Know about Saturn Dhaiya & Sadhe Sati -शनि की ढैय्या और साढ़े साती

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  • Опубліковано 4 лют 2025
  • शनि की ढैय्या और साढ़े साती
    सूर्य और छाया के पुत्र शनि देव हमारी जन्म कुंडली में मकर और कुम्भ राशि के स्वामी हैं तथा कर्म और व्यवसाय (work and profession ) के कारक हैं। शनि न्याय के लिए जाने जाते हैं और वही हमको हमारे जीवन में हमारे कर्मों के आधार पर फल देते हैं। शनि कुंडली में तुला राशि में उच्च के और मेष राशि में नीच के हो जाते हैं। शनि प्रत्येक राशि में ढाई वर्ष रहते हैं इस प्रकार ३० वर्ष में वह १२ राशियों की एक परिक्रमा पूरी करते हैं।
    शनि का नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हैं और अगर उनको बोला जाए की आप पर शनि की ढैया या साढ़े साती आने वाली हैं तो उनका डर और बढ़ जाता है। वास्तव में इसमें व्यक्ति को घबराना नहीं चाहिए क्योंकि हर व्यक्ति की अपनी जन्म कुंडली होती है और यह कोई आवश्यक नहीं की आपको शनि नुक्सान ही करेगा या कोई बड़ी चोट ही देगा। पीड़ा , कष्ट , कठिन समय अवश्य रहता है जातक के लिए परन्तु उसमे भी शुभ ग्रहों के कुंडली में स्थान को , उनकी युति अथवा दृष्टि समबन्ध बहुत फ़र्क़ डालते हैं किसी भी परिणाम में।
    इसके साथ साथ यदि लग्नेश शनि के मित्र हैं या आपकी जन्म राशि के स्वामी शनि के मित्र हैं जैसे वृषभ , तुला , मिथुन , कन्या , मकर या कुम्भ लग्न या राशि तो शनि से आने वाला दुष्प्रभाव, कष्ट, पीड़ा, चोट , नुक्सान आदि निश्चित ही कम होता है।
    शनि की ढैया और साढ़े साती -
    जब शनि गोचर में जातक की राशि से यानि जहाँ चन्द्रमा स्थित है वहां से चतुर्थ और अष्टम भाव में आते हैं तब उस समय को हम शनि की "ढैया " का समय बोलते हैं। अधिकांश ज्योतिषाचार्य ढैया के लिए चन्द्रमा से अष्टम भाव की ही गणना करते हैं। उस राशि में शनि द्वारा बिताया गया ढाई वर्ष का समय "ढैया " कहलाता है। इस अवधि में भी जातक को कष्ट उठाना पड़ता है।
    साढ़े साती - जब शनि जन्म कुंडली में जातक के चन्द्रमा से १२ भाव में या जातक की राशि से बारहवीं राशि में प्रवेश करते हैं तो जातक के जीवन में साढ़े साती का समय शुरू होता है।

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