|| हनुमान चालीसा || Shree Hanuman chalisa | Hanuman Bajan

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  • Опубліковано 10 вер 2024
  • | हनुमान चालीसा || Shree Hanuman chalisa | Hanuman Bajan #hanumanchalisa #hanuman #bajrangbali
    | हनुमान चालीसा || Shree Hanuman chalisa | Hanuman Bajan #hanumanchalisa #hanuman #bajrangbali
    ॥ हनुमान चालीसा ॥
    ॥ दोहा ॥
    श्रीगुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि। बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ॥
    बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार। बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार ॥ ॥ चौपाई ॥ जय हनुमान ज्ञान गुण सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥ रामदूत अतुलित बलधामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥ महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी॥ कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुंचीत केसा ॥ हाथ बज्ज्र और ध्वजा बिराजै। काँधे मूँज जनेऊ साजै ॥ शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जगबंदन ॥ विद्यावान गुणी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर ॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया ॥ सूक्ष्म रूप धरी सियहिं दिखावा। विकट रूप धरि लंक जरावा ॥ भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र जी के काज संवारे ॥ लाय संजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥ रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥ सहस बदन तुम्हरो जस गावें। अस कहि श्रीपति कंठ लगावें ॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित आहीसा ॥ जम कुबेर दिक्पाल जहाँ ते। कवि कोविद कहि सके कहां ते॥ तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राजपद दीन्हा ॥ तुम्हरो मंत्र विभीषण माना। लंकेश्वर भये सब जग जाना ॥ जुग सहस्र योजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥ प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गए अचरज नाहीं॥ दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥ राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥ सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डरना ॥ आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक ते कांपै ॥ भूत पिशाच निकट नहिं आवै। महावीर जब नाम सुनावै ॥ नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥ संकट ते हनुमान छुड़ावै। मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥ सब पर राम तपस्वी राजा। तिनके काज सकल तुम साजा ॥ और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै ॥ चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा ॥ साधु संत कें तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे ॥ अष्टसिद्धि नव निधि के दाता। अस वर दीन जानकी माता ॥ राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा ॥ तुम्हरे भजन रामको पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै ॥ अंतकाल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥ और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करई ॥ संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ जय जय जय हनुमान गोसाई। कृपा करहु गुरुदेव की नाई ॥ जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महासुख होई ॥
    जो यह पढ़े हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥
    तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा ॥
    ॥ दोहा ॥
    पवन तनय संकट हरण मंगल मुरति रूप। रामलखन सीता सहित हृदय बसहू सुर भूप ॥
    ॥ हनुमान चालीसा समाप्त ॥
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