लकड़ी के इस टुकड़े को.. एक नया सम्मान मिला। आपके इस प्रयास से.. हमें भी एक नया विचार मिला। थोड़ा मुश्किल तो लगता है.. लेकिन प्रकृति से जुड़ाव का अलग ही एहसास है। एक दिन ये सभी समझेंगे.. हमें इसका पूर्ण विश्वास है। प्रकृति से इतना मिलता है.. बदले में कुछ भी हमसे उम्मीद नहीं करती। जगत जननी है वो तो.. जरा सा भी देने में संकोच नहीं करती। हम ही है जिसका कभी मन नहीं भरता.. सदैव अर्जित करने को तत्पर रहते हैं। ज़रा भी नहीं सोचते..गर प्रकृति ही नहीं तो कैसा अपना कल है। झुलस जा रहे हैं गर्मी से.. फिर भी एक पौधा लगाना गवारा नहीं। इन लोहे के कल पुर्जों से.. कौन समझाए कि होगा अपना गुजारा नहीं।
लकड़ी के इस टुकड़े को.. एक नया सम्मान मिला।
आपके इस प्रयास से.. हमें भी एक नया विचार मिला।
थोड़ा मुश्किल तो लगता है.. लेकिन प्रकृति से जुड़ाव का अलग ही एहसास है।
एक दिन ये सभी समझेंगे.. हमें इसका पूर्ण विश्वास है।
प्रकृति से इतना मिलता है.. बदले में कुछ भी हमसे उम्मीद नहीं करती।
जगत जननी है वो तो.. जरा सा भी देने में संकोच नहीं करती।
हम ही है जिसका कभी मन नहीं भरता.. सदैव अर्जित करने को तत्पर रहते हैं।
ज़रा भी नहीं सोचते..गर प्रकृति ही नहीं तो कैसा अपना कल है।
झुलस जा रहे हैं गर्मी से.. फिर भी एक पौधा लगाना गवारा नहीं।
इन लोहे के कल पुर्जों से.. कौन समझाए कि होगा अपना गुजारा नहीं।
Very beautiful garden Ham aapko join kar rahe hain❤