#Santan_Saptmi
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- Опубліковано 11 вер 2021
- 13 सितम्बर 2021 संतान सप्तमी व्रत की पूजा विधि,क्या प्रसाद चढाये, संतान सप्तमी व्रत पूजा का महत्व🌈🚩🌈
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की पूजा विधि,क्या प्रसाद चढाये, संतान सप्तमी व्रत पूजा का महत्व🌈🚩🌈
संतान सप्तमी व्रत भाद्रपद महीने की शुक्लपक्ष की सप्तमी को किया जाता है। यह व्रत संतान की प्राप्ति, उसकी कुशलता और उन्नति के लिए किया जाता है। जानिए संतान सप्तमी का व्रत करने की विधि -
संतान सप्तमी के दिन सुबह ज्ल्दी उठकर, स्नानादि करके स्वच्छ कपड़े पहनें और भगवान शिव और मां गौरी के समक्ष प्रणाम कर व्रत का संकल्प लें।
अब अपने व्रत की शुरुआत करें और निराहार रहते हुए शुद्धता के साथ पूजन का प्रसाद तैयार कर लें। इसके लिए खीर-पूरी व गुड़ के 7 पुए या फिर 7 मीठी पूरी तैयार कर लें।
यह पूजा दोपहर के समय तक कर लेनी चाहिए। पूजा के लिए धरती पर चौक बनाकर उस पर चौकी रखें और उस पर शंकर पार्वती की मूर्ति स्थापित करें।
अब कलश स्थापित करें, उसमें आप के पत्तों के साथ नारियल रखें। दीपक जलाएं और आरती की थाली तैयार कर लें जिसमें हल्दी, कुंकुम, चावल, कपूर, फूल, कलावा आदि अन्य सामग्री रखें।
अब 7 मीठी पूड़ी को केले के पत्ते में बांधकर उसे पूजा में रखें और संतान की रक्षा व उन्नति के लिए प्रार्थना करते हुए पूजन करते हुए भगवान शिव को कलावा अर्पित करें।
पूजा करते समय सूती का डोरा या चांदी की संतान सप्तमी की चूडी हाथ में पहननी चाहिए। यह व्रत माता -पिता दोनो भी संतान की कामना के लिए कर सकते हैं।
पूजन के बाद धूप, दीप नेवैद्य अर्पित कर संतान सप्तमी की कथा पढ़ें या सुनें
यह व्रत संतान प्राप्ति एवम उनकी रक्षा के उद्देश्य से किया जाता हैं. ऐसा माना जाता है कि संतान सप्तमी के व्रत के प्रभाव से संतान के समस्त दुःख, परेशानीयों का निवारण होता है.
संतान सप्तमी का व्रत माताएं अपनी संतानों की लंबी आयु के लिए रखती है 13 सितंबर को है,सप्तमी तिथि कोशुरुआत 12 सितंबर शाम 5:20 बजे सेसमाप्त 13 सितंबर दोपहर 3:10 बजे तक
संतान सप्तमी का व्रत क्यों किया जाता हैं
यह व्रत स्त्रियाँ पुत्र प्राप्ति की इच्छा हेतु करती हैं. यह व्रत संतान के समस्त दुःख, परेशानी के निवारण के उद्देश्य से किया जाता हैं. संतान की सुरक्षा का भाव लिये स्त्रियाँ इस व्रत को पुरे विधि विधान के साथ करती हैं.यह व्रत पुरुष अर्थात माता पिता दोनों मिलकर संतान के सुख के लिए रखते हैं.
संतान सप्तमी व्रत पूजा विधि
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान कर माता-पिता संतान प्राप्ति के लिए अथवा उनके उज्जवल भविष्य के लिए इस व्रत का प्रारंभ करते हैं.
यह व्रत की पूजा दोपहर तक पूरी कर ली जाये, तो अच्छा माना जाता हैं.प्रातः स्नान कर, स्वच्छ कपड़े पहनकर विष्णु, शिव पार्वती की पूजा की जाती हैं.दोपहर के वक्त चौक बनाकर उस पर भगवान शिव पार्वती की प्रतिमा रखी जाती हैं.उस प्रतिमा का स्नान कराकर चन्दन का लेप लगाया जाता हैं. अक्षत, श्री फल (नारियल), सुपारी अर्पण की जाती हैं.दीप प्रज्वलित कर भोग लगाया जाता हैं.संतान की रक्षा का संकल्प लेकर भगवान शिव को डोरा बांधा जाता हैं.बाद में इस डोरे को अपनी संतान की कलाई में बाँध दिया जाता हैं.इस दिन भोग में खीर, पूरी का प्रसाद चढ़ाया जाता हैं. भोग में तुलसी का पत्ता रख उसे जल से तीन बार घुमाकर भगवान के सामने रखा जाता हैं.परिवार जनों के साथ मिलकर आरती की जाती हैं. भगवान के सामने मस्तक रख उनसे अपने मन की मुराद कही जाती हैं.बाद में उस भोग को प्रसाद स्वरूप सभी परिवार जनों एवं आस पड़ोस में वितरित किया जाता हैं.पूजा के बाद कथा सुनने का महत्व सभी हिन्दू व्रत में मिलता हैं.संतान सप्तमी व्रत की कथा पति पत्नी साथ मिलकर सुने, तो अधिक प्रभावशाली माना जाता हैं. इस व्रत का उल्लेख श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर के सामने किया था. उन्होंने बताया यह व्रत करने का महत्व लोमेश ऋषि ने उनके माता पिता (देवकी वसुदेव) को बताया था. माता देवकी के पुत्रो को कंस ने मार दिया था, जिस कारण माता पिता के जीवन पर संतान शोक का भार था, जिससे उभरने के लिए उन्हें संतान सप्तमी व्रत करने कहा गया.
लोमेश ऋषि द्वारा संतान सप्तमी की व्रत कथा
अयोध्या का राजा था नहुष, उसकी पत्नी का नाम चन्द्र मुखी था. चन्द्र मुखी की एक सहेली थी, जिसका नाम रूपमती थी, वो नगर के ब्राह्मण की पत्नी थी. दोनों ही सखियों में बहुत प्रेम था. एक बार वे दोनों सरयू नदी के तट पर स्नान करने गयी, वहाँ बहुत सी स्त्रियाँ संतान सप्तमी का व्रत कर रही थी. उसकी कथा सुनकर इन दोनों सखियों ने भी पुत्र प्रप्ति के लिए इस व्रत को करने का निश्चय किया, लेकिन घर आकर वे दोनों भूल गई. कुछ समय बाद दोनों की मृत्यु हो गई और दोनों ने पशु योनी में जन्म लिया.कई जन्मो के बाद दोनों ने मनुष्य योनी में जन्म लिया, इस जन्म में चन्द्रवती का नाम ईश्वरी एवम रूपमती का नाम भूषणा था. इश्वरी राजा की पत्नी एवं भुषणा ब्राह्मण की पत्नी थी, इस जन्म में भी दोनों में बहुत प्रेम था. इस जन्म में भूषणा को पूर्व जन्म की कथा याद थी, इसलिए उसने संतान सप्तमी का व्रत किया, जिसके प्रताप से उसे आठ पुत्र प्राप्त हुए, लेकिन ईश्वरी ने इस व्रत का पालन नहीं किया, इसलिए उसकी कोई संतान नहीं थी. इस कारण उसे भूषणा ने इर्षा होने लगी थी. उसने कई प्रकार से भुषणा के पुत्रों को मारने की कोशिश की, लेकिन उसके भुषणा के व्रत के प्रभाव से उसके पुत्रो को कोई क्षति ना पहुँची. थक हार कर ईश्वरी ने अपनी इर्षा एवं अपने कृत्य के बारे में भुषणा से कहा और क्षमा भी माँगी. तब भुषणा ने उसे पूर्वजन्म की बात याद दिलाई और संतान सप्तमी के व्रत को करने की सलाह दी. ईश्वरी ने पुरे विधि विधान के साथ व्रत किया और उसे एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई.इस प्रकार संतान सप्तमी के व्रत का महत्व जानकर सभी मनुष्य पुत्र प्राप्ति एवं उनकी सुरक्षा के उद्देश्य से इस व्रत का पालन करते हैं.
Santan Saptami ki dher sari shubhkamnaen😊😮
Bahot achchi jaankaari...pandit ji..🙏🙏
जय माता संतान सप्तमी माताजी की जय हो
Jaii shiv parivar ki jai ho ❤️🌹🙏
Pandit Ji ko Mera 🙏 Santansaptmi ki pujan SA Mari gosh Bhar jaaye yahi duaa late🙏
🙏🌿🌺Laxmi Narayan bhgwaan ki jay 🌺🌿🙏
RADHE RADHE JAI SHRI KRISHNA JI
जय श्री राधे कृष्ण🙏🌺🌺🌺🌺🌺
Dhanyavaad guruji, sau ne maara jai shree krishna🙏
Thanks guru ji
🙏🌼🌙💝mere🕉️jai Bholenath ji 🌿🍎🔱🌿
Om Uma maheshvray namha🙏🙏🙏🙏🌼🌼🌼🌼
Pranaam guur ji thanks guru ji
Jay Shree Krishna Radhe Radhe
Radhe Radhe guru ji
Jay ho
Jai shree mata ji🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
जय श्री राधे कृष्णा 🙏🙏🙏🙏🙏
.
Thanks
Bgwan muje b santan ki khushi de ....jai bhole nath
Hare Krishna
जय लक्ष्मीनारायण
जय श्री कृष्ण जी🙏🙏🙏🙏
Sadar Jai Shri krishna
Fgy
Hare Krishna Radhe Radhe Shastrijee. Agar periods aaye ho to vrat Pooja kaise karein Phir.
RADHE RADHE♥️♥️🙏🙏
Har Har Mahadev
Good
जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम जय श्रीराम
🎉
Love you pandit ji ❤️❤️
*धन्यवाद*
@@AacharyaGuruji pandit ji mere mummy app ke video roj dekh ti hai app unko Aashirwad dedejiy app ka
Bhot bada aabhari rahu ga
@@mummyji4884 *बहुत बहुत आशीर्वाद व शुभकामनाएं*
@@AacharyaGuruji bhot bhot sukriya
❤️🙏🥰
जय श्री राधे पंडित जी, क्या इस व्रत में चाय पी सकते है 🙏
Jai Shree Krishna 🙏🙏🙏
🙏🙏 jai Shree Lakshmi Narayan 🙏🙏
Radhey radhey ji, period ke third day par pooja kar sakte hai, vrat rakh sakte hai?shadi ko seven year ho gya hai shadi ko baby nhi hai
Pandit ji jo her mahine saptami padati hai use bhi santan saptami kehte hain kya
🌹🌼🌼🌺🌷🙏🙏
sheetla saptami ki pooja agr ledies na kr sakte to kya husband kr sakte hai 😊
Acharya ji Radhe Radhe Jo 16 din ke Mahalaxmi ji ke vrat hai vah kab se shuru hai 13 tarikh se yah 14 tarikh se batane ki kripa Kitna kariyega
13 सितम्बर 2021 से
Mandir me ja k kar sakte h kya??
Is saal Yeh vrat jaun se din aur tareek ko hai
Kitne saal karna he?
Jai sri lakshmi narayan
🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉
guru ji me garbhvati hu or mujhe beta chahiye me kar sakti hu kya ye vart..
कर सकते हैं
@@AacharyaGuruji Jii thanx
Guru ji meko avi beta nhi hua h sirf beti h to kya m ye brat kr skti hu
जी जरूर करें
pllz jwab jarur dena
Guru ji kuchh puchane ho to kaise puchhe
😷
संतान सप्तमी का छुड़ा गलती से बाए हाथ मे पहन लिया हे तो क्या करें गुरुजी
उतारकर सीधे हाथ में पहने
बहुत बहुत धन्यबाद गुरु जी,❤️❤️
Kele ke paate na mile to
Masik dharm me fir kya wo chudi hame pahnani chahiye guru ji....kyonki jab puja nahi kiya to chudi bhi nahi chadhayenge to kya pagan sakte hai
कर सकते हैं
L
Santaan saptami ki pujen ke baad nariyal foda jata hai ya nhi