भाई जी लगता है आपने कभी खुद एक पौधा भी नहीं लगाया है चलो मान लिया इन बहनों ने नारंगी माल्टा के पौधे लगा भी लिया तो उनको उगने तक पानी कौन डालेगा और जानवरों से सुरक्षा कौन करेगा पलायन यूके में घर घर की कहानी है भाई
मेरा बात किसी को दुखी करने के लिए नहीं ना ही कोई सवाल जबाव करने के लिए।जब मुझे पेड़ लगाने का अनुभव होगा,तभी मैंने अपना कमेन्ट दिया होगा।@@keshudhami7760
चिंता मत करिए ये सब बंजर घरों में हमारे मुस्लिम भाई रहेंगे कुछ साल रुकिए सब गांव हरे भरे हो जायेंगे । क्योंकि अब मुस्लिम भाई लगे पहाड़ो की ओर पलायन करने लगे है❤
सारे पहाड़ की यही कहानी है ये सिलसिला रुकने वाला नहीं है शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार के अभाव के कारण ऐसी हालत पहाड़ में रुकने वाली नहीं है। बहुत सुंदर भावनात्मक ब्लॉग।
सोच बडी रखो हमारे घर खेती बाडी वही है दुनिया मे लोगो के हर अगल देशो मे घर होते है पर वे लोग देखभाल करते रहते है देखभाल करे सब कुछ वापस हो सकता है बाकी as you know जीवन परिवर्तन है
वैसे आपकी बात सही है। पर जरा दोनों पहलुओं को समझना जरूरी है। पहली बात आपने अपने मायके को देखा रोना आया, दूसरी बात अपने ससुराल के घरों को भी देखो। आपने अपनी सुख सुविधा के लिए ससुराल के घरों को बंजर करवा दिया,इसी प्रकार आपकी भाभियों ने भी बंजर करवा दिया। इसके लिए महिलाएं जिम्मेदार है। पुरूष तो पहले से ही बाहर रहा है। इसलिए सभी महिलाएं इस जिम्मेदारी को निभायें। उत्तराखंड अपने आप सुधर जायेगा।
Bhai ji Aap ne bahut he sundar baat kahi,Ish palayan ka ek karan Mahila bhi hai.Purush to pahle say bahar jata raha hai kamane k liye.lekin mahilao ki wajah say ki hamko kam nahi karna pare.Ish tarah Hamara Gadwal palayan ka karan hai.Aap ka wakai Parsansniya hai🙏🙏
Bahut bahut sunder aaj apkaa bolg dekhaa.. Sochne wali baat e h ki palayan ku hua h hamare pahadon se....kahin nakahin hamare pahadon aaj bhi moolbhut jaruraten...jaise 1.education 2 medical 3.rojgaar 4.h wo h dekha dekhi aaj ke dour p apke gawn wali kahani hamare poore pahad ki h...ji bura to har kisi ko lagta h .jab apni jnm bhumi ko is haal m dekhega to. Ek majboori h ji .or ek jimmedari.apne bachon ko lekar. Lekin uske sath sath ham apni bahut bdi birast ko khote ja rahe h ...😢😢m khud army se hi or apne gawn ko bahut miss karta hu. Rona ataa h bahut....bt kise kahe. aaj hm hi bahr h bachon ke khatir. JAI Dev bhoomi uttarakhand 🙏
जिम्मेदार कौन? आँसू बहाने से क्या होगा? ये रोना लोगों को ज्यादा प्रभावित नहीं कर सकता, क्योंकि अपने स्तर पर क्या प्रयास किया ये महत्वपूर्ण है l जय भवानी
क्या करें जी, मुझे भी आपकी आंखों में आंसू देखकर रोना आया,यह सब हमारी बेरोजगारी की स्थिति का हाल है।बंजर को विकास नहीं कहा जायेगा। कहां गया हमारे पहाड़ का विकास, यही बंजर है। मुझे आपकी कहानी सुनकर, अपना गांव का बचपन आ गया।❤❤ डीएस कैड़ा मेरठ।
मैं भी उत्तराखंड का हु दीदी आज जब में ड्यूटी में था आपकी यह वीडियो देख रहा था आंखो में आसू आ गए आज उत्तराखंड में हर गांव का यही हाल है आई लव उत्तराखंड आई लव पहाड़
देवी जी गढ़वाल छोड़ के शहर में चले गए हो लेकिन उससे भी ज्यादा दुखद बात तो यह है यह है कि आपको गढ़वाली भाषा आते हुए भी जानबूझकर आप गढ़वाली में नहीं बोल रहे हो हिंदी में बोल रहे हो कम से कम अगर मातृभूमि का त्याग कर दिया है आपने तो मातृभाषा का तो त्याग मत करो मातृभाषा को बोलने में शर्माना नहीं चाहिए
आपने बहुत अच्छा जवाब दिया भाई साहब ! मै स्वयं अपने गांव से बाहर रह रहा हूं लेकिन मैने अपना घर बिलकुल सुंदर बनाया है। हर दो तीन महीने में एक चक्कर अवश्य ही अपने घर जाता हूं साफ सफाई तथा रिपेयर का कार्य कराता रहता हूं । मेरी इच्छा है कि मेरा बुढ़ापा भी वहीं बीते जहां मेरा बचपन गुजरा । कम से कम अपने माता पिता की संपत्ति को तब तक तो जरूर जिंदा रखूंगा जब तक मैं जिंदा रहूं। प्रणाम जी !❤❤❤
Ye video sirf like or comment karwane ke liye bani hai Didi ji agar rona aa raha hai to garhwal apne ap jese logo ki wajha se aaj shadi hona bhi duswar ho gaya 😖😖😖
मै पहाड में हूँ, आजकल गाँव मे ज्यादातर बुजुर्ग हैं, 10 किलो प्याज के चक्कर मे पेयजल से सिचाई हो रही है,पीने को पानी नही है।माने यहां कैसे रहे? पलायन तो होना ही है।मै भी यही सोचता हूँ यहाँ से कब निकला जाय।पानी नही,दवाई नही,हर बक्त जंगली जानवर का डर।जो लोग चले गए, ज्यादा सुखी हैं।
🚩जय जय देवभूमि उत्तराखंड 🌹🙏 🚩जय जय बद्री केदार 🌹🌹🙏 धन्य हैं बह देवभूमि की बेटियां बहुएं माताएं जिन्होनें कठीन परिस्थितियों और सिमित संसाधनों से अपनी खेती बाडी़ और आपने पित्रों के मकानों में रोसनी का दीपक जला रखा हे अपनी कठिन मेहनत के दम पर कर रही हैं खेती 💐 धन्यवाद हाथ जोड़कर 🙏
और उत्तराखंड सरकार से मेरा निवेदन है कि जिसकी भी जमीन 12 साल से बंजर पड़ी है और अपने घर नहीं आता है उसकी जमीन को सरकार को अधिकरण कर देना चाहिए और जो आदमी पहाड़ में निवास करते हैं उनको दे देना चाहिए
@@digamberuniyal810 सर जी मैं जिला पिथौरागढ़ बेरीनाग मैं रहता हूं जहां पर ब्राह्मणों का गांव है और वहां से सारे ब्राह्मण पलायन कर गए हैं एक दो परिवार राजपूत भी रहता है राजपूत परिवार के एक नौजवान ने बहुत बड़ी साग सब्जी की बागवानी की है जिससे वह सालाना 500000 की सब्जी बेचता है चांदनी चौक में बर्तन साफ करना यहां के नौजवान को अच्छा लगता है लेकिन करोड़ों की जमीन घर में पड़ी है उसमें खेती करने में आदमी को शर्म आती है
पलायन भी तो हम ही कर रहे हैं अगर जन्म भूमि से सच्चा लगाव है तो फिर पलायन क्यों कर रहे हैं? पलायन पर सबसा जयादा वही बोल रहा है जो स्वयं पलायन कर रहा है जिन्हें अपनी जन्म भूमि से वास्तविक प्रेम है वह आज भी अपनी जन्म भूमि नहीं छोड रहा है आज भी यहीं रह रहा है।
भाई यह रोजगार की वजह से पलायन का मामला नहीं है क्योंकि इनके सभी भाइयों ने देहरादून में मकान बनवाए हैं!! यह केवल आधुनिक सुख सुविधाओं की ललक का मामला है!! आज गाँव की महिला/ पुरुष दोनों ही आरामदायक सुविधापूर्ण जीवन चाहते हैं, शारीरिक मेहनत कोई नहीं करना चाहता है और यह बात सच है कि पहाड़ के गांवों में जीवन बहुत श्रमसाध्य है !!
@@jogasingh2338 सही कहा ना होगा बांस ना बजेगी बाँसुरी शादी करना बन्द कर दो तब आँखे खुलेंगी अरे सभी मिलकर महिलाओ को दोषी मान लिया बो भी इंसान है उनका मन भी करता है अपने हिसाब से जीने का बदलाब प्राकृति का ही नियम है
उत्तराखंड बनने के बाद ऐसी ही बरबादी होनी थी तो उत्तर प्रदेश ही बढ़िया था राजधानी लखनऊ रहती तो सभी लोग देहरादून तो नहीं जाते भाड़ में जाए ऐसा विकास जो केवल देहरादून तक सीमित है ।
हर हर महादेव ❤ध्याणियो का रोना पित्र पुर्वजों का आशीर्वाद मिलना होता है। सभी बहिनो को सादर प्रणाम 🙏🙏 यादें तो आहीं जाती दीदी जी आज भी हम अपने खेत खलियानों कै खुशहाल बना सकते हैं।
लगभग सभी गांवों में विकास के अंधे दौड़ में सभी गांवो में पलायन का ऐसा मंजर देखने को मिल रहा है दीदी क्या vor दिन आएंगे की नहीं समझ नहीं आता है । क्या होगा ये विकास में
मैं हमेशा हर उत्तराखंड के लोगों के ब्लॉग पर जो गाऊँ का पलायन दिखाते हैं कॉमेंट कर्ता हूं कि गाऊँ को एसा छोडें नहीं साल 6 महीने में जरूर जाएं हमारे बाप दादा की मेहनत को बर्बाद न करें. उनका तबी आशीर्वाद मिलेगा तभी आप falenge fulenge एक हफ्ते ही जाएं पर जाएं
वाकई में बहुत दुःख होता है अपनी जन्मभूमि और मातृ भूमि को देख कर, हमारे पौड़ी गढ़वाल में भी येसा ही है, आजीविका चलाने के लिए,, आंखो मे आंसू आ गए आप सभी बहीनो को देख कर, बचपन की यादे,, nice vlog भूलू
कुमाऊं की अपेक्षा गढ़वाल से ज्यादा पलायन हो गया है आप लोगों से निवेदन है कि जरूर इस पहाड़ को बसाने का कोशिश करें इस बंजर भूमि में चाय का बागान भी लगा सकते हैं और kiwi की खेती कर सकते हैं
बहन जी इन घरों और खेतों को बंजर करने का श्रेय भी तो आपके भाइयों को ही लेना पड़ेगा ऐसा क्या निराला है देहरादून का किसी अन्य शहर में जो कि अपनी जन्मभूमि का ये हाल बना दिया है चलो ये तो आपका मायका है और यहां आप लोगों का बचपन बीता है पर क्या आज जो आपका अपना घर या ससुराल है वो आबाद है ? क्या कभी उसके लिए भी आंसू निकलते है क्या कभी झूठे ही सही दिल में खयाल आता है कि चलो उसे संवार लें क्योंकि वो तो आपके अपने हाथों में है और इसमें कुछ असंभव भी नहीं । उत्तराखंडियों के ऐसे आंसुओं को देखकर उनके लिए कोई शब्द नहीं निकलते जो अपने पूर्वजों के अथक और अकल्पनीय प्रयासों से संजोए गए और गरीबी और बेबसी के बाबजूद बनाए गए इतने सुंदर और बड़े बड़े मकानों और खेत खलिहानों को सदा के लिए ऐसे छोड़ गए कि साल में एक दो बार दो चार दिन ही सही वहां के रख रखाव और देख भाल के लिए वहां चले जाएं हम पहाड़ियों के पास पहाड़ के मुकाबले कितनी जमीन और मकान शहरों में है। जब आज आप जैसे लोग हार मान बैठे हो तो आपके बच्चे जो इस जगह से अछूते हैं वो वहां क्यों झांकने भी जायेंगे 🙏
रोने से कोई फायदा नही भूली। सभी लोग वापिस गांव जाने की प्लानिंग करो चाहे ससुराल के हों या मैती। रोड़ दुविधा है तो पहले वाली आधी से ज्यादा समस्या का समाधान हो चुका है। इसको हमें मुहिम बनाना होगा।
दीदी मैं ❤दिल से ❤️ 🙏 मैं आपके जो भीतर में मायके का अपनीं जन्मभूमि के प्रति प्यार, प्रेम और स्नेह और सम्मान,,दर्द, पीड़ा, संवेदनाओं और भावनाओं को व्यक्त किया है 🎉❤❤ सम्मान करती हूं 🙏 ❤ बहुत बुरू लगणूं रे दीदी ❤❤😢😢😢😢😢😢😢😢😢
शिक्षा,रोजगार एव विकास इसका मुख्य कारण है, आपने यहां जन्म लिया आप माइके आ गई, आपके बच्चे खान जाएंगे? उनको आलसी और धन की दौड़ में हम ही धकेलते हैं। बताएं अंतिम बार आप अपने ससुराल वाले गांव कब गए थे, वहां भी किसी के दादाजी मकान बनाया होगा, पुंगडी आबाद की होगी। यह देवभूमि है, जिंदा रहेगी एवं बेर सबेर बुलाएगी ही।
सच्चाई यह है कि हमारा उत्तराखंड कृषि पधान था मगर उत्तराखंड बनने पर सरकार ने किसानो की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया यहा अस्पताल मेडिकल उपचार की सुबिधाये स्कूलों की सुबिधाये व खेतो मे जो भी आनाज उगता है जगली जानवरो की रोकथाम पर कोई ध्यान नही दिया सरकारो ने रोड बिजली तो गावो मे पहुच गये मगर सरकार को खेतो के पलाटेशन सुबिधाये होनी चाहिये थी सबसे बडी गलती हुई राजधानी देहरादून मे बनाई कुमाऊ व गढ़वाल के बीचोबीच मे बनानी चाहिये थी उत्तराखंड का दुर्भागय है नैकरिया भी बाहर के लोग जाली हरि जनो को मिल रही है जी
रोने से अच्छा यह होता कि आप सब मिलकर इस बनजर भूमि में फलों के वृक्ष लगवा देती,जो आगे वाली पीढ़ियों के लिए पुणय का कार्य होता।
भाई जी लगता है आपने कभी खुद एक पौधा भी नहीं लगाया है
चलो मान लिया इन बहनों ने नारंगी माल्टा के पौधे लगा भी लिया तो उनको उगने तक पानी कौन डालेगा और जानवरों से सुरक्षा कौन करेगा
पलायन यूके में घर घर की कहानी है भाई
मेरा बात किसी को दुखी करने के लिए नहीं ना ही कोई सवाल जबाव करने के लिए।जब मुझे पेड़ लगाने का अनुभव होगा,तभी मैंने अपना कमेन्ट दिया होगा।@@keshudhami7760
बहन जी भी मात्र वीडियो बनने के लिए आई है
कमेन्ट मानना या ना मानना आपकी इच्छा पर निर्भर करता है।@@keshudhami7760
चिंता मत करिए ये सब बंजर घरों में हमारे मुस्लिम भाई रहेंगे कुछ साल रुकिए सब गांव हरे भरे हो जायेंगे । क्योंकि अब मुस्लिम भाई लगे पहाड़ो की ओर पलायन करने लगे है❤
You are Right Bhai
बंग्लादेसीयो को ओर क़्या चाहिये वो समय बहुत जल्द आने वाला है
तभी तो कहता हूं कि आप ऐसे सरकारों को चुनो जो हमारे उत्तराखंड को संवारने में हमारी-आपकी मददगार साबित हो 😢
अपनी - जन्म भूमि को कभी भूलना नहीं चाहिए जिसको स्वर्ग से भी बढ़ कर दर्जा दिया है❤ बहुत बढ़िया हृदय को हुने वाला ब्लौग ' अति उनम ।
सारे पहाड़ की यही कहानी है ये सिलसिला रुकने वाला नहीं है शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार के अभाव के कारण ऐसी हालत पहाड़ में रुकने वाली नहीं है। बहुत सुंदर भावनात्मक ब्लॉग।
सोच बडी रखो हमारे घर खेती बाडी वही है दुनिया मे लोगो के हर अगल देशो मे घर होते है पर वे लोग देखभाल करते रहते है देखभाल करे सब कुछ वापस हो सकता है बाकी as you know जीवन परिवर्तन है
वैसे आपकी बात सही है। पर जरा दोनों पहलुओं को समझना जरूरी है। पहली बात आपने अपने मायके को देखा रोना आया, दूसरी बात अपने ससुराल के घरों को भी देखो। आपने अपनी सुख सुविधा के लिए ससुराल के घरों को बंजर करवा दिया,इसी प्रकार आपकी भाभियों ने भी बंजर करवा दिया। इसके लिए महिलाएं जिम्मेदार है। पुरूष तो पहले से ही बाहर रहा है। इसलिए सभी महिलाएं इस जिम्मेदारी को निभायें। उत्तराखंड अपने आप सुधर जायेगा।
Bhai ji Aap ne bahut he sundar baat kahi,Ish palayan ka ek karan Mahila bhi hai.Purush to pahle say bahar jata raha hai kamane k liye.lekin mahilao ki wajah say ki hamko kam nahi karna pare.Ish tarah Hamara Gadwal palayan ka karan hai.Aap ka wakai Parsansniya hai🙏🙏
Shi bat brother 👍
Shi बात आप सभी भी सहरी हो गये
महिलाओं ने गददारी की है पुरूषों को तो नौकरी के लिये दूर जाना ही पडता है
Bahut bahut sunder aaj apkaa bolg dekhaa..
Sochne wali baat e h ki palayan ku hua h hamare pahadon se....kahin nakahin hamare pahadon aaj bhi moolbhut jaruraten...jaise
1.education
2 medical
3.rojgaar
4.h wo h dekha dekhi aaj ke dour p apke gawn wali kahani hamare poore pahad ki h...ji bura to har kisi ko lagta h .jab apni jnm bhumi ko is haal m dekhega to. Ek majboori h ji .or ek jimmedari.apne bachon ko lekar. Lekin uske sath sath ham apni bahut bdi birast ko khote ja rahe h ...😢😢m khud army se hi or apne gawn ko bahut miss karta hu. Rona ataa h bahut....bt kise kahe. aaj hm hi bahr h bachon ke khatir. JAI Dev bhoomi uttarakhand 🙏
बिल्कुल सही कहा बहन बहुत बुरा लगता है अपने जन्म भूमि को बंजर देखकर आप सभी बहनों को मेरा प्रणाम 😭🙏
जिम्मेदार कौन? आँसू बहाने से क्या होगा? ये रोना लोगों को ज्यादा प्रभावित नहीं कर सकता, क्योंकि अपने स्तर पर क्या प्रयास किया ये महत्वपूर्ण है l
जय भवानी
बहुत दुःखद है यह | स्वर्ग सी जन्म भूमि आज इस हाल में |
क्या करें जी, मुझे भी आपकी आंखों में आंसू देखकर रोना आया,यह सब हमारी बेरोजगारी की स्थिति का हाल है।बंजर को विकास नहीं कहा जायेगा। कहां गया हमारे पहाड़ का विकास, यही बंजर है। मुझे आपकी कहानी सुनकर, अपना गांव का बचपन आ गया।❤❤ डीएस कैड़ा मेरठ।
जय श्रीराम 🙏 जय ईष्ट देवता जय कुलदेवी देवता, जय पित्रों की भूमि, जो दिन बीत चुके वो कभी नही आयेंगे 😢😢😢
आप लोगों की बातें सुनकर मुझे लगता है कि आप लोग आज भी अपने ससुराल में अपने गांव के घरों में ही रहते होंगे 🙏🙏
मैं भी उत्तराखंड का हु दीदी आज जब में ड्यूटी में था आपकी यह वीडियो देख रहा था आंखो में आसू आ गए आज उत्तराखंड में हर गांव का यही हाल है आई लव उत्तराखंड आई लव पहाड़
पूरा उत्तराखंड आज ऐसे ही रोज रहा है शहरों में विस्थापित लोगों के वापस आने की कोई सूरत नहीं दिखाई देती 😢😢😢🎉
कौन जिम्मेदार हैं हम सभी लोगों को सोचना चाहिए। अभी भी समय है अपनी जन्म भूमि को संजोएं नहीं तो बहुत देर हो जायेगी।
बहन आप ने मुझे अपने घर की याद दिलाई है और अपने घर और गांव की ओर आने का संदेश दिया है आप को नमस्कार ओर बहुत बहुत धन्यवाद
🙏🙏🙏
देव भूमि मे अपने पितरों की छाया जन्म भूमि वहां का बचपन आज हमें भी याद आ गया बाबू बूबू ने मेहनत से घर बनाये ये सब देखकर आखों में आंसू आ गये।
🙏🙏🙏😢😢
Subscribe kar diya hai
बहुत सुंदर 🙏🙏❤️❤️रोङ की जगह गाँव तो अच्छा लग रहा फिर भी पलायन ❤
हम भी आप के साथ जुङ गए ❤❤
Thankyou 🙏
Bahut hi sunder aur Emotional moments... yaad na jaye beete dino ki....
देवी जी गढ़वाल छोड़ के शहर में चले गए हो लेकिन उससे भी ज्यादा दुखद बात तो यह है यह है कि आपको गढ़वाली भाषा आते हुए भी जानबूझकर आप गढ़वाली में नहीं बोल रहे हो हिंदी में बोल रहे हो कम से कम अगर मातृभूमि का त्याग कर दिया है आपने तो मातृभाषा का तो त्याग मत करो मातृभाषा को बोलने में शर्माना नहीं चाहिए
आपने बहुत अच्छा जवाब दिया भाई साहब !
मै स्वयं अपने गांव से बाहर रह रहा हूं
लेकिन मैने अपना घर बिलकुल सुंदर बनाया है। हर दो तीन महीने में एक चक्कर अवश्य ही अपने घर जाता हूं साफ सफाई तथा रिपेयर का कार्य कराता रहता हूं । मेरी इच्छा है कि मेरा बुढ़ापा भी वहीं बीते जहां मेरा बचपन गुजरा ।
कम से कम अपने माता पिता की संपत्ति को तब तक तो जरूर जिंदा रखूंगा जब तक मैं जिंदा रहूं।
प्रणाम जी !❤❤❤
Ye video sirf like or comment karwane ke liye bani hai Didi ji agar rona aa raha hai to garhwal apne ap jese logo ki wajha se aaj shadi hona bhi duswar ho gaya 😖😖😖
हम भी शहर मै रहतेहै पर हमने अपना घर बहुत सुंदर बनाया है मंदिर भी 😊
बेटि को अपना जन्मघर जन्मभुमि कि ज्यादा याद आति हे मे भि यसे हि रोति हु अपना मैके के घर देखके मुजे आपकी भिडियो देखकर आख भर आइ😢😢
अपणी पुश्तैनी कूड़ा पुंगड़ा इनिके बंजर पड़ीगे हमारा पुरांणा पितर लोग बहुत दुखद होवला सभी उत्तराखंड लोगोअं तैं यु बिषय पर सोचंण पलोअ पिछियैडि़ बहुत देर हुये जैलि ।जय देबी भूमि उत्तराखंड ❤❤❤❤❤❤❤
मै पहाड में हूँ, आजकल गाँव मे ज्यादातर बुजुर्ग हैं, 10 किलो प्याज के चक्कर मे पेयजल से सिचाई हो रही है,पीने को पानी नही है।माने यहां कैसे रहे? पलायन तो होना ही है।मै भी यही सोचता हूँ यहाँ से कब निकला जाय।पानी नही,दवाई नही,हर बक्त जंगली जानवर का डर।जो लोग चले गए, ज्यादा सुखी हैं।
बचपन की यादें रुला दिया आपने
🚩जय जय देवभूमि उत्तराखंड 🌹🙏
🚩जय जय बद्री केदार 🌹🌹🙏
धन्य हैं बह देवभूमि की बेटियां बहुएं माताएं जिन्होनें कठीन परिस्थितियों और सिमित संसाधनों से
अपनी खेती बाडी़ और आपने पित्रों के मकानों में रोसनी का दीपक जला रखा हे अपनी कठिन मेहनत के दम पर कर रही हैं खेती
💐 धन्यवाद हाथ जोड़कर 🙏
अभी आने वाले १० सालों में और भी बुरी स्थिति होने वाली है हमारे उत्तराखंड की ,सबको देहरादून चाहिए।
और उत्तराखंड सरकार से मेरा निवेदन है कि जिसकी भी जमीन 12 साल से बंजर पड़ी है और अपने घर नहीं आता है उसकी जमीन को सरकार को अधिकरण कर देना चाहिए और जो आदमी पहाड़ में निवास करते हैं उनको दे देना चाहिए
Teri okat free ki hi khane ki hi lagta hai,
भाई साहब कौन करेगा खेती , सरकारों ने सस्ती और मुफ्त की राशन ने लोगों को पंगु बना दिया है।
प्रणाम जी !
@@digamberuniyal810 सर जी मैं जिला पिथौरागढ़ बेरीनाग मैं रहता हूं जहां पर ब्राह्मणों का गांव है और वहां से सारे ब्राह्मण पलायन कर गए हैं एक दो परिवार राजपूत भी रहता है राजपूत परिवार के एक नौजवान ने बहुत बड़ी साग सब्जी की बागवानी की है जिससे वह सालाना 500000 की सब्जी बेचता है चांदनी चौक में बर्तन साफ करना यहां के नौजवान को अच्छा लगता है लेकिन करोड़ों की जमीन घर में पड़ी है उसमें खेती करने में आदमी को शर्म आती है
जिस घर में हमारा जन्म हुआ पालन-पोषण हुआ वही घर पलायन के कारण इस तरह बंजर पडे हुये हैं 😭😭😭
जिन घरों में जन्मे हम उसके खुले किवाड़ छोड़ आये।
महज दो जून रोटी के लिए अपने सुन्दर
पहाड़ छोड़ आये। 😢😢😢
youtube.com/@Bagwan1973?si=l68fadubTc9d7B4g?sub_confirmation=1
सही बात है बचपन फिर लौट कर नही आता केवल यादो के सिवाय
🙏🙏
प्रमिला बहुत अच्छी वीडियो बनाई मायके के बंजर खेत वह मकान को देखकर बहुत ही बुरा लग रहा है😭😭😭
😭😭😭
ऐसे देखकर बहुत बुरा लगता है भुली ♥️♥️♥️ परमात्मा की कृपा से हम गांव में ही रहते हैं ❤
🙏🙏
नेताओं को बोलो की राजनीति न करें रोजगार दे मैं भी पहाड़ी हूं
youtube.com/@Bagwan1973?si=l68fadubTc9d7B4g?sub_confirmation=1
पलायन भी तो हम ही कर रहे हैं अगर जन्म भूमि से सच्चा लगाव है तो फिर पलायन क्यों कर रहे हैं?
पलायन पर सबसा जयादा वही बोल रहा है जो स्वयं पलायन कर रहा है जिन्हें अपनी जन्म भूमि से वास्तविक प्रेम है वह आज भी अपनी जन्म भूमि नहीं छोड रहा है आज भी यहीं रह रहा है।
Bilkul shi ji 👍
राज्य सरकारें इस ओर जरूर ध्यान दें।इन बेटियों के आंसुओं को समझते हुए पहाड़ के युवाओं के लिए रोजगार के साधन उपलब्ध करायें जिससे कि पलायन रुके।
भाई यह रोजगार की वजह से पलायन का मामला नहीं है क्योंकि इनके सभी भाइयों ने देहरादून में मकान बनवाए हैं!! यह केवल आधुनिक सुख सुविधाओं की ललक का मामला है!! आज गाँव की महिला/ पुरुष दोनों ही आरामदायक सुविधापूर्ण जीवन चाहते हैं, शारीरिक मेहनत कोई नहीं करना चाहता है और यह बात सच है कि पहाड़ के गांवों में जीवन बहुत श्रमसाध्य है !!
बहनों हम सब ही जिम्मेदार है इस दुर्दशा के, अगर बीच बीच में सब को आते रहना चाहिए और पित्रों के धरोहर को संभालते रहना चाहिए।
🙏🙏🙏
काश उत्तराखंड की औरतों को ससुराल के घरों पर भी रोना आता।तो पहाड़ों का ये। हाल नही होता।
पाहडो से पलायन का मुख्य कारण महिला ही है
@@jogasingh2338 सही कहा ना होगा बांस ना बजेगी बाँसुरी शादी करना बन्द कर दो तब आँखे खुलेंगी अरे सभी मिलकर महिलाओ को दोषी मान लिया बो भी इंसान है उनका मन भी करता है अपने हिसाब से जीने का बदलाब प्राकृति का ही नियम है
साल में एक बार घर जरूर जाना चाहिए❤❤? अपना गांव छोड़ना नहीं चाहिए
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।
🎉😢बहुत ही भाउक चित्रण किया है ।सभी बहनों को धन्यवाद शुभ आशीर्वाद ।धर्म सिंह् नेगी तुनवाला देहरादून ।
🙏🙏🙏
उत्तराखंड बनने के बाद ऐसी ही बरबादी होनी थी तो उत्तर प्रदेश ही बढ़िया था राजधानी लखनऊ रहती तो सभी लोग देहरादून तो नहीं जाते भाड़ में जाए ऐसा विकास जो केवल देहरादून तक सीमित है ।
आगे आने वाली पीढियां यही रहेंगी समय
ऐसा आयेगा।
मोदी लाओ देश बचाओ, जय मां भारती, जय देव भूमि उत्तराखंड 🔱
आने वाली पीढ़ी हमको गालियां देंगी ❤
Ji 🙏🙏
बेहतरीन भावुक वीडियो
हर हर महादेव ❤ध्याणियो का रोना पित्र पुर्वजों का आशीर्वाद मिलना होता है। सभी बहिनो को सादर प्रणाम 🙏🙏 यादें तो आहीं जाती दीदी जी आज भी हम अपने खेत खलियानों कै खुशहाल बना सकते हैं।
Aap ne mere ko mere bachpan yad diladiya pahad ho ya samtal phle sab ka bachpan ak jesa tha ab sab ko shro ka hi rhna pasnd h
💐💐💐
बिटिया साल मे एक दो बार.जरूर. गांव आया करो,कमसे कम हमारी मात्रिभूमि आगे आने वाली पीढी को हमारा अतीत बताती रहेगी।
🙏🙏
Uttrakhand ke logon ke pas dusare shahar ka option nahi hai kya
बहन पूरे उत्तराखंड का यही हाल है दिल से रोना आ रहा है
Nhi bhaiji kabi hamare pauri rath ana koi palayan nhi
जन्म भूमि से लगाव , सब समय का बदलाव। केवल स्मृतियां रह गई हैं।
जै जै श्री राम भुली कोन सा गाँव है बलौक तहसील जरूर लिखा ।धन्यवाद
बहुत ही भाऊक ऐसी चीज देख के बहुत ही रोना आता है
😢😢
लगभग सभी गांवों में विकास के अंधे दौड़ में सभी गांवो में पलायन का ऐसा मंजर देखने को मिल रहा है दीदी क्या vor दिन आएंगे की नहीं समझ नहीं आता है । क्या होगा ये विकास में
मैं हमेशा हर उत्तराखंड के लोगों के ब्लॉग पर जो गाऊँ का पलायन दिखाते हैं कॉमेंट कर्ता हूं कि गाऊँ को एसा छोडें नहीं साल 6 महीने में जरूर जाएं हमारे बाप दादा की मेहनत को बर्बाद न करें. उनका तबी आशीर्वाद मिलेगा तभी आप falenge fulenge एक हफ्ते ही जाएं पर जाएं
बहुत सुंदर ब्लॉग बहना आपने तो रूला दिया 😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭😭
हमारे भी आंसू आ गए इस उत्तराखंड के प्लान की दशा को देखकर के😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
है गांव अभी तक टूटा मकां हमारा
है उसमें अभी बाकी नामोंनिशां हमारा।
Very very sentimental and painful!!!!
पटोडियो नाम है यहां पर का
वाकई में बहुत दुःख होता है अपनी जन्मभूमि और मातृ भूमि को देख कर, हमारे पौड़ी गढ़वाल में भी येसा ही है, आजीविका चलाने के लिए,, आंखो मे आंसू आ गए आप सभी बहीनो को देख कर, बचपन की यादे,, nice vlog भूलू
🙏🙏🙏
Apna Ghar ka dhyan rakhna chahiye or sabhi ko saath milkar uttarakhand ka vikas karna chahiye ❤😂😊
दीदी नमस्कार वैसे पलायन का कारण हमारी माता और बहनों का बड़ा हाथ है आपको दोनो पहलो पर समझना चाहिए जहांआपका ससुराल है क्या आप वहां रह रही हो
बहन आप लोग हर साल गांव में आया करो। आपका वीडियो बहुत मार्मिक है
🙏🙏🙏
Mujhe Rona AA gya deedi
youtube.com/@Bagwan1973?si=l68fadubTc9d7B4g?sub_confirmation=1
एक बेटी दर्द । बेटियां अपनी जन्म भूमि को बयां करके भावुक हो रही हैं।
कुमाऊं की अपेक्षा गढ़वाल से ज्यादा पलायन हो गया है आप लोगों से निवेदन है कि जरूर इस पहाड़ को बसाने का कोशिश करें इस बंजर भूमि में चाय का बागान भी लगा सकते हैं और kiwi की खेती कर सकते हैं
आपका घर तो सचमुच अच्छी जगह पर है, चारों तरफ से खुला खुला,
अगर आप लोग चाहो तो अभी भी वहाँ रह सकते हो..
ua-cam.com/video/tOEKWzhnPjY/v-deo.htmlsi=RSPjEhH8GxP9kiQU
🙏🙏
बहन जी इन घरों और खेतों को बंजर करने का श्रेय भी तो आपके भाइयों को ही लेना पड़ेगा ऐसा क्या निराला है देहरादून का किसी अन्य शहर में जो कि अपनी जन्मभूमि का ये हाल बना दिया है चलो ये तो आपका मायका है और यहां आप लोगों का बचपन बीता है पर क्या आज जो आपका अपना घर या ससुराल है वो आबाद है ? क्या कभी उसके लिए भी आंसू निकलते है क्या कभी झूठे ही सही दिल में खयाल आता है कि चलो उसे संवार लें क्योंकि वो तो आपके अपने हाथों में है और इसमें कुछ असंभव भी नहीं ।
उत्तराखंडियों के ऐसे आंसुओं को देखकर उनके लिए कोई शब्द नहीं निकलते जो अपने पूर्वजों के अथक और अकल्पनीय प्रयासों से संजोए गए और गरीबी और बेबसी के बाबजूद बनाए गए इतने सुंदर और बड़े बड़े मकानों और खेत खलिहानों को सदा के लिए ऐसे छोड़ गए कि साल में एक दो बार दो चार दिन ही सही वहां के रख रखाव और देख भाल के लिए वहां चले जाएं हम पहाड़ियों के पास पहाड़ के मुकाबले कितनी जमीन और मकान शहरों में है। जब आज आप जैसे लोग हार मान बैठे हो तो आपके बच्चे जो इस जगह से अछूते हैं वो वहां क्यों झांकने भी जायेंगे 🙏
दीदी आपने मुझे भी रुला दिया 😢😢😢
रोने से कोई फायदा नही भूली। सभी लोग वापिस गांव जाने की प्लानिंग करो चाहे ससुराल के हों या मैती। रोड़ दुविधा है तो पहले वाली आधी से ज्यादा समस्या का समाधान हो चुका है। इसको हमें मुहिम बनाना होगा।
Really heart touching ❤
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दीदी मैं ❤दिल से ❤️ 🙏 मैं आपके जो भीतर में मायके का अपनीं जन्मभूमि के प्रति प्यार, प्रेम और स्नेह और सम्मान,,दर्द, पीड़ा, संवेदनाओं और भावनाओं को व्यक्त किया है 🎉❤❤ सम्मान करती हूं 🙏
❤ बहुत बुरू लगणूं रे दीदी ❤❤😢😢😢😢😢😢😢😢😢
😢😢
@@pramilavlogsuttrakhandi ❤️😭❤️😭❤️🌹💐🌺🙏🙏🙏🙏🙏
Bahut sundar didi parmila
Bachpan ki yad aa gyi
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Bhout acha lega iske liye aap khud zimmewar hai
शिक्षा,रोजगार एव विकास इसका मुख्य कारण है, आपने यहां जन्म लिया आप माइके आ गई, आपके बच्चे खान जाएंगे? उनको आलसी और धन की दौड़ में हम ही धकेलते हैं। बताएं अंतिम बार आप अपने ससुराल वाले गांव कब गए थे, वहां भी किसी के दादाजी मकान बनाया होगा, पुंगडी आबाद की होगी। यह देवभूमि है, जिंदा रहेगी एवं बेर सबेर बुलाएगी ही।
देखिए जब तक रोजगार और स्कूल, हॉस्पिटल, मार्केट आदि की सुविधाएं नहीं होगी तो कोई केसे रहेगा पुराना समय अलग था
पैसा अधिक हो जाने के कारण ये हाल हुआ लोगों ने मेहनत करना छोड़ दिया
Sehi bola betiyan Jahan bhi jayen shadi ke baad maike chahe koi ho ja na ho ghar dekhker hi Rona aa jata hai
ये गांव कहां है गांव का न आज य बताओ
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क्या करें जी कोई भी पहाड़ों में रहना नहीं चाहते हैं आ रहा है समय पहाड़ों का
सब जगह के यही हाल है बहन❤❤
येसा ही रोना मुझे भी आता है जब गांव जाती हू ना मां हे ना पापा हे कोई नहीं रहता है घर में
😢😢😢
कौन सा गांव है ये कृपया लिखे यह स्थान देखना चाहता हूं मैं
Apnay gharo may bethkar chay roti banatay bohut acha lagta
क्या कहूं बहिनों पूरे गढ़वाल में सभी जगह यही हाल है ❤😂🎉😂❤
बहुत सुन्दर दीदीजी 🙏🙏🙏
Nice picture bahin ji
सच्चाई यह है कि हमारा उत्तराखंड कृषि पधान था मगर उत्तराखंड बनने पर सरकार ने किसानो की तरफ कोई ध्यान ही नहीं दिया यहा अस्पताल मेडिकल उपचार की सुबिधाये स्कूलों की सुबिधाये व खेतो मे जो भी आनाज उगता है जगली जानवरो की रोकथाम पर कोई ध्यान नही दिया सरकारो ने रोड बिजली तो गावो मे पहुच गये मगर सरकार को खेतो के पलाटेशन सुबिधाये होनी चाहिये थी सबसे बडी गलती हुई राजधानी देहरादून मे बनाई कुमाऊ व गढ़वाल के बीचोबीच मे बनानी चाहिये थी उत्तराखंड का दुर्भागय है नैकरिया भी बाहर के लोग जाली हरि जनो को मिल रही है जी
Sahi baat 🙏
कि बुन हम सबु का ईन ही हाल छन कि बुन कैखुणै बुन हम ही छा जिम्मेदार
आपने पहाड़े याद दिलादी
Rone ke alawa ab kuch nahi hai hamarey gharo ko dekh kar
रुला दिया आपने आज दीदी 😢😢
आप लोगों की वजह से ही देवभूमि आज बंजर पड़ी हुई है
बंजर नही बोलते है आपकै भाई होगे बोलो आओ गाँव
U are responsible
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