अर्गला स्तोत्र मंत्र (Sarv Shatru Nasahk Mantra)|| Durga Mantra || With Lyrics (108 Times)-Anuradha

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  • Опубліковано 8 вер 2024
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    अर्गला स्तोत्र मंत्र (Sarv Shatru Nasahk Mantra)|| Durga Mantra || With Lyrics (108 Times)-Anuradha
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    श्री दुर्गा सप्तशती महात्म्यः अर्गला स्तोत्र से मिलती है विजय, दूर होते हैं कष्ट
    श्री दुर्गा सप्तशती में देवी कवच के बाद अर्गला स्तोत्र पढ़ने का विधान है। अर्गला कहते हैं अग्रणी या अगड़ी। सारी बाधाओं को दूर करने वाला। किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए आवश्यक है कि आप आगे बढ़कर अपना और दूसरों का मार्ग प्रशस्त करें। संसार में कोई ऐसी समस्या नहीं है, जिसका समाधान देवी न करती हों। बस, उनको सच्चे दिल से पुकारने की आवश्यकता है। अर्गला स्तोत्र के यूं तो समस्त मंत्र ही सिद्ध हैं। ये सभी मारण और वशीकरण मंत्र हैं। सभी मंत्रों में हम देवी भगवती से कामना करते हैं कि हमको रूप दो, जय दो, यश दो और शत्रुओं का नाश करो।
    मनुष्य जिन जिन कार्यों की अभिलाषा करता है, वे सभी कार्य अर्गला स्तोत्र के पाठ मात्र से पूरी हो जाती हैं। समस्त कार्यों में विजयश्री इस पाठ मात्र को करने से प्राप्त होती है। देवी कवच के माध्यम से पहले चारों ओर सुरक्षा का घेरा बनाया जाता है और उसके बाद अर्गला स्तोत्र से देवी भगवती से विजयश्री की कामना की जाती है। अर्गला स्तोत्र अमोघ है। रूप, जय, यश देने वाला। नवरात्रि में इसको पढ़ने का विशेष विधान और महत्व है।
    कैसे करें अर्गला स्तोत्र
    1. सरसो या तिल के तेल का दीपक जलाएं
    2. चामुण्डा देवी का ध्यान करें। उनसे संवाद करें और पुकारें
    3. देवी भगवती के अर्गला स्तोत्र का संकल्प लें और अपनी इच्छा देवी के समक्ष व्यक्त करें
    4. अर्गला स्तोत्र में तांत्रिक नहीं वरन मंत्र शक्ति का प्रयोग करें
    5. अर्गला स्तोत्र का यथा संभव तीन बार या सात बार पाठ करें
    6. कुछ मंत्र ऐसे हैं, जिनका वाचन करते हुए आप यज्ञ भी कर सकते हैं।
    7. यज्ञ काले तिलों से होगा। मधु यानी शहद की आहूति भी होगी।
    8. अर्गला स्तोत्र का प्रात: काल या मध्य रात्रि पर पाठ करें।
    सिद्ध मंत्र
    रक्त बीज वधे देवि चण्ड मुण्ड विनाशिनि।
    रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।। ( शत्रु दमन के लिए )
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