" दुःख का कारण " पूज्य श्री लाला जी साहिब की सन् 1924-25 वार्षिक भंडारे की " अमृत वाणी "

Поділитися
Вставка
  • Опубліковано 8 лют 2025
  • " दुःख का कारण " पूज्य श्री लाला जी साहिब की सन् 1924-25 वार्षिक भंडारे की " अमृत वाणी "
    " अमृत वाणी "
    समर्थ सद्गुरू परम संत महात्मा
    श्री रामचंद्र जी महाराज (प्रिय नाम पूज्य श्री लाला जी महाराज। )
    के उर्दू में लिखित आध्यात्मिक लेखों का हिन्दी अनुवाद ।
    मेरे गुरदेव, समर्थ सद्गुरू, परम संत श्रीमान महात्मा श्रीरामचंद्र जी महाराज ( प्रिय नाम पूज्य श्री लाला जी महाराज) द्वारा लिखित यह लेख लगभग सन् 1924 - 25 में वार्षिक भण्डारे के अवसर पर स्वयं ही पढ़कर सुनाया था।
    उनकी भाषा उर्दू थी, अत: यह उसका हिन्दी रूपान्तरण है। हमारे सत्संगी भाइयों के लाभार्थ, यह प्रस्तुत है। मेरा विश्वास है कि इससे उनके मन की अनेक भ्रान्तियाँ दूर होगी और साधन के प्रति सतत् निष्ठा जाग्रत होगी।
    विनीत
    डाँ. हर नारायण सक्सेना।
    इस अमृत वाणी को 4 शिर्शक में बाटा गया है 1. दु:ख का कारण 2. सद्गुरू 3. व्यवहार 4. त्याग
    इस वीडियो में पहला शिर्शक लिया गया है इसे डा. प्रेम नारायण जी ( प्रिय नाम लल्लन भैया) ने अपनी आवाज में दोहे एवं भजन से प्रस्तुत किया है। बाकी तीन शीर्शक अगले विडियो में डालने का प्रयास करेंगे।
    अन्य आध्यात्मिक विडियो भी देखिए
    • गुरु से प्रेम ही ईश्वर...
    • " सन्तों की वाणी " सत्...
    • सत्संग की महिमा भाग -2...
    • मनुष्य जीवन का उद्देश्...
    • "मनुष्य जीवन का उद्देश...
    • ईश्वर प्राप्ति का यकीन...
    • नाजिन्स, ग़ैर आदमी और ...
    • परमात्मा के सिवाय किसी...
    • ईश्वर प्राप्ति का यकीन...
    #ramashramsatsangmathuralive
    #tundlalive
    #jiamaalive
    #atmbodhbhajan
    #RamashramSastangGhaziabad
    #RamashramBhajanMala
    #DrChaturbhujSahay
    #RamashramSastang
    #RamashramSastangMaaJia
    #RamashramSastangMathura
    #RamRaghubarAshramKanpur
    #भक्तऔरभगवंत

КОМЕНТАРІ • 84