हिन्दू सभ्यता के 5000 वर्षो का प्रतीक है सौंख टीला। Mathura

Поділитися
Вставка
  • Опубліковано 21 вер 2024
  • सौंख स्थित कई शताब्दी पुराना गढ़वाल टीला अपने गर्भ में कई रहस्यों को छिपाए है। संस्कृति व सभ्यता के प्रतीक उपेक्षित टीले पर करीब पांच दशक पूर्व भारतीय पुरातत्व संग्रहालय का ध्यान गया था। पाषाण टीले के महत्व को देखते हुए इस पर डॉ. हरवट हर्टल के निर्देशन में कार्य शुरू हुआ जो 1966 से 1974 तक चला। इस टीले से मूर्तियां और कृतियां प्राप्त हुईं। कुछ मूर्तियां वहीं रख दी गईं। गांव के लोग इस टीले में सुरंग होने का भी वर्णन करते हैं, जो अब अवरुद्ध हो चुकी है।
    कहा जाता है कभी यह छत्तीसगढ़ राज्य का आपातकालीन मार्ग था। टीले से प्राप्त मूर्ति, पाषाण कालीन बर्तन, सिक्के, राजकीय संग्रहालय मथुरा की शोभा बढ़ा रहे हैं। खुदाई में त्रिशूल, टेराकॉटा की मूर्तियां भी मिलीं। प्राचीन अवशेषों के समय निर्धारण में मिट्टी के बर्तनों ने बड़ी सहायता की। ये ब्रज संस्कृति के पुराने अवशेष हैं। सौंख टीले से भूरे, काले, लाल, चमकीले पात्र प्राप्त हुए। आज भी यहां कई टीले अपने गर्भ में रहस्य छिपाए हैं।

КОМЕНТАРІ • 2