केवट राम जी का चरणोंदक पाकर तर गया लेकिन अगले अवतार में सुदामा बनकर आया | 'बालि राम निज धाम पठावा' लेकिन वह भी द्वापर में जरा नाम का बहेलिया बना | शबरी- 'तजि जोग पावक देह हरि पद लीन भइ जहं नहिं फिरे' लेकिन उसने भी मीरा के रूप में जन्म लिया | कुम्भकर्ण भी - ' तासु तेज प्रभु बदन समाना |'लेकिन वह भी शिशुपाल के रूप में जन्मा | रावण भी- 'तासु तेज समान प्रभु आनन' लेकिन वह भी दन्तवक्र बना | आखिर क्यों? उमा राम गुन गूढ़, पंडित मुनि पावहिं विरति | पावहिं मोह विमूढ़, जे हरि बिमुख न धर्म रति || यह रहस्य रघुनाथ कर, बेगि न जानइ कोइ | जो जानइ रघुपति कृपा, सपनेहुँ मोह न होइ ||
Jay mata di
केवट राम जी का चरणोंदक पाकर तर गया लेकिन अगले अवतार में सुदामा बनकर आया |
'बालि राम निज धाम पठावा' लेकिन वह भी द्वापर में जरा नाम का बहेलिया बना |
शबरी- 'तजि जोग पावक देह हरि पद लीन भइ जहं नहिं फिरे' लेकिन उसने भी मीरा के रूप में जन्म लिया |
कुम्भकर्ण भी - ' तासु तेज प्रभु बदन समाना |'लेकिन वह भी शिशुपाल के रूप में जन्मा |
रावण भी- 'तासु तेज समान प्रभु आनन' लेकिन वह भी दन्तवक्र बना |
आखिर क्यों?
उमा राम गुन गूढ़, पंडित मुनि पावहिं विरति |
पावहिं मोह विमूढ़, जे हरि बिमुख न धर्म रति ||
यह रहस्य रघुनाथ कर, बेगि न जानइ कोइ |
जो जानइ रघुपति कृपा, सपनेहुँ मोह न होइ ||