पहाड़ों में स्वरोजगार करना यानिकि बहुत बड़ा रिस्क लेना।
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- Опубліковано 23 кві 2024
- पहाड़ों में स्वरोजगार करना यानिकि बहुत बड़ा रिस्क लेना।
Vlog # 113
21/04/2024
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मेरा इस वीडियो को बनाने का मकसद किसी भी व्यक्ति , समाज को ठेस पहुंचाना नहीं हैं इस वीडियो को बनाने का मकसद यही हैं कि जो भी भविष्य में स्वरोजगार करना चाहता हैं वो पहले छोटी स्तर से शुरु करे , पहले बड़ा रिस्क ना ले और अगर फिर भी किसी भी व्यक्ति को इस वीडियो से ठेस पहुंची हो तो में उसके लिए दिल से माफी चाहता हूं। 🙏
आपका बहुत धन्यवाद जो आपने यह दिखाया। सच का सामना तो करना ही पड़ेगा। देव भूमि की जगह यह असुर भूमि बन रही है तभी पलायन हो गया है।
माफी किस बात की? यह तो आपने वास्तविक दिखाया है।
माफ करना लेकिन आपने जो यह नेगेटिविटी फैलाई है, ऐसा लगता है आपके अंदर अकल की बहुत बड़ी कमी थी। आपको न एक्सपीरियंस था। आपने जाकर सीधा पैसा लगा दिया और आप फेल हो गए और यहां पर आकर आप अपना एक्सपीरियंस शेयरकर रहे हो, यही चीज अपने पैसे लगाने से पहले पूछा होता तो आज आप सक्सेस होते।
भाई अंकल जी का मोबाइल no मिल सकता है क़्या
Can I get uncle's number
सही कहा गांव मे सब मकार बने है यहां बात पहाड़ी लोगो क़ी बुराई करने क़ी नहीं है बल्कि आज पहाड़ की सबसे बड़ी सच्चाई है
टांग खींचना वो भी पशुपालन में 😢कैसे गांव वाले है भाई मैं तो mp के गांव में रहता हु , गाय बच्चा दे तो पड़ोसी निकलने में मदद करते है 😂 हमारे यहां , कुछ लोग तो होते है पर इतने भी नहीं की , सिस्टम ही बर्बाद कर दे वो भी बुजुर्ग आदमी का ।
सबसे बड़ा कारण यहाँ सब को फ्री राशन माननीय मोदी जी उत्तराखंड की ओर विशेष ध्यान दीजिये यहाँ बुद्धिजीवी, कर्मजीवी को आगे नहीं बढ़ने देते बहुत दुःख
Sahi kahre ho Bhai ye baat to
Sahi baat kh rahe ho bhai
Y hi hakikat h
Kaam to logo karna hai modi ko nahi modi ji kaam day rehe hai
Ration do to musibat... Na do to musibat
टांग 😢खिंचाई तो पहाड़ियों का पुराना शौक है, इसीलिए कामयाब नही है।
Bilkul sahe kaha
Right
Bhai tene kamal kar diya
अपनों के साथ देना चाहिए
Bitter fact😂
सही बात, पहाड़ के लोग न खुद कुछ करते हैं और न दूसरों को कुछ करने देते हैं। पहाड़ों की बर्बादी का मुख्य कारण यही ईर्षा-द्वेष है।
🙏 सर जी, जो आपने गौशाला बनाई है इसमें आप थोड़ी मात्रा में मुर्गीपालन करें! किसी दूसरे व्यक्ति की जरूरत ना पड़े! आपने जो गौशाला में पैसे लगाए हैं उसकी देखभाल भी होती रहेगी! और आपका पहाड़ में रहना भी बना रहेगा! हार नहीं माननी है!
Right
उत्तराखंड में अगर किसी के भी दिमाग में स्वरोजगार का कीड़ा फड़फड़ा रहा हो तो वो ही कार्य करना है जो की स्वयं किया जा सके और किसी भी अन्य व्यक्ति की जरूरत न पड़े अगर पड़े तो फिर उसके लिए शाम के समय एक हाफ बोतल का भी इंतजाम रोजमर्रा के खर्चे में जोड़ कर रखना चाहिए जिससे की उसका मन काम छोड़कर कहीं अन्य जाने का न हो मैं खुद भी इसी स्वरोजगार के रोग का मारा हूं और इनसे दोगुने से ज्यादा धन लगा कर आज भी बस परोपकारी जीवन जीने के लिए मजबूर हूं और वो परोपकार कब अंतिम संस्कार करवा दे और पीपलपानी के भात का न्योता बंटवा दे पता नहीं क्योंकि ये तो फिर भी रेलवे से रिटायर हैं कम से कम पेंशन तो मिलती होगी ।
😄😄👍
Ha ha 😂 101% sahi bola bhai ji aapne
आपसे बहुत कुछ सीखने को मिला,आप आदर्श बनने k बजाय आज , निराशा में है
@@taraduttsati199 सती जी इसमें ऐसा तो कुछ भी नहीं जो सीखने लायक हो हां अगर रिजल्ट आपकी मेहनत और लागत के मनमुताबिक ना मिले तो निराशा होना स्वाभाविक है
Half bht jaruri h .
हम पहाड़ी ठहरे!
मैडानी इलाकों में जाकर ही हम बहुत शरीफ, ईमानदार और सभ्यता का उदाहरण बनते हैं। पहाड़ में रहकर तो हम अपनो की टांग खींचने में माहिर ठहरे।
सही कह रहे हो भाई अब उत्तराखंड में कुछ नही रह गया है। अपने ही लोग टांग खीचते है । कोई काम करने वाला नही मिलता । सब ऐसे ही है । ।
हर हर महादेव
समझ में नहीं आता आखिर टाँग खीच कौन रहा था। निजी व्यवसाय,किसी का कोई हस्तक्षेप नहीं, यह तो क्षेत्र के लोगों की बेइज्जती है, गाँव में जवान लोग तो पलायन कर चुके हैं अब 5-7 आदमी लोग पचास पार के कैसे टांग खीचेंगे समझ नहीं आता ?
गाँव के लोग इस मजाक से नाराज हैं, उन्हें समझ नहीं आ रहा कि उनका क्या दोष है।
क्या कहें ददा आपको
समझ में नहीं आता आखिर टाँग खीच कौन रहा था। निजी व्यवसाय,किसी का कोई हस्तक्षेप नहीं, यह तो क्षेत्र के लोगों की बेइज्जती है, गाँव में जवान लोग तो पलायन कर चुके हैं अब 5-7 आदमी लोग पचास पार के कैसे टांग खीचेंगे समझ नहीं आता ?
गाँव के लोग इस मजाक से नाराज हैं, उन्हें समझ नहीं आ रहा कि उनका क्या दोष है।
क्या कहें ददा आपको
Bhai tu kya Kar Raha hai
अंकल जी ने सबसे पहले तो होम वर्क नही किया आप कियुकी सर्विस क्लास से बिसनेस में आए है इसलिए आप को लगता है की लोग आप की सहायता करेंगे अपने काम में कोई बाहरी बंदा कियू आप की मदद करेगा क्या आप गांव में लोगो का घास काटने या खेती में मदद करने जाते है nhi कियूकी aap ko pta hai की ये उनका काम है इसलिए ये उनको ही करना है अंकल जी ने सारी mesine ले ली टैक्टर ले लिया लेकिन जानवरो के लिए घास की व्यवस्था nhi ki मेट की व्यवस्था की लेकिन काम करने वाले की व्यवस्था nhi ki । Home work कुछ नहीं किया आप को पता है की पहाड़ में घास काटने का काम लेडीज करती है जेंट्स नही तो आप घास काटने और गोवर निकलने के लिए जेंट्स कियू खोज रहे थे अंकल जी इतनी बेसिक नॉलेज भी आप को नही थी जो आदमी अपने घर में गोबर nhi nikalta घास नहीं कटता वो आप के यहां वो काम कियू करेगा आप को इतना भी pta nhi और आप व्यापार अपना कर रहे हो तो वो समाज सेवा कहा से हो गई । आप कह रहे हो की लोगो ने आप का साथ nhi दिया क्या आप सावर्जनिक कार्य कर रहे थे जो लोग सरमदान करने आ जाते गलती आप की और आप लोगो को दोषी ठहराया रहे है । और आप की एक गलती और है आप समझ रहे है की पहाड़ी वही खड़ा है जहा वो 50साल पहले था किसी से भी कुछ भी कर लो अब बहुत अंतर आ चुका है पहाड़ के पास पैसा भी आ चुका है ये भी sachai hai Jo aap नही जानते नही तो पहाड़ी लाखो नेपाली बिहारी से काम नहीं krwa रहा होता। आज सभी काम बाहरी इसीलिए कर रहे है क्युकी पहाड़ी के पास पैसा भी आ चुका है ये एक sachai है। और आप कह रहे है की लोगो ने रुकावट डाली इस तरह के लोग तो सभी जगह है दिल्ली में ज्यादा है तो ये कहना भी आप का glat hai । आप कह रहे है पंजाब बड़िया है कभी जा के देखा है आप ने वहा पर क्या हाल है sbse ज्यादा युवा vha नशा ग्रस्त है लोग खेत बेच कर विदेश पलायन कर चुके है और विदेश में छोटे मोटे काम कर रहे है फैक्टरी बंद हो चुकी है लोग धर्म बदल रहे है कुछ पैसे के लिए कुल मिला कर बर्बाद है और आप पंजाब पंजाब बोल रहे है काम से काम उदाहरण तो सही दीजिए । कुल मिला के आप इसलिए नुकसान में रहे क्युकी आप ने बिना सोचे समझे वो काम किया जिसकी आप को abcd bhi nhi aati थी आप ने कोई प्लानिग नही की होम वर्क नही किया इसलिए आप असफल रहे। अपनी गलती का ठीकरा पहाड़ी पर मत फोड़िए। पहाड़ी बहुत मेहनती है। और जो भाई अपना काम पहाड़ में करना चाहते है वो भाई जरूर कीजिए बस अंकल वाली गलती मत करो पहले प्लानिग रिसर्च home work करना बहुत जरूरी है। फिर कोई काम सुरु कीजिए । और ha koi bhi काम पहले काम पूजी से सुरु करे फिर जैसे जैसे प्रॉफिट होगा वैसे वैसे पूजी आगे लगाए। अंकल को देख कर डिमोटिवेट होने कोई जरूरत nhi है । आप समझदारी से अपना काम शुरू कर skte hai aur सफल हो सकते है जैसे हजारों अन्य पहाड़ी युवा अपना काम पहाड़ में कर रहे है और सफल है। जय पहाड़ जय पहाड़ी।
Anil bhaiji pranam , bhai ji aap toh mujhse ek baar baat kar hi lijiye.
Apne upar jo apna point of view rakha wo sach mein achcha gyan pradarshit karta hai.
किसी भी काम को करने से पूर्व होमवर्क करके छोटे स्तर से शुरू किया जाना चाहिए।
सिर्फ पेसो से भी काम नहीं किया जा सकता और एक बार एक साथ इतनी गाय भैंस शुरुआत में नहीं लेनी चाहिए एक एक करके लेनी चाहिए थी बहुत दुःख हुआ आपकी बात से
भाई साहब आप की सोच बहुत अच्छी है, इस क्षेत्र के लोगों का दुर्भाग्य है कि तरक्की करना ही नहीं चाहते, आप के सोच को आगे बढ़ाना अच्छे लोगों का काम है, आप को प्रणाम
बहुत दुख होता है ताऊजी के स्टार्टअप का ये हाल देख कर | मेहनत करके स्वरोजगार और छेत्रवासियो के लिए रोजगार उत्पन्न करने वालो को सरकार का समर्थन और वहा की जनता का साथ मिल जाये तो पूरा गांव तरक्की कर सकता है|
बहन जी किस रोजगार व तरक्की की बात कर रही हो। एक आदमी ही तो रखा था वो भी बुजुर्ग। बाकी तो सभी मालिक ही थे। क्या पहाडों में आदमियों के अभाव में लोगों ने अपने उद्यम बन्द ताे नहीं किये हैं,सभी के व्यवसाय चल रहे हैं।
इसे गौसाला न कहकर डेयरी उद्योग कहना सटीक होगा।
@@prakashrikhadivlogsalmora6292 लोगो के आभाव में बिज़नेस बंद करना पड़ा ये देखकर दुख तो होगा ही...आज एक आदमी को रोजगार मिला था कल को 100 लोगो के लिए रोजगार उत्पन्न हो सकता था जिससे सबका भला और विकास ही होता...आपका कहना सही है की ऐसी हर स्थिति में बिज़नेस बंद नहीं होते पर ये एक इम्पोर्टेन्ट फैक्टर तो जरूर है बिज़नेस की सफलता असफलता के लिए...
समझ में नहीं आता आखिर टाँग खीच कौन रहा था। निजी व्यवसाय,किसी का कोई हस्तक्षेप नहीं, यह तो क्षेत्र के लोगों की बेइज्जती है, गाँव में जवान लोग तो पलायन कर चुके हैं अब 5-7 आदमी लोग पचास पार के कैसे टांग खीचेंगे समझ नहीं आता ?
गाँव के लोग इस मजाक से नाराज हैं, उन्हें समझ नहीं आ रहा कि उनका क्या दोष है।
@@prakashrikhadivlogsalmora6292 भाई टांग खींचने की बात कौन कर रहा है? कोई किसी की टांग नहीं खींच सकता. मैं ये कह रही हु की दुख हूआ देखकर की बिज़नेस जिसपर मेहनत की गयी थी पिछले 4 सालो से उसको बंद करना पड़ा क्युकी काम करने के लिए लोग नहीं मिल पाए ... अगर चलता रहता बिज़नेस तो सबकी तरक्की होनी थी.
@@prakashrikhadivlogsalmora6292इनकी सोच बहुत ही अच्छी थी, लेकिन इन्हें बिजनेस का कोई भी ज्ञान नहीं था। सिर्फ उनके पास पैसा था और इन्होंने व्यवसाय में सारा पैसा अपनी गाड़ी कमाई लगा दी। इसलिए इनको दुख हो रहा है लेकिन किसी भी बिजनेस को करने से पहले एक होमवर्क करना पड़ता है जो शायद इन्होंने नहीं किया।
बिल्कुल सही कहा ताऊ आपने सरकार ने लोगों को निकम्मा बना दिया
मैं मुनस्यारी से हूँ
आज स्तिथि बहुत बुरी हो चुकी हैं हमारे पहाड़ की... लोग दारू मे डूबना पसंद करते हैं पर काम नहीं करना चाहते हैं.. साथियो आज समाज बहुत बुरे दौर से गुजर रहा हैं अभी भी समय हैं संभल जाइये...
आपका स्वरोजगार की योजना काफी सराहनीय है। परन्तु पहाड़ पर आपको मेहनत करने वाले लोग नहीं मिल सकते।यही डेयरी फार्म हल्द्वानी में आपने बनाया होता।आपको कोई भी समस्या नहीं आती।बहुत अच्छा रोजगार चलने के साथ साथ काफी लोगों को रोजगार मिल गया होता।इस प्रकार के रोजगार के लिए पहाड़ी युवक काम नहीं करता।उसे आरामदायक काम करने की आदतें है।हमारी सरकारों ने मुफ्त राशन देकर गावों में खेती बाड़ी सब बंद कर दिया है।बंदरों को जंगलों में कुछ मिलता नहीं वे सब गावों में नुकसान करने आते हैं।इन सब समस्याओं में हम सभी लोग जिम्मेदार है 💥🌸
रिवर्स पलायन का नारा देने वालों के लिए यह उत्तराखण्ड की कड़वी सच्चाई समझकर सही समाधान देना चाहिए
पलायन बिभाग बना है देहरादून मे।
कुछ गांव वालो की सोच है जो गांव छोड़कर चले गए, वापस आकर ना बसे ! तभी आकर बाहरी प्रदेश के लोग उत्तराखंड में बस रहे हैं!
अंकल जी आपकी हिम्मत को नमस्कार, मेरी एक सलाह हैं आपके लिए आप इस साल थोडे समय के लिए आराम कीजिए और उसके बाद दुबारा से शुरुआत कीजिए भगवान जरूर आपकों सही रास्ता दिखाएगा 🙏
किसी भी प्रदेश मे जहाँ बाहरी लोग नहीं होते हैं, लोकल लोगों से काम बहुत ही समझ दारी और प्यार से काम करवाना पड़ता है। अपने गाँव में लोगों के अंदर स्वाभिमान होता है, बाहर जो मर्ज़ी करे, यूपी बिहार हरियाणा सभी जगह के गाँव मे यही हाल है ।
ऐसा ही कुछ हमारे दोस्त के साथ हुआ जब उसने कड़कनाथ मुर्गा पालन किया ,स्वरोजगार कहना और करना पहाड़ में बड़ा मुस्किल है
ये सही बात है पहाड़ो में कोई आदमी काम करना नहीं चाहता, इसीलिए ये पलायन का सबसे बड़ा कारण भी है...
ये पहाड़ वास्तविकता है ,न कुछ करेंगे न करने देंगे |😪😪😪😪😪😪
बहुत दुख की बात है की इतनी मेहनत और हिम्मत से ताऊजी और परिवार ने 4 साल तक रोजगार पैदा करने का संघर्ष किया और एक झटके में सब खात्म हो गया। नई जेनरेशन ये सब देख कर कभी भी पहाड़ों में बिजनेस करने की नही सोचेंगे। सरकार को जमीनी हकीकत देखनी चाहिए और पहाड़ों में रोजगार उत्पन करने के लिए सहायता करनी चाहिए। ये वीडियो अधिक से अधिक लोगो तक पहुंचे तो शायद सरकारी बाबुओं तक भी पहुंच जाए। 🙏🙏🙏
सबसे बड़े चोर तो यही बाबू हैं
कोई बात नही श्री मान , आपके साहस को नमन करता हूं।
आप की कोशिश को सलाम। आप अब मुर्गी पालन कीजिए। आप के पास जगह काफी है।
कोशिश जारी रखिए
सही बात
Murgipalan bahut bura kam hai kastdayi hai jeev ke liye chandal pravrti hai kisi jeev ka bhaksan krna
Ok
यह पहाड़ की हकीकत है, हम पहाड़ी किस ओर जय रहें है, कभी समय था कि हम लोगों की गिनती मेहनती, कर्मठ लोगों मे हुआ करती थी और आज हमारा समाज कितना अकर्मण्य बन गया है, आज पहाड़ों की दशा चिंतन और चिंता का विषय है. लेकिन यदि अभी भी कोशिश की जाय तो बहुत कुछ हो सकता है.
मान्यवर आपका उद्देश्य और सोच निसंदेह काबिले तारीफ है, मगर आपने अपनी सारी पूंजी अतिउत्साह में गवां दी। पहाड़ में बेरोजगारी शून्य है। यहां पर रोजगार की परिभाषा बदल गई है। बेरोजगारी को ही रोजगार की मान्यता दी गई है।
भाई जी बहुत मेहनत की आपने, सबको फ्री की आदत पड़ गई है कुछ दिनों बाद जितनी जिसकी आबादी उतना उसका अधिकार फ्री में मिलेगा चाहे ओ रोहिंग्या ही क्यों न हों, जागो उत्तराखंड जागो।
आपका समाज सेवा की सोच ही आपको भारी पड़ गई। इस सोच से बिजनेस नही चलता ।
इस Tabelo मे रामपॉल maharaj ji ka सत्संग सुरु करो. नाम दान केंद्र आप के पास हैं.
आपकी हिम्मत को सलाम, लेकिन कहीं न कहीं ऐसा लगता है कि कोई भी व्यवसाय चलाने से पहले जो होमवर्क करना पड़ता है, जैसे हमें यह देखना पड़ता है कि हमें अपना व्यवसाय चलाने के लिए बिजली, पानी, ट्रांसपोर्ट और मजदूर ज़रूरी मात्रा में मिलेंगे या नहीं। अगर हम यह होमवर्क पहले कर लेते तो बेहतर होता, हो सकता है कि कुछ गड़बड़ हो गई हो। लेकिन उम्मीद मत खोइए, आगे और भी रास्ते हैं। निराश मत होइए और दूसरों को रास्ता दिखाते रहिए। धन्यवाद!
बहुत-बहुत कष्टदायी सच्ची व्यथा है। सचमुच में दाजू जी ने पहाड़ से अपना प्रेम जगाकर दुग्ध डैरी खोलकर वो भी अपने साधनों से कर दिखाया। परंतु गांव वालों की नकारात्मक सोच के कारण डैरी मजबूरी में बंद करना ही पड़ा। इसलिए पलायन ही होना है।
Good ,innovative/informatics.
Amezing video bhai ❤
Very good and informative video, good job 👍
ताऊजी आपके प्रयासों की जितनी भी सराहना की जाय कम है 💐🤔🙏
जब भी आप डेयरी शुरू करे तो बाहर के पशु ना लाए अपने लोकल में अच्छे पशु खरीदे,, जो वहा k बताबर्ण में अच्छे घुले मिले हो,,
अनुभव हो तो अभाव नहीं होता।
शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि जिस भी जीव का जिस भी क्षेत्र भूमि में उत्पन्न हुआ हो वहां की प्रकृति उसे वहीं की आदतों को संभालना सिखाती है।
बाहर का पालन करना अन्दर का जीव स्वीकार नहीं करता।
पहले छोटे स्तर पर शुरू करना चाहिए था।
सराहनीय कदम।
यह हर गाँव की कहानी है जो आगे बढना की कोशिश करते है। उसे पीछे खींचना।
Bahut ache vlog hain Bhai.
Maja aata hai ye video dekhane main .apne gaon kh yaad taza ho jati hai
Pahar ki vidambna hai jo achhà kaam kare uski taang kheench. Daaru peena aur din bhar badi badi baaten karna. Yahi kaam pahadiyoun ka. I got good lesson and now change my charity vision for my own village.
Thank you for showing the actual reality of start ups.
बहुत सुंदर vlog😊😊
Keshar you have made an eye opening video. Don’t worry. Well done 👏
ए वास्तविक बात है, इस तरह का अनुभव बहुत सारे लोगों का है, कोई भी स्वरोजगार का सामुहिक प्रयास आज तक उत्तराखंड में सफल नहीं हो पाया है, सैकड़ों स्वायत्त सहकारिताओं का भी यही हाल है और कई व्यक्तिगत प्रयासों का भी, जो भी व्यक्ति सच्चे मन से प्रयास कर सामुहिक रोजगार खड़ा करना चाहते हैं उनके साथ कोई खड़ा नहीं होता, यह देख कर दुख तो होता ही है और मनोबल भी टूटता है!
आपका प्रयास सराहनीय था,कोई संदेह नहीं, अक्सर सेवा निवृत उपरांत लोग अपने मूल स्थान पर चले जाते हैं।और उनके साथ ऐसा ही आचरण किया जाता है। परिणाम सामने आने पर,खुद को ठगा हुआ महसूस करते हैं। आपका निर्णय, बिना अनुभव के था।
बहुत अच्छी सोच है ताऊ जी की हमारे पहाड़ी लोगों मै यही वजह है शर्म करते हैं
Main Himachal se hun यह बात आप बिल्कुल सही कर रहे वीडियो गाय के रहते हुए भैंसों के रहते हुए अगर डालते तो बहुत तू बहुत हेल्प होती यह मेरा सोचना है
Bilkul shi
अंकल जी बहुत अच्छी शुरुवात की आपने ❤❤❤❤❤❤
आपके प्रयास को साधुवाद 🙏
कुल मिलाकर पहाड़ों में परिस्थितियां ऐसी बन चुकी हैं कि किसी भी व्यवसाय का चल पाना मुश्किल है। 😢
किसी से पूछ कर करना था जानकारी का अभाव है किसी को दोष मत दो कोई भी काम करो छोटे लेवल से करो
भाइ कमाल की बात करते हो..
Govt must take cognisance to help him. This video should be shared as much as possible.
सर मज़दूर बिहार से ले आते आपमें बिजनेस के अनुभव कि कमी है , आपका बिज़नेस अच्छा चल सकता था , ऐसा नहीं है कि पहाड़ो मैं बिज़नेस नहीं चल रहा है बाहर से बहुत लोग पहाड़ो मैं बिज़नेस कर रहे और बहुत सफल हैं बहुत पैसा भी कमा रहे हैं आपको बिज़नेस करना नहीं आता है अपनी अज्ञानता का ठीकरा पहाड़ी पर मत फ़ोड़ो पर मत फोड़ो 😢
ये तो लिकले थे लोगों को रोजगार देने लेकिन अज्ञानी गांव वालो ने दर्प में इनका धंधा नहीं चलने दिया।
बहुत सुंदर ब्लॉग भाई जी❤❤❤❤🎉
धन्यवाद भाई जी 🙏
में भी स्वरोजगार की तरफ जाने की सोच रहा था। ताऊ जी के स्वरोजगार को देखकर तो मन में डर लग रहा है। कृपया बताने का कस्ट करें कि कौन सा स्वरोजगार किया जाए जिसमें सफलता मिल सके
यह यह वीडियो देखकर बहुत दुख हुआ जागरूक ईमानदार मेहनत करने वाला आदमी हमारे पहाड़ में टिक नहीं पा रहा है I
मैं इन चाचा जी को और उनके परिवार को व्यक्तिगत रूप से भी जानता हू I
बहुत भले और ईमानदार मेहनती लोग हैं इस व्यवसाय में इनको किन परेशानियों से जूझना पड़ा वह भी ज्ञात है यह हमारे पहाड़ का दुर्भाग्य ही है, जो आज चाचा जी को अपना व्यवसाय बंद करना पड़ रहा है I
निरंतर पहाड़ से पलायन होता जा रहा है क्या कर रही है हमारी डबल इंजन की यशस्वी सरकार यह एक सोने विषय है और चिंताजनक भी I
इस तरह की विकट समस्याओं को देखते हुए कौन उद्यमी यहां पहाड़ में अपना व्यवसाय करना चाहेगा !
KUCHH DIN KE BAD BHAI JI PAHADON KE GAON VEERAN HO JAENGE,, PAHLE KI MAHILAYEN KHET MEIN KAM KARTI THI TO,, GAON ABAD THE,, AB NAHIN GENERATION KAM KARNA NAHIN CHAHTI 🇮🇳🙏
Bahut badhiya❤
पहली बात पहाड़ हो या कोई भी जगह आजकल कोई गरीब नहीं है, सभी फ्री का खाना चाहते हैँ , सरकार पालती है , अपने आप पैसा लगाओ तो अपनी व्यवस्था खुद करो यही स्वार्थी समाज का आज सच है सेवा का कीड़ा अपने दम पर ही शांत किआ जाता है
वास्तव में काफी कठिन कार्य है बिना सहयोग से कुछ नहीं हो सकता है, आपने बहुत हिम्मत का काम किया l आपकी मेहनत बेकार गयी इस बात से दुःख हो रहा है l
जय हिंद
आजकल सहयोग का मतलब अपनी तबाही, विश्वास का मतलब अपनी बर्बादी। बिना मतलब का कोई मुस्कराना भी नहीं चाहता।
ताऊ जी पहले वीडियो बनाते तो आपको बहुत लड़के मिल जाते काम करने को
इस हिम्मत मत हारो ऑनलाइन पब्लिसिटी करो अपने बिजनेस मॉडल की ओर दुबारा kosis kro kyuki structure aapke paas pura ha
छोटे से स्टार्ट करो
लोगो की कमी है एक दो आदमी रखने लायक ही बिजनेस बनाओ
ऐसे हिम्मत मत हारो पहाड़ी बहुत मजबूत होता है
ताऊ को पता ही नहीं की बिजनेस किया कैसे जाता है अपने लड़के उनके भाग गये और दूसरों को ज्ञान दे रहे हैं कि उनके साथ नौकरी करो
@@Uttarakhandiiii wahi to tau ji ne risk management kiya hee nahi itna paise lagane se pehle unko demography or availability of labour to sochna chahiye tha
Bahut dukh hotaa hai aise halat ko dekhkar, Goverment ko bhi is or dhyan denaa chahiye and Bandar, Suwar anya janwaro ka bhi prabandhan karnaa chahiye, bahut hi dukh h hum logo ko bhi, hum bhi gaon se jude huye h.
ये एक सच्चाई है पहाड़ों की
पहाड़ी की एक कहावत है सूर्य अस्त पहाड़ी मस्त पहाड़ी लोगो को जलन बहुत होती है एक दूसरे को देख कर
सर,तूम्हारे काम को सलाम! इसके बाद कम इनव्हेमेंटवाला काम करो..
uncle जी ने सही बात बताई है हमारी भी हिम्मत टूट जाती है| मन बहुत करता है अपने घर वापस आने का यही हाल हैं पहाड़ों का
Keep it up, bro 🎉🎉🎉👍
TQ bro 🥰
uncle ji ne bahut positive soach vichar se is swarojgaar ko karne ki sochi thi but asafal rahe. yeh ek fect hai ki ghar ke pass nokri ho hi nahin sakti. ghar ke pass wali nokri ki izzat, ghar ki murgi daal barabr hi samjhi jati rahi hai. yadi nepali aur bihari log hote to sayad nokri kr lete but pahadi aadmi ko usi ka saath wala karne nahin deta hai apni baaton se hi, laydn har koi krta hai but suport ke liye koi nahin. fir bhi kamiyan rah gayi busness ki startup m, ki chhote chhote label se 1-2 bhains aur 1-2 gaye se shuruaat hoti to sucseess zarur milta aur aapko exprince aur gawn walon ko seekh. area main ek achha msg milta motivatinal msg new genretion ko. uncle ji aap apna khayal rakhiyega. 🙏🙏🙏🙏
SIR ❤LOVE YOU AND SALUTE BY LISTENING YOUR STORY HEART TOUCHING
Jameen sell kro ayyashi kro ..ye h pahadiyo ka usool😮😮😮
यह बहुत दुख की बात है थोड़े से पैसों के लिए शहर में नौकरी करने को तैयार है जबकि पशुधन का कारोबार सबसे बड़ा कारोबार है इसका दूध काम आता है गोबर काम आता है परंतु यह बहुत दुर्भाग्य है लोग भाग रहे हैं
Itni himmat or mehnat ko 🙏
ताऊ जी ने बहुत अच्छी बात कही
Sahi keh rahe hai uncle ji...I totally agree...
यह सत्य है काफी जगह पहाड़ी लोग कोई नया काम ना तो करना चाहते हैं ना किसी को करने देना चाहते हैं ना किसी का काम फलते-फूलते देखना चाहते हैं। तो इसलिए वहीं स्वरोजगार किया जाए जिसमें सिर्फ आपकी involvement हो
स्वरोजगार हमेशा ही कमाने के उदेश्य से कम और सेवा के उदेश्य से अधिक होने चाहिए। ।
Namae Chacha,
Tate khau, Tate maru. (Suru karne ki bhi jaldi, or band karne me bhi.)
Apni galtiyo se sikhna chiye.
Or business to time leta hi h
Mana aapki Umar abhi itni hard work karne ki nhi h, but jo aapke bete h, jese bataya ki wo engineer h, jese mostly pahad se hote h, wo kuchh na kuchh solution nikal lete
But aapki kahani se bahut kuch sikhne ko mila.
Dhanyawad
जो लोग शमशान में भी दारू मांगते हैं आप उनसे उम्मीद करते हैं
Sahi pakde hain😂😂😂
Sahi pakde hain😂😂😂
Bilkul sahi bola आपने भाई जी खासकर पोड़ी में कोई इंसान मरता ही तो shale wha samsan ghat आने वालों को दारू पिलाई जाती ही
@@ranaji1048 MAIN PAABO,ME,1984,1988, THAK RAH CHUKA HUN,, AAP PAHADI MEIN KAHAN SE HO,,
@@user-jf2re9xt6f रुद्रप्रयाग
बहुत लोग आज भी खेती व पशु पालन कर रहे हैं सर जी सारे पहाड़ी लोग निकम्मे नहीं है
जी बिल्कुल
हमारे पहाड़ी लोग इसीलिए आज नही बाद पाते,
ऊं नमो भगवते वासुदेवाय
वर्तमान समय में कितने दुखद स्थिति है आज के पहाड़ की आज कोई भी गौ माता की सेवा खेती का कार्य करना नहीं चाहता है। जबकि अपनें को जीवित रखने केलिए ऐही मूलभूत वस्तुएं हैं।
पीडा दायक है आज के वर्तमान समाज की सोच।
👌👌👌👌👌
Uncle ji ki story sunkar bahut dukh hua, logo ko apni soch badalni chahiye, bahut dukh hua, un pashuo ke bare main sochkar 😢😢😢
Mama ji, bahut dukkh huwa yeh dekh ke,last year hum ne yeh Gaushala dekhi thi aur ab yeh dekh ke bahut bura laga😢
पहाड़ कि सबसे बड़ी विडंब 0:41 ना है ये पहाड़ कि कोई भी व्यक्ति किसी का साथ नहीं देता
पहाड़ को ये टांग खींचने वाली परंपरा बिरासत में मिली है जो अत्यंत दुखद है
Phulera ji ye to bahaut galat baat pata lagi aaj....I am from plains and yahan to ye maana jata hai ki pahaad par log bahaut mehanati hote hain....
@@MohitKumar0709 मेहनत में पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों का कोई सानी नहीं है। भारत की स्पेशल फोर्सेज पैराशूट रेजीमेंट की 1, 2, 3, 4, 9, 10 व 21 पैरा एसएफ, गरुड़ कमांडो, मरीन कमांडोज में 30 से 40 प्रतिशत अधिकारी व जवान उत्तराखण्ड से ही हैं। इसके अलावा एनएसजी, एसपीजी, SAG, इत्यादि में भी 30 प्रतिशत से ज्यादा शेयर उत्तराखण्ड के नौजवानों का है, भारत के अभी तक के 2 में से 2 सीडीएस उत्तराखण्ड के पौड़ी से ही हैं, देश के सबसे मजबूत मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी भी पौड़ी से ही हैं। बाहर के लिए हमारे लोग महत्तम स्तर तक obidiant और dedicated हैं लेकिन जब अपने गांव, परिवार, समाज या पड़ोस का कोई उत्तराखंडी आगे बढ़ रहा हो तो हमारी पहाड़ी प्रवृत्ति के अनुसार किसी से देखा नहीं जाता है। जोकि बहुत दुखद बात है।
😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢😢
Shriman Ji is plant mein aap khumbi ki fasal lagane ka kam kar sakte hain khumbi acchi paidavar bhi degi acchi income bhi degi aur thand ilake mein hoti bhi hoti hai to aapko jyada pareshani bhi nahin utha padegi kyunki Kumbh ki fasal thand mein hoti hai aur pahad ki Garhwal mein to vaise bhi thand hoti h
😢😢😢😢😢😢 कुछ तो ग़लत हुआ होगा हाम पाहाडी गुलाम ही रैहेना चाहते हैं
ताऊजी ने सही कहा गांव में लोगों की सोच खराब है
It's because of wrong planing.You should have made drawing board study from animals,fodder,breeding ,marketing ,availability of labour,products needs of the area,storage facility of fodder and vetrinary facilities etc.Demand of milk products should have been more than production.
Sathiyo Namaskar
Bhai sahab ko salam
Sabse badi bat ki aapne apna anubhav sajha kiya
Main aapka sada aabhari Rahuinga
😢 Aap ke vichar mere se mil Rahe hain 😊
Main bhi phad phada Raha huin😅
इन्होंने बोला ओ मान लिया। अपनी काबिलियत नहीं देख रहे हैं कि ये स्वयं असफल हो गए हैं और ठीकरा दूसरे के सिर फोड रहे हैं।
सर मैने भी रिवर्स पलायन में पहाड़ में डेरी का काम खोला बहुत संघर्ष के बाद अभी भी खड़ा हूं। हमे भी लोगों से कोई सहयोग मिला । पर ताऊजी से मिलने को बहुत मन कर रहा है।
Uncle ji, namastey.
Aapka kehna bilkul shi hai ,yaha humare uttrakhand mai koi kuch krna hi nhi chahta or dusra jo krna chahte hai unhe b krne nhi dete, unhe koi suuport nhi milta, hamne b krne ki kosish ki thi pr jb apne gao wali hi support na kr to koi kaam kaise kre.
Dursa aise rojgari k liye humari govt b koi sahyog nhi deti.
ये सिर्फ पहाड़ के गांव की सच्चाई नही है India के लगभग हर गांव में लोग ऐसे ही हैं चाहे ,UP हो, बिहार हो etc etc इसलिए गांव आज भी पिछड़े हुए हैं
भाई बिहारी मजदूर या फिर झारखंडी मजदूर लाले, भाई आप का प्लान ठीक नहीं था!
Uncle ki baat sahi hai....mei bhi delhi se gaon garhwal gaya tha..dusre ka kaam kar denge...par apne logo ka nahin.
Is kaam me pahle khud Mahnat krne padti hai or kuch nahi to Ghee bana kar becho market me ya online..
Someone should tag this to Dhami ji so that he can help Tauji