच और झूठ सब जान गई
Kabir ji ne ye bhi kaha h ki sai itna dijiyo jaa m kutum samaye m bhi bhukha na rahu saadhu bhi na bhukha jaaye to yaha wo apne se alag kis parmatma se ye sb maan rahe hai
bilkul sahi kaha Guru nanak dev ji ne mujhe bhi aise hi anubhav hua h
🙏🙏🙏ज़बरदस्त जानकारी 👌👌👌
इससे आगे भी पढिये सब साफ साफ मिलेगा
Rigved मंडल no.09 सूक्त no 86 मंत्र no 26 me परमात्मा का नाम दिया है
आप हम सभी के परमात्मा एक ही है
कृपया समाज को सही दिशा दे
कृपया हमारे जो वीडियोस वेदों से है उन्हें देखें और अपना भ्रम मिटाएं धन्यवाद
Guru Nanak Dev Ji ke Guru Kabir Dev Ji hue hain Kabir Sagar Mein yah varnit vo likha hua hai vah Parmatma Hai Allah Ram hai isliye Guru Nanak Dev Ji Ne an Parmeshwar ko Apna Guru Kaha Tha vah vahan Guru govind Guru Kabir vahan Guru pura hai
Oh Rampal ki भेड़ बकरी , galat affva na faila, saleyo kyo badnami kronde o, nam de agge Singh laya, kam thude gadara wale, apni jameer tuc loka ne ohoh pakhndi rampal nu veche hoe a, shrm kro yr shrm
@@davindersingh4167 bhai sahab Guru Granth Sahib Nu padh kar Dekho vah De Vich likha hai Guru Nanak Ne Kabir Sagar padh kar Dekho vah De Vich likhe Huye Kabir sahab Guru Nanak Dev Ji Nu Jad Milaya ji Sachkhand
@@satgurukabirparmeshwarpant2994 eh rampal ne tadde budhi bharist kr dete ha, bai Guru Granth Sahib ji vich kite v nai likhya jo eh pakhndi baba knda ha, eh Gurbani de galt arth kr ke tanu loka nu murakh bnonda ha।
Je ma galt nahi te, tuc jarur Julaha caste cho howo gy, max Julaha caste wale befkuf bnn jande ne vichare, eh baba tanu bhagat kabir ji de naam de arrh ch bevkuf bna reha ha, tuc pelle bhagat kabir ji de bani nu smjo, oh te app us akal purak parmatma de bhagti krde rahe ne
@@davindersingh4167 D Nadi per Guru Nanak Dev Ji ko Kaun Mile The yah pata hai aapko
Guru Nanak Dev Ji Ne Jis Mantra ka Jap kiya hai vah aapko Pata Hai Kaun Sa Hai Waheguru Nahin Hai japne ka
Nanak ji aaye 1526 ke karib
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दंतकथा सुना रहे हैं आप
गीताअध्याय 4श्लोक37पढोऔर मनन करो झूठी ब्याख्या नकरो नही तो अन्धे हो जाऔगे
hahahhahahah geeta main slok toh kafi h jinka matlab bhgwan ne baad main bataya h aur tum 37 slok pakad k baithe hue ho hahaha bade hi durlab mind wale lagte ho