🎉🎉🎉🎉 परम् श्रेष्ठ परम् श्रद्धेय परम् आदरणीय परमहंस परमानंद महर्षि सदगुरू देव जी श्री श्री रामकिंकर जी महाराज जी के चरणों में बारम्बार नमन वंदन प्रणाम करते हुए, अपने आप समर्पित करता हूॅं।
परम् श्रद्धेय परम् आदरणीय परमपुजयनीय श्री खरगे जी, चालीस साल का अनुभव, पंद्रह साल के अनूभव के सामने, गुरुओं को, पुरखों की भी नहीं सुनना। ये तल तल पर भी निर्भर करता है।
🎉🎉🎉🎉 परम् श्रेष्ठ परम् श्रद्धेय परम् आदरणीय परमहंस परमानंद महर्षि सदगुरू देव जी श्री श्री रामकिंकर जी महाराज जी के चरणों में बारम्बार नमन वंदन प्रणाम करते हुए, अपने आप समर्पित करता हूॅं।
वाह, अद्भुत अकल्पनीय अतुलनीय अद्वीतीय रसामृत।।
जय सीताराम जी ❤❤
परम् श्रद्धेय परम् आदरणीय परमपुजयनीय श्री खरगे जी, चालीस साल का अनुभव, पंद्रह साल के अनूभव के सामने, गुरुओं को, पुरखों की भी नहीं सुनना। ये तल तल पर भी निर्भर करता है।
परम् श्रद्धेय परम् आदरणीय परमपुजयनीय श्री खरगे जी, चालीस साल का अनुभव, पंद्रह साल के अनूभव के सामने, गुरुओं को, पुरखों की भी नहीं सुनना।
परम् श्रद्धेय परम् आदरणीय परमपुजयनीय परमहंस परमानंद परमसंत श्री श्री सदगुरू देव जी के चरणों में कोटि-कोटि नमन वंदन प्रणाम करता हूॅं।
मात्रभूमि की सेवा सबसे बड़ी सेवा है "सीता", पवित्र धरती।।
🎉🎉🎉 वाह, अद्भुत।
राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
श्री महात्मा बनना।।
ये प्रसंग अद्भुत है।
Jai siyaram.
श्रद्धा से अभिभूत होकर विश्वास में। बाबा की जटाओं में समा गई।
Jaie siyaram.
श्री अत्री। श्री अ त्री।
गुरु देव। अहम् वहम तो श्री नारद जी से पहले ही हो चुका था।
सत्य गंगा।।
जगह-जगह में अंतर। स्वर्ग और नर्क यही है। हमारी वाणी से।
सत्य गंगा।। कल कल ध्वनि। हल्ला बोल नहीं।।
आती है।
UMANATH SAMARAMBHA TULASEE DASARY MADHYMAMM ...l asmad achary paryantam vande gurooparamparamm...ll
स्वर वादीनी से वाणी।।
Seetaram
🎉🎉🎉
हमारा हृदय हिलोरें लेने लगता है
परोपकाराय पुण्याय।
फंगस ना लगे। मां अनसुईया। त्र ।।
श्री राम को को धारण का पात्र होना बहुत बड़ी बात है।
श्रद्धा से अभिभूत होकर विश्वास में।
सोखने की क्षमता पर निर्भर करता है।
फंगस ना लगे। मां अनसुईया। त्र ।। अ लगते ही अभिप्राय बदल जाता है।
दिव्य अस्त्रों का युद्ध यही था।
ये काम सिर्फ श्री त्रैशंकु जी ही कर सकते हैं। माध्यम तो है, अमावस्या का।
दो सत्यनिष्ठ ब्रहमनिषठ महर्षियों के भाव टकरा गये।
जो आजकल विधि विधान बनाने वाली जगह हो रहा है। हम सब टेलीविजन पर देखकर, फिर कर्मनाशा।
कर्मनाशा से तात्पर्य, कर्म का नाश हो गया, बीच में लटक गये।भाव से
दंडवत
राम।
जटिल थे।
जटिल प्रश्न।।
आज दादा पोते में युद्ध होगा।
विहंगम करें।
लेकिन रोग की पहचान, आंखों और मुख से भी होती है।
श्री नारद जी श्री ब्रह्मा जी की संतान हैं।
पेयम पेयम
गुरु देव, हमारे सभी ग्रंथ घटनात्मक हैं। मां अनुसूइया जी पतिब्रता है जिन्होंने तीनों देवों को बच्चा बना कर रखा था।
वो कैकेई है।
कर्मनाशा से तात्पर्य, कर्म का नाश हो गया, बीच में लटक गये।
वृत्तिआकार
ये तो प्रतिस्पर्धा हुई।
श्री धर्म पुत्र श्री युधिष्ठिर जी भाईयों सहित गये।
रूप में परिवर्तित किया।
वहां तक तो ठीक है, लेकिन अच्छे भोजन को देखकर पलट दे, तो क्या करना चाहिए।
भाव भंगिमाओं के रंग में
शक्कर, बहुत छोटा सा कण होता है गुड का।
चतुरमूख।
रोग की
प्रभाव से नहीं मनुहार से
गुरु देव प्रतीक नहीं है, साक्ष्य है।
भगीरथ, रथ लेकर भाग गए।
रणछोड़ दास।
फिर फलीभूत कैसे होती।
फलिभूत नहीं हुई।
समदर्शीयों को