मेरे प्यारे से भाई आप जी के चरणों में कर रखे धन निरंकार जी आप जितना सटीक समझते हो कि जीवन का परम सत्य क्या है जीवन की राशियों को जब हम जान जाते हैं वह भी जब आत्मज्ञान घटित होता है तो आप को आत्मज्ञान घटित हो चुका है अध्यक्ष में आपकी खड़े हो और आप की का बहुत बहुत शुक्रिया कि आप की की जोत जली हुई है और आप सारे मानवता की ज्योति जला रहे हो इतना सुंदर प्रिय साहब जी का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया जी
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
जय श्री राम जय राम जय राम जय जय श्री राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम जय राम जय राम जय जय श्री राम
जादू में सिर्फ दिखता ही है! मगर वैसा होता नही! जो थिर ही नही तो झूठ/मिथ्या ही है! सपना है मगर दीर्घकालीन होने से मैं भी स्वप्न सत्ता ही हो गया!या ज्यादा सत्य यही है कि मैंने ही स्वप्न देखा !क्यों हो गया मैं स्वप्न सत्ता? क्योंकि स्वयं से विमुख हो गया! पहले विमुख हुआ तभी हमारे लिए सपना तैयार हुआ है! हमने ही सपना बना लिया है! जो दीखै सो थिर नहीं! थिर् एक निरंजन राम।।
आपने सही कहा लेकिन हम किसी चीज से दूर इसलिए नहीं होते कि वह नश्वर है, दूर होने का कारण है यह जान लेना की इच्छाएं ही हमारे दुख का कारण है, क्योंकि इच्छाएं कभी सीमित नहीं होती, जरूरत ही सीमित होती है, इच्छाएं असीमित। जैसे आपका सपना है मुझे १ करोड़ कमाना है, आपने पैसे कमा लिए, आपका मन सोचेगा काश मेरे पास एक प्राइवेट जेट होती, फिर इसके आगे का सोचता सोचता जाएगा, यह जो इच्छाएं हैं जो कभी खत्म होने का नाम नहीं, जो भी हमें मिल जाता है उसकी कीमत शून्य मालूम लगती है , मन चाहे तो सूखी रोटी खाकर भी खुश रह सकता, और अगर चाहे तो कितना ही मनुष्य को संतुष्टि नहीं मिलती , संसार में उलझे रहने का नाम है मन , जितना बड़ा हमारा में होगा उतना ही ज्यादा अशांत मन , जो कभी संतुष्ट नहीं होता , इसलिए कहा जाता है भीतर की ओर जुड़ो , क्योंकि इच्छाएं तो कभी खत्म होने का नाम ही नहीं, और यहां पर इच्छा हो की बात की जा रही है जो हमें दुख देती है
इस तरह से मन हमेशा भोग विलास की पूर्ति में लगा रहता है, और उसे संतुष्टि किसी से नहीं मिलती, वास्तव में संसार में ऐसी कोई चीज नहीं है जो हमें परम आनंद दिला दें , इसलिए जरूरतें रखना चाहिए, इच्छाएं नहीं जिसके पास सब कुछ है वह भी दुखी, जिसके पास कुछ नहीं वह भी दुखी, क्योंकि वह इच्छाओं के साथ जीते हैं, ने यह भ्रम होता है कि इसके मिल जाने के बाद में पूर्ण हो जाऊंगा, लेकिन वह कभी पूर्ण नहीं होता, इंसान अपनी पूर्णता को भीतर के बजाय, संसार में तलाशता है हमारा मन है तो यह अस्तित्व है मन नहीं तो अस्तित्व नहीं, इस तर्क अनुसार भी कह सकते हैं, जगत मिथ्या है, क्योंकि जब हम नहीं थे , तो हमारे लिए यह अस्तित्व भी नहीं , जब तक मन है तब तक अस्तित्व है, सिर्फ कुछ था तो वह शून्य
Satya kabhi nahi badalta Apne graduation Kiya hai ye Satya hai to kabhi badal nahi sakta iska proof apka college aur apke us time ke class ke students hain aur ye badal nahi sakta na hi change ho sakta hai
Mitya means it is always changing, when you are born and after 10 years your body is changed you are not that person, you seen a tree, 1 year back but that tree is different because leaves are changed every second earth, universe is moving, means you are not in the same place from this angle universe is dream.
ॐ नमो नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण हरि ॐ नमः
sir 1) agar hum sirf sakshi hai, to fir paap kaun kawaata hai humse. 2) sakshi hai agar hum to kya haammre haat main dekhne k elawa kya kuch bhe nahi koi karam nahi? jub sub khud he ho raha 3) agar ye baat baith gayi mun main k hum sirf saakshi hai, to fir aadmi to kuch karega he nahi jub hoga tub hoga . Agar sub khud he ho raha hai to effort kyun karain ?
😊 yah to main bhi jaanta hun is jagat Mein Har waqt sab mithya hai 🙏🙏🙏🙏 abhi vartman Mein jis sharir Mein main Rah raha hun yah shrabi mithya hai 🙏🙏🙏🙏 isliye to main nishkaam ho Gaya Hun koi kamna Nahin Hai 🙏🙏🙏🙏 keval horse hai 🙏🙏🙏🙏 isliye main yah sharir bhi chhodana chahta hun
Acha mera ak prashn hai ki aaajkal jo chal rha hai ki धर्म हिंसा thavcha ये जो श्लोक है या लिखा टू कही नही है पर लोग kahta है कृष्ण न धर्म की रक्षा का लिया युद्ध किया isliye hame bhi apna dharm ko bacha ka liya yudh karenga kya ya baat shai hai ??????
According to krishna jise hm dharm kehte hai vo dharm nhi hota dharm ka sidha sambhand saty se hai lekin aajkal logo ne dharm ko identity de di identity nhi hai dharm mai hindu mai muslim mai isai use dharm nhi kaha gya yeh dharm to sirf ek hi hai sanatan (saty) ke sath jivan jina vhi sacha dharmik hai
निराकार अगर परमात्मा हैं तो साकार को क्या मानना चाहिए? कृपया संक्षिप्त में संपूर्ण का परिचय दीजिए जिससे यह कहने में संकोच ना हो कि मैंने पूरा पाया । यह कहानी कोई नहीं मानेगा निराकार परमात्मा जगत मिथ्या दृष्टि मिथ्या तो दृश्य भी मिथ्या 😮😂😊
जब आप इस मिथ्या जगत मे रह के यह कहते हो, के सत्य शाश्वत होता है, तो क्या यह वाक्य भी मिथ्या नही है ? क्यु की मिथ्या जगत मे आने वाला हर विचार आखिर मिथ्या ही तो होगा l
यदि इस सृष्टि का रचयिता ईश्वर है तो यह जगत मिथ्या नहीं हो सकता है। क्योंकि जब ईश्वर मिथ्या नहीं है तो वह मिथ्या रचना क्यों करेगा। रचना का प्रयोजन है अतः मिथ्या कहना गलत है। हाँ परिवर्तनशील है। और इसका आदि कारण प्रकृति सत्य है।
QUESTION , " ENLIGHTENMENT " STATUS . NEVER MISGUIDE , " LIFE ( UNIVERSE ) . WHAT NEED BRAMAND , AVTARS , BHAGWAN PARAMATMA SELF MEET AND EDUCATED , " COMPLETE DEATH ( COVERINGS ) THEN BECOME KNOWN , " SATYA AND MITHYA " SELF ( SATYA ) .PARAMATMA
Parivartan Jagat ka Niyam hai Aise to Atma bhi Parivartan hai Boby Janam Ke Sath Kuchh aur Marne ke sath Kuchh aur vichar Lekar Marti Hai Atma V parivartansheel hi hai Jai Jagat Mithya Hai To Braham bhi mithaai hi hoga
Stunterboy aap shayad Atma ke bodh ko samjh nhi paye. Atma ke baare mei kuch kaha nhi jaa sakta. Upnishad Atma ko Avyapadeshyam kehte hai- ki uska updesh bhi diya nhi jaa sakta. Shri Krishan Bhagvad gita mei Atma ko jagat ki neti neti krke btate hai ki Shastra usse bhedd nhi sakte; Agni usse jla nhi sakti, Paani use geela nhi kr sakta aur hawa usse sukha nhi sakti. Ab aap socho aap mei wo konsi cheez hai jinpr ye sab nhi ho sakta. Shareer to bilkul nhi. Toh shareer Jagat (artharth prakriti) ka ansh hai. Or shareer mithya hai, par aap nhi. Iska matlb ye mat samjh lena ki mann ho aap. Mann bhi aap nhi ho, wo bhi adrishya indriyo ki tarah hi hai. Aap apne bheetar khoj mei jaao, to paoge aap antah-karan(Mann, budhi, chit., ahankar) bhi nhi ho. Aap atma swaroop ho. Wo jo anirvachniya hai- bhasha jiska varnan nhi kar sakti. Atma-bodh ke Behtar gyaan k liye aap kripya Adi shankaracharya ji ka “Nirvana Shatakam” ki translation padhlo. Or rahi baat iss video ki - aap poora shlok samjho- “Brahm satyam jagat mithya, jivo brahmaiva naparah”. Yahan saaf saaf btaya gya hai ki jeev (atma) or brahm mei koi antar nhi, artharth aapka atma swaroop hi brahm hai. Toh aap btae ki wo Jagat ka hissa kaise hui? Or jagat ka koi bhi niyam atma pr laagu kaise hoga? Vichar to man mei uth te hai, toh agar atma or man ek hai hi nhi, toh man ke badlav, atma ke badlav kaise ho sakte hai? “Atma” shabad ka boht shoshann hota hai humare samaajh mei. Aap shayad toh iss dwandh mei fass gye ki aatma ka man ya vichar se bhi koi rishta ho. Kripya isse meri grihna(hate) na samjhe. Umeed hai ki aap satya ki khoj mei jaye and aapko bhi mahan rishiyon, santo or khojiyo ki tarah atma-bodh ho 🙏🏻
Satya ko janne ka jo explanatin diye usme main utna satisfied nahin hua kyun ki app atmagya ki baat hi nahi kiye jiske pass khud ka gyan naho woh hu humesha sehi jhoot ko hi sach manta rahega
Jo apne litar or pani ka example diaa vo prakanik nhi uski jagah kisi sajiv ma example lena chahiye tha jo pramanik ho Jaise is example ko vkti par lagu krke dekhte h Weight checker hai pr samne vkti h to phle se h vo vkti yeh todi na soch lega mai itne hi kg ka hoon vo to yehi kahega mujhe malum nhi h or agr kahega abhi to yehi khega itne kg ka ho skta hoon aaspass syd mai glt niklu
Acha mera ak prashn hai ki aaajkal jo chal rha hai ki धर्म हिंसा thavcha ये जो श्लोक है या लिखा टू कही नही है पर लोग kahta है कृष्ण न धर्म की रक्षा का लिया युद्ध किया isliye hame bhi apna dharm ko bacha ka liya yudh karenga kya ya baat shai hai ??????
आप का समझाने का तरीका बहोत खुबसुरत है 🙏
मेरे प्यारे से भाई आप जी के चरणों में कर रखे धन निरंकार जी आप जितना सटीक समझते हो कि जीवन का परम सत्य क्या है जीवन की राशियों को जब हम जान जाते हैं वह भी जब आत्मज्ञान घटित होता है तो आप को आत्मज्ञान घटित हो चुका है अध्यक्ष में आपकी खड़े हो और आप की का बहुत बहुत शुक्रिया कि आप की की जोत जली हुई है और आप सारे मानवता की ज्योति जला रहे हो इतना सुंदर प्रिय साहब जी का तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया जी
Bahut badhiya
Hari om 🌹🙏🌹
ब्रह्म सत्य जगत मिथ्या... मानो नही जानो
बहुत अच्छे से आप ने समझाया. सोच को नया मोड दिया बहुत बहुत धन्यवाद आपका
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ब्रह्म सत्य जगन्मिथ्या जीवो ब्रह्मैव नापर!
ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय
बहुत सुंदर व्याख्या की है आपको प्रणाम धन्यवाद
❤❤ आपके ज्ञान बहुत ही सूक्ष्म ज्ञान ऐसे ही नेति नेति करते ईश्वर का लीला देखने को मिला ईश्वर आत्मा है विदेह सो रूप देह नही❤❤😊
0
Jagat toh kewal ek mann ka bharam hai..
Santusti hi Shanti.
Ur the best Acharya....🎉❤
Itne mahatpurn gyaan k liye hm sbb aap k aavari ❤❤
अद्भुत व्याख्यान। धन्यवाद...🙏🙏🙏😊
Bhut sunder thank you so much
Very good
Dhanyavad prabhuji .
Beautiful way to explain 🎉🎉🎉❤❤
Very well explained
ॐ नमो नारायण हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ हरि ॐ नमः
Thank. You. Sir
बेहतरीन पोस्ट जी
👏♻️👏♻️👏🌼🌺🌼
मेरे प्रभु बहुत अच्छा,,,
🙏🏽
Dhanyawad guruji vedant ki shidhi bat batadi aapke
जय श्री राम जय राम जय राम जय जय श्री राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम जय राम जय राम जय जय श्री राम
Apko sunne se मन स्पष्ट hojata
बहुत बहुत धन्यवाद
Hari om 🙏
Thank you Prabhu vah vah
Right❤❤❤ dada
Radhey Radhey 🙏🙏🙏🙏🙏🌸🌸🌸🌸🌸
Naman ji 🙏 excellent
Thank you 🙏🏼🙏🏼🙏🏼this is the Best explanation of Mithiya 👍🏼👍🏼👍🏼Nunnu Lal has fooled us all 😂
Bahut accha bataya
thanksgiving nice vdo ji
Nice Shiv
जादू में सिर्फ दिखता ही है! मगर वैसा होता नही! जो थिर ही नही तो झूठ/मिथ्या ही है! सपना है मगर दीर्घकालीन होने से मैं भी स्वप्न सत्ता ही हो गया!या ज्यादा सत्य यही है कि मैंने ही स्वप्न देखा !क्यों हो गया मैं स्वप्न सत्ता? क्योंकि स्वयं से विमुख हो गया! पहले विमुख हुआ तभी हमारे लिए सपना तैयार हुआ है! हमने ही सपना बना लिया है! जो दीखै सो थिर नहीं! थिर् एक निरंजन राम।।
Superb explanation..
Well done🙏🕉️🙏🙏🙏🕉️
Bahut hi adhbudh
Thankyou
Amazing sir
Bahut achcha laga
🙏🙏🙏
Jai Ho Bala Ji ki
शानदार 🌹❤️
Great sir 😊
Dhanyvad 🙏
Mind blowing knowledge 🙏
Thanks ❤
Apne muje sahi marg pe lake kada kiya
Mai disha Batak gaya tha
Jay sawminarayan
Ram ram
🌹🌹🌹🌹🙏
Thank you❤❤❤❤❤❤❤
Thanku so much sir for deep spiritual learning ❤, 🙏
❤❤🙏🙏
Thanks
❤❤❤
Thanks alots for your time and energy to share these kind of wise lecture. I really appreciate and I don’t miss what u share.
Thanks alots humbly.
Adhbut😊
मिथ्या तो अद्भुत जादू है!
Advait Vedant 😊
Namaste Buddhy Jay bhim
आपने सही कहा लेकिन हम किसी चीज से दूर इसलिए नहीं होते कि वह नश्वर है, दूर होने का कारण है यह जान लेना की इच्छाएं ही हमारे दुख का कारण है, क्योंकि इच्छाएं कभी सीमित नहीं होती, जरूरत ही सीमित होती है, इच्छाएं असीमित।
जैसे आपका सपना है मुझे १ करोड़ कमाना है, आपने पैसे कमा लिए, आपका मन सोचेगा काश मेरे पास एक प्राइवेट जेट होती, फिर इसके आगे का सोचता सोचता जाएगा, यह जो इच्छाएं हैं जो कभी खत्म होने का नाम नहीं, जो भी हमें मिल जाता है उसकी कीमत शून्य मालूम लगती है , मन चाहे तो सूखी रोटी खाकर भी खुश रह सकता, और अगर चाहे तो कितना ही मनुष्य को संतुष्टि नहीं मिलती , संसार में उलझे रहने का नाम है मन , जितना बड़ा हमारा में होगा उतना ही ज्यादा अशांत मन , जो कभी संतुष्ट नहीं होता , इसलिए कहा जाता है भीतर की ओर जुड़ो , क्योंकि इच्छाएं तो कभी खत्म होने का नाम ही नहीं, और यहां पर इच्छा हो की बात की जा रही है जो हमें दुख देती है
इस तरह से मन हमेशा भोग विलास की पूर्ति में लगा रहता है, और उसे संतुष्टि किसी से नहीं मिलती, वास्तव में संसार में ऐसी कोई चीज नहीं है जो हमें परम आनंद दिला दें , इसलिए जरूरतें रखना चाहिए, इच्छाएं नहीं
जिसके पास सब कुछ है वह भी दुखी, जिसके पास कुछ नहीं वह भी दुखी, क्योंकि वह इच्छाओं के साथ जीते हैं, ने यह भ्रम होता है कि इसके मिल जाने के बाद में पूर्ण हो जाऊंगा, लेकिन वह कभी पूर्ण नहीं होता, इंसान अपनी पूर्णता को भीतर के बजाय, संसार में तलाशता है
हमारा मन है तो यह अस्तित्व है मन नहीं तो अस्तित्व नहीं, इस तर्क अनुसार भी कह सकते हैं, जगत मिथ्या है, क्योंकि जब हम नहीं थे , तो हमारे लिए यह अस्तित्व भी नहीं , जब तक मन है तब तक अस्तित्व है, सिर्फ कुछ था तो वह शून्य
सचमुच इच्छाएं ही सम्पूर्ण संकट समूह है😊!
Sabse mithaya ye hai ki parmatma sakar hai Raja ki tarah hai lekin durbhagya ki logo ko jankari na hone ke karan use nirakar mante hai
जगत सत्य है पर अनित्य है
Satya kabhi nahi badalta
Apne graduation Kiya hai ye Satya hai to kabhi badal nahi sakta iska proof apka college aur apke us time ke class ke students hain aur ye badal nahi sakta na hi change ho sakta hai
Good information thanks brother jaishrikrishna
Mitya wo hai jo parivartan hota hai
Bhai saheb syad aap ko aur ghyan ki jarurat haikyoki parmatma sakar hai manushy ke saman hai uski Shakti nirakar hai
यानी के विचार करवाता है शरीर करता है और जो सब कुछ देख रहा है वह ब्रम्ह ,मैं सही हु सर बताए आपका खूब धन्यवाद
Mitya means it is always changing, when you are born and after 10 years your body is changed you are not that person, you seen a tree, 1 year back but that tree is different because leaves are changed every second earth, universe is moving, means you are not in the same place from this angle universe is dream.
ॐ नमो नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण नारायण हरि ॐ नमः
.यह सिद्धांत या सत्य पहले बुद्ध ने बताया ढाई हजार साल पहले
स्वयं से सत्य तक कि यात्रा में क्या अनुभव हुआ?
1 स्वयं का अनुभव
2 सत्य का अनुभव
3
मेरा प्रश्न सही नही है या तरीका सही नही है?
sir
1) agar hum sirf sakshi hai, to fir paap kaun kawaata hai humse.
2) sakshi hai agar hum to kya haammre haat main dekhne k elawa kya kuch bhe nahi koi karam nahi? jub sub khud he ho raha
3) agar ye baat baith gayi mun main k hum sirf saakshi hai, to fir aadmi to kuch karega he nahi jub hoga tub hoga . Agar sub khud he ho raha hai to effort kyun karain ?
😊 yah to main bhi jaanta hun is jagat Mein Har waqt sab mithya hai 🙏🙏🙏🙏 abhi vartman Mein jis sharir Mein main Rah raha hun yah shrabi mithya hai 🙏🙏🙏🙏 isliye to main nishkaam ho Gaya Hun koi kamna Nahin Hai 🙏🙏🙏🙏 keval horse hai 🙏🙏🙏🙏 isliye main yah sharir bhi chhodana chahta hun
Acha mera ak prashn hai ki aaajkal jo chal rha hai ki धर्म हिंसा thavcha ये जो श्लोक है या लिखा टू कही नही है पर लोग kahta है कृष्ण न धर्म की रक्षा का लिया युद्ध किया isliye hame bhi apna dharm ko bacha ka liya yudh karenga kya ya baat shai hai ??????
ua-cam.com/video/AfTbc0aQANA/v-deo.html
☝ धर्म हिंसा....
ua-cam.com/video/_M5ns-Tgloc/v-deo.html
कृष्ण की हिंसा का अर्थ
According to krishna jise hm dharm kehte hai vo dharm nhi hota dharm ka sidha sambhand saty se hai lekin aajkal logo ne dharm ko identity de di identity nhi hai dharm mai hindu mai muslim mai isai use dharm nhi kaha gya yeh dharm to sirf ek hi hai sanatan (saty) ke sath jivan jina vhi sacha dharmik hai
@@AdvaitVedanta981 जीव का एक ही धर्म है, तुम बंधन में हो तो मुक्ति की ओर बढ़ो।
अज्ञान है तो ज्ञान की ओर बढ़ो।
अशांत हो तो शांति की ओर बढ़ो।
Mahoday, Budh se parichit nahin, atithi deepo Bhava.khud hi sab kuch ho pahchane ki jarurat hei.
निराकार अगर परमात्मा हैं तो साकार को क्या मानना चाहिए?
कृपया संक्षिप्त में संपूर्ण का परिचय दीजिए जिससे यह कहने में संकोच ना हो कि मैंने पूरा पाया ।
यह कहानी कोई नहीं मानेगा निराकार परमात्मा जगत मिथ्या दृष्टि मिथ्या तो दृश्य भी मिथ्या 😮😂😊
Parivartan Prakriti Ka Niyam hai
परोक्ष ज्ञान करे फिर साधन करके अपरोक्ष अनुभूति करे!
janne wala asatya hai yehi dhokka hai. knower is always false it is part of known but seems true
Jagat vartman main Satya hai par sada ke liye nanhi Jagat parivartan shil hai Brahma Satya hai aur Parivartan shil nahin hai
जब आप इस मिथ्या जगत मे रह के यह कहते हो, के सत्य शाश्वत होता है, तो क्या यह वाक्य भी मिथ्या नही है ? क्यु की मिथ्या जगत मे आने वाला हर विचार आखिर मिथ्या ही तो होगा l
यदि इस सृष्टि का रचयिता ईश्वर है तो यह जगत मिथ्या नहीं हो सकता है। क्योंकि जब ईश्वर मिथ्या नहीं है तो वह मिथ्या रचना क्यों करेगा। रचना का प्रयोजन है अतः मिथ्या कहना गलत है। हाँ परिवर्तनशील है। और इसका आदि कारण प्रकृति सत्य है।
जगत सत्य है पर अनित्य है।
जगत एक लीला है है नाटक है
ये प्रकृति ही तो माया है ईश्वर की....... 🌼
WHAT THE SATYA AND MITHYA . NOT THE QUESTION OF LIFE ( UNIVERSE ) STATUS . SATYA , " SELF " ( PARAMATMA ) .
QUESTION , " ENLIGHTENMENT " STATUS . NEVER MISGUIDE , " LIFE ( UNIVERSE ) . WHAT NEED BRAMAND , AVTARS , BHAGWAN PARAMATMA SELF MEET AND EDUCATED , " COMPLETE DEATH ( COVERINGS ) THEN BECOME KNOWN , " SATYA AND MITHYA " SELF ( SATYA ) .PARAMATMA
Parivartan Jagat ka Niyam hai Aise to Atma bhi Parivartan hai Boby Janam Ke Sath Kuchh aur Marne ke sath Kuchh aur vichar Lekar Marti Hai Atma V parivartansheel hi hai Jai Jagat Mithya Hai To Braham bhi mithaai hi hoga
Mr.stuntboy u r mahamurkh agyani ho kucch nahi samjhe.
Stunterboy aap shayad Atma ke bodh ko samjh nhi paye. Atma ke baare mei kuch kaha nhi jaa sakta. Upnishad Atma ko Avyapadeshyam kehte hai- ki uska updesh bhi diya nhi jaa sakta. Shri Krishan Bhagvad gita mei Atma ko jagat ki neti neti krke btate hai ki Shastra usse bhedd nhi sakte; Agni usse jla nhi sakti, Paani use geela nhi kr sakta aur hawa usse sukha nhi sakti. Ab aap socho aap mei wo konsi cheez hai jinpr ye sab nhi ho sakta. Shareer to bilkul nhi. Toh shareer Jagat (artharth prakriti) ka ansh hai. Or shareer mithya hai, par aap nhi. Iska matlb ye mat samjh lena ki mann ho aap. Mann bhi aap nhi ho, wo bhi adrishya indriyo ki tarah hi hai. Aap apne bheetar khoj mei jaao, to paoge aap antah-karan(Mann, budhi, chit., ahankar) bhi nhi ho. Aap atma swaroop ho. Wo jo anirvachniya hai- bhasha jiska varnan nhi kar sakti. Atma-bodh ke Behtar gyaan k liye aap kripya Adi shankaracharya ji ka “Nirvana Shatakam” ki translation padhlo. Or rahi baat iss video ki - aap poora shlok samjho- “Brahm satyam jagat mithya, jivo brahmaiva naparah”. Yahan saaf saaf btaya gya hai ki jeev (atma) or brahm mei koi antar nhi, artharth aapka atma swaroop hi brahm hai. Toh aap btae ki wo Jagat ka hissa kaise hui? Or jagat ka koi bhi niyam atma pr laagu kaise hoga? Vichar to man mei uth te hai, toh agar atma or man ek hai hi nhi, toh man ke badlav, atma ke badlav kaise ho sakte hai? “Atma” shabad ka boht shoshann hota hai humare samaajh mei. Aap shayad toh iss dwandh mei fass gye ki aatma ka man ya vichar se bhi koi rishta ho.
Kripya isse meri grihna(hate) na samjhe. Umeed hai ki aap satya ki khoj mei jaye and aapko bhi mahan rishiyon, santo or khojiyo ki tarah atma-bodh ho 🙏🏻
@@snehdua7978 ha me murakh hu aur kush kehna to aap keh sakte ho Jay shavt bahut shota hai
@@stunterboy7293अरे कहना क्या चाहते हो ठीक ठीक से तो लिख, तुमने ऐसा वाक्य लिखा है जो किसी के साथ नहीं आयेगा 😂😂 साफ-साफ बोलो क्या कह रहे ?
@@AdvaitVedanta981 Baat Kehne Ki Nahin baat samajhne ki hai Anubhav karne ki hai
SDbubad
humpei dunya teri hasti kaa guma karti hai
kitne humrang huye hai teri tasveer kei saath .
Satya ko janne ka jo explanatin diye usme main utna satisfied nahin hua kyun ki app atmagya ki baat hi nahi kiye jiske pass khud ka gyan naho woh hu humesha sehi jhoot ko hi sach manta rahega
Jo apne litar or pani ka example diaa vo prakanik nhi uski jagah kisi sajiv ma example lena chahiye tha jo pramanik ho
Jaise is example ko vkti par lagu krke dekhte h
Weight checker hai pr samne vkti h to phle se h vo vkti yeh todi na soch lega mai itne hi kg ka hoon vo to yehi kahega mujhe malum nhi h or agr kahega abhi to yehi khega itne kg ka ho skta hoon aaspass syd mai glt niklu
Dushro ko nakal mat karo,nakal aaramb kar diya. Ye to budh ke Vidya hai.
Sahi kaha bhai😂
Bad explanation
फिर तो आप ही समझाइये...
Sat sat Naman
Acha mera ak prashn hai ki aaajkal jo chal rha hai ki धर्म हिंसा thavcha ये जो श्लोक है या लिखा टू कही नही है पर लोग kahta है कृष्ण न धर्म की रक्षा का लिया युद्ध किया isliye hame bhi apna dharm ko bacha ka liya yudh karenga kya ya baat shai hai ??????
इस टॉपिक पर दो वीडियो हैं चैनल पर।
1) धर्म हिंसा ताथैव च, इस title से और दूसरा है,
2) कृष्ण की हिंसा और बुद्ध की अहिंसा शायद इस नाम से
Bahut bahut dhanyawad bhaiya aapka bahut jaada confusion ho rhi thi aapna clear kardi 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙂🙂🙂
Very nice prabhuji ❤❤