जब साधक का मन साधना में लगने लगता है तो कुछ भ्रम उत्पन्न होने लगते हैं कुछ लोगों को पर कोई बात नहीं ये कुछ समय के लिए होते हैं धीरे धीरे अभ्यास होता बढ़ता जायेगा और सफलता प्राप्त होगी ,,फिर भी अगर कुछ ज्यादा विचित्र अनुभव हो जो सहनशक्ति से बाहर हो तो हो सकता है साधना ठीक न हो पा रही हो फिर किसी साधक गुरु के सानिध्य में करना ठीक रहेगा
क्योंकि मैं भी ओम का उच्चारण किया है और मुझे भी कुछ अनुभव होते हैं
जब साधक का मन साधना में लगने लगता है तो कुछ भ्रम उत्पन्न होने लगते हैं कुछ लोगों को पर कोई बात नहीं ये कुछ समय के लिए होते हैं धीरे धीरे अभ्यास होता बढ़ता जायेगा और सफलता प्राप्त होगी ,,फिर भी अगर कुछ ज्यादा विचित्र अनुभव हो जो सहनशक्ति से बाहर हो तो हो सकता है साधना ठीक न हो पा रही हो फिर किसी साधक गुरु के सानिध्य में करना ठीक रहेगा
Mai v kerti hu didi ❤
अच्छी बात है योगाभ्यास आदि करते रहना चाहिए मन के लिए भी और शरीर के लिए भी अच्छा रहता है सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है